शासकीय पत्राचार या सरकारी पत्र Official Correspondence or Letter

SHARE:

शासकीय पत्राचार या सरकारी पत्र Official Correspondence or Letter शासकीय पत्र, जिसे सरकारी पत्र भी कहा जाता है, सरकार के विभिन्न विभागों और कार्यालयों

शासकीय पत्राचार या सरकारी पत्र Official Correspondence or Letter


शासकीय पत्र, जिसे सरकारी पत्र भी कहा जाता है, सरकार के विभिन्न विभागों और कार्यालयों द्वारा एक दूसरे के बीच, या नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला औपचारिक दस्तावेज होता है।

शासकीय पत्र किसे कहते हैं

सरकार के तीन अंग होते हैं। इन्हें व्यवस्थापिका अथवा विधानांग (Legislative), कार्यपालिका अथवा कार्यांग (Executive) तथा न्यायपालिका अथवा न्यायांग (Judiciary) के नामों से जाना जाता है। कोई भी सरकार अपने कार्यों का सम्पादन इन्हीं के माध्यम से करती है। विधायिका और संवैधानिक व्यवस्था द्वारा निर्धारित सरकार की कार्यप्रणाली विशेष रूप से आलेखन पर ही निर्भर करती है। विधिसम्मत आदेशों, निर्देशों, सूचनाओं तथा आख्याओं के प्रस्तुतीकरण का एक निर्धारित स्वरूप है। शासनिक, प्रशासनिक, कार्यपालिकायिक तथा न्यायिक लेखों, अभिलेखों, आदेशों, निर्देशों और टिप्पणियों के आलेखन का यही स्वरूप उसे सामान्य आलेखन से पृथक् करता है। तत्सम्बन्धी विधि-विधान, नियम, उपनियम एवं परिनियम की जानकारी के विना शासकीय पत्राचारों तथा टिप्पणियों के निर्धारित प्रारूपों का यथावत् प्रस्तुतीकरण संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में तत्सम्बन्धी प्रक्रियाओं तथा प्रारूपों का यथावत् सम्यक् ज्ञान प्राप्त करने हेतु दिशा-निर्देशन की आवश्यकता है। 

शासकीय पत्राचार का महत्व

सरकारी कार्यालयों का मूलाधार ही पत्राचार है। पत्र सरकारी कार्यालयों में उनकी कार्य-पद्धति एवं सम्प्रेषण प्रणाली में रीढ़ की हड्डी का कार्य करते हैं। इसलिए सरकारी कार्यालयों में पत्राचार (पत्र-प्रलेख) का कार्य बड़े महत्त्व का होता है। इसी पर सरकार की सारी व्यवस्था निर्भर करती है। सरकार के कार्य अनेक मंत्रालयों, विभागों और उनके अधीनस्थ कार्यालयों के माध्यम से होते हैं। देश-विदेश की विभिन्न सरकारों, विविध कार्यालयों, सार्वजनिक निकायों, उद्यमों, व्यावसायिक संस्थानों, प्रतिष्ठानों, संस्थाओं, अधिकोषण (बैंक) कार्यालयों, कम्पनियों, निगमों, स्वायत्तशासी कार्यालयों तथा जनसामान्य के साथ शासनिक व्यवस्था का निर्वाह कर उसे गतिशील बनाने हेतु शासकीय पत्राचार को ही प्रमुखता दी गयी है। सत्ता के रूप में स्थापित शासन का वैधानिक किन्तु कृत्रिम मनुष्य रूप है। इसकी सत्तात्मक वृत्तियों का दैनन्दिनीगत कार्य-व्यवहार सामान्य मुद्रांकन तथा आलेखों द्वारा ही निष्पादित होता है। ऐसी दशा में सरकार और उनके अधीनस्थ कार्यालयों, विभागों द्वारा निर्गत आलेखों में पत्राचार-सम्बन्धी विधि-विधानों की अपनी एक सुनिश्चित रूपरेखा है, जिसके महत्त्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। 

सरकारी पत्र अनौपचारिक पत्र की श्रेणी

पत्राचार दो शब्दों के योग से बना है-'पत्र' और 'आचार' । 'आचार' शब्द यहाँ पर व्यवहार के अर्थ में प्रयुक्त है। अतः पत्र-लेखन से लेकर पत्र-प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को‘पत्राचार' कहते हैं। पत्राचार या पत्र-लेखन और पत्र-व्यवहार को अँगरेज़ी में 'कॉरेस्पॉन्डेन्स' और उर्दू में 'खत किताबत' कहते हैं।

सरकारी पत्र और अनौपचारिक पत्र दोनों ही भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए लिखे जाते हैं और इनकी अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं।

सरकारी पत्र औपचारिक दस्तावेज होते हैं जिनका उपयोग सरकार के विभिन्न विभागों और कार्यालयों द्वारा एक दूसरे के बीच, या नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए किया जाता है। इनकी भाषा औपचारिक, शैली गंभीर और सम्मानजनक होती है।

अनौपचारिक पत्र, जिन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है, दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए लिखे जाते हैं। इनकी भाषा सरल, बोलचाल की और शैली मित्रवत और अनौपचारिक होती है।

शासकीय और अर्ध शासकीय पत्र में अंतर 

शासकीय पत्राचार या सरकारी पत्र Official Correspondence or Letter
शासकीय पत्राचार व्यक्तिगत और व्यावसायिक पत्राचार से सर्वथा भिन्न होते हैं। इनमें न तो पारिवारिक पत्रों के समान आत्मीयतापूर्ण वाक्य होते हैं और न व्यावसायिक पत्रों की भाँति औपचारिकता। अपितु, ये पत्र पूर्षतः अनौपचारिक और एक विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। इनमें जो कुछ लिखा जाता है, वह पूर्ण और स्पष्ट होता है। अस्तु, शासकीय पत्राचार के कुछ सामान्य ध्यातव्य विन्दु इस प्रकार हैं-
 
1. पत्र का विषय स्पष्ट निर्दिष्ट हो । 
2. पिछले पत्र-व्यवहार का सन्दर्भ (Reference) उल्लिखित हो । 
3. पत्र को तीन भागों में बाँटना चाहिए- प्रथम भाग में विषय का कथन, द्वितीय भाग में 
विषय के समर्थन में युक्तियों का उल्लेख और तृतीय भाग में युक्तियों का निष्कर्ष । 
4. शासकीय पत्रों को अनुच्छेदों (Paragraphs) में बाँट कर लिखना आवश्यक नहीं है।
5. शासकीय पत्र यथासंभव संक्षिप्त और निष्पक्ष होने चाहिए। 
6. भाषा स्पष्ट, संयत और शिष्ट होनी चाहिए। 
7. संदेह, अनिश्चय और अतिशयोक्तिपूर्ण वाक्य शासकीय पत्रों के दोष माने जाते हैं। 
8. शासकीय पत्रों में क्लिष्ट, दुरूह, पुनरुक्ति, वक्रोक्ति और अनावश्यक विशेषणपरक शब्दों का प्रयोग कदापि नहीं होना चाहिए ।

शासकीय पत्र और अर्ध-शासकीय पत्र दोनों ही महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जिनका उपयोग सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जाता है। इनमें कुछ अंतर होते हैं, जो इनके जारीकर्ता, प्रारूप, भाषा, शैली और उद्देश्य से संबंधित होते हैं । 

शासकीय पत्र की विशेषताएं

सरकारी कार्यालयों में प्रयुक्त पत्राचार की रचना-प्रक्रिया, शैली तथा भाषा की अपनी विशिष्ट परम्परा व पद्धति होती है। पत्राचार एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है, सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम है और सम्पर्क का एक प्रभावी साधन भी है। अतः प्रभावशाली पत्र लिखने के लिए शासकीय पत्रों में प्राय: निम्नलिखित विशेषताओं की अपेक्षा की जाती है- 
1. शुद्धता- शासकीय पत्रों में शुद्धता का महत्त्व अपेक्षाकृत अधिक है। यदि शासकीय पत्र में कोई भूल हो जाती है, तो इसका प्रभाव कभी-कभी सम्पूर्ण राष्ट्र पर पड़ता है। इतना ही नहीं, अपितु यह घोर संकट उत्पन्न कर देता है और सम्बन्धित अधिकारियों को अपनी नौकरी तक से हाथ धोना पड़ता है। 
2. पूर्णता - सभी दृष्टिकोणों से सरकारी पत्र अपने आप में पूर्ण होना चाहिए। सरकारी कार्यालयों में जो कर्मचारी काम करते हैं, वे प्राय: स्थानान्तरित (Transfer) होते रहते हैं। यदि उन्हें भेजा गया पत्र पूर्ण नहीं होता तो उन्हें बड़ी कठिनाई होती है तथा समझने तथा कार्यान्वित करने में अनावश्यक विलम्ब होता है। 
3. संक्षिप्तता- सरकारी पत्र संक्षिप्त होना चाहिए। संक्षिप्तता सरकारी पत्र की प्रभावोत्पादकता कही जा सकती है। यदि सरकारी पत्र लम्बे भेजे गये तो पढ़ने में समय का अनावश्यक रूप से अपव्यय होता है और दूसरे कार्यों में बाधा पड़ती है। एक पत्र में केवल एक ही विषय की चर्चा रहे। 
4. शिष्टता- शासकीय पत्र की भाषा शिष्ट तथा विनम्र होनी चाहिए। यदि किसी बात या कार्य में नकार, अस्वीकृति या असमर्थता भी प्रकट करनी हो, तो भी विनम्रतापूर्वक अपने विचार प्रकट कर देने चाहिए। 
5. क्रमबद्धता - सरकारी पत्र लिखते समय विचारों का उल्लेख एक निश्चित क्रम में होना चाहिए अर्थात् विचार प्रवाहपूर्ण होने चाहिए। ऐसा होने से पत्र को समझने में सरलता होती है। 
6. स्पष्टता- सरकारी पत्र सरल तथा स्पष्ट भाषा में लिखे जाने चाहिए। इनकी भाषा में कठिन शब्द, साहित्यिक भाषा, अप्रचलित शब्दों आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए। इन पत्रों में जो कुछ लिखा जाये उसका एक ही अर्थ हो । 
7. प्रभावोत्पादकता- शासकीय पत्र में भाषा, पद-विन्यास, वाक्य-विन्यास, भाव तथा विचारों की ऐसी सुगठित अन्विति होनी चाहिए, जिससे पत्र का एक संकलित प्रभाव प्रेषिती के मन पर पड़ सके। पत्राचार में प्रभावोत्पादकता लाने के लिए पत्र - लेखक को शासकीय कार्य-प्रणाली, सरकारी नीति तथा सम्बन्धित विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए। प्रभावपूर्ण पत्र लिखते समय सम्बन्धित विषय के भाव या विचार को स्पष्ट करने हेतु सार्थक एवं उचित शब्द-चयन की ओर विशेष ध्यान देना पड़ता है। अतः प्रभावोत्पादकता के लिए सुगठित वाक्य- विन्यास, विचार तथा भावों का तर्कसंगत सुसंयोजन अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
8. वैशिष्ट्यपूर्ण भाषा-शैली- शासकीय पत्राचार की भाषा और साहित्यिक भाषा में पर्याप्त अन्तर होता है। साहित्यिक भाषा में स्वतंत्रता रहती है, जबकि शासकीय पत्राचार में भाषा पर अनेक बंधन रहते हैं। सरकारी पत्रों की भाषा प्रायः निश्चित शब्दावली एवं वाक्य-विन्यास के अनुरूप ही लिखी जाती है। इनमें विषयानुरूप तथा कार्यालय की कार्य-प्रणाली के अनुसार विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों का ही उपयोग किया जाता है। शासकीय पत्राचार की भाषा सरल, स्पष्ट और शिष्ट होनी चाहिए तथा वाक्य छोटे-छोटे हों। अतः शासकीय पत्राचार की भाषा में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार,शासकीय पत्र सरकार के कामकाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे सरकार और नागरिकों के बीच संचार स्थापित करने और विभिन्न कार्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका