कवि सम्मेलन में कवियों की औकात

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कवि सम्मेलन में कवियों की औकात कवि सम्मेलन में कवियों की औकात जितनी रहती है उसी प्रकार वहां उनकी व्यवस्था रहती है।एक बार छोटे कवियों का सम्मेलन हुआ

कवि सम्मेलन में कवियों की औकात


वि सम्मेलन में कवियों की औकात जितनी रहती है उसी प्रकार वहां उनकी व्यवस्था रहती है।एक बार छोटे कवियों का सम्मेलन हुआ तो वहां कवियो को दरी पर बैठने के लिये व्यवस्था की गयी। मटमैली, फटी दरी थी। कपड़े गंदे होने की पूर्ण संभावना रहती है‌। ऐसे कवि मामला समझ कर फटे पुराने कुर्ते में चले आते हैं।

कवि सम्मेलन में कवियों की औकात
जमीन पर सारी व्यवस्था होने के कारण ये जमीनी कवि होते हैं। सच को कहने में डरते नहीं। सरकार की छाती पर मूंग दर देते हैं। सरकार को चुनौती दे देते हैं। इन दरी के कवियों से बड़े-बड़े लोग पतली गली से निकल लेते हैं। समाज की हकीकत को रूपहले पर्दे पर दिखाते हैं। इनको कोई भरा लिफाफा नहीं मिलता है।

मिडिल टाइप के कवियों को प्लास्टिक की कुर्सी मिल जाती है। ऐसे कवि कुर्ता पाजामा तथा पैंट शर्ट तथा सदरी पहन कर आते हैं। कुछ पके बालों में काम चला लेते हैं। कुछ तो हेयर डाई लगा लेते हैं जो महसूस करते हैं कि अभी उनके रगों में जवानी का खून दौड़ रहा है।

ये कवि श्रृंगार रस की कविता करते हैं।नख-शिख तक का वर्णन कर देते हैं। गांव की सांवली नायिका से लेकर शहर की गोरी छोरियों पर श्रृंगार रस उड़ेल देते हैं। पंडाल ठहाकों से गूंज उठता है। नये युवाओं में जोश भर देते हैं लेकिन सरकार का कुछ नहीं कर पाते हैं। इनको हल्का वाला लिफाफा मिल जाता है।

जो सेलिब्रेटी टाइप के कवि होते हैं। उनके कवि सम्मेलनों में राजशाही व्यवस्था होती है। मोटा-मोटा लिफाफा पैसों से भरा मिलता है। गोल-गोल तकिया मिल जाती है। ये सरकार के परम हितैषी होते हैं। सरकार के नख-शिख तक का वर्णन करने में आनन्द रस को प्राप्त करते हैं। सरकार को परम सुंदरी से नवाजते हैं। 

सरकार इनको अपना समझती है। ये ताकतवर कवि होते हैं। ये सरकार को अपना समझते हैं। ये सरकार को अपना सैंया समझते हैं। इनको किसी भी प्रकार के विवादास्पद शब्दों पर कोई डर नहीं होता है। सैंया भये कोतवाल तो काहे का डर।बड़का-बड़का अवार्ड के असली हकदार होते हैं। पदम टाइप का पुरस्कार नीचे तक नहीं आ पाता है। जब इनको मिलता है तो दरी, कुर्सी वाले कवि बेचारे हाथ मलते रह जाते हैं। इसके अलावा ये कर ही क्या सकते हैं।


- जयचन्द प्रजापति
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

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