मौर्य साम्राज्य भारत के प्राचीन गौरव की कहानी भारत के इतिहास में मौर्य साम्राज्य एक ऐसा स्वर्णिम अध्याय है, जिसने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप को एक सूत्
मौर्य साम्राज्य भारत के प्राचीन गौरव की कहानी
भारत के इतिहास में मौर्य साम्राज्य एक ऐसा स्वर्णिम अध्याय है, जिसने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप को एक सूत्र में बांधा, बल्कि विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह साम्राज्य, जो चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित हुआ, भारतीय इतिहास का पहला ऐसा साम्राज्य था, जिसने विशाल भू-भाग पर एक केंद्रीकृत शासन स्थापित किया। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की, जिन्हें अपने गुरु और मार्गदर्शक चाणक्य की नीतियों का साथ मिला। मौर्य साम्राज्य का इतिहास केवल राजवंशों और युद्धों की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सभ्यता की गाथा है, जिसने प्रशासन, कला, संस्कृति और धर्म के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।
मौर्य साम्राज्य की शुरुआत उस समय हुई जब भारत छोटे-छोटे राज्यों और गणराज्यों में बंटा हुआ था। मगध, जो वर्तमान बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में स्थित था, उस समय एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभर रहा था। चंद्रगुप्त मौर्य, जो एक साधारण पृष्ठभूमि से आए थे, ने चाणक्य के मार्गदर्शन में नंद वंश को परास्त कर मगध पर कब्जा किया। चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, एक दूरदर्शी रणनीतिकार और अर्थशास्त्री थे। उनकी रचना अर्थशास्त्र न केवल राजनीति और अर्थव्यवस्था का एक ग्रंथ है, बल्कि उस समय के सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे का भी एक दर्पण है। चंद्रगुप्त ने न केवल मगध को अपने अधीन किया, बल्कि उत्तर-पश्चिम में सिकंदर के उत्तराधिकारियों (सेल्यूकस निकेटर) को पराजित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इस विजय के परिणामस्वरूप, चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस की पुत्री से विवाह किया और एक मैत्रीपूर्ण संधि स्थापित की, जिसने मौर्य साम्राज्य को पश्चिमी सीमाओं पर स्थिरता प्रदान की।
चंद्रगुप्त के बाद उनके पुत्र बिंदुसार ने साम्राज्य को और सुदृढ़ किया। हालांकि बिंदुसार का शासनकाल ज्यादा चर्चित नहीं है, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की एकता को बनाए रखा और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों को अपने अधीन किया। मौर्य साम्राज्य का असली वैभव तब सामने आया जब सम्राट अशोक ने सिंहासन संभाला। अशोक, जिन्हें इतिहास में अशोक महान के रूप में जाना जाता है, शुरू में एक युद्धप्रिय शासक थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध विजय थी कलिंग युद्ध, जो वर्तमान ओडिशा के क्षेत्र में लड़ा गया। इस युद्ध में हुई अपार जनहानि और विनाश ने अशोक के हृदय को झकझोर दिया। युद्ध के बाद, अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया और अपने शासन को हिंसा से अहिंसा की ओर मोड़ दिया।
अशोक का शासनकाल मौर्य साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने न केवल अपने साम्राज्य को एक केंद्रीकृत प्रशासनिक ढांचा दिया, बल्कि सामाजिक सुधारों को भी बढ़ावा दिया। अशोक के शिलालेख, जो पूरे भारत में पाए जाते हैं, उनके शासन की नीतियों और दर्शन का प्रमाण हैं। इन शिलालेखों में धर्म, नैतिकता, और सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता झलकती है। अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार न केवल भारत में, बल्कि श्रीलंका, मध्य एशिया, और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया। उनके द्वारा भेजे गए बौद्ध दूतों ने बौद्ध धर्म को एक विश्व धर्म के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मौर्य साम्राज्य का प्रशासनिक ढांचा अपने समय से कहीं आगे था। साम्राज्य को कई प्रांतों में बांटा गया था, जिन्हें जनपद कहा जाता था। प्रत्येक जनपद की देखरेख एक शाही अधिकारी करता था, जो सीधे सम्राट के प्रति जवाबदेह था। मौर्य शासकों ने सड़कों, सिंचाई व्यवस्था, और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। पाटलिपुत्र, जो मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी, उस समय का एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था। यूनानी राजदूत मेगस्थनीज, जो चंद्रगुप्त के दरबार में आए थे, ने अपनी पुस्तक इंडिका में पाटलिपुत्र की भव्यता और मौर्य प्रशासन की कुशलता का वर्णन किया है।
हालांकि मौर्य साम्राज्य अपने चरम पर अजेय प्रतीत होता था, लेकिन अशोक के बाद यह धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा। अशोक के उत्तराधिकारी कमजोर साबित हुए, और साम्राज्य में आंतरिक विद्रोह और बाहरी आक्रमण बढ़ने लगे। अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की, जिसने शुंग वंश की स्थापना की। इसके साथ ही मौर्य साम्राज्य का अंत हो गया।
मौर्य साम्राज्य का पतन भले ही हो गया, लेकिन इसकी विरासत आज भी जीवित है। इसने भारत को पहली बार एक राजनीतिक और सांस्कृतिक इकाई के रूप में स्थापित किया। अशोक के शिलालेख, बौद्ध स्तूप, और चाणक्य का अर्थशास्त्र आज भी इतिहासकारों और विद्वानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। मौर्य साम्राज्य की कहानी केवल एक राजवंश की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस भारत की कहानी है, जो अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य की ओर बढ़ता है।
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