कैसे मिलेगी धार्मिक आजादी? कैसे रुकेगी मानव की बर्बादी? कैसे मिलेगी मजहबी गुलामी से मुक्ति? कैसे बचेगी आबादी? कैसे होगी जीवन में समरसता? कैसे सुखी हो
कैसे मिलेगी धार्मिक आजादी कैसे रुकेगी मानव की बर्बादी?
कैसे मिलेगी धार्मिक आजादी? कैसे रुकेगी मानव की बर्बादी?
कैसे मिलेगी मजहबी गुलामी से मुक्ति? कैसे बचेगी आबादी?
कैसे होगी जीवन में समरसता? कैसे सुखी होगी मानव जाति?
मजहबी बर्बरता से कैसे उबरेगी सहिष्णु संपन्न मानव प्रजाति?
जातिवाद मजहबपरस्ती नस्लवाद संस्कृति हीनता विश्व व्याधि!
इनसे मुक्ति की एक युक्ति मनुज ग्रहण करे सद्गुण सर्वधर्म की
मजहबी बुराई त्याग करे, बने नहीं खुराफाती आतंकी आत्मघाती,
छोड़ दे किसी एक धर्म की अंधभक्ति गुलामी और मजहबपरस्ती,
पूरी कायनात उपजी एक नूर खुदा के, एक ज्योति ईश्वर रब की,
राम कृष्ण बुद्ध महावीर ईसा नबी में रखिए आदर सब के प्रति!
कोई एक धर्म पंथ मत मजहब मानव की महबूबा नहीं हो सकता,
सब धर्म पंथ मत मजहब अपने समय के महंत का मंसूबा होता,
एक स्थान के मानवीय मंसूबा से सार्वभौमिक भलाई कभी न होती
एक प्रकार के सोच विचार से मनुष्य को दशा दिशा नहीं मिलती
भौगोलिक परिस्थिति में परिवर्तन से रहन सहन में बदलाव आती!
भगवान कृष्ण के लिए मामा की हत्या करनी थी सामयिक जरुरी
बुद्ध द्वारा ईश्वर और आत्मा को नकारना भी समय की नजाकत
तीर्थंकर महावीर सा वस्त्र छोड़ नंगा होना आज हो सकती आफत
नबी ने नाच गान छवि अंकन वर्जित की,अब कहाँ ऐसी जी हजूरी!
जिस पैगंबर ने अपने पूर्वज और वंशज तक की भक्ति मनाकर दी
पर आरंभ से ही उनके चाचा व नवासे हसन हुसैन की होती भक्ति,
जिन महान विभूतियों ने अकारण हिंसा की बात कभी नहीं की थी
उनके लिए अंधेरगर्दी मचाना शरारत नहीं तो और क्या हो सकती?
परिवर्तन सृष्टि का नियम है अच्छाई रखो बुराई त्यागना धर्मनीति!
आई लभ यू वासना वृति है ये जीती जागती माशूका को कही जाती,
आई लभ यू उक्ति थू! थू! थू! यह नहीं है आध्यात्मिक अभिव्यक्ति,
ये किसी धर्मगुरु महात्मा अवतार पैगम्बर हेतु कही नहीं जा सकती,
आई लभ मुहम्मद या आई लभ महादेव दोनों ही कहना उचित नहीं,
कितना अच्छा हो हिन्दू से धर्मांतरित जन स्वीकार ले हिन्दू संस्कृति!
पूजा पद्धति छोड़ भारतीय हिन्दू मुस्लिम ईसाई में नस्लीय भेद नहीं,
भौगोलिक स्थिति भोजन उपलब्धता रक्त रिश्तेदारी भातृत्व एक जैसी,
तो क्यों भोगना विदेशी रीति रिवाज खान पान तलाक हलाला ज्यादती,
भारतीय धर्म दर्शन की तार्किक शैली सच झूठ मापने की शुद्ध कसौटी,
गौ दूध पिलानेवाली माँ जैसी गौ भैंस काटो ना,यहाँ ढेर भोज्य सामग्री!
किसी धार्मिक हस्ती को आई लभ यू कहकर छोटा नहीं करो कद यारा,
मत लगाओ किसी मृत व्यक्ति के नाम सियासी नारा जयकारा हरकारा,
इससे जाति विद्वेष फैलता ये नफरती भाषण नहीं किसी को लगे प्यारा,
सभी देवता पितर पैगम्बर पीर फकीर का सद्विचार ग्रहण करना न्यारा,
देश धर्म को दीन ईमान समझना,देश ही देता भोजन आवास सुख सारा!
मृत पीर फकीर मजार समाधि भूत प्रेत पूजन ये आसुरी व अमानुषिक,
किसी आदिम व्यक्ति का परिस्थितिजन्य उपदेश और कबिलाई आदेश
हो सकता नहीं है पूरी मनुष्य जाति का धर्म अर्थ काम मोक्ष का संदेश,
आज सबको कबिलाई व बंजारा वृति से मुक्ति मिली,छोड़ो बंजारा वेष,
राम वनवासी कृष्ण मामाघाती नबी की छवि बनाकर लेना नहीं क्लेश!
समय के साथ आधुनिक बनो संस्कार धारण करो मानवता गुणधर्म हो,
ज्ञान से जीने की प्रवृत्ति आती, दुख दैन्य से निवृत्ति मिलती सद्कर्म से,
राम से रिश्तेदारी में मर्यादा सीखो,कृष्ण से प्रेम व सत्य का साथ देना,
बुद्ध से करुणा, महावीर से अहिंसा,ईसा से क्षमा दया, नबी से भाईचारा,
ऐसे ही मानवता आएगी,आदमी होगा नहीं जातिवादी मजहबी व हत्यारा!
- विनय कुमार विनायक


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