लव लेटर

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काॅलेज का पहला दिन था । स्कूल की तरह कोई यूनिफाॅम नहीं और न ही अत्यधिक अनुशासन,बस होगी तो मौज - मस्ती ।मैं इन्हीं ख्यालों मे खोई थी कि मुझे वर्षा आती दिखाई दी ।

लव लेटर

काॅलेज का पहला दिन था । स्कूल की तरह कोई यूनिफाॅम नहीं और न ही अत्यधिक अनुशासन,बस होगी तो मौज - मस्ती ।मैं इन्हीं ख्यालों मे खोई थी कि मुझे वर्षा आती दिखाई दी ।
वह आते ही चहकते हुए कहा -  वाॅव परिधि ,  फाईनली हमारा काॅलेज आज से शुरू यानि मजे ही मजे ।
मैंने मुस्कराते हुए कहा - अच्छा मैडम और पढ़ाई ।
लव लेटर
लव लेटर
वर्षा - हाँ यार , वो तो साथ - साथ चलेगी ही ना ।
मैंने कहाँ - पहले क्लासरूम मे चलते हैं ।
वर्षा -  हैण्डशम मुंडे तो होंगे ना हमारी क्लास मे ।
मैंने हँसते हुए कहा - मुंडों का तो पता नहीं लेकिन आजकल गुंडे ज्यादा मिलते हैं , सम्भलकर ।
वर्षा - स्टअप यार , पहले ही दिन इतनी बकवास बातें मत कर ।
क्लासरूम मे पहुँचे तो कुछ लड़के व लड़कियाँ बातें कर रहे थे ।हम दोनों भी उनके ग्रुप मे शामिल हो गए और उनकी बातें सुनने लगे ।उनमें से एक लड़की जिसका नाम धारणा था , अपने पिछले स्कूल की बातें बताकर सबको हँसा रही थी या कहूँ अध्यापकों का मजाक उड़ा रही थी ।
उसकी बात को बीच मे काटते हुए विनित ने कहा - धारणा , तुम्हें अध्यापकों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए ।उनकी ही बदौलत हम आज यहाँ हैं ।
धारणा को उसका इस तरह से बोलना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा , उसने कहा - मैं यहाँ अपनी मेहनत की बदौलत हूँ , किसी और की वजह से नहीं ।
विनित -  हमारी मेहनत के साथ अध्यापकों की मेहनत भी होती हैं ।
धारणा - उसके लिए उन्हें अच्छा खासा पैसा मिलता हैं ।
विनित - सिर्फ पैसों से सब नहीं होता ।
धारणा - स्टअप , मैं तुमसे बहस नहीं करना चाहती ।
विनित - हाँ मुझे तो जैसे पूरे काॅलेज मे तुम ही मिली हो ।
उनका झगड़ा ज्यादा बढ़ता उससे पहले मैंने उन्हें रोकते हुए कहा -  तुम दोनों ये बातें छोड़ो , चलो चलकर कैंटिन देखते हैं ।
वर्षा - हाँ हमें वैसे भी अपना ज्यादा समय वही बिताना हैं ।
वर्षा की बात पर सब हँसने लगे और माहौल थोड़ा हल्का हुआ ।वह पहला दिन था जब विनित और धारणा का झगड़ा शुरू हुआ ।आगे चलकर रोज की बात हो गई ।कोई दिन नहीं जाता था जब थोड़ी बहुत नौक - झौक न होती हो और कभी - कभी तो अच्छी खासी महाभारत ।वह दोनों हमारे दोस्त बन गए थे ।एक तरफ जहाँ मुझे खुशी थी कि वर्षा के साथ अब विनित व धारणा भी मेरे फ्रैण्ड है तो दूसरी तरफ उनका छत्तीस का आकडा ।कभी मूवी देखने का प्रोग्राम बनता तो दोनों अलग - अलग मूवी पसंद करते और अपनी - अपनी पसंद पर अडे रहते ।विकएंड पर कभी आऊटिंग का प्रोग्राम बनाते तो दोनों अलग - अलग स्जैशन देते और लड़ने लगते ।
एक दिन वर्षा और मैं जब बैठे बातें कर रहे थे ।तब वर्षा ने कहा - क्या यार ,  इन दोनों की वजह से कुछ भी प्रोग्राम बनाने से पहले सौ बार सोचना पड़ता हैं ।अब तो मैंने सोच लिया है कोई घूमना नहीं , कोई मूवी नहीं ।बस बहुत हो गया ।
मैंने कहाँ - नहीं यार , वो दोनों भी हमारे फ्रैण्ड हैं ।कुछ तो करना पड़ेगा उनका झगड़ा दूर करने के लिए ।
वर्षा ने अनमने मन से कहाँ - क्या करेगी , उनका कुछ नहीं हो सकता ।
मैंने कहाँ -  बनाते है कोई प्लान उन्हें मिलाने के लिए ।
वर्षा - अरे तेरे दीमाग मे चल क्या रहा हैं ।
मैंने हँसते हुए कहा - कुछ खुराफाती ।
वर्षा हँसने लगी और प्लान पूछने लगी ।
मैंने कहाँ - मैं बताऊंगी नहीं , कल करके दिखाऊंगी ।
वर्षा - ठीक हैं ।देखते हैं तू सांड को कैसे लाल टोपी पहनाती हैं ।
अगले दिन मैं और वर्षा काॅलेज कैंटिन पहुँच गए और काॅफी पीने लगे ।
मैंने लैटर दिखाते हुए वर्षा से कहाँ -  ये देख लव लैटर ।
वर्षा ने आँखें बड़ी - बड़ी करते हुए कहा - लव लैटर ,  तुझे किसने दिया ।मुझे तो आज तक किसी ने नहीं दिया ।यार मैं खुबसूरत नहीं हूँ ।
मैंने खिजते हुए कहा - बेवकूफ ये लव लैटर धारणा के लिए हैं ।
वर्षा ने हैरान होते हुए कहा - तू धारणा को लव लैटर दे रही हैं यानी तुझे लड़कियाँ अच्छी लगती हैं ।देखने से तो नहीं लगता और मुझे पता क्यों नहीं चला ।
मैंने चिढते हुए कहा - स्टअप वर्षा , एक तो पूरी बात नहीं सुनती और दूसरा उस चिज का प्रयोग करती हैं जो तुम्हारे पास नहीं हैं ।
वर्षा ने नाक चढ़ाकर कहा -  क्या नहीं हैं मेरे पास ।
मैंने कहाँ - दिमाग ।
वर्षा - फिर ये लव लैटर का क्या माजरा हैं ।
पुष्पा सैनी
पुष्पा सैनी
मैंने कहाँ - ये लव लैटर मैंने धारणा को विनित की तरफ से लिखा है ।मैंने इसमें वो सारी बातें लिख डाली हैं जो ज्यादातर लड़कियों को अच्छी लगती हैं ।बस अब ये लैटर हमें किसी तरह धारणा तक पहुँचाना हैं ।
वर्षा - वाॅव परिधि , तुमने प्लान तो धासू लगाया है पर उलटा पड़ गया तो ।
मैंने कहाँ -  कुछ उलटा नहीं पड़ेगा ।अब मिशन लव लैटर शुरू करते हैं ।
हमने अपनी काॅफी खत्म की और क्लासरूम की तरफ आ गए ।रोजाना की तरह धारणा दूसरे लड़के - लड़कियों के साथ गप्पें मार रही थी ।और उसका पर्स डैक्स पर पड़ा था ।मैंने मौका देखकर लैटर उसके पर्स मे रख दिया ।थोड़ी देर बाद धारणा हमारे पास आई और हमने हाॅय हैलो पर ही बात खत्म कर दी और पढ़ने का ड्रामा करने लगे ।धारणा ने अपना पर्स खोला तो लैटर मिला ।हमने उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया ।धारणा लैटर पढ़ने लगी , हम उसे अनदेखा कर रहे थे ।
लैटर पढ़ने के बाद धारणा ने हैरानी से कहाँ - परिधि ,  ये तो लव लैटर है ।विनित ने मुझे लव लैटर लिखा ।आई कान्ट बिलिव दिस ।
वर्षा ने कहा - क्या विनित ने लैटर लिखा तुम्हें ।खैर इसमें हैरान होने वाली कौन सी बात है , जिन लोगों मे झगड़ा ज्यादा होता हैं उनमें छिपा प्यार भी होता हैं ।
मैंने सहमत होते हुए कहा - हाँ , ऐसा तो मैंने भी सुना है ।
धारणा -  लेकिन उसका प्यार मुझे कभी फिल क्यों नहीं हुआ , दिखा ही नहीं कभी ।
मैंने कहाँ - तुमने कभी विनित की आँखें देखी है , जब भी तुम्हें देखता है प्यार झलक - झलक जाता है ।
धारणा ने कुछ सोचते हुए कहा - उसकी आँखों मे प्यार ।मुझे तो सिर्फ अंगार ही दिखते हैं ।
वर्षा -  तुम्हें तो हमेशा झगड़ा ही सुझता हैं ।विनित वाक्य मे ही तुमसे प्यार करता है नहीं तो इतनी लड़कियों मे तुमसे ही क्यों झगड़ता ।
धारणा - लेकिन वह है कहाँ ।
वर्षा और मैं दोनों चूप हो गए क्योंकि हमें भी नहीं पता था कि विनित हैं कहाँ और आज काॅलेज आया भी हैं या नहीं ।धारणा दोबारा लैटर पढ़ने लगी ।तब मैंने वर्षा से फुसफुसाते हुए कहा -  ये विनित है कहा ।अगर वह आज काॅलेज नहीं आया तो सब गड़बड़ हो जाएंगी ।
वर्षा ने धारणा से कहाँ - मैंने कुछ देर पहले उसे कैंटिन की तरफ देखा था ।
मैंने कहाँ -  वह लैटर रखकर शायद खिसक गया होगा शर्मा रहा होगा ।
तभी विनित आ गया और अपने चिरपरिचीत अंदाज मे मुस्कराते हुए बोला - हाॅय एवरिबडी ।
वह वहीं बैठ गया ।आज धारणा उससे नजरें नहीं मिला रही थी और न ही ज्यादा बोल रही थी ।वह पढ़ने का बहाना बनाकर बुक मे झांक रही थी ।
विनित ने उसे छेड़ते हुए कहा - आज धारणा को बड़ी पढ़ाई सूझ रही है , बन गई है मैडम पढाकू ।
ओर दिन होता तो धारणा इस जरा सी बात पर बहुत बड़ा लैक्चर देती लेकिन आज वह नजरें झुका कर मुस्करा दी ।विनित ने इशारे मे मुझसे पूछा कि माजरा क्या हैं ।मैंने अनभिज्ञयता का ड्रामा करते हुए नहीं मालूम का इशारा किया ।
कुछ देर बाद जब विनित हमारे साथ नहीं था तब वर्षा ने धारणा से कहाँ - धारणा तुम क्या फिल कर रही हो विनित के लिए ।
धारणा मुस्कराते हुए बस आई फिल कहकर रूक गई ।
वर्षा - हाँ आगे बोलो भी ।
धारणा - आई फिल ,  आई लव विनित ।
मैंने और वर्षा ने एक दूसरे को हैरानी से देखा ।हमें नहीं पता था कि ऐसा जवाब इतनी जल्दी मिलेगा ।
मैंने कहाँ - तो अब से तुम दोनों का झगड़ा बंद ।कल चलते हैं मूवी देखने ।बहुत दिन हो गए ।
वर्षा - एक काम करना , तुम दोनों थिएटर पहुँच जाना ।मैं और विनित तुम्हें वहीं मिलते हैं ।
धारणा और मैंने हाँ मे हामी भरी ।अगले दिन जब वर्षा और विनित थिएटर पहुँचे तब तक मैं और धारणा नहीं पहुँचे थे लेकिन मैंने उसे आगे का प्लान समझा दिया था ।
वर्षा ने विनित से कहा - विनित पता हैं कल धारणा ने मुझे तुम्हारे लिए क्या कहा ।
विनित ने कहा - कहा होगा मैं तुम्हारे ग्रुप मे शामिल होने लायक नहीं ।
वर्षा - नहीं यार, उसने कहा वह तुम्हें पसंद करती हैं ।
विनित ने हैरानी से कहा - क्या , वह मुझे ।
वर्षा - हाँ और वह शर्माते हुए कह रही थी ।
विनित - शर्माते हुए से मतलब ।
वर्षा - अरे , लड़कियाँ जब शर्माते हुए कहती हैं तो दिल से कहती हैं ।
विनित - अच्छा ।
तभी वहाँ परिधि व धारणा भी आ गए ।
मैंने कहाँ - तो क्या डिसाइड हुआ ।कौन सी मूवी देखेंगे ।
विनित - द लंच बाक्स ।
वर्षा -  हाँ सुना है मूवी अच्छी हैं ।
मैंने कहाँ - लेकिन धारणा को स्लो मूवी पसंद नहीं हैं ।
धारणा ने सकुचाते हुए कहा - नहीं ऐसी कोई बात नहीं हैं ।हम ये मूवी देखते हैं ।
उस दिन पहली बार उन दोनों ने अगल - बगल की चेयर पर बैठकर मूवी देखी और बाहर आने के बाद धारणा ने मूवी की जमकर तारीफ की ।विनित भी खुश नजर आ रहा था ।फिर कुछ खाने की बारी आई तो धारणा ने उन चिजों का आॅडर दिया जो विनित को पसंद थी तो विनित ने धारणा की पसंद का आॅडर दिया ।
मैंने और वर्षा ने अपनी हँसी बड़ी मुश्किल से रोक रखी थी ।
थोड़ी देर बाद वर्षा ने कहा - अब घर चलते हैं ।
मैंने भी हाँ में गर्दन हिलाई लेकिन विनित ने कहा - थोड़ी देर ओर ठहरते हैं ।
धारणा ने भी वही दोहराया जो विनित चाहता था ।
वर्षा ने कहा - मैं और परिधि घर जाते हैं ।विनित तुम दोनों ठहर जाओ ।बाद मे धारणा को घर ड्राप कर दोगे ना ।
विनित - हाँ , मैं कर दूंगा ।
मैंने कहाँ - बाॅय गाइज , हम चलते हैं ।कल मिलते हैं काॅलेज मे ।
मैं और वर्षा बाहर आए तो वर्षा ने कहा - मान गए परिधि तुमने सांड को लाल टोपी पहना ही दी ।
मैं और वर्षा पागलों की तरह ठहाके लगाने लगे ।

यह रचना पुष्पा सैनी जी द्वारा लिखी गयी है। आपने बी ए किया है व साहित्य मे विशेष रूची है।आपकी कुछ रचनाएँ साप्ताहिक अखबार मे छप चुकी हैं ।

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