विज्ञान और प्रौद्योगिकी

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बहुत समय से भारत में ’नॉट सो पौजेटिव’ व्यक्ति जिस तरह की अतार्किक’ अफवाह जैसी बात करते हैं उससे एक शिक्षित व्यक्ति की परेशानी बढ़ जाना स्वाभाविक है।


मानव विकास में विज्ञान और प्रोद्यौगिकी की भूमिका पर कुछ विचार
 बहुत समय से भारत में ’नॉट सो पौजेटिव’ व्यक्ति जिस तरह की अतार्किक’ अफवाह जैसी बात करते हैं
उससे एक शिक्षित  व्यक्ति की परेशानी  बढ़ जाना स्वाभाविक है। मैं अपनी बात आप के सम्मुख इस तरह रखता हूँ कि जब मारूति कम्पनी भारत में अपने पैर रख ही रही थी तब जन सामान्य को यह समझाया जा रहा था कि ये बहुत कमजोर प्लास्टिक की कार है जो एक्सीडेण्ट होने पर घातक होगी और मारूति की जगह मॉ रोती है कहते थे । आज किसी भी महानगर के बड़े पुल पर राजमार्ग पर नजर दौड़ाए तो मारूति के अलावा दूसरी गाडी कम ही दिखाई पडती है। दूसरा दृष्टान्त जब यह टेलीविजन टावर बनाये जा रहे थे तब ये कहा जा रहा था कि इनसे होने जाने वाला कुछ नही लेकिन चिडियों के बैठने का स्थान है आज वही चीज इतनी लोकप्रिय है कि घर में अगर चार व्यक्ति हैं तो चारों को अलग अलग दूरदर्षन सैट चाहिए। तीसरी वात जब ये टेलीकॉम कमीषन ने अपना काम प्रारम्भ किया तब हमें याद है कि टेलीफून कनेक्षन स्टेट्स सिम्बल के रूप में था और टेलीफून करने एक-दो किलोमीटर तक जाना भी पडता था आज हर जेव में मोवाइल रखा हुआ है धीरे धीरे ही सही हम इन चीजों से आगे बढ रहे हैं। आज जिस सोच की हमें जरूरत हैं वह वहुत ही ठोस होना चाहिए चाहे वह घर के स्तर पर हो या सरकार के स्तर पर हो, हर निर्णय आगा पीछा सोचकर ही लिया जाय।

    मुझे उत्तर प्रदेश  में आज दो विकराल समस्याऐं मानव निर्मित दिखाई पडती हैं पहली हैं कि किसान बुरी तरह नीय गाय से त्रस्त हैं दलहन और गेंहूँ , गन्ना आदि की खेती करने से परहेज करते हैं, तब नील गाय को छुटटल छोड देने के पीछे का तर्क समझ नही आता दूसरे शहरों के किनारे वालें गावों और शहरों में महिलाओ के साथ छीना झपटी कर रहे लोगों की मानसिकता पर भारी तरस आता है कहीं लौट कर यह प्रवृत्ति उनके अपने परिवार को न ले डूबे । यद्यपि ऐसी विकासशील सोच लोग अपना रहे हैं कि इन दोनों समस्याओं की काट ढूढ ले। जैसे मिर्च की स्पे और धान की फसल ।

क्षेत्रपाल शर्मा
    आज हम कई नई बातें से दो चार हो रहे हैं जो बातें मानव कल्याण के लिए हितकारी हैं उन्हें  हमें अपना लेना चाहिए । माना कि प्रार्थना में दम है, लेकिन प्रार्थना के बल पर उपकृत होना लाभपरक नही होगा। विना प्रयत्न किये कुछ पा लेना, या दूसरों के बल पर काम निकाल लेना लम्बे समय तक हमें लाभ नहीं पहुचायेगा और लक्ष्य से हमें भटका सकता है। आज परम्परागत दवाओं, औजारों, मषीनों के साथ विश्व में हो रहे नवीन शोधों से लाभ उठाने की जरूरत है। यह सच है कि पुष्पक विमान हमारे पास था पर यह जानकारी नही है कि यह आया था अथवा यही बना था, यह भी जानकारी नही है कि एक से अन्य कोई और भी पुष्पक विभान था या नहीं । तब हमें इसको बहस का विषय नहीं बनाना चाहिए। विधिजन्य बात यह है कि आज जो विद्यमान है उससे आगे हम बढे़ ।

    अंग्रेजी कवि लॉर्ड टेनिसन की कुछ पंक्तियॉ आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ । जो इस प्रकार हैं - 

    ’ओल्ड ऑर्डर चेजिथ इल्डिग प्लेस टू न्यू, गॉड फुलफिल्स हिमषेल्फ इन मेनी वेज, लेस्ट वन गुड कस्टम शुड करप्ट द वर्ल्ड ’ संसार के अ्रप्रतिम खोजों ने जैसे पेन्सिलिन, बल्व हर्टन्सप्रान्ट, पोलियो की दवा क्रायोजैनिक इंजन आदि ने हमारे जीवन स्तर को सुगम बनाया है कई देष हर मामले में रोगों की काट की खोज रहे हैं जो कि जन साधारण के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध हो जब इस तरह एक आम आदमी डिजीटल युग में अपने आप को अजनवी महसूस नहीं करेगा तब हम यह मान सकेगे कि जीने की किस्म सुधर गयी।

मैं आशा करता हूँ कि जब हर हाथ को काम मिलेगा तो जनता का गण, लोकतन्त्र की जय बोलेगा। इसलिए प्रत्येक को सकारात्मक सोच की पहल करनी है और स्वागत योग्य नई खोजों को अपनाना है ।

यह रचना क्षेत्रपाल शर्मा जीद्वारा लिखी गयी है। आप वर्त्तमान में राष्ट्रीय बाल भवन में हिंदी विशेषज्ञ का काम कर रहें हैं । आप एक कवि व अनुवादक के रूप में प्रसिद्ध है। आपकी रचनाएँ विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आकाशवाणी कोलकातामद्रास तथा पुणे से भी आपके  आलेख प्रसारित हो चुके है . 

COMMENTS

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  1. कल 22.3.15 के अमर उजाला अखबार में पृष्ठा 13 कालम 1 नीचे ( अलीगढ ) , राज्य सरकार , उ.प्र., ने जंगली सुअर और नीलगाय को 12 बोर की बंदूक से मारने की सशर्त एक महीने की अनुमति दी है. . क्या कहने?

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