अयोध्या का प्राचीन और पौराणिक इतिहास

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अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि और राजधानी थी। यह एक सुंदर और समृद्ध शहर था, जो सरयू नदी के किनारे बसा हुआ था। अयोध्या को "राम की नगरी" या "साकेत" भी कह

अयोध्या का प्राचीन और पौराणिक इतिहास


पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या का वर्णन इस प्रकार है:

अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि और राजधानी थी। यह एक सुंदर और समृद्ध शहर था, जो सरयू नदी के किनारे बसा हुआ था। अयोध्या को "राम की नगरी" या "साकेत" भी कहा जाता था।अयोध्या का वर्णन वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार किया गया है:

"अयोध्या नगरी सुंदर और विशाल थी, जिसमें सोने और चाँदी के महल थे। इसकी सड़कें साफ और सुथरी थीं, और इसके बाजारों में सभी प्रकार के सामान उपलब्ध थे।" 

अयोध्या को छह प्रवेश द्वारों वाला शहर बताया गया है, जो इसकी सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक था। शहर के केंद्र में राम का महल था, जो एक विशाल और सुंदर इमारत थी। 

अयोध्या का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में एक आदर्श शहर के रूप में किया गया है, जहां सत्य, धर्म और न्याय का राज था। यह भगवान राम के शासनकाल में एक स्वर्ण युग था, जब लोग सुखी और समृद्ध थे।

वेदों और पुराणों में अयोध्या अथवा साकेत का वर्णन इस प्रकार किया गया है:

 
वेदों में:
- अथर्ववेद में अयोध्या को "माहित्थी" नाम से वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है "महान नगर"।
- ऋग्वेद में अयोध्या को "इक्ष्वाकुवंश" की राजधानी बताया गया है, जो भगवान राम के पूर्वज थे।

 
पुराणों में:

- रामायण में अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि और राजधानी बताया गया है।
- महाभारत में अयोध्या को "कोसलदेश" की राजधानी बताया गया है।
- विष्णु पुराण में अयोध्या को "साकेत" नाम से वर्णित किया गया है, जो भगवान विष्णु का अवतार स्थल है।
- पद्म पुराण में अयोध्या को "अविमुक्त क्षेत्र" बताया गया है, जिसका अर्थ है "मोक्ष का स्थल"।

इन ग्रंथों में अयोध्या को एक पवित्र और समृद्ध शहर के रूप में वर्णित किया गया है, जो भगवान राम के शासनकाल में एक स्वर्ण युग था।

उपनिषदों में अयोध्या के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं लिखा गया है, लेकिन कुछ उपनिषदों में अयोध्या से संबंधित जानकारी मिलती है:

 - श्वेताश्वतर उपनिषद (1.16) में "कोसल" का उल्लेख है, जो अयोध्या के आसपास का क्षेत्र था।
- चांदोग्य उपनिषद (7.1.2) में "इक्ष्वाकु" का उल्लेख है, जो भगवान राम के पूर्वज थे और अयोध्या के शासक थे।
- बृहदारण्यक उपनिषद (2.1.15) में "साकेत" का उल्लेख है, जो अयोध्या का एक अन्य नाम है।

अयोध्या का प्राचीन और पौराणिक इतिहास
उपनिषदों में मुख्य रूप से आध्यात्मिक और दार्शनिक विषयों पर चर्चा की गई है, इसलिए अयोध्या जैसे स्थानों के बारे में विस्तार से नहीं लिखा गया है। लेकिन उपरोक्त उल्लेखों से यह पता चलता है कि उपनिषदों में अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्रों का जिक्र है।उपनिषदों में अयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्रों के बारे में निम्नलिखित जिक्र मिलता है:

 - श्वेताश्वतर उपनिषद (1.16) में "कोसल" का उल्लेख है, जो अयोध्या के आसपास का क्षेत्र था। इसमें कहा गया है कि कोसल क्षेत्र में "प्रज्ञा" (ज्ञान) की पूजा की जाती थी।
- चांदोग्य उपनिषद (7.1.2) में "इक्ष्वाकु" का उल्लेख है, जो भगवान राम के पूर्वज थे और अयोध्या के शासक थे। इसमें कहा गया है कि इक्ष्वाकु ने "सत्य" (सत्यनिष्ठा) का पालन किया था।
- बृहदारण्यक उपनिषद (2.1.15) में "साकेत" का उल्लेख है, जो अयोध्या का एक अन्य नाम है। इसमें कहा गया है कि साकेत में "ब्रह्म" (परमात्मा) का निवास है।
- ऐतरेय उपनिषद (1.1) में "पंचाल" का उल्लेख है, जो अयोध्या के आसपास का क्षेत्र था। इसमें कहा गया है कि पंचाल क्षेत्र में "प्राण" (जीवन शक्ति) की पूजा की जाती थी।
- कौषीतकि उपनिषद (2.1) में "कोसल" का उ…

 कवियों ने अयोध्या और साकेत के बारे में कई सुंदर और भावपूर्ण कविताएं लिखी हैं। यहाँ कुछ उदाहरण हैं:
 
- तुलसीदास ने रामचरितमानस में अयोध्या को "सकल सुखों की धाम" कहा है।
- सूरदास ने अपनी कविता में अयोध्या को "राम की नगरी" कहा है।
- कबीर ने अपनी कविता में साकेत को "सत्य का स्थान" कहा है।
- मीराबाई ने अपनी कविता में अयोध्या को "प्रेम की भूमि" कहा है।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी कविता में अयोध्या को "हिंदू धर्म की जन्मभूमि" कहा है।
- रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता में साकेत को "संस्कृति की रक्षा का केंद्र" कहा है।

इन कवियों ने अयोध्या और साकेत को एक पवित्र और सांस्कृतिक स्थल के रूप में वर्णित किया है, जो भगवान राम के जीवन और शासन से जुड़ा हुआ है।साहित्यकारों ने अयोध्या के बारे में कई महत्वपूर्ण और सार्थक बातें लिखी हैं:-

 - तुलसीदास ने रामचरितमानस में अयोध्या को "सकल सुखों की धाम" और "राम की नगरी" कहा है।
- वाल्मीकि ने रामायण में अयोध्या को "सरयू नदी के किनारे बसा हुआ एक सुंदर और समृद्ध शहर" बताया है।
- गोस्वामी तुलसीदास ने अयोध्या को "अविमुक्त क्षेत्र" कहा है, जिसका अर्थ है "मोक्ष का स्थल"।
- भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने नाटक "सत्य हरिश्चंद्र" में अयोध्या को "हिंदू धर्म की जन्मभूमि" कहा है।
- जयशंकर प्रसाद ने अपने नाटक "अजातशत्रु" में अयोध्या को "एक पवित्र और सांस्कृतिक स्थल" बताया है।
- मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानी "श्रद्धा" में अयोध्या को "एक शहर जो भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है" बताया है।

इन साहित्यकारों ने अयोध्या को एक पवित्र, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल के रूप में वर्णित किया है, जो भगवान राम के जीवन और शासन से जुड़ा हुआ है। सुखमंगल सिंह अवध निवासी ने अयोध्या के बारे में अपनी कविता में लिखा है:

"अयोध्या नगरी सुखदाई,
जहाँ राम जी का जन्म हुआ था।
सरयू नदी के किनारे बसी,
यह नगरी है भगवान की सेवा की।

यहाँ राम जी का महल था,
जहाँ उन्होंने राज्य किया था।
यहाँ सीता जी का स्वयंवर हुआ,
और राम जी ने उन्हें जीता था।

अयोध्या नगरी पवित्र है,
यहाँ भगवान का निवास है।
यहाँ हर कोई सुखी है,
क्योंकि यहाँ भगवान की कृपा है।"
 
इस कविता में, सुखमंगल सिंह अवध निवासी ने अयोध्या को एक पवित्र और सुखदाई नगरी बताया है, जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था!

–सुखमंगल सिंह 

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