जय बाबा पाखंडी

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हिंदी साहित्य में लघुकथा नवीनतम् विधा है। इसका श्रीगणेश छत्तीसगढ़ के प्रथम पत्रकार और कथाकार माधव एक टोकरी भर मिट्टी से होता है राव सप्रे के। हिंदी के अन्य सभी विधाओं की तुलना में अधिक लघुआकार होने के कारण यह समकालीन पाठकों के ज्यादा करीब है। और सिर्फ़ इतना ही नहीं यह अपनी विधागत सरोकार की दृष्टि से भी एक पूर्ण विधा के रूप में हिदीं जगत् रही है में समादृत हो।ऐशो आराम बाबा बड़े बड़े दावे किया करते थे कि वह ईश्वर से साक्षात्कार करते है.भक्तों को भगवान् की कृपा मुहैया करते हैं .लेकिन वह भक्त का किस भगवान् से साक्षात्कार करवाते हैं इसका भंडाफोड़ उन्ही के जब एक भक्त ने किया तो वह सारे इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया वाले जो कभी उनके प्रोग्राम पीक टाइम में टेलीकास्ट करते थे और वर्गीकृत पेज पर उनके विज्ञापन छाप मोटी कमाई करते थे .

ऐशो आराम बाबा बड़े बड़े दावे किया करते थे कि वह ईश्वर से साक्षात्कार करते है.भक्तों को भगवान् की कृपा मुहैया करते हैं .लेकिन वह भक्त का किस भगवान् से साक्षात्कार करवाते हैं इसका भंडाफोड़ उन्ही के जब एक भक्त ने किया तो वह सारे इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया वाले जो कभी उनके प्रोग्राम पीक टाइम में टेलीकास्ट करते थे और वर्गीकृत पेज पर उनके विज्ञापन छाप मोटी कमाई करते थे .उनके पीछे पूरी तरह नहा धोकर पड गए .पुलिस ने भी फ़िल्मी पुलिस के ढील का पेंच वाला आवरण उतार पूरी मुस्तैदी से उन्हें व् उनके रंगरसिया पुत्र उर्फ़ लगभग पूरे देश का इल्लीगल जमाई माफ़ करें छेडछाड साईं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया छेड़छाड़ साईं तो अपनी घटिया बुद्धि से छेड़छाड़ कर भाग निकलने में कामयाब हो गया मगर भागते चोर की लंगोटी की तरह ऐशो आराम लपेटे में आ गया .बाबा गिडगिडाते हुए अपनी मिमियाती आबाज में अपने भक्तों को भरोसा बनाये रखने की अपील करते हुए यह तर्क दे रहा था "भक्तो बाबा ने तुम्हे परम साक्षात्कार (बलात्कार) करवाया, निस्संतानो की गोद हरी (या भरी) आपके नीरस जीवन में आत्मिक आनंद का रस प्रदान किया (कौनसा रस?) आप अपने बाबा पर भरोसा रखिये इश्वर जानता है सब देख रहा है (इश्वर से देखा नहीं गया तभी तो तुम्हे जेल पहुँचाया बाबा) "
सपना मांगलिक
बाबा की इन दलीलों और गौरव गाथाओं को सुन वो भक्त भी सकते में आ गए जो बाबा की शरण में आने से पूर्व निस्संतान हुआ करते थे .और अब उन पड़ोसियों और मसखरे मित्रों ने उनका जीना हराम किया हुआ था .ऐसे ही हमारे एक रिश्तेदार थे जिनके पुत्र का नाम आनंद था और पूरा परिवार बाबा को भगवान् की तरह पूजता था .लोग विनम्रता से उनसे पूछते "क्यों भाई हमें तो पता ही नहीं चला वैसे कब प्राप्त कर आये आत्मिक आनंद? पहले जो भक्त ऐशो आराम बाबा की तस्वीर अपने घर और कार्यालय में शान से लगाते थे अब अपमान से डरकर धडाधड फाड़ने और उतारने लग गए

इधर जेल का सूनापन बाबा को काटने को दौड़ रहा था वजह थी की अराध्य की सेवा के लिए सेविकाएँ उपलब्ध नहीं थी .उन्हें यह भी डर था कि परम साक्षात्कार की प्रेक्टिस कमजोर ना पड जाए वर्ना बाहर निकलकर क्या करेंगे? .बाबा के साक्षात्कार का किस्सा जब बाबा आमदेव ने सुना तो भोचक्के रह गए क्योंकि उनका आन्तजली दवाखाना यूँ तो हर प्रकार की दवाई बनाने का दावा करता थामगर आज तक ऐसी कोई दवाई नहीं बना सका जिसे खाकर अस्सी वर्ष के बुढ्ढे परम साक्षात्कार 
कर सके .उसने अपने सहयोगी बाबा लालकिशन को बुलाकर फटकारा कि "लालकिशन दिनभर पेड़ों पर कोयला बियर की तरह टंगे दीखते हो इस सक्रियता की कोई जड़ी बूटी क्यों नहीं खोजी तुमने.यहाँ हम स्विस खतों से धन निकलवाने की युक्ति फ्री में बाँट रहे हैं नेताओं की बेलेंस शीत बनाबनाकर दिमाग का दही कर रहे है .तुमने ऐसी दवा खोजी होती तो हमारा भी स्विस बेंक में अकाउंट होता? "बाबा लालकिशन" आमदेव के बच्चे जड़ी बूटियों को प्रयोग करके परखा जाता है .मगर तुम तो एक आँख से पूरे देश विदेश पर नजर रखे हो कोई प्रयोग करे तो कहाँ ससुरे कपालभांति कराकराकर कुछ और करने लायक छोड़ा ही नहीं "इधर एक और बाबा कामपाल जो कि एशो आराम बाबा पर वर्षों से नजर रखे हुए थे उन्हें तरक्की यानि तरी बिद दरी का फार्मूला मिल चूका था .एशोआराम के जेल पहुँचते ही उनका धंधा और जोरों से चल निकला .उन्होंने जान लिया था कि (प्रेक्टिस मेक्स ऐ मैन परफेक्ट) अत: वह भी पूरी मेहनत कर रहे थे ऐशो आराम का रिकॉर्ड तोड़ने की .लेकिन अभी तो भक्ति की धारा प्रवाहित ही हुई थी गाड़ियों का काफिला मात्र 190 तक ही पहुँच पाया था कि बाबा काम्पल भी अपनी ससुराल पहुँच गए .हैरान परेशान बाबा आमदेव और लालकिशन ने इस समाचार को देख राहत की साँस ली .और आपस में बतियाने लगे .

बाबा आमदेव -लालकिशन कामपाल के जेल जाने पर राहत तो मिली पर मैन में एक फांस रह गयी .भाई हम इस स्टार तक नहीं जा सके .लालकिशन- "कैसे जाते? स्टेमिना चाहिए इस सबके लिए तुम्हारी आंख तो माँ बहनों को योग सिखाते ही छोटी हो गयी परम साक्षात्कार क्या ख़ाक करवाते "।

बाबा आमदेव-लालकिशन तू मेरा शिष्य होकर मेरी ही उतार रहा है .मत भूल आयुर्वेदाचार्य की तमाम झूठी डिग्रियां मैंने ही तुझे दिलवायीं हैं। "

लालकिशन- "आमदेव जयादा अहसान मत जाता मैं भी तेरे हर प्रोग्राम में बन्दर की तरह पेड़ पर लटका हुईं में अगर जड़ी बूटियों के फायदे ना गिनाऊं तो तेरा आन्तजली दवाखाना तेरी ही आंत जलने पर उतारू हो जायगा समझा?

आमदेव- "तो मैं भी कौन चैन की बैठकर खा रहा हूँ भीषण ठण्ड में लुगाइयों का सा दुपट्टा ओड़कर कपालभांति करवाता हूँ और अंतड़ियों की चक्की घुमाता हूँ" बहुत दुखती हैं रे मेरी अंतड़ियाँ

लालकिशन - "यही तो आमदेव हम कपालभांति करते रह गए और हमारी कपाल पर जूते मारकर यह कामपाल, निरमा बाबा जैसे लोग सात पुश्तों के लिए इकठ्ठा कर ले गए .वो तो भाल हो कुछ जागरूक युवाओं का और मिडिया कर्मियों का जो इनका भंडाफोड़ एक एक करके करते जा रहे हैं .वर्ना तो समाज में बदनामी का डर ही भक्तों को उनके प्रिय बाबा का भंडाफोड़ नहीं करने देता। ":

यह रचना सपना मांगलिक जी द्वारा लिखी गयी है . आपका रचना कर्म कविता ,कहानी ,व्यंग ,गीत ,लेख ,संस्मरण ,समीक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है . 'कल क्या होगा ,बगावत ,कमसिन बाला (काव्य ),पापा कब आओगे ,जंगल ट्रीट , गुनगुनाते अक्षर (बाल साहित्य ) आदि आपकी प्रकाशित कृतियाँ है . आपको विभिन्न प्रादेशिक व राजकीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है . संपर्क सूत्र - सपना मांगलिक,F-659 आगरा (उत्तर प्रदेश) 282,005            मो. 9548509508, email-sapna8manglik@gmail.com

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