एक अध्याय का अंत कमांडो | हिन्दी कहानी

SHARE:

एक अध्याय का अंत कमांडो | हिन्दी कहानी कमांडो शब्द सुनते ही जहन मे एक ऐसी तस्वीर, एक ऐसी छवि उभरती है, जिसमे गठीला शरीर, लम्बा कद, छोटे बाल, चेहरे पर

एक अध्याय का अंत कमांडो | हिन्दी कहानी


मांडो शब्द सुनते ही जहन मे एक ऐसी तस्वीर, एक ऐसी छवि उभरती है, जिसमे गठीला शरीर, लम्बा कद, छोटे बाल, चेहरे पर गर्व ', किसी भी फ़िल्म कलाकार की भी  कल्पना से बेहतर। एक ऐसा व्यक्तित्व जो सभी को प्रभावित करता है। "कमांडो देश की सेना का एक मजबूत जवान "।

....पर यहां का कमांडो सबसे अलग, विपरीत छवि वाला व्यक्ति। छोटा कद  ढीला शरीर बदन पर कोट फटा  पेंट, पैरों में चप्पल, शायद बरसों से ना नहाया होगा और ना वह कपड़े बदले होंगे। हाथ और पैरों के नाखून एक अवस्था तक बढे  जरूर,' बाद में वह आत्मसमर्पण कर मोटे हो गए जिन्हें कोई औजार ना कट सका।
 
बदन का रंग इस प्रकार से परिवर्तित हो गया की वास्तविक रंग काला था अथवा गोरा कुछ कहा नहीं जा सकता। जब से मैं उसे जानती थी शायद ही  कभी उसने दांत नहीं मांजे होंगे।नहाया तो शायद कभी-कारभार ही  होगा। अक्सर उसे देखते ही लोगों के मुंह पर एक नाम उभर आता था कमांडो।रास्तों पर नाचता, लहराता, अपनी ही धुन में मग्न चलता  जाता था। कभी कोई सामने से आ जाए तो हंस देता .. ही ही ही ही ही....... मालिक "।

मुस्कुराते चेहरे के साथ दोनों हाथ जोड़कर उसके मुंह से एक विशेष शब्द सुनाई देता "मालिक"। महिला हो अथवा पुरुष बड़े हो या बच्चे हो जिन्हें भी वह जानता सभी के लिए एक ही शब्द "मालिक"।पहली बार उसे देखने वालों के लिए वह चेहरा बहुत डरावना था। बड़ी बड़ी आंखें,लाल - लाल,बिखरे उलझे कान तक लटके बाल,माथे पर एक पतली  सी डोरी से बंधे हुए, जो किसी कपड़े को फाड़ कर शायद बनाई गई होगी। मुंह में गिने  चुने दांत, जो शायद कभी गिरने से या चोट लगने के कारण टूट गए होंगे। अकेले चलते हुए वह कुछ इस प्रकार चलता  जैसे वह किसी गहरी चिंता में डूबा हुआ हो। किंतु जैसे ही कोई सामने आ जाता तो उसकी लाल लाल आंखें और दाँतमुक्त  मुस्कान खिल जाती... ही ही ही ही...... मालिक।
 
एक अध्याय का अंत कमांडो | हिन्दी कहानी
कमांडो को सभी लोग पागल कहा करते थे.। वह पैदाइशी पागल नहीं था। कहते हैं कि वह विद्यालय भी जाता था,पढ़ता  भी था। किंतु जब थोड़ा बड़ा हुआ  तू जाने कहां से वह मशीन की आदत को सीख गया। यूं तो जाने कहां से नहीं कहना चाहिए क्योंकि घर में कोई ना कोई नशे की आगोश में डूबा हुआ अवश्य ही था। नशा क्षेत्र में कुछ किस प्रकार से फैला हुआ था जैसे की कोई जरूरी दवा हो। वहीं से वह भी उसकी चपेट में आ गया., और कुछ इस प्रकार आया कि जब नशे ने ज़ब  उसे अपनी  गिरफ्त  में लिया तो  वह छूट ही ना पाया।नशे ने  केवल उसके मन को ही नहीं उसके तन को, उसकी बुद्धि को,सभी को अपनी गिरफ्त में ले लिया। और बुद्धि को इस प्रकार लिया कि उसका मन और तन  सब कुछ उसकी आग में स्वाहा हो गया।

कमांडो दिन भर भटकता रहता। छोटी सी बाजार, एक छोटा सा कस्बा। कभी किसी का छोटा-मोटा काम कर लेता। कोई सामान कहीं पहुंचना हो, कहीं से लेकर आना  हो,हर काम को ईमानदारी से पूरा किया करता। हालांकि उसे काम करने में समय लगता  क्योंकि कदम छोटे-छोटे और लड़खड़ाते होते लगभग पैर रगड़ करके ही वह चला करता था। उसे कभी सामने देखकर चलते नहीं देखा.. हमेशा ही नीचे देख कर चला किंतु गंतव्य कभी गलत ना होता.। पागलपन इतना ही था कि सुबह घर से निकाल कर शाम ही घर में लौटता,' और अपनी धुन में सड़कों पर नाश्ता रहता। नाचने का ऐसा फिटर की जहां कहीं गाना बजे वहीं नृत्य आरंभ है लोगों की मनोरंजन और तिरस्कार दोनों का ही पात्र रहता था। किन्तु तिरस्कार योग्य नहीं।

पागलपन और नशे की लत के बावजूद भी ईमानदारी ह्रदय में विद्यमान थी। नशे की लत के चलते बाजार में हर किसी से एक ही बात बोलता.... मालिक... दस। दस अर्थात दस रूपये। ......... कोई दे देता।कोई दुत्कार देता।........ एक रोज बाजार के कुछ लोगो में इसकी ईमानदारी की बहस छिड़ गई।  एक व्यक्ति बोला यह ईमानदार है.....। अरे कहा बात करते हो.... नशेड़ी कभी ईमानदार नहीं होते..... चलो देखें??? अरे कौन पैसे लगाएगा इनमे????चलो देखते तो है.......।तभी कही से भटकता कमांडो चला आया।ही ही ही ही...... मालिक.... दस।

ऐ कमांडो.... रोज रोज कहा से लाऊ तेरे लिए दस...? एक व्यक्ति झुंझला के बोला.....। ये ले दो हजार ले जा।नहीं मालिक दस.... हाथ जोड़कर कमांडो मुँह देखने लगा.।ले जा। चल जा यहां से।कमांडो... धीरे धीरे वहा से चला गया।सभी उपस्थित दर्शकों की नजर उस ओर ही थी।कमांडो के साथ दो हजार भी जा रहे थे। और दांव पर लगी थी उसकी ईमानदारी। जिसका उसे पता भी नहीं।यहां दर्शकों के मन में उहा पोह...... पंद्रह से बीस मिनट यूँ ही निकल गए।तभी बाजार के बीच से हस्ता मुस्कुराता कमांडो निकल आया। पैसे लौटाते हुए बोला.... मालिक...।
अरे तुझे पैसे दिए तो थे। लाया क्यों???नहीं मालिक दस......। ही ही ही ही।

पैसे खुले करवाकर मात्र दस रूपये उसने रखे। वह मांगता तो सबसे था लेकिन केवल दस रूपये ही।उसके हाव भाव बीचित्र ही रहते जिससे पहले लोग घबराते थे किन्तु धीरे धीरे उसके करतब और वेश भूषा लोगो के बीच प्रसिद्ध होने लगी वह ऐसे विचित्र करता था कि लोग अपने फोन का उसे हिस्सा बनने लगे।

अब समय था रील्स का मीन्स  का लोग अपने भाव, मूड, बातें और घटनाक्रम सबकुछ इसी माध्यम से ही साझा करते है। बाजार में समय बिताने के लिए हसीं मजाक में अक्सर छाया ही रहता।यूँ तो वह अपनी दुनिया में मग्न रहता लेकिन लोग उसका विडिओ बनाकर खुश हो जाते। कही प्यार, कही दुत्कार ऐसे ही चलता रहा उसका जीवन। हर रोज नशे की चाह में वह कुछ भी कर लेता काम से लेकर नाच गाने तक.। नशा उसके मस्तिष्क में ऐसे छाया कि मस्तिष्क तो साथ छोड़ गया रह गई केवल नशे में डूबी काया।

फिर...... एक दिन काया ने भी साथ छोड़ दिया। मिट्टी के घर में पुरानी गुदड़ी पर सोया कमाण्डर चल पड़ा नए मोर्चे की ओर कभी ना लौटने के लिए।....... यूँ तो उसके जाने से किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ा होगा किन्तु मोबाईल फ़ोन के फ्रेम में उभरती एक रील कम हो गई..........।बस कभी बातो में रहेगा.... कमांडो।


- डॉ चंचल गोस्वामी, पिथौरागढ़, उत्तराखंड

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका