किसान गाँव में रहता है | किसान ही पूरे विश्व समुदाय का पोषक है |जिस देश में किसान न हो, वह देश बिना दूसरे देश के वगैर निर्भर रह ही नहीं सकता है | किसान ही तो असली रंगत है |
भारतीय किसान
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किसान |
किसान गाँव में रहता है | बेहद सादगी पूर्ण जीवन जीता है | दुबला पतला होता है जो विश्व को खिलाता है | लगता है कि वह कई दिन से खाया नहीं है, बेहद सरलता का लिबास ओढ़े,फटे पुराने कपड़ों में, हाथ में फावड़ा लिये खेत में काम करता हुआ मिल जायेगा | बिना खाये पिये सुबह से डट जाता है जब तक तीन चार घंटे बीत न जाये, तब तक पानी तक नहीं पीता है | खेत ही उसके सच्चे माँ के समान है | पहले के किसान अनपढ़ होते थे | जमकर हाड़ तोड़ मेहनत करते थे | आज का किसान पढ़ा लिखा है जो अब खेतों में उतना मेहनत नहीं करता है जितना पहले के किसान करते थे लेकिन बिना फावड़ा उठाये खेती किसानी नहीं की जा सकती है | मिट्टी में लिपटा किसान अन्न उपजाने में पूरी जिन्दगी बिता देता है | किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता है | घिघियाता नहीं है | जरूरत पड़ने पर वह देश समाज के लिये स्वयं को न्योछावर कर देता है |
गाँव में रहने वाला किसान मिट्टी के बनाये मकान में रहता है | खपरैल से बने होते हैं या छप्पर में रहता है लेकिन आज के किसान के पास समस्त सुविधाओं वाला घर मिल जायेगा | धीरे धीरे शहर गाँव में घुस रहा है | आने वाले समय में गाँव की पहचान करना मुश्किल हो जायेगा | किसान भले अनपढ़ रहा है लेकिन अपने किसानी के मेहनत के बल पर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर बड़ा बड़ा अफसर,डॉक्टर,नेता,अभिनेता तक पहुँचा दिया | यह सब कड़ी व अथक मेहनत का परिणाम ही रहा है जिसके चलते ये सब करिश्में हुये हैं | किसान की पत्नी भले अनपढ़ रही लेकिन घूँघट में ही बाहर आकर अपने पति के साथ बराबर की हिस्सेदारी दी है | हर ढंग से खेतों में परिश्रम करते हुये मिल जाती है, जो एक मिशाल रहा है | सुबह से ही उठकर जानवरों को सानी पानी देती है तथा भोजन बनाने के बाद पति के सहयोग के लिये सदैव तत्पर रही है,खेतों में औरतें भी कोल्हू का बैल बनी रही और जमकर खेतों में काम करती हैं |
किसान ही पूरे विश्व समुदाय का पोषक है | जीवनहार है, खेलनहार है,किसान के बगैर हम तनकर जिन्दा नहीं रह सकते हैं | किसान के मेहनत के बल पर शहरी जिन्दा हैं | देश की अर्थव्यवस्था में कमी नहीं आने दी | सरकार में भी अपनी भूमिका बनाई है | देश समाज को चमकाने में पीछे नहीं रहा है | जरूरत पड़ी तो देशहित के लिये अपने को न्यौछावर किया है | ऐसे महान कृषक को भुलाया नहीं जा सकता है | किसान ही तो असली सेवक होता है | किसान किसी जरूरत मंद को मदद करने में आगे रहा है | कभी पीछे नहीं हटा | वह अपने देश से कुछ भी नहीं लेता है बल्कि वह सदैव कुछ न कुछ जिन्दगी भर देता ही फिरता है जो हम लोगों को जिंदा रखा है | ऐसे महान किसान को प्रणाम करता हूँ |
जयचन्द प्रजापति 'कक्कू'
जैतापुर,हंडिया,इलाहाबाद
मो़7054868439
hamare bharat desh ki shan hain yaha ka kisan
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया article है ..... ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ..... शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
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