बहुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले मगर हालचाल नहीं पूछे

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बहुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले मगर हालचाल नहीं पूछे बहुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले मगर उनमें से कोई तुम्हारी हालचाल नहीं पूछे तो समझ लो वो

बहुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले मगर हालचाल नहीं पूछे


हुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले
मगर उनमें से कोई तुम्हारी हालचाल नहीं पूछे 
तो समझ लो वो तुम्हारे खैर खबर से वाकिफ होंगे 
जैसे वो तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से जानते हों
वे एक दूसरे से चर्चा व चुगली करके सब सुन चुके हों!

तुम देखना उनके बाल बच्चों के बारे में हाल पूछकर 
कुछ मुसकुराएंगे कुछ टाल जाएंगे कुछ इशारे इशारे में 
एक दूसरे का मुंह देखने लगेंगे ऐसे कि तुम अजीब हो
तुम हक्के बक्के हो जाओगे सोच-विचार में पड़ जाओगे

बहुत दिनों के बाद जब रिश्तेदार मिले मगर हालचाल नहीं पूछे
कि कितना जरुरी है आपसी रिश्तेदारी निभाने के लिए 
आपस में एक दूसरे की निंदा शिकायत करते सुनते रहना 
एक दूसरे के खिलाफ घृणा-द्वेष और जहर उगलते रहना!
 
ऐसे ही बची रहती रिश्तेदारी और इसमें ही है समझदारी 
कि तुम कितने गोल-गोल मीठे-मीठे बोल बोल सकते हो
तुम कितनी किसी की पोल खोल सकते हिमायती होकर!

अजब है ये दुनिया रिश्तेदारी निभाने के लिए बराबर 
झूठ सच बोलना पड़ता रिश्तेदार का दिमाग टटोलना पड़ता 
अब अनुभव होने लगा है कि वो सब किताबी आदर्श थे 
किसी की अनुपस्थिति में उनकी निंदा नहीं करना सुनना!
 
अब एक दूसरे की अनुपस्थिति में चटखारे ले लेकर 
एक दूसरे की आलोचना करने से जीवित रहते रिश्ते नाते 
पता करो तुम्हारे भाई बहन ऐसे ही हो गए होंगे गोलबंद 
तुम्हारी बुराई करके तुम्हारे साले सरहज बचाते होंगे संबंध!

आज जीने का फलसफा है अपने माँ पिता को गाली देकर 
अपने भाई की पीठ पीछे निंदा कर रिझाते रहो घरवाली को 
भाई बहन के बच्चे भतीजे भतीजी भांजे भांजी से अनजाने 
कि भाई बहन के बीच प्यार दुलार निभाने में खर्च होते पैसे 
पैसे बचाने के लिए संपन्न भी होने लगे ऐसे कर्तव्यहीन जैसे! 

अपने भाई बहन जब एक दूसरे से मेल मिलाप में 
लाभ हानि सोचकर आने जाने बतियाने व ताने देने लगे 
बहन भाईयों की औकात देख रक्षाबंधन बाँधने न बांधने लगे!
 
एक भाई दूसरे की कलाई सूनी देख बहन से सबाल ना पूछे
एक दूसरे की समस्या को जानने से कतराने लगे जब अपने
तो ऐसे में गुमसुम हो जाना अपनी हाल खुद से नहीं सुनाना! 

रिश्तेदारियाँ अब ऐसे ही निभाई जाती 
एक दूसरे को खुश करने के लिए अपनों से दूरियाँ बढ़ाई जाती 
जो जितने निकट रक्त संबंधी हैं खामियाँ उनमें ही दिखाई जाती
माता पिता बहन भाई को रुष्ट करके धर्मपत्नी को रिझाई जाती 
पति परायण सती नारी बनने के लिए मायका को खिजाई जाती! 

बड़ी बेरहम और जालिम है जमाना जबतक तुम सुखी संपन्न हो 
सबके काम आते सारे नाते रिश्तेदार का जारी रहेगा आना जाना 
जब पारिवारिक समस्या से घिरोगे और अपनों को जानकारी दोगे 
तब रिश्ते नाते दूरी बनाएंगे जबतक समस्या से निजात ना पाते 
ऐसे में बेहतर है सगे से समस्या न कहना कुछ उम्मीद न करना !



- विनय कुमार विनायक

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