बोलिये पापा बोलिये रेशु, रिंकी बालकनी में खड़े, पापा की गाड़ी आने की प्रतिक्षा कर रहे हैं. “वो, देख, अपनी गोल्ड गाड़ी. पत्नी सौम्या के कहने पर व्रहे
बोलिये पापा बोलिये
रेशु, रिंकी बालकनी में खड़े, पापा की गाड़ी आने की प्रतिक्षा कर रहे हैं.
“वो, देख, अपनी गोल्ड गाड़ी. पत्नी सौम्या के कहने पर व्रहेश ने यह रंग चुना. रेशु, रिंकी को भी पसंद आया.
रेशु, रिंकी स्कूल की पुस्तक खोल कर बैठ गये. पापा को अच्छा लगता है. बच्चे पढ़ रहे हैं.
घंटी बजी, रेशु, रिंकी दौड़ कर दरवाजा खोलने गये. जाते जाते डाइनिंग टेबल पर दृष्टि डाली, मन पसंद नाश्ता और जूस रखा था.
पापा अंदर आ गये, ऑफिस बैग, अपनी वर्क टेबल पर रख, जूते कपड़े बदल अपनी कुर्सी पर विराजमान हो गये. मम्मी ने पानी और जूस गिलास में पलट दिया.
नाश्ता प्लेट में रखा.
“आज बहुत गर्म है. हाँ, सौम्या, आज मैने पिस्टल रेवोल्वर के लाईसनस के लिए अर्जी डाल दी. एक माह में काम हो जायेगा.”
“पापा, रेवोल्वर, क्यूँ?”“पापा क्या ये हमारे - रेशु, रिंकी के लिए है? बस एक माह बाद काम हो जायेगा?”
“नहीं, तुम बच्चे हो. बंदूक हथियार तुम्हारे लिये नहीं. मुझे चाहिए, कभी कभी अपना बचपन का शौक शूटिंग पूरा करऊंगा.”
“आप शूटर बनने वाले थे?”
“हाँ, राणा अकेडमी में दो वर्ष सीखा, फिर पढ़ने शहर आ गया, यहीं नौकरी शादी कर रह गया. यही मेरा घर हो गया.”
“पापा, आप हम से प्यार करते हो?”
“क्या? तुम्हे क्या लगता है? नहीं करता? सौम्या तुम्हें क्या लगता है, बताओ.”
“रेशु, रिंकी, ये कोई प्रश्न है? हम दोंनो तुम दोनों से ढेर बहुत ढेर सा प्यार करते हैं. तुम अच्छे बच्चे हो. कहना मानते हो. अच्छा पढ़ते, बहुत अच्छा खेलते हो. ढेर ढेर सा प्यार करते हैं.”
“तब तो आप भी हमें एक दिन मार देंगे.”
“ये क्या बात हुई? प्यार करते हैं तो मार देंगे.”
“पापा, राधिका दीदी के पापा भी उन से बहुत प्यार करते थे, इस लिये गोली मार दी. कम करते तो एक मारते, एक अपने लिए रख लेते, पर नहीं उन्हों ने सब दीदी को दे दीं.”
“राधिका दीदी टेनिस स्टार, कोच थी. वो अपना भविष्य अपने आप बना रही थी. वो बच्चा नहीं थी. वो व्यस्क थी, लोक सभा मेंबर बन सकती थी.”
“वर्धा बाबू जी ने भी अपने दो बच्चे मार दिये. वो एल के जी में अच्छे नंबर नहीं ला पाये. उन के प्यारे बच्चों का भविष्य अंधकारमय लगा.”
“पापा बत….ताईये. मैंने रील पर देखा, न्यूज़ में भी कई लोग कह रहे थे, हम भी येही करते, करेंगे. पापा बहुत लोग मानते हैं राधिका दीदी के पापा ने सही करा. पापा आप भी? आप क्या कहेंगे?”
“पापा, पापा, बताईये ना? ममी, बोलो, पापा हमें प्यार करते हैं? हमें मार देंगे? बोलिये पापा, बोलिये.”
“पापा, मैंने पढ़ा हैं मलाला के देश में ऐसा होता है, लोग अपने रिवाज से प्यार के नाम पर मारते हैं. मलाला के पापा ने बचा लिया, हमारे देश में पापा ने मार दिया. पापा आप बताओ. आप भी प्यार करते हो.”
व्रहेश की समझ नहीं आ रहा क्या कहे? कल तक हसंते खिल खिलाते मासूम बच्चे, आज आचानक से कैसा प्रश्न पूछ रहे? क्या उत्तर दूँ?
‘नहीं मैं प्यार नहीं करता. तुम जो चाहो करो. मैं नहीं मरूँगा.”
ये पूछ रहे, कई पूछ भी नहीं पा रहे होंगे, अपने पापा को शक से देख रहे होंगे. दूर खड़े होंगे. उन का विश्वास हमेशा को खत्म हो गया.
“बच्चों, मैं रिवोल्वर नहीं लूँगा, कल ही अर्जी वापस ले लूँगा.”
“पापा, अगर… . अ”
“कोई अगर नहीं, पापा के साथ खेलने चलो, आओ सौम्या, चारों मिल कर बद्मिंटन खेलते हैं.”
“पर्ची बनाओ, देखें कौन पर्टनर बनता है.”
आज तो पापा ने बात टाल दी, पर इस प्रश्न का उत्तर देना ही होगा, कल नहीं तो परसों.
जिसे हम प्यार करते हैं उसे क्यों मार देते हैं?
कहते हैं ना ‘वो ईश्वर को प्यारे थे, सो मर गये.’
‘फूल प्यारा लगा सो तोड़ कर मार दिया.’
‘रोमियो जूलियट, हीर रांझा, ससि पन्नु, लैय्ले मजनू, प्यारे थे सो मार दिये.’
क्या यही प्यार है?
बोलिये पापा, बोलिये ।
- मधु मेहरोत्रा


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