चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार पर निबंध इन हिंदी

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चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार पर निबंध इन हिंदी चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार आज के समय में एक गंभीर मुद्दा बन गया है। चुनाव लोकतंत्र का वह महत्वपूर्ण हिस्सा

चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार पर निबंध इन हिंदी


चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार आज के समय में एक गंभीर मुद्दा बन गया है। चुनाव लोकतंत्र का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके माध्यम से जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और सरकार का गठन होता है। यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव मानी जाती है। लेकिन आज चुनाव के इस पवित्र प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जड़ें गहराई तक फैल चुकी हैं, जो लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर कर रही हैं।

प्रजातांत्रिक प्रणाली की सफलता का मूल रहस्य 'निर्वाचन' है जिसमें जनता को शासन के लिए अपना प्रतिनिधि चुनने की पूरी स्वतंत्रता रहती है। 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान परिषद में भारत के संविधान को स्वीकार किया गया और उस समय से देश में प्रजातांत्रिक ढंग से निर्वाचन प्रारंभ हुआ।
 
चुनाव और बढ़ता भ्रष्टाचार पर निबंध इन हिंदी
वर्तमान युग में भारत या प्रजातांत्रिक देशों के लिए 'निर्वाचन' एक प्रधान साधन है। अब तो संसद से लेकर ग्राम पंचायतों के पंचों तक के चुनाव का कार्य निर्वाचन द्वारा होता है। निर्वाचन में जिस व्यक्ति को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं वही विजयी घोषित होता है। निर्वाचन में मत प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार विभिन्न प्रणालियों का अनुसरण करते हैं। सूचना, पोस्टर, ध्वनि-यंत्र आदि तरह-तरह के प्रचार साधन काम में लाए जाते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में इन्हीं साधनों द्वारा व्यक्ति और दल अपने पक्ष का प्रचार करते हैं। जनता को अपने पक्ष में करने के लिए सार्वजनिक सभाएँ की जाती हैं। खड़े हुए उम्मीदवार प्रतिद्वंद्वी बनकर सरगर्मी के साथ अपने पक्ष का प्रचार करते हैं। इस प्रकार प्रजातंत्र की सफलता का श्रेय निर्वाचन को ही जाता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने मत के अनुसार मतदान करता है। उसे पूरा अधिकार होता है कि वह किसे अपना मत दे। जनता द्वारा निर्वाचित ये प्रतिनिधि जनता के हितों के रक्षक और उनके सुख एवं उन्नति के व्यवस्थापक होते हैं। यदि ऐसा न करें तो दूसरे निर्वाचन में वे जनता के सम्मुख जाने के लायक नहीं रह जाते और अपना विश्वास खो देते हैं।
 
भारतीय संविधान में प्रत्येक भारतीय नागरिक को, जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो मताधिकार प्राप्त है। निर्वाचन नामावली में धर्म, जाति, वंश, लिंग के आधार पर किसी को अपात्र नहीं ठहराया जा सकता है। संसद और राज्य सभाओं में सदस्यों के निर्वाचन के लिए प्रत्येक क्षेत्र के मतदाताओं की नामावली प्रस्तुत करने और उसे छापने की व्यवस्था है। देशभर में निर्वाचन की व्यवस्था के लिए निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है। मतदाता सूची तैयार की जाती है और उसे छपवाने के बाद एक अवधि निश्चित कर दी जाती है ताकि कोई व्यक्ति जिसका नाम छूट गया हो, अपना नाम अंकित करा ले। नामांकन पत्र की स्वीकृति के पश्चात् लगभग एक सप्ताह का समय दिया जाता है जिसमें उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं और उसके बाद अंतिम रूप से निर्वाचन में खड़े हुए व्यक्तियों की आधिकारिक घोषणा कर दी जाती है तथा चुनाव चिह्न भी निश्चित कर दिए जाते हैं।
 
सभी दल और स्वतंत्र उम्मीदवार अपना प्रचार कार्य आरंभ कर देते हैं। गाँव-गाँव में कार्यकर्ताओं के समूह पहुँचते हैं। सभी क्षेत्रों में चाहे गाँव हो या शहर, झंडों, बैनरों और लाउडस्पीकरों की भरमार हो जाती है। उम्मीदवार अपनी जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। वे अंधाधुंध प्रचार के द्वारा अपनी विजय के लिए प्रयास करते हैं।
 
वर्तमान शासन प्रणालियों में प्रजातंत्र से उत्तम दूसरी कोई प्रणाली नहीं है क्योंकि उसमें जनता को स्वयं यह अधिकार प्राप्त होता है कि वह अपने प्रतिनिधियों को चुनकर भेज सके। ऐसे प्रत्यक्ष चुनाव में केवल वही व्यक्ति चुना जाता है जिसका सार्वजनिक जीवन अच्छा हो, जो जनता की सेवा करता हो। इस प्रणाली में जनता को यह अधिकार है कि यदि वह किसी दल से और शासन संबंधी उसके कार्यों से असंतुष्ट है तो दूसरी बार उस दल को अपना मत न दे। इस प्रणाली में विरोधी दलों का महत्त्व शासक दल से किसी भी प्रकार कम नहीं होता। निर्वाचन के फलस्वरूप एक दलीय शासन बार-बार नहीं चलता और विरोधी दलों को भी शासन चलाने का अवसर प्राप्त होता है। जनता मतदान द्वारा अपने अधिकारों को भी पहचानती है और वह अनुभव करती है कि उसी के बल पर देश का शासन चलता है। इस प्रणाली से बढ़कर और कोई उत्तम प्रणाली अब तक अस्तित्व में नहीं आई जिससे जनता का अधिक-से-अधिक कल्याण हो और वह शासन कार्य में भाग लेकर अपने उत्तरदायित्व का अनुभव कर सके।
 
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। चुनावी खर्चों पर सख्त निगरानी रखी जानी चाहिए और ब्लैक मनी के इस्तेमाल को रोका जाना चाहिए। दूसरा, जनता को जागरूक करना बहुत जरूरी है। लोगों को यह समझाना होगा कि उनका वोट कितना महत्वपूर्ण है और उसे सही ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए। तीसरा, कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करना होगा। भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि दूसरों के लिए यह एक सबक बन सके।

चुनाव और भ्रष्टाचार का मुद्दा केवल सरकार या नेताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक से जुड़ा हुआ है। अगर हम सभी मिलकर इस समस्या के खिलाफ खड़े होते हैं और अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं, तो भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है। लोकतंत्र की सफलता इसी में है कि हम सभी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ चुनावी प्रक्रिया में भाग लें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। केवल तभी हम एक सशक्त और स्वस्थ लोकतंत्र का निर्माण कर सकते हैं।

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