भाषा हमारी संस्कृति का आधार है | एक्यूरेसी और स्पीड के साथ काम करें आज समय तेजी से बदल रहा है और यह ड्रोन और डिजिटल युग है, एक समय जब भाप के इंजन ने प
भाषा हमारी संस्कृति का आधार है | एक्यूरेसी और स्पीड के साथ काम करें
विद्वान साथियों,
केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो कोलकाता को अपने स्वस्ति वचन के साथ आभार व्यक्त करता हूं कि विद्यत -सभा के लिए मुझे एक व्याख्यान देने का अवसर दिया है।अब मैं दो शब्दों पर आपको लिए चलता हूं ,एक है केथार्सिस और दूसरा है बाइनरी अपोजिशन ।
प्रारंभ में ही यह बता देना उपयुक्त समझता हूं कि यह सत्र समावेशिता का है अगर मुझसे कुछ जानकारी मिलती है तो वह आप ले लें, अगर आप से जो प्राप्त होगी और उपयुक्त होगी वह मुझे मिले यही व्यावसायिक शब्दों में ई एंड ओ ई ,कहते हैं,भूल चूक लेनी देनी ।
आज समय तेजी से बदल रहा है और यह ड्रोन और डिजिटल युग है, एक समय जब भाप के इंजन ने पावर को रिप्लेस किया था,तब बहुत प्रतिक्रिया में हुई थी । आज भी हम इस से गुजर रहे हैं , आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , ब्रेन के बहुत सारे काम को रिप्लेस करने जा रही है। मैथिली शरण गुप्त की बातें याद करिए , कि हम कौन थे क्या हो गए अब और क्या होंगे अभी।समय बहुत परिवर्तनशील है। यह बात सारांश रूप में फ्रांसिस बेकन ने एडवांसमेन्ट आफ लर्निंग में कही है।
अनुवादक का काम आप जानते ही हैं कि बहुत ही महत्वपूर्ण है। इतना महत्वपूर्ण है कि वाणिज्य रक्षा न्यायिक संवैधानिक गणित भूगोल आदि अन्यान्य विषयों की शब्दावलियों के साथ व्यस्त रखना हैं। आपका काम बहुत संवेदनशील है ।
सर्वप्रथम मैं इस बात पर जोर दूंगा कि हम अपनी भूमिका को कार्यालय में बहुत अच्छी तरह समझ लें। एक तो यहां आचरण नियमावली से लेकर नियमों का पालन करना जरूरी है ,जो कि परंपरागत अलिखित अथवा लिखित हो सकते हैं, या बहुत सी बातें निर्देश के अनुसार मौखिक और लिखित के अनुसार भी होती है। सरकारी काम शक्तियों के प्रत्ययायोजन से चलता है। राजभाषा नियम 12 के अनुसार राजभाषा नियमों का कार्यान्वयन अध्यक्ष की जिम्मेदारी है और इस जिम्मेदारी के निर्वहन के लिए तकनीकी सलाहकार के रूप में सहायता प्रदान करने के लिए हिंदी कार्मिकों के पद सृजित किए गए। मेरे अनुमान से शक्तियों के प्रत्यायोजन नियम के अनुसार किसी भी कार्यालय अध्यक्ष ने अभी तक इन शक्तियों का प्रत्यायोजन नहीं किया है कि इन नियम बारे में जो मुझे शक्तियां मिली है, मैं हिंदी कार्मिकों को सोंपता हूं।
अब दूसरी बात है, अंग्रेजी पाठ और हिन्दी निर्वचन को लेकर कोई विवाद होता है तो सर्वोच्च न्यायालय में एक्ट , अधिनियम, के हिंदी निर्वचन पाठ को मान्यता नहीं देता है ,और यह भी स्पष्ट निर्देश है राजभाषा अधिनियम में के किसी विधिक सामग्री अथवा विधिक दस्तावेजों के यदि कोई मत भिन्नता आती है तो अंग्रेजी पाठ को ही अधिकृत माना जाएगा । तो इन दो मंत्रों के अंतर्गत रहकर ही अपने कार्य आप संपादित करेंगे ।
अभी कुछ दिन पहले मैंने कई विश्वविद्यालय के अनुवाद कोर्स की दूरस्थ और पाठ्य सामग्री देखी थी।उसमें यह बताया गया था कि टेक्निकल का अर्थ ही पारिभाषिक शब्द है।एक यह भ्रांति है , आप इस भ्रम में ना रहे और ठीक से समझ लें। हम पारिभाषिक शब्द केवल उन जो कि विधि में पारिभाषित है ,जिनकी कि परिभाषा उन में दी गई है उदाहरण के लिए मैं बताऊंगा शब्द है शिशु इसी शिशु शब्द की परिभाषा हम तीन चार कानून से अलग-अलग रूप में आयु के आधार पर निर्धारित करेंगे ,कि वह शिशु है अथवा नहीं। जैसे आईपीसी, सीआरपीसी जैसे अप्रेंटिसेज एक्ट जैसे इपीएफ एक्ट जैसे ईएसआई एक्ट।किस तरह बोलचाल अथवा सटीक अथवा विधि सम्मत अथवा प्रचलित अथवा सर्वाधिक लोकप्रिय प्रयोग करें ताकि भाषा में रवानगी बनी रहे और वह व्यापक फलक में आसानी से समझ में भी आ सके । यह बहुत चुनौती पूर्ण काम है।
इस संदर्भ में थोड़ा आगे बढ़ने से पहले मैं आपको एक कहानी सुनना चाहूंगा। एक राजा के पास एक और वह हाथी बहुत क्या काफी इलाज करवाया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ जब मरासू हो गया तो मंत्री ने सलाह दी करीब के किसी गांव प्रधान को बुलाकर देखभाल का जिम्मा सौंप दिया जाए और उससे कहा जाए कि जितने धन की जरूरत है वह राजकोट से ले सकता है लेकिन वह दरबार में हाथी के मरने की खबर सुनाई तो दंड का भागी होगा । प्रधान के लाख देखभाल के बावजूद भी हाथी मर गया प्रधान को यह चिंता सताने लगी क्या आखिर उसे दंड मिलेगा और उसे दंड से बचने का उपाय क्या है जबकि उसका कोई दोस्त था ही नहीं। बुजुर्गों से सलाह की और काफी विचार विमर्श के बाद यह तय हुआ कि वह दरबार में जाए और सूचना इस तरह दे कि आपका हाथी ना कुछ खा रहा है ना पीर ना हिल रहा है ना डाल रहा है इतना सुन के राजा बोला हाथी मर गया तो प्रधान ने केवल इतना ही क्या के हुजूर यह बात केवल आप ही कह सकते हैं इसे मैं नहीं कह सकता। वाकपटुता और लेखन क्षमता अनुवादक में आज एसी चाहिए कि वह विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का बिना शब्दकोश पलटे, अनुवाद कर सके ।और समय सीमा को पालित भी कर सकें।
रे गंधी मति अंध तू
बिहारी का एक दोहा है –
‘कर फुलेल को आचमन, मीठो कहत सराहि,
रे गंधी मति अंध तू, इतर दिखावत काहि?’
(एक इत्र बेचने वाला, एक सज्जन को इत्र की फ़ुलेल देता है, जिसको कि कान के पीछे लगाया जाता है, वह सज्जन उस इत्र की फ़ुलेल को खाकर, उसे मीठा बताकर उसकी सराहना करते हैं. कवि इत्र बेचने वाले की भर्त्सना करते हुए उससे पूछता है – अरे अक्ल के अंधे इत्र-फ़रोश, तू किसे इत्र दिखा रहा है? अर्थात, सुपात्र के समक्ष ही अपनी बात कहनी चाहिए.)
जैसे वाणिज्य में आपको बुल्स एंड बीयर्स का हिंदी अनुवाद अटपटा सा लगता है, यही हमें गार्निशे रहन गिरवी दृष्टिबंधक लियन इनकंब्रेंस शब्दों के अर्थों को जान लेना जरूरी है। लेकिन यह सच है और उसी तरह साहित्य के विद्यार्थी होने के नाते यह जान गए होंगे कि के का शब्द था शब्द था लेकिन वह साहित्य में आ गया और कैसे इसका प्रयोग हो रहा है या आप भली तरह जानते हैं।
डिस्क्लेमर की हिंदी, प्राइसलेस और नमूने के हस्ताक्षर , ends justify the means or means justify the ends., binary opposition ,सामान्य भाषा में और अलंकारों का प्रयोग इन सब के प्रति आपको जागरूक रहना होगा। लेख ,विलेख और सुलेख में अंतर समझाइए केवल डिड के पर्याय विधिक पर्याय के रूप में प्रयोग होगा। जो भी किताबों में मुद्रित है वह अंतिम शब्द नहीं है की भूल भी हो सकती है इसलिए अपने विवेक का समाज का प्रयोग करते हुए उनके वाक्यांश के अर्थ भाव को समझें शब्द भाव को नहीं। वैसे भी अनुवाद भाव का होता है शब्द का अर्थ नहीं खोजा जाता।अंडर टेकिंग वचन पत्रवि प्रतिष्ठान भी है संस्थान भी
आपने एक बहुत ही पुरानी पिक्चर शायद अच्छी हो, मुगले आजम , इसमें एक संग तराश के इर्द-गिर्द शुरू से अंत पूरी फिल्म पूरी फिल्म घूमती है । एक एटा का साधारण करीम एक छोटे सा सपना बुनता है और साकार करता है । उसे अपने कृतित्व पर अपनी रचनात्मकता पर इतना भरोसा है कि वह कहता है कि मेरी के आगे सिपाही अपनी तलवार फेंक देगा आदि।
शब्दों को किस प्रकार प्रचलन में लाते हैं जानते हैं , के भी कई रूप है जो कि लोग प्रयोग कर रहे हैं कुछ लोगों के लिए हिंदी भाषा व्यापारिक और वाणिज्य की भाषा है और उनके लिए एक धन कमाऊ साधन भी । वह भाषा के माध्यम से अन्य प्रयोजन व सरोकार ध्यान में रखे बगैर, धन कमा रहे हैं । आपका काम समाज विज्ञान इन सबसे सरोकार है। इन परिस्थितियों में आपको संभाल कर काम करने की आवश्यकता है, वह भी एक्यूरेसी और स्पीड के साथ।
साहित्य और भाषा
हिंदी भाषा का बहुत प्राचीन भाषा जिसे देव भाषा भी कहते हैं संस्कृत से हुआ है, इस का प्रत्येक अक्षर अर्थवाही है, विशेषता यह कि संभवत या विश्व की किसी भाषा में एक - दो को छोड़कर,एसा ना हो, अशोक, शोक नहीं ,ख सेआकाश ,ग से गमन और च से और आदि,क्योंकि यह भाषा हमारे दैनंदिन व्यवहार की भाषा सदियों तक रही है। हमारे संस्कार और संस्कृति भी इसमें परिलक्षित हैं और शब्दों का प्रयोग भी उसी अनुसार व्यवहार में। दैनिक व्यवहार में विभिन्न अवसरों पर उसी अनुसार भाव बदलता रहता है ,वैसे हम हड्डी कहते हैं,लेकि हमारे संस्कार की भाषा केवल अस्थि तक है।
भाषा और परिवार और व्यवहार में शुचिता हमारा मूल मंत्र है। इसीलिए हम संस्कारों से बंधे हुए हैं।जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें संस्कार से ही काम है , जन्म के समय सूतक और मूल लगना जैसी बातें हैं जिन्हें आसान भाषा में जान लेना चाहिए।
इसी तरह चिकित्सा शास्त्र में भी एनेस्थीसिया निश्चेतना फोटोसिंथेसिस प्रकाश संश्लेषण प्रिज्म छाया परिचय के कई शब्दों को उनके वास्तविक रूप में अर्थ सहित जान लेना और उनका तत्समय सटीक अनुवाद करना प्राथमिक जिम्मेदारी है।नीचे विधि मंत्रालय की राजभाषा विधायी आयोग की वह लिंक दी जा रही है जिस पर विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों के हिंदी पर्याय/ हिंदी प्रारूप दिए गए हैं - https://lddashboard.legislative.gov.in/hi/standard-form-legal-documents
सहायक ग्रंथ -
- डा हरदेव बाहरी हिंदी अंग्रेजी कोष
- विधि शब्दावली राजभाषा विधायी,आयोग नई दिल्ली
- आकाशवाणी, शब्दकोश
- वस्तुनिष्ठ सामान्य हिन्दी प्रकाश चंद सेन,टाटा मैकग्रा हिल
केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो , निजाम पैलेस , कोलकता में 26 मई 2025 को दिया गया व्याख्यान
- क्षेत्रपाल शर्मा
शान्ति पुरम, आगरा रोड अलीगढ़ 202001
COMMENTS