जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान 2025 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित

SHARE:

जानकीपुल ट्रस्ट ‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ 2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित कर रहा है।हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार स्मृतिशेष शशिभूषण द्

‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ 2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित


जानकीपुल ट्रस्ट ‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ 2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित कर रहा है।हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार स्मृतिशेष शशिभूषण द्विवेदी की स्मृति में जानकीपुल ट्रस्ट द्वारा ‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ वर्ष 2024 में स्थापित किया गया था। पहला सम्मान निर्णायकों प्रियदर्शन और मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा कथाकार दिव्या विजय को उनके कहानी संग्रह ‘सगबग मन’ के लिए प्रदान किया गया। 2025 के पुरस्कार के लिए ट्रस्ट ने एक नयी तीन सदस्यीय जूरी गठित की है। नयी जूरी के सदस्य पत्रकार-लेखक आशुतोष भारद्वाज, द्विभाषी उपन्यासकार अनुकृति उपाध्याय तथा लेखक-संपादक गिरिराज किराडू हैं जो जूरी के संयोजक भी हैं।

पुरस्कार से संबंधित नियम इस प्रकार हैं: 
  1. यह पुरस्कार कथा विधा (कहानी संग्रह एवं उपन्यास) में मूलतः हिन्दी में रचित, पुस्तकाकार प्रकाशित कृति पर दिया जाएगा।
  2. पुस्तक के प्रकाशन के समय लेखक की आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। 
  3. 2025 के पुरस्कार के लिए 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 के बीच प्रकाशित पुस्तकें विचारणीय होंगी।
  4. पुरस्कार का निर्णय एक तीन सदस्यीय निर्णायक मण्डल करेगा जिसका निर्णय अंतिम होगा। निर्णायकों के बीच सर्वानुमति के अभाव में निर्णय बहुमत के द्वारा किया जायेगा। 
  5. पुरस्कार के लिए आवेदन कोई भी व्यक्ति, समूह, प्रकाशक, संस्था कर सकते हैं। जूरी के सदस्य और जानकीपुल ट्रस्ट के सदस्य आवेदन या नामांकन नहीं कर सकते। 
  6. आवेदन करने के लिए जानकीपुल ट्रस्ट द्वारा निर्धारित यह गूगल फॉर्म भरें। किसी अन्य विधि द्वारा किए गए आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएँगे। 
  7. आवेदन की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2025 है। 
पुरस्कार से संबंधित सभी पक्षों के बारे निर्णय लेने के सर्वाधिकार जानकीपुल ट्रस्ट के पास सुरक्षित हैं। 
‘जानकीपुल शशिभूषण द्विवेदी स्मृति सम्मान’ 2025 आवेदन हेतु गूगल फॉर्म लिंक: 
आवेदन फॉर्म  (https://forms.gle/EoS2ELndqMDdBAKR6

संपर्क: 
रोहिणी कुमारी, सचिव, जानकीपुल ट्रस्ट
+91- 9654837634; jankipulawards@gmail.com

शशि भूषण द्विवेदी का परिचय   
'एक बूढ़े की मौत', 'कहीं कुछ नहीं', 'खेल',  'खिड़की', 'छुट्टी का दिन' और 'ब्रह्महत्या' जैसी कहानियों से हिंदी कथा साहित्य को समृद्ध करने वाले कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का जन्म 26 जुलाई, 1975, सुल्तानपुर (उ.प्र.) में हुआ था। उन्होंने  बी.एससी करने के बाद इतिहास में उच्च शिक्षा प्राप्त की और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया। उनकी कहानियों ने शुरू से ही पाठकों और आलोचकों को एक समान प्रभावित किया। एक युवा लेखक के तौर पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ के 'नवलेखन पुरस्कार' से पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी कहानियाँ 'कथाक्रम', 'सहारा समय कथाचयन' में भी चुनी गई।  

उनकी कथा पुस्तकों 'ब्रह्महत्या तथा अन्य कहानियाँ' तथा 'कहीं कुछ नहीं' को समकालीन हिन्दी कथा लेखन में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 7 मई 2020 को हृदयाघात से हुए आकस्मिक निधन के बाद भी उनके लेखन में हिन्दी साहित्य जगत और पाठकों की दिलचस्पी बनी हुई है। 

जूरी का परिचय 

आशुतोष भारद्वाज  
अपने लेखन और पत्रकारिता के लिये सम्मानित आशुतोष भारद्वाज गद्य की विभिन्न विधाओं में लिखते हैं. वे शिमला के भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फ़ेलो और प्राग स्थित काफ़्का हाउस में राइटर-इन-रेजिडेंस रह चुके हैं. लेखन और पत्रकारिता के लिए उनको अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं. उनकी किताब ‘पितृ वध’ को देवीशंकर अवस्थी सम्मान मिला है. मध्य भारत के जंगलों में भारतीय सत्ता और नक्सलियों के बीच चल रहे हिंसक संघर्ष पर उनकी पत्रकारिता मानक की तरह उद्धृत की जाती रही है. उन्नीसवीं सदी में भारत से हुए पलायन पर उन्होंने फ़्रांसीसी अध्येता के साथ एक किताब सह-संपादित की है. नक्सल आंदोलन पर उनकी किताब ‘द डेथ स्क्रिप्ट/मृत्यु कथा’ मराठी, कन्नड़ और तमिल भाषाओं में अनूदित हो चुकी है. इस किताब का अंतरराष्ट्रीय संस्करण इंग्लैंड से प्रकाशित हुआ है. आशुतोष इन दिनों “द वायर हिंदी” के संपादक हैं.

अनुकृति उपाध्याय 
जन्म व शिक्षा जयपुर में। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय एवं राजस्थान विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में क्रमशः स्नातक व स्नातकोत्तर। प्रथम स्थान पाने पर दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा चांसलर पदक से सम्मानित। एन॰ई॰टी॰ में सफलता और शोध हेतु वृत्ति। साठोत्तरी कहानियों में मानवीय सम्बंध विषय पी.एचडी की उपाधि। राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.बी.ए॰ फ़ाइनेंस में प्रथम श्रेणी, प्रथम स्थान और मुंबई विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक। अंतराष्ट्रीय वित्त व निवेश संस्थानों में हाँगकाँग व मुंबई में विधि व अनुपालना अधिकारी के रूप में कार्य। संप्रति पर्यावरण संरक्षण संस्थान, वाइल्ड लाइफ़ कोंसेरवेशन ट्रस्ट, के लिए सलाहकार तथा मिडलबेरी कॉलेज, युनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका में विज़िटिंग स्कॉलर । वर्षों प्रवास व देश-विदेश की यात्राओं के बाद अब मुंबई और बाक़ी विश्व में वास ।
 
विश्व साहित्य पढ़ने का पुराना व्यसन है। हिंदी कहानी संग्रह “जापानी सराय”, और लघु उपन्यास “नीना आँटी” राजपाल एंड संस से प्रकाशित हुआ है, एक संग्रह प्रकाश्य है। अंग्रेज़ी में दो लघु उपन्यास, “दौरा” और “भौंरी”, उपन्यास “किन्तसुगी” एवं कहानी संग्रह “द ब्लू विमन” हार्पर कॉलिंस से प्रकाशित हुए हैं। “किन्तसुगी” को 2021 का सुशीला देवी पुरस्कार मिला है। हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आ चुकी हैं।

गिरिराज किराडू  
पहली बार प्रकाशित कविताओं में से पहली ही पर 1999-2000 में भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित. कविताएँ, कहानियां, आलोचना पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप और संगम हॉउस इंटरनेशनल रेसीडेंसी भी मिली है. भारत और संभवतः दुनिया की पहली बहुभाषी, बहुलिपि ऑनलाइन पत्रिका ‘प्रतिलिपि’ [www.pratilipi.in] के सह-संस्थापक और संपादक जिसने 2008-2014 के बीच 30 भाषाओं के 400 से अधिक लेखकों कलाकारों का काम प्रकाशित किया. प्रतिलिपि की प्रिंट आर्म प्रतिलिपि बुक्स ने 2011-2014 के बीच अंग्रेज़ी और हिन्दी में 14 किताबों का भी प्रकाशन किया.
 
2011-14 के दौरान गिरिराज इंडिया हैबिट सेंटर के भारतीय भाषा महोत्सव के संस्थापक सदस्य और क्रिएटिव डायरेक्टर रहे. . कवि मित्रों बोधिसत्व और अशोक कुमार पांडेय के साथ उनके द्वारा किये गए हिन्दी में कविता के सबसे बड़े स्वतंत्र आयोजन ‘कवितासमय’ को उसके सहकारी मॉडल और निर्विवाद पुरस्कारों के लिए याद किया जाता है.अलग अलग समय में वे एक फ़्रेंच कविता पत्रिका के सहयोगी, संगम हाउस राइटर्स रेजीडेंसी और सियाही लिटरेरी एजेंसी के सलाहकार, और राजस्थान साहित्य अकादमी की पत्रिका के सहयोगी संपादक रहे हैं.कई साल अंग्रेज़ी साहित्य पढ़ाने के बाद गिरिराज ने पीरामल फ़ाउंडेशन के गांधी फ़ेलोशिप प्रोग्राम में ऑपरेशंस और लर्निंग में काम किया, स्वीडिश ऑडियो बुक स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म ‘स्टोरटेल’ और डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म योरस्टोरी के भारतीय भाषा प्रमुख रहे.

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका