मनुष्य घड़ी का गुलाम है समय का मूल्य समय जीवन का सबसे अनमोल उपहार है यह एक ऐसा खजाना है जिसे हम खो सकते हैं लेकिन वापस नहीं पा सकतेसमय का सही उपाय
मनुष्य घड़ी का गुलाम है समय का मूल्य
समय, जीवन का सबसे अनमोल उपहार है। यह एक ऐसा खजाना है जिसे हम खो सकते हैं, लेकिन वापस नहीं पा सकते। समय का सही उपयोग हमें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है, जबकि इसका दुरुपयोग हमें पछतावे की ओर ले जाता है।समय वह बहुमूल्य रत्न है जिसका सही उपयोग करके मनुष्य जीवन में सफलता के सोपान पर आरूढ़ होता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है, वह निरन्तर चलता रहता है। समय रहते जो सँभल जाता है, चेत जाता है; वही जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।इसीलिए समय के महत्व को दर्शाते हुए कबीरदास जी ने कहा है -
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब,
पल में परलै होएगी, बहुरि करैगा कब।
अतः जीवन में सफल होने के लिए समय का सही उपयोग अति आवश्यक है, क्योंकि निकले हुए तीर की भाँति, बीते हुए समय को लौटाया नहीं जा सकता बल्कि, मात्र पछतावा हाथ में लगता है। इसीलिए कहा गया है- 'समय लाभ सम लाभ नहिं समय चूक सम चूक ।' अर्थात् समय को व्यर्थ में नहीं गँवाना चाहिए बल्कि जीवन को सँवारने में लगाना चाहिए।एंटोनियस ने समय को नदी कहा, "तेज धारा वाली नदी जो हर चीज को अपने साथ बहा ले जाती है।” ब्राउनिंग के शब्दों में, 'Never the time, the place and the soved one all together.'
समय की गति सबसे तीव्र होती है। हमें समय के साथ-साथ चलना चाहिए और प्रत्येक क्षण को पलकों से पकड़कर चलना चाहिए । जिस प्रकार फटे दूध से मक्खन नहीं निकाला जा सकता, मुरझाये फूल को पुनः नहीं खिलाया जा सकता, उसी प्रकार बीते हुए समय को भी नहीं लौटाया जा सकता है। इस प्रकार समय वह कुंजी है जो मनुष्य की सफलता के द्वार खोलती है। समय का सही मूल्यांकन करने वाला और उसका उपयोग करने वाला व्यक्ति ही सफल हो सकता है। समय वह शक्ति है जिसको अपनाकर संसार का समस्त वैभव तथा ऐश्वर्य प्राप्त किया जा सकता है। प्रकृति के सभी कार्य अपने निश्चित समय पर ही सम्पादित होते हैं। सूर्य, चन्द्रमा, ऋतुएँ सभी समय के चक्र के अनुसार ही चलते हैं । किन्तु जो मनुष्य समय की कीमत नहीं करता वह पश्चाताप के सिवा और कुछ भी नहीं हासिल कर सकता है। अंग्रेजी में एक कहावत है-
If wealth is gone, nothing is gone.
If health is gone, Something is gone
But if Time is gone, Everthing is gone.
समय को व्यर्थ गँवाने का अर्थ है जीवन का अंश गँवाना। समय के मूल्य को दुनिया की किसी भी दौलत से नहीं आँका जा सकता। उसके सामने सब कुछ तुच्छ है। जो समय के सही उपयोग की कला सीख गया, वह समझो इस जीवन में सफल हो गया। समय का मूल्य तब ज्ञात होता है जब ठोकर लगती है। वक्त की चोट बहुत भयंकर होती है, यह पल भर में राजा को रंक बना सकती है, शक्तिशाली को शक्तिहीन बना सकती है।
समय का उचित उपयोग या मूल्य से तात्पर्य नियमानुसार हर क्षण का अच्छे कार्यों में उपयोग नियमानुसार क्रियाशील रहने पर कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से संपादित किया जा सकता है। जीवन का निश्चित लक्ष्य निर्धारित करके ही मनुष्य समय का लाभ पा सकता है। निकम्मा बैठे रहने से समय व्यर्थ बीतता है और उसका दुरूपयोग होता है। समय को व्यर्थ में नष्ट करने वाला कभी भी सुखी नहीं हो सकता है और जीवन में हमेशा निराशा ही प्राप्त करता है। जो समय को नष्ट करते हैं, समय उन्हें नष्ट कर देता है। सीजर महान सभा में मात्र पाँच मिनट लेट पहुँचा और उसे प्राणों से हाथ धोने पड़े। नेपोलियन को अपनी सेना के कुछ मिनट देर से पहुँचने के कारण नेल्सन से पराजित होना पड़ा। डाक्टर के कुछ क्षण बिलम्ब होने से रोगी मौत का ग्राहक बन जाता है। समय को व्यर्थ गँवाने वाले को असफलता और पश्चाताप का शिकार होना पड़ता है। समय का दुरूपयोग करने वाला जीवन में आस्था और आत्मविश्वास खो बैठता है। वह आलस्य के वशीभूत होकर अकर्मण्य बन जाता है और असफल होकर जीवन से निराश हो जाता है। इसीलिए कहा गया है -
"का बरखा जब कृषी सुखाने,
समय चूकि पुनि का पछताने।”
अतः समय को व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए, बल्कि हर पल का सदुपयोग करना चाहिए। समय का लाभ हर व्यक्ति को उठाना चाहिए। समय के सदुपयोग से दरिद्र व्यक्ति धनवान और परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते हैं। मनुष्य समय के सदुपयोग से अपनी शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति कर सकता है। इससे आत्मविश्वास जागृत होता है। इतिहास इस बात का गवाह है कि समय की उपेक्षा करने वाले जीवन की मझधार में डूब जाते हैं। समय की मार से कोई भी बच नहीं सका है। यहाँ तक कि अर्जुन जैसे अतिरथी भी समय के समक्ष असहाय थे और उनकी आँखों के सामने गोपियों को कोल-भील उठा ले गये। अतः समय के रहते ही चेत जाना चाहिए। शंकराचार्य, जो जगत् गुरु के रूप में विख्यात हुए, समय का समुचित उपयोग करके वे 33 वर्ष की उम्र में ही वेद-वेदान्त के प्रकाण्ड पंडित हो गये और उन्होंने कई महान् ग्रंथों की रचना भी की। महान् पुरुषों ने समय का समुचित उपयोग किया और जीवन के सभी क्षेत्रों मे अपने लक्ष्यों को सफलता पूर्वक प्राप्त किया। चाणक्य ने समय के सदुपयोग के बल पर ही अर्थशास्त्र की रचना की और पूरे देश की आर्थिक व्यवस्था के विकास का समुचित तरीका बताया, जिसे अपनाकर चन्द्रगुप्त ने विशाल साम्राज्य को स्थापित किया। जिन्होंने वक्त की परवाह नहीं की उन्हें वक्त ने मिटा दिया। नन्द ने विशाल साम्राज्य को खो दिया क्योंकि उसने समय को भोग-विलास में व्यतीत किया। पं० जवाहरलाल नेहरू वृद्धावस्था में भी रात दो बजे तक अपने कार्य में तल्लीन रहते थे, उन्होंने एक क्षण भी व्यर्थ गँवाना उचित नहीं समझा। सम्पूर्ण राष्ट्र का विकास समय के सदुपयोग पर ही निर्भर करता है।
हमारे देश में इस बहुमूल्य समय की महत्ता को सरकारी कार्यालयों, दफ्तरों में नहीं समझा जाता है। परिणामतः भारत देश गरीब राष्ट्रों की श्रेणी में है। राजनैतिक नेता देर से हमेशा पहुँचते हैं जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था, व्यक्तिगत जन-जीवन, परिवहन विभाग सभी पर पड़ता है। इस दोष को दूर किए बिना हमारा विकास सम्भव नहीं है।इस प्रकार समय अनमोल है। दुनिया की सारी सम्पदा इसके सामने व्यर्थ है। अतः छात्रों में समय के सदुपयोग जैसे गुणों का विकास करना चाहिए क्योंकि समय के समुचित उपयोग के बिना राष्ट्र का विकास, व्यक्ति का विकास एवं समाज का विकास कुछ भी संभव नहीं है।
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