सत्य का कोई धर्म नहीं होता किसी धर्मग्रंथ में आखिरी सत्य नहीं सत्य का कोई धर्म नहीं होता किसी धर्मग्रंथ में आखिरी सत्य नहीं अगर सत्य की तलाश करने मे
सत्य का कोई धर्म नहीं होता किसी धर्मग्रंथ में आखिरी सत्य नहीं
सत्य का कोई धर्म नहीं होता
किसी धर्मग्रंथ में आखिरी सत्य नहीं
अगर सत्य की तलाश करने में लगे हो
तो किसी एक धर्मग्रंथ से चिपको नहीं!
पढ़ो और पढ़ते रहो सत्य मार्ग को गढ़ते रहो
खयाल रहे सत्य किसी धर्मग्रंथ में पड़ा नहीं मिलता
सत्य अनायास मन में कौंध जाता है पढ़ते-पढ़ते
कोई लाख जतन करले आखिरी सत्य लिख नहीं पाते
सत्य पकड़ने की चीज नहीं सत्य रेत सा फिसल जाता!
सत्य लिखते-लिखते असत्य हो जाता सत्य पढते-पढते झूठ हो जाता
सत्य कहते-कहते ही मर जाता सत्य समझते-समझते झूठ हो जाता
इसलिए वेद में कहा गया असतो मा सद्गमयो तमसो मा ज्योतिर्गमयो!
जितनी चेतना से तुम किसी धर्मग्रंथ को पढ़ते हो
उतनी ही चेतना से उसकी समालोचना भी करते रहना
याद रखना कोई धर्मग्रंथ किसी की बपौती कभी नहीं होती
किसी धर्मग्रंथ को अपनी बपौती भूल से भी समझना नहीं
अन्यथा असत्य का बचाव करते-करते झूठ को सत्य समझ लोगे!
कोई धर्मग्रंथ किसी एक की कही गई नहीं होती
कोई धर्मग्रंथ किसी एक की लिखी गई भी नहीं होती
कोई धर्मग्रंथ जिसके नाम से लिखी लिखाई गई होती
वही उससे अनभिज्ञ होते ऐसे ही धर्मग्रंथ अपौरुषेय हो जाते!
अपौरुषेय ग्रंथ की खूबी होती
कि इसकी अच्छाई बुराई की जबावदेही किसी की नहीं होती
सबकुछ ईश्वर के नाम से कही जाती लिखी जाती मानी जाती
ऐसे ही वेद उपनिषद एंजिल बाइबिल कुरान अपौरुषेय कहलाते!
किसी धर्मग्रंथ को हिन्दू मुस्लिम ईसाई मजहबी बनकर नहीं पढ़ना
वर्णा सत्य छिटक जाएगा झूठ हाथ आएगा अंततः बर्बाद हो जाओगे
ऐसे में तर्क से काम लेना भावना में नहीं बहना नहीं तो पछताओगे
याद रखना जो कभी किसी का सत्य था परखा हुआ वो आज धोखा
धोखे में नहीं पड़ना किसी बात पर नहीं अड़ना सत्य बदलते रहता!
जिस महापुरुष ने जब जो सच और अच्छा समझ कर कहा
वो आज फिर आएंगे तो अपने उस सच को सच नहीं कह पाएंगे
वो उस अच्छाई को बुराई घोषित कर आनन फानन प्रतिबंध लगाएंगे
तुम आह्वान कर देखो राम रावण को वे एक दूसरे को माननीय कहेंगे
कंश कृष्ण मामा भांजे आएंगे तो जातिवादी हो एक दूसरे को जिताएंगे
कौरव पाण्डव फिर से लड़ाई भूलकर भाई भतीजावाद से सरकार बनाएंगे!
सच तो यह है कि बदली परिस्थिति में पूर्व का सच सत्य नहीं रहता
अच्छाई अच्छी नहीं रहती बुराई बुरी नहीं रहती सब चीज बदल जाती
अब राम कृष्ण मूसा ईसा नबी फिर उसी भूमिका में आएंगे नहीं कभी
हो सकता है राम अपने रामचरित मानस के लेखन को खारिज कर दे
कृष्ण राधा से प्यार व महाभारत कराने का लांछन सुनकर चौंक जाएं
इब्राहिम मूसा ईसा नबी उनके नाम के धर्मग्रंथों को प्रतिबंधित कर दे!
आज परिस्थिति ऐसी है कि
जो हिन्दू से मुस्लिम मजहब में धर्मान्तरित हो जाते
वो अल्लाह खुदा कुरान हदीस के अलावे कुछ नहीं सोच पाते
जो हिन्दू से ईसाई बनते वो एंजिल बाइबिल को अपना समझते
चाहे जितना पढ़ लिख ले धर्मग्रंथ की अप्रासंगिक बातों पर अड़ जाते!
ये हकीकत किसी अक्षर वर्ण शब्द के दूसरी भाषा में पर्याय नहीं होते
एक भाषा की अभिव्यक्ति की दूसरी भाषा में पुनरावृत्ति भी नहीं होती
एक स्थानीय भाषा की बातें दूसरी परिस्थिति में कभी एक नहीं होती
जो धर्मग्रंथ जिस भाषा में लिखी गई उसका कोई तर्जुमा अनुवाद नहीं
जो आस्था जहाँ उपजी वो वहाँ के लिए अनुकूल शेष जहाँ की नहीं होती!
जो चीज जिसके द्वारा बनाई गई होती उसमें सुधार भी वही करता
दूसरों से पाई गई चीज में यदि दूसरे की भलाई व स्वार्थ निहित हो
तो उस पराई चीज पर वो अधिकार जमा लेता सुधार नहीं होने देता
पाई गई पराई चीज की अच्छाई बुराई नहीं, उपयोगिता देखी जाती!
ऐसा देखा जाता है अगर धर्मग्रंथ की बुराई से किसी की भलाई होती
तो वैसे लोग उन बुराई को बचाने के लिए लगातार लंबी लड़ाई लड़ते
सच में ये दूसरों की चीज को अपना समझना ही अंधा हो जाना होता
अंधविश्वास में खो जाना दूसरों की चीज पर आत्ममुग्ध हो जाना होता
ऐसी आत्ममुग्धता से उबरो निज संस्कृतिनुसार जीवन जीओ सुख पाओ!
- विनय कुमार विनायक


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