रेत और तारों की धुन | हिन्दी प्रेम कहानी

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रेत और तारों की धुन काव्या एक स्वतंत्र विचारों वाली लड़की थी, जो जैसलमेर के सुनहरे रेगिस्तान में एक छोटे से गाँव में रहती थी। वह स्थानीय बच्चों को पढ़ा

रेत और तारों की धुन

काव्या एक स्वतंत्र विचारों वाली लड़की थी, जो जैसलमेर के सुनहरे रेगिस्तान में एक छोटे से गाँव में रहती थी। वह स्थानीय बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ रेगिस्तान के बीच रात में तारों के नीचे कथक नृत्य करती थी। उसका नृत्य ऐसा था, मानो रेत और हवा भी उसके ताल पर थिरकने लगे। काव्या का सपना था कि वह एक दिन अपनी कला को दुनिया के सामने ले जाए, लेकिन गाँव की रूढ़ियों ने उसके पैरों को बाँध रखा था।

राघव एक फोटोग्राफर था, जो मुम्बई से जैसलमेर आया था, ताकि वह रेगिस्तान की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद कर सके। वह शहर का लड़का था, जिसके लिए रेगिस्तान का सौंदर्य एक नई दुनिया था। उसकी आँखें हर छोटी चीज़ में कहानी ढूँढती थीं—रेत के बदलते निशान, ऊँटों की चाल, और किलों की दीवारों पर उकेरी गई नक्काशी।

रेत और तारों की धुन
एक शाम, जब राघव जैसलमेर के किले के पास सूर्यास्त की तस्वीरें ले रहा था, उसकी नज़र दूर रेत के टीलों पर पड़ी। वहाँ, तारों की छाँव में, काव्या नाच रही थी। उसका लाल लहँगा हवा में लहरा रहा था, और घुँघरुओं की आवाज़ रेगिस्तान की खामोशी को तोड़ रही थी। राघव ने बिना सोचे अपने कैमरे का लेंस उसकी ओर घुमाया, लेकिन जैसे ही काव्या ने उसे देखा, वह रुक गई। उसकी आँखों में गुस्सा था। “तुम बिना इजाज़त मेरी तस्वीर क्यों ले रहे हो?” उसने सवाल किया।राघव ने शर्मिंदगी में कैमरा नीचे कर लिया और माफी माँगी। उसने कहा, “मैं बस... तुम्हारा नाच इतना जादुई था कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।” काव्या का गुस्सा पिघल गया, और बातचीत शुरू हुई। राघव ने उसे बताया कि वह एक फोटोग्राफर है, और काव्या ने उसे अपने नृत्य के पीछे की कहानी सुनाई—कैसे वह अपनी माँ से कथक सीखी थी, और कैसे वह अपने सपनों को गाँव की सीमाओं से बाहर ले जाना चाहती थी।

अगले कुछ दिन, राघव और काव्या की मुलाकातें बढ़ने लगीं। राघव काव्या को रेगिस्तान के अनजान कोनों में ले जाता, जहाँ वह तस्वीरें लेता, और काव्या उसे रेगिस्तान की कहानियाँ सुनाती। राघव को काव्या की सादगी और जुनून पसंद था, और काव्या को राघव की आँखों में दुनिया को देखने का नया नज़रिया। धीरे-धीरे, उनकी दोस्ती प्यार में बदलने लगी। रात में जब वे रेत पर बैठकर तारों को देखते, राघव काव्या के लिए कविताएँ लिखता, और काव्या उन कविताओं पर नृत्य करती।लेकिन हर प्रेम कहानी की तरह, उनकी राह आसान नहीं थी। काव्या के गाँव में एक लड़की का नाचना पहले ही विवाद का विषय था, और किसी “बाहरी” के साथ उसका रिश्ता स्वीकार करना असंभव था। काव्या के पिता को जब इसकी भनक लगी, उन्होंने उसे घर में बंद कर दिया और उसकी शादी तय कर दी। राघव को भी गाँव के कुछ लोगों ने चेतावनी दी कि वह काव्या से दूर रहे।

राघव ने हार नहीं मानी। उसने काव्या के लिए एक योजना बनाई। उसने अपनी तस्वीरों की एक प्रदर्शनी मुम्बई में आयोजित की, जिसमें उसने काव्या के नृत्य की तस्वीरें और उसकी कहानी को दुनिया के सामने रखा। प्रदर्शनी में एक प्रसिद्ध नृत्य अकादमी के डायरेक्टर ने काव्या की प्रतिभा को देखा और उसे अपनी अ अकादमी में शामिल होने का न्योता दिया। राघव ने यह खबर काव्या तक पहुँचाई, और उसे गाँव से निकलने में मदद की।काव्या ने अपने परिवार को मनाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने, तो उसने अपने सपनों को चुन लिया। वह मुम्बई चली गई, जहाँ उसने नृत्य की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। राघव और काव्या ने साथ मिलकर एक नया जीवन शुरू किया, जहाँ वह उसकी तस्वीरों में और वह उसके नृत्य में एक-दूसरे को पूरा करते थे।

रेगिस्तान की रेत में शुरू हुआ उनका प्यार, अब दुनिया की नज़रों में चमक रहा था। उनकी कहानी अधूरी नहीं थी—वह एक ऐसी धुन थी, जो तारों और रेत के बीच हमेशा गूँजती रहेगी।

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