आओ जनता को बेवकूफ बनाएं रामलाल में कॉमन सेंस बहुत है। इसकी मात्रा इतनी है कि लोग उसे रामलाल के स्थान पर कॉमन सेंस, कॉमन सेंस कहकर पुकारते व
आओ जनता को बेवकूफ बनाएं
रामलाल में कॉमन सेंस बहुत है। इसकी मात्रा इतनी है कि लोग उसे रामलाल के स्थान पर कॉमन सेंस, कॉमन सेंस कहकर पुकारते वह अच्छी तरह जानता है कि भारत देश में सबसे आसान काम है , तो वह है जनता को बेवकूफ बनाना।
यहां नेता, बाबू, ठेकेदार, मीडिया,सब इस कला में उस्ताद हैं।यह कला इतना सहज है कि इसके लिए किसी कॉलेज की डिग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती। बस चेहरे पर मीठी मुस्कान, जुबान पर लंबे-लंबे वादे और सोशल मीडिया पर कुछ चमकीले पोस्टर। यही सब जनता को चारें में डालना होता है और जनता बेवकूफ बनने के लिए तैयार।
यह जनता इतनी बेवकूफ है कि वह उम्मीदों के सहारे जीती है। उसे हर बार लगता है ।पिछली बार नहीं हुआ तो कोई बात नहीं कोई मजबूरी नहीं होगी लेकिन“इस बार तो बदलाव होगा।” लेकिन नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात।
जनता की याददाश्त कमजोर है। पाँच साल पुराने वादें भूल जाती है और नए वादों की झुनझुनी से खुश हो जाती है।
रामलाल जनता की इसी कमजोर याददाश्त को भुनाते हैं , वे जनता को बेवकूफ बनाने के लिए का सबसे बड़ा मंत्र फूंकते है , “मुफ्त”। कभी लैपटॉप, कभी साइकिल, कभी गैस, कभी यात्रा। चुनाव से पहले वे हमेशा वादा करते है, जनता ताली बजाती है और वोट डाल देती है। चुनाव के बाद वादा वादा ही बन कर रह जाता है।
वे इस काम में मीडिया और सोशल मीडिया का भी भरपूर उपयोग करते हैं ।इसके लिए उन्होंने अपनी एक अलग से टीम बना रखी है। उसका काम है- फोटोशॉप की मदद से टूटी-फूटी सड़क को हाईवे बनाना, गड्ढों को विकास की मिसाल बताना, टीवी पर बहस में नेताजी के कामों को बड़ा चढ़ाकर पेश करना, चैनलों पर होने वाली बसों में अलग-अलग धर्म के पंडित, मौलवियों को खड़ा कर उनसे आपस में गाली-गलौज करवा कर नेताजी की पार्टी का वोट बैंक सुरक्षित करना।
रामलाल अच्छी तरह जानते हैं जनता की तीन मुख्य कमजोरियाँ हैं –
1. धर्म
2. जाति
3. मुफ्त की उम्मीद
इनका वे भरपूर इस्तेमाल करते हैं। इन्हीं तीन बटनों को दबाकर वे हर बार जनता को अपने हिसाब से घुमा लेते हैं। जनता को यह सोचने को मजबूर कर देते हैं, कि रामलाल तो अपना ही आदमी है।रामलाल का जनता को समझाने का नया तरीका है ।"सर्वे और आंकड़े" अखबार में लिखा आता है ,“80% लोग रामलाल से खुश हैं।”असल में अखबार वाले किसी से पूछते नहीं है। बस सिर्फ रामलाल के अखबार में दिये विज्ञापनों के आधार पर रामलाल के समर्थन में सर्वे और आंकड़े छाप देते हैं।.... और आंकड़े देखकर जनता मान लेती है। वास्तव में रामलाल अच्छा आदमी है और 80% लोग उससे खुश हैं।
चुनावों के समय रामलाल द्वारा जारी किया गया घोषणा पत्र, जनता के साथ सबसे बड़ा मजाक होता है। इसमें लिखी गई बातें इतनी आकर्षक होती हैं कि लगता है रामलाल के सत्ता में आते ही देश बदल जाएगा। वह पाकिस्तान पर ही नहीं बल्कि अमेरिका पर कब्जा कर लेगा।जनता की किस्मत बदल जाएगी।भुखमरी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, पापाचार सब कुछ बदल जाएगा। एक ही झटके में रामराज्य आ जाएगा।लेकिन होता कुछ और है। चुनाव के बाद वही घोषणा पत्र छपा कागज़ पान की दुकानों पर पान बांधने के काम जाता है।
कभी-कभी कोई पढ़ा लिखा पान खाने वाला पान खाकर उस कागज को खोलकर देख लेता है तो उसके मन में रामलाल के प्रति कुछ देर के लिए आक्रोश पैदा हो जाता है।.... और वह भावावेश में रामलाल से सवाल पूछने को उठ खड़ा होता है, रामलाल अपने कॉमन सेंस से उसकी हिमाकत पहचान कर तुरंत ही एक नया विवाद खड़ा कर देता है । क्रिकेट, फिल्म, मंदिर-मस्जिद, वोट चोरी, हिन्दू मुस्लिम या अन्य कुछ। जो कुछ भी उसके ध्यान में आता है,स्थिति परिस्थिति अनुसार उसे ही परोस देता है।
मुद्दा उठाने वाला असली मुद्दा भूल जाता है, उसे अब उसे कागज पर छपा हुआ घोषणा पत्र दिखाई नहीं देता वह बहस में उलझ जाता है। उसे बहस करते देख रामलाल चैन की नींद सोने चला जाता हैं।
रामलाल पहले भ्रष्टाचार छुपकर करता था, अब खुलेआम करता है। वह जानता है जनता दो दिन शोर मचाएगी और फिर भूल जाएगी। जनता का दिमाग बहुत ठंडा है वह ज़्यादा देर तक गुस्से में नहीं रहती।रामलाल की सोशल मीडिया टीम बेवकूफ सिर्फ अनपढ़ जनता को ही नहीं बनाती बल्कि पढ़े-लिखे लोगों को ज्यादा आसानी से बनाती है। व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी से पास होकर आए ये पढ़े लिखे लोग बिना सोचे-समझे हर “फॉरवर्ड” को सच मान लेते हैं और दूसरों को ज्ञान बाँट कर रामलाल का काम आसान कर देते हैं।
लोकतंत्र में जनता ही मालिक है, लेकिन रामलाल बार बार मालिक को ही अपने तरीकों से ठगता जा रहा है। रामलाल जनता को इतने सारे ऊल-जलूल,फालतू के कामों में, विवादों में उलझा देता है कि जनता को खुद सवाल पूछने का, तथ्यों की जाँच करने का, भावनाओं से ऊपर उठकर सोचने का समय ही नहीं मिलता और वह रामलाल की चिकनी चुपड़ी बातों से, बड़े प्यार से बेवकूफ बनती रहती है।तब तक उसे बेवकूफ बनाया जाता रहेगा।
- हनुमान मुक्त
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