स(विष)मताएं

SHARE:

मैं तो चाहूंगा कि अरविंद सरकार अपने निर्णय पर बनी रहे और कार पूल की परंपरा को उजागर करे. कारों के बिक्री का धंधा बढ़ाए. लोगों को टेक्सी व बसों में जाने के लिए प्रेरित करे. कठिन तो है किंतु इससे पर्यावरण में बहुत कुछ सुधार होने की सभावना है.

स(विष)मताएं
सन 1990 के दशक में ही दिल्ली के आई टी ओ पर सिग्नल लाल होने पर रुक रहने के बाद, उसके हरा होने पर
आँखें लाल हो जाती थीं. उस समय एल एन जी वाली गाड़ियाँ दिल्ली में आई नहीं थीं. एल एन जी के आने पर इसमें सुधार हुआ और हर तरफ से एल एन जी का गुण गान शुरु हो गया. मुझे लगा कि दिल्ली की हवा पहले से बेहतर श्वसन योग्य हो गई है. बाद में एकाध बार जब वहाँ जाना भी हुआ तो ज्यादातर समय नोएड़ा में ही बीता.  इस दौरान वायु में विषता कम महसूस हुई. अब जब हायतौबा मच रही है. तब लोग परेशान हो गए हैं और तो और कोर्ट ने भी इस पर टिप्पणी दी है. हो सकता है कि इस बीच गाड़ियों की संख्या बहुपत बढ़ गई हो या फिर गड़ियों के पोल्यूशन चेक वाले वैसे ही सर्टिफिकेट बाँट रहे हों.
अब लगता है अरविंद सरकार में कुछ हलचल मची है. आकस्मिक सभा के उपराँत उसने सम – विषम योजना का प्रस्ताव दिया. पहले तो कहा एक जनवरी सो लागू होगा. फिर बोले यह तो केवल एक प्रयोग है यदि इससे दिल्ली वासियों को तकलीफ होती है तो वापस ले लिया जाएगा.  
मुझे लगता है कि अरविंद की दिशा ठीक है. अब तो हर घर में दो या ज्यादा चौपहिया हो गए हैं. दुपहियों की गिनती ख्तम हो चुकी है. दो कीक्या कहं तीन कहीं चार भी हैं. हो सकता है कि कुछ के पास सम – विषम दोनों नंबर की गाड़ियाँ हों. यदि नहीं होगे तो वे गाड़ियों का अदला बदली कर सकते हैं – आपस में. या फिर (यदि जरूरी हो तो एक गाड़ी बेचकर) दूसरी सम या विषम जैसे जरूरी हो खरीद सकते हैं. जिनके पास केवल एक ही गाड़ी है और दूसरे की सोच रहे थे वे अब जल्द निर्णय लेंगे किंतु शर्त होगी कि नई गाड़ी का नंबर पुराने से अलग हो यानि सम - विषम सापेक्ष में.
इस तरह से चौपहियों वाहनों की बिक्री भी बढ़ेगी. गाड़ियों का धंधा बढ़ेगा. सरकार को टेक्स के रूप में आमदनी होगी.
दूसरा यह कि जब सम संख्या की गाड़ियाँ चलेंगी तो विषम संख्या वाले गाड़ियों के मालिक सम संख्या वाले
रंगराज अयंगर
कारों में समाने की कोशिश करेंगे. जिससे पूलिँग विधा का पुनःप्रतिपादन होगा. सरकार अपने बात पर टिकी रह सके तो निश्चय ही पूलिंग बढ़ेगी. हो सकता है कि पूलिंग के दौरान गाड़ियाँ कुछ ज्यादा कि.मी. चलें, किंतु पहले से कम ही रहेंगी. गाड़ियों की मरम्मत व सर्विसिंग के लिए समय मिल जाया करेगा जिससे उनके रखरखाव में बेहतरी हो सकती है. स्वाबाविक है कि इससे ईंधन की खपत कमेगी और सवारियों को बेहतर सुविधा प्राप्त होगी. लोग जल्दबाजी में ज्यादा पैसे देकर करवाने वाले काम अब आसानी से हो जाया करेंगे. बल्कि वह पैसा टोक्सियों पर खर्चने में उन्हें आनंद मिलेगा.
तीसरा जिन्हें सम – विषमताओं के कारण कार निकालनी नहीं है और जिन्हें पूल भी रास नहीं आ रहा हो तो वे टेक्सियों में या फिर बसों में सफर करेंगे. जिससे इनका भी धंधा बढ़ेगा. 
सरकार को चाहिए कि इसके साथ साथ पोल्यूशन कंट्रोल की चेकिंग पर भी ध्यान दे. सरप्राईज चेक करने पर
पाए हद के बाहर जाने वाले वाहनों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाए ताकि कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके. यदि चेक का सर्टिफिकेट 15 दिनों या एक महीने के अंदर का हो तो चेकिंग एजेंसी को एक चेतावनी देकर दूसरे बार उसका लाईसेंस ही रद्द कर दिया जाए. ऐसे में गाड़ियाँ सही मायने मे पोल्यूशन चेक कराकर ही सड़क पर निकलेंगी. अब तो चेक कराने के लिए समय ही समय होगा. ईंधन भरते समय भी पोल्यूशन चेक की सुविधा दी जाए और वहीं निरीक्षकों द्वारा औचक चेकिंग की जाए.
बस एक बात गले नहीं उतरी कि यह समता – विषमता सरकारी गाड़ियों के लिए क्यों मान्य नहीं है ? मुझे तो यही एक दोष नजर आता है. क्या सरकारी लोग जनता की तरह इस इंतजाम के बाद अपना पूरा कार्य़ कर पाने में सक्षम नहीं हैं ? उनसे भी इस प्रकार की माँग क्यों नहीं की जाती ? जब जनता से उम्मीद की जाती है कि इन सब बंधनों के बाद भी वे अपने कार्यालय समय से पहुँचें, आवश्यकतानुसार कार्य करें तो सरकारी लोग ऐसा क्यों नहीं कर सकते ? उन्हें अतिरिक्त सुविधा की जरूरत क्यों आन पड़ी? ऐसे ही कारणों से सरकारी कर्मचारी निकम्मे होने का स्टाम्प पा जाते हैं. क्या अरविंद भी अपनी सरकार के लोगों को ऐसा ही समझते हैं. यदि हाँ तो उन्हें अपने प्रशासन में रही कमी को भी दूर करना होगा.
मैं तो चाहूंगा कि अरविंद सरकार अपने निर्णय पर बनी रहे और कार पूल की परंपरा को उजागर करे. कारों के बिक्री का धंधा बढ़ाए. लोगों को टेक्सी व बसों में जाने के लिए प्रेरित करे. कठिन तो है किंतु इससे पर्यावरण में बहुत कुछ सुधार होने की सभावना है. वैसे भी दो एक दिन में तो असर नहीं दिखेगा, कम से कम एक साल तो ऐसा चलाना ही होगा ताकि असर का आकलन किया जा सके.
--------------------------


यह रचना माड़भूषि रंगराज अयंगर जी द्वारा लिखी गयी है . आप स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य में रत है . आप की विभिन्न रचनाओं का प्रकाशन पत्र -पत्रिकाओं में होता रहता है . संपर्क सूत्र - एम.आर.अयंगर.8462021340,वेंकटापुरम,सिकंदराबाद,तेलंगाना-500015  Laxmirangam@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 2

  1. आपकी बात से सहमत हूँ, यह एक अच्छी पहल है। और भी नए कदम उठाये जा सकते हैं,जैसे कि अगर अलग साइकिलिंग लेन बनायी जाय तो आज का युवा दिखावे की संस्कृति को छोड़ पर्यावरण की खातिर यथासंभव साइकिल से आना जाना कर सकता है। यह सेहत के लिए भी अच्छा रहेगा।

    जवाब देंहटाएं
  2. वर्षा जी,
    आपकी टिप्पणी देख कर बहुत खुशी हुई. आप जैसे सौम्य व्यक्तित्व की टिप्पणियाँ हमेशा ही उत्साहवर्धक होती हैं.
    खासकर इस पर आपने सहमति व्यक्त की है सो आपका बहुत बहुत आभारी हूँ.

    विनम्र
    अयंगर.

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका