क्योंकि हम तो कुत्ते हैं क्योंकि हम तो कुत्ते हैं, हम तो सड़को के बीचो बीच बैठेंगे, घूमेंगे और आते-जाते साधनों के सामने आएंगे, कौन क्या कहेगा कौन हमा
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
हम तो सड़को के बीचो बीच बैठेंगे, घूमेंगे
और
आते-जाते साधनों के सामने आएंगे,
कौन क्या कहेगा
कौन हमारी जात की आदत सुधारेगा,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
आवारा घूमेंगे गलियों में भौंकेंगे,
जहां मनमर्जी होगी, वहां गंदगी करेंगे,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
कोई हमें पालेंगे,
कोई हमें पिटेंगे,
कोई हमें बैठा देखते ही,
बिना वजह ही पत्थर मारेंगे,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
कोई पास बुलाएगा,
कोई दूर भगाएगा,
कोई घर की सुरक्षा में तैनात कर,
स्वयं आराम से सोएगा,
कोई घर बुलाकर,
डंडे खिलाएगा,
कोई हमें,
देसी से परदेसी बनाने के चक्कर में,
हमारी दुम काट डालेगा,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
किसी को हम पर दया आएगी,
किसी को हम पर थोड़ा तरस भी आएगा,
कोई हमें कहेगा वफ़ादार,
किसी को हम,
सब जानवरों में,
सिर्फ कुत्ते ही नजर आएंगे,
हम तो हम ही हैं,
हम तो कुत्ते ही है,
फिर भी,
हमारा नामकरण होगा,
कोई हमें शेरू कहेगा,
कोई कालू कहेगा,
कोई धोलू कहेगा,
तो कोई टॉमी,
तो कोई मोती,
और
कोई हमें झबरु कहेगा
कोई हमें अपना बेटा मानेगा,
कोई हमें कुत्ता ही मानेगा,
नाम ना उनको सुझेगा
क्योंकि हम तो कुत्ते ही हैं,
जब कभी हम,
खुजली के शिकार होते हैं,
या
बीमारी से परेशान,
या
आपसी झगड़े में,
घाव में पड़े कीड़ों की
बदबू से बेहाल होते हैं,
तब कोई तो
हमारी दवा दारू करता है,
और बहुत से,
हमारी परेशानी को,
डंडे, पत्थर और गर्म पानी आदि से
और बढ़ा देते हैं,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
समझ में जब कुछ नहीं आता है,
तो हम सर्द रातों के गहन अंधकार में
जोर ज़ोर से भौंक भौंक कर
अपना दुख- दर्द बांटते हैं,
उस हाल में भी हम,
अप- शगुन माने जाते हैं,
और किसी के हाथों ,
पीटे कूटे जाते हैं,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
रास्ते में अकेला,
जब कोई बच्चा,
इंसान का हो या पशु या जानवर का,
मिले हमारे झुंड को,
या
पाकर अकेला तो हम,
उसे काट-काट कर घायल कर देंगे,
या
मार कर खा जाएंगे,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
हम तो काटेंगे,
रेबीज रोग से ग्रसित करेंगे,
लार हमारी रैबीज से भरी,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
पता हमारा,
गली मोहल्ला,
पता हमारा शीतल छाया,
पता हमारा गिली मिट्टी,
पता हमारा सड़कों के बीचों बीच,
और,
किनारा सड़कों का,
पता हमारा, मंदिर, मस्जिद के आस पास,
पता हमारा खाने पीने की हो जहां झूठी पत्तल,
झपट पड़ते हैं,
मौका मिले जिस पर
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
हम, कितने जन्में,
कितने मिटे
और
कितने बचे
यह हिसाब बेहिसाब ही रहा,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
मरने में और तड़पने में,
कितना दर्द हुआ,
किसी ने तो समझा,
किसी ने तो महसूस भी किया,
और,
किसी ने नजरंदाज किया,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
हम तो काटेंगे, खाएंगे
और
मौका ना मिला तो,
दुम दबाएंगे
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
मारेंगे लोग हमें,
भ्रम में पड़कर,
नियति हमारी,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
मानव सब प्राणियों में श्रेष्ठ है,
फिर भी
वफादारी हमें ढूंढेंगे और पाएंगे,
खिलाएंगे पिलाएंगे
और कहेंगे,
कुत्ते की दुम सीधी नहीं हो सकती,
समझते क्यों नहीं,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
गुस्सा करेंगे प्यार जताएंगे
हमें हर काम सिखाएंगे
नहीं हुआ तो
मार खिलाएंगे
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं
कानून हम पर बनेगा,
हम कानून में आएंगे,
फिर भी,
हम अपनी आदत सुधार नहीं पाएंगे,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं,
ऐसा ही हो जाएगा,
हम जगह-जगह पर फिर कूटे पीटे जाएंगे,
फिर बंधन में बंधे जाएंगे
फिर नियमों में कैद हो जाएंगे,
क्योंकि हम तो कुत्ते हैं
जब भी कुछ बिगड़ेगा,
यही कहा जाएगा
कुत्ते की दुम सीधी नहीं हो सकती,
क्योंकि हम कुत्ते हैं
- डॉ अनिल मीणा, मुंडावर अलवर
खैरथल तिजारा भरतरी नगर धाम, पिन कोड 301407


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