यू०जी०सी० नेट एग्जाम एक अनुभव

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यू०जी०सी० नेट एग्जाम एक अनुभव 8 जनवरी की सुबह जब चारों ओर कोहरे ने अपने पैर पसारे हुए थे और ठंड से शरीर कंपकंपा रहा था। लाखों उम्मीदवारों की तरह मैं

यू०जी०सी० नेट एग्जाम एक अनुभव

8 जनवरी की सुबह जब चारों ओर कोहरे ने अपने पैर पसारे हुए थे और ठंड से शरीर कंपकंपा रहा था। लाखों उम्मीदवारों की तरह मैं भी अपने आशियाने से परीक्षा देने परीक्षा मुख्यालय  की ओर निकल पड़ी । नया शहर होने के कारण मैंने ओटो वाले से सम्पर्क किया। ओटो आने पर मैंने परीक्षा मुख्यालय का रुख किया। पहली बार शहरी
यू०जी०सी० नेट एग्जाम एक अनुभव
जीवन की भागदौड़ देखी। सभी अपने-अपने गंतव्य तक जल्दी पहुँचने की होड़ में थे। 

ओटो वाले ने मुझे मेरे गंतव्य तक पहुंचाने में काफी समय लगाया उसने मेरी प्रस्थिति का फायदा उठाकर मुझसे अतिरिक्त रुपए लिए परीक्षा मुख्यालय का द्वार बंद होने वाला था। मैंने सोचा इससे क्या बहसबाजी करूं।आज कुछ-कुछ शहरी जीवन की सच्चाई मेरे सामने आई।अब बंद होने में मात्र 3 मिनट थे। मैंने अपनी चेकिंग करवाई और अंदर प्रवेश किया। वहाँ मैंने देखा उम्मीदवारों में मंजिल को पाने का जोश था। उनको देखकर मेरे अंदर भी यह जोश बढ़ गया।

अब आत्म निरीक्षण के बाद हम सभी उम्मीदवार निदेशानुसार अपनी-अपनी परीक्षा कक्षाओं में गए। वहाँ पर बायोमेट्रिक के बाद हम सभी को अपना-अपना सीट नंबर मिला। परीक्षा निरीक्षक का व्यवहार बहुत ही सहयोगपूर्ण था। उन्होंने हमें परीक्षा किस प्रकार दें इसके बारे में निर्देश दिए। परीक्षा कंप्यूटर आधारित थी हम सभी अपने-अपने कंप्यूटर के सम्मुख बैठ गए निर्देश मिलने पर हमने परीक्षा प्रारंभ की आज मेरा यूजीसी नेट पेपर देने का कितने वर्षों का स्वप्न सच हुआ। परीक्षा में दो  चरण थे प्रथम चरण में जनरल पेपर आया था और द्वितीय चरण में हमारे विषय से संबंधित प्रश्न दिए गए थे कुल मिलाकर पेपर  सरल और कठिन प्रश्नों पर आधारित था। 

पेपर  देने के बाद जब हम सभी अभ्यर्थी बाहर आए तो सभी अभ्यर्थियों ने पेपर के बारे में आपस में चर्चा की कुछ लोगों को तो प्रश्न पत्र अच्छा लगा लेकिन कुछ लोगों को प्रश्न पत्र कठिन लगा कुल मिलाकर प्रश्न पत्र पहले सालों की अपेक्षा आज सरल दिया गया था। यू०जी०सी० नेट एग्जाम एन० टी०ए०की देखरेख में होता है। एन ०टी० ए० ने परीक्षा का प्रबंध बहुत ही सटीक किया हुआ था। अभ्यर्थियों को परीक्षा में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आई। हम सभी अभ्यर्थियों ने आपस में परीक्षा की चर्चा की। सभी की आँखो में नेट, जी०आर० एफ०  पूरा करने का स्वप्न था। वास्तव में प्रोफेसर बनना अपने आप में सम्मान की बात है।


- लक्ष्मी भट्ट

COMMENTS

Leave a Reply: 2
  1. बहुत सरानीह काम किया है अपने , काफ़ी अलग और सुंदर लेखन है आपका ।

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    1. मान्यवर मेरी रचना की सराहना के लिए आपका सादर आभार 🙏🙏

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