भेड़िया आया (कहानी)

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वो फफकती हुई अपने बॉस कमरे से निकली। बाहर इतनी देर से लगे कानों ने अपनी आँखो पर विश्वास करने के लिए उसकी ओर देखा, उसने सुड़क-सुड़क के अपनी नाक साफ़ करके इधर-उधर देखा ओर रोती हुई भाग गई।

वो फफकती हुई अपने बॉस कमरे से निकली। बाहर इतनी देर से लगे कानों ने अपनी आँखो पर विश्वास 
करने के लिए उसकी ओर देखा, उसने सुड़क-सुड़क के अपनी नाक साफ़ करके इधर-उधर देखा ओर रोती हुई भाग गई। सारे कान, आँख बनें एक दूसरे मिले फिर मुंह बनकर फुसफुसाने लगे। ये फुसफुसाहट पूरे ऑफिस में जल्दी ही चर्चा का विषय बन गई। बात फैल गई थी कि उस लड़की को उसके एक कलीग ने पन्द्रह दिन पहले रात के अंधेरे में सेक्सुएल हरेस करने की कोशिश की है। इस बात पर सब उससे सहानुभूति कर रहे थे।
अगले दिन की सुबह बहुत अजीब थी वो आदमी जब ऑफिस आया तो उसका चेहरा बहुत बीमार, उदास और रोया हुआ सा था। और वो लड़की एकदम फ्रेश, सिर उठाकर कोरिडोर में जा रही थी दोनों की नजरें मिलीं लड़कियां ने बहुत गर्व से देखा कि
"देखो मैंने तुमसे अपना बदला ले लिया। सारा ऑफिस तुम पर थू-थू कर रहा है। अब देखो मैं तुम्हें कैसा मजा चखाती हूं "
वो आदमी सोच रहा था पता नहीं ये लड़की कब सुधरेगी मैंने उसे दिन उस लड़के साथ बाथरुम में डांट दिया था कि "तुम्हें शर्म नहीं आती कि तुम आदमियों के बाथरुम में इस लड़के साथ आ गई हो, जाओ यहां से वरना मैं तुम्हारी कम्पलेंट कर दूंगा "।
लड़के को तो उसने दूसरी जगह ट्रांसफर करवा दिया। बात आई-गई हो गई। उस आदमी को लगा चलो मैंने उस युवती को सुरक्षित कर दिया पर एक महीने बाद वो किसी ओर के साथ दिखी उसी तरह बाथरुम में। आदमी ने उस युवती और आदमी को फिर डांटा कि तुम जानते हो क्या कर रहे हो। इसकी तो नौकरी जाएगी ही साथ ही तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी। आदमी ने सोचा वो किसी का जीवन सुधार कर अच्छा कर रहा है। वो चुपचाप आया और अपना काम करने लगा। पर पता चला कि उसने अभी-अभी उसकी कलीग का रेप करने कि कोशिश की है। उसने चारों तरफ नजर घुमाई ... और धीरे से साथ वाली महिला से कहा कि मैंने अभी किसी के साथ रेप करने की कोशिश की है .... क्या? उसके इस मासूम से सवाल पर सारी महिलाएं हंस दी एक बोली
"अरे साब क्या कह रहे हो ... आपने रेप करने की कोशिश की है"
पूरे सेक्शन में एक जोर का ठहाका लगा .... काग़ज़ सब के हाथों में घूम गया किसी ने कहा
"देखो तो तारीख कहीं आज ... अप्रैल फूल तो नहीं है ..."
दूसरे ने कहा, "अरे ये तो आपने पन्द्रह दिन पहले किया था पर इस लड़की को आज कैसे होश आ रहा है कि उसके साथ रेप हुआ है"
सब फिर हंसे तभी मदन ऑफिस के चपरासी ने आकर कहा कि
"साब आपको बड़े साब ने बुलाया है।"
आदमी उठा और बिना कुछ सोचे समझे घबराए बड़े साब के पास चला गया।
आज साब ने उसे अच्छी तरह से देखा उसने भी बड़े साब को देखा जो आते ही कहते थे कि
"इतनी तुम्हारी उम्र है नहीं, जितनी लगने लगी है। अरे निकलो इन फाइलों के बोझ से और जीवन में कुछ मौज-मस्ती भी करो वरना जब रिटायर हो जाओगे तो सोचोगे "।
आदमी मुस्कुरा देता और कहता काम बताइए ... क्योंकि वो जानता था बड़े साब जब ज्यादा ही किसी बड़े काम फंस जाते थे तो बुलाते थे। और ये आराम से उस केस को सुलझा के अगले दिन उनके हाथ में रख देता था। साब कहते कि अरे कब किया तो वो मुस्कुरा देता था "रात को"
.... और अपना सिर झुकाए कमरे बाहर निकल जाता। बड़े साहब सिर हिला के कहते
"पागल है ... ये तो"
आज उन्हीं साहब ने उस आदमी को ऊपर से नीचे देखकर बोला,
"तुम रात को काम करने के लिए इसलिए रुकते हो कि लड़कियों को सेक्सुएल हरैस कर सको, मैंने तुम पर विशवास करके गलत किया"।
आदमी मुस्कुराया
"मीमो तो मेरे पास रेप करने का आया है, और मुझ पर विशवास किया होता तो आप मुझसे सवाल ही नहीं करते। आप जो एक्शन लेना चाहते हैं तो ले लिजिए ... अब रेप किया है तो, तो आपको एक्शन जरुर लेना चाहिए, मैं चलता हूं कुछ जरुरी काम निबटाने हैं अगर ससपेंड हो गया तो सारी फाइलें पड़ी रह जाएगीं। "
और वो साहब की टेबल पर पड़ी कुछ जरुरी फाइलों को उठा कर कमरे से बाहर निकल गया। बड़े साहब ने माथे पर अपना हाथ मारा
"पागल है ये तो"
बड़े साहब के केबिन से बाहर आते ही सारी आँखे फिर कान बन गईं वो उस आदमी के मुँह से कुछ सुनना चाहती थीं। आदमी कुछ बोला नहीं अपनी कुर्सी-टेबल पर बैठ कर काम करने लगा उन कानों नें अब मुंह बनकर बोलना शुरु किया ....
"क्या तुम पागल हो कि साब की सुन के आ गए"
"ये क्यों पागल है, साब को नहीं पता कि ये कैसा है"।
"आजकल लड़कियों को देखा है उनको कुछ करने की जरुरत है, वो तो खुद ही गोद में बैठ जाएं"
"अरे एक दो बार तो उसने मेरे से भी लिफ्ट लेने की कोशिश की थी अच्छा है मैंने मना कर दिया था वरना इनकी जगह मैं होता ...."
आदमी की निगाह उठीं उसने गुस्से से सामने वाले को देखा। पर लोगों को चर्चा का विषय मिल गया था वो उसमें मशगूल थे।
"मैंने तो सुना है कि ये उस लड़की का धंधा है, वो तो ऐसे ही लोगों को फंसाती है पैसे निकलवाती है"
आदमी अब चुप न रह सका वो एक दम गुस्से में चिल्लाया
"ऐ तुम पागल हो क्या, और ये धंधा क्या होता है, मुझसे सहानुभूति जताने की कोशिश करने की जरुरत नहीं है, वो झूठ नहीं बोल रही है मैंने उसका रेप किया है"
ये सुनकर पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया वो आदमी उठा और बड़े साब के केबिन में चला गया।
सारी आँखे उसका इंतजार कर रहीं थी, वो काफी देर बाद आया। सारे कान पूरी कहानी सुनना चाह रहे थे उसने सबके मन की अवस्था को समझते हुए कहा मैंने रिजायन दे दिया है मुझे से कुछ गलती हुई हो तो आप लोग भी मुझे माफ किजिएगा ....
सारे मन जैसे कुछ सेंकण्ड को धड़कना बंद हो गए हों ऐसी चुप्पी पूरे माहोल मे छा गई थी और वो आदमी बाहर चला गया .....
लड़की के पंख लग गए थे। वो खुश थी कि उसने ये लड़ाई ज्यादा कुछ किए बिना ही जीत ली थी लोगों के दिमाग सोच कुछ और रहे थे और सच्चाई कुछ और थी। बड़े साहब उस लड़की से डरते थे, सारे ऑफिस के लोग
सुनीता अग्रवाल
उससे डरने लगे थे। कुछ ऐसे लोग जो उस लड़की को खिलाते-पिलाते घूमाते थे वो भी उस लड़की के इस कदम से बहुत खुश थे और अब चौड़े होकर घूमते थे ऑफिस में कि किसी ने कुछ कहने की कोशिश की तो वो सेक्सुएल हेरेस के आरोप में उसे भी फंसवा देगें । ये तो बहुत आसान है। क्योंकि इसके लिए शायद कोई सबूत नहीं माँगता रेप के लिए सबूत देना पड़ता है तो सेक्सुएल हरेस किया है, ये आसान आरोप है।
बड़े साहब को उस आदमी की कमी बहुत खल रही थी इतने सारे केस पड़े थे जिन्हें वो आदमी आराम से निबटा लेता था पर अब कौन करेगा, सब को काम दिया गया पर सबने फाइल पढ़ने में ही महीनों लगा दिए थे काम धीमी गति में आ गया था। आदमी को जाए हुए भी महीना हो गया था। उसके फंड और सारी ऑफिस औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी थीं बड़े साहब ने सोचा कि वो खुद जाकर उससे मिल भी आएं और ये चेक भी दें आएं।
बड़े साहब, उसके घर पहुंचे साफ-सुथरा साधारण से घर में जब घुसे तो उन्होंने एक बहुत सुंदर सी महिला देखी जो 40-42 साल की होगी ये भी तो 45 साल का ही था पर रहता ऐसे था कि न जाने की कितना बूढ़ा हो गया हो। आदमी ने हंसकर स्वागत किया अपनी पत्नी से मिलवाते हुए कहा
"हमारे बड़े साब हैं"। उस सुशील सी महिला ने नमस्ते किया और किचन की ओर चली गई ... आईं तो पानी और मीठा था। बड़े साब पूरा घर देख रहे थे उन्हें इस घर में आकर बहुत सूकुन महसूस हो रहा था। सामने एक कोने में किताबों का रैक था इको ऑनर्स की बहुत सी किताबें रखीं थीं। साहब ने पानी का गिलास टेबल पर रखते हुए कहा
"अरे तुमने कभी जिक्र ही नहीं किया तुम्हारे बच्चे भी हैं।"
दोनों पति-पत्नी की नजरें मिली उन्होंने मुस्कुरा के देखा फिर चुप हो गए। बड़े साब रैक की ओर बढ़ गए एक बहुत ही सुंदर सी लड़की की फोटो देखकर बोले,
"अरे भई, ये तुम्हारी बेटी है, ये तो बहुत ही प्यारी है, बिल्कुल तुम पर नहीं गई भगवान का शुक्र है"
उनकी हंसी पूरे घर में गूंज गई, हल्की सी हंसी उन दोनों की भी सुनाई दी
"अच्छा तो ये कर रही है इको ऑनर्स भई कभी मिलवाओ"
आदमी धीरे से बोला, "अब ये इस दुनिया में नहीं है"
बड़े साहब की आँखे फैल गईं 'क्या कह रहे हो, तुमने कभी बताया ही नहीं क्या हुआ था इसे "
आदमी ने कहा, "इसको इसके ऑफिस में सेक्सुएल हेरेसमेंट किया गया था पर ये किसी को बता नहीं पाई, हमें भी नहीं और एक महीना बीस दिन पहले इसने अपनी जान लेके सोचा मैंने सारी समस्या का अंत कर दिया काश ये कहने की हिम्मत कर पाती"
बड़े साहब उस आदमी से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे। "चाय ठंडी हो रही है" पत्नी की आवाज ने चौंकाया बड़े साहब ने उस आदमी से कहा कि
"पर तुमने उस लड़की की उलजलूल कंपलेंट पर क्यों रिजाइन किया। जबकि पूरा ऑफिस जानता है आप ऐसा नहीं कर सकते "
"जिससे हमारे ऑफिस में वास्तव में ऐसा हो, तो वो कहने की हिम्मत न कर पाए कि हां ऐसी बातों पर एक्शन लिया जाता है और उसका साथ पूरा ऑफिस देता है। तो फिर कोई लड़की परेशान होकर आत्महत्या नहीं करेगी "।

 यह रचना सुनीता अग्रवाल जी द्वारा लिखी गयी है . आप, बीबीसी मी़डिया एक्शन में एक लेखक के तौर पर कार्यरत है तथा आपने विभिन्न विषयों पर डाक्यूमेंटरी और लघु फिल्म बनाई हैं

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