दंडक वन में दस वर्ष | Dandak Van Mein Das Varsh | Hindi Bal Ram Katha

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दंडक वन में दस वर्ष Dandak Van Mein Das Varsh Hindi Bal Ram Katha दंडक वन में राम, सीता और लक्ष्मण के दस वर्ष का जीवन बाल रामायण का एक महत्वपूर्ण

दंडक वन में दस वर्ष | Dandak Van Mein Das Varsh | Hindi Bal Ram Katha


दंडक वन में राम, सीता और लक्ष्मण के दस वर्ष का जीवन बाल रामायण का एक महत्वपूर्ण और रोमांचक अध्याय है। यह वनवास त्याग, साहस, संघर्ष, प्रेम और भक्ति से भरा हुआ है।

दंडक वन में दस वर्ष पाठ का सारांश

भरत अयोध्या लौट चुके थे। नगस्वासी भी। कोलाहल थम गया था। दो दिन बाद चित्रकूट की परिचित शांति लौट आई थी। पक्षियों की चहचहाहट फिर सुनाई पड़ने लगी थी। हिरण कुलाचें भरते हुए बाहर निकल आए थे। राम पर्ण कुटी के बाहर एक शिलाखंड पर बैठे थे। चित्रकुट सुंदर-सुरम्य था। शांत था। पर राम वहाँ से दूर चले जाना चाहते थे। तीनों वनवासी मुनि अत्रि से विदा लेकर चल पड़े। दंडक वन की ओर। चित्रकुट छोड़ दिया। दंडकारण्य घना था। इस वन में अनेक तपस्वियों के आश्रम थे। लेकिन राक्षस भी कम नहीं थे। मुनियों ने राम का स्वागत करते हुए कहा, आप उन दुष्ट मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा करें। आश्रमों को अपवित्र होने से बचाएँ । राम, लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में दस वर्ष रहे। स्थान और आश्रम बदलते वे क्षरभंग मुनि के आश्रम पहुँचे। उन्होंने राम को हड्डियों का ढेर दिखाकर कहा, राजकुमार, ये ऋषियों के कंकाल हैं जिन्हें राक्षसों ने मार डाला है। अब यहाँ रहना असंभव है। मुनि ने राम को गोदावरी नदी के तट पर जाने को कहा। उस स्थान का नाम पंचवटी था। वनवास का शेष समय दोनों राजकुमारों और सीता ने वहीं बिताया। पंचवटी के मार्ग में राम को एक विशालकाय गिद्ध मिला, जटायु। जटायु ने कहा, हे राजन, मुझसे डरो मत। मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी रक्षा करूँगा। आप दोनों बाहर जाएँगे तो सीता की रक्षा करूँगा। पंचवटी में लक्ष्मण ने बहुत सुंदर कुटिया बनाई। कुटी के आस-पास पुष्पलताएँ थीं। हिरण घूमते थे। मोर नाचते थे। इस बीच राम राक्षसों का निरंतर संहार करते रहे। 

दंडक वन में दस वर्ष | Dandak Van Mein Das Varsh | Hindi Bal Ram Katha
वन में रहने वाली राक्षसी शूर्पणखा ने माया से सुंदरी स्त्री का रूप बना लिया। शूर्पणखा राम के पास गई। उनसे बोली, हे रूपराज, मैं तुम्हें नहीं जानती पर तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। तुम मेरी इच्छा पूरी करो। मुझे अपनी पत्नी स्वीकार करो। राम ने कहा, मेरी पत्नी है। मेरा विवाह हो चुका है। राम शूर्पणखा को पहचान गए थे। राम के मना करने के बाद वह लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण ने कहा, कहा, मेरे मेरे पास आने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा देवी! मैं तो राम का दास हूँ। मुझसे विवाह करके तुम दासी बन जाओगी। लक्ष्मण ने शूर्पणखा को पुनः राम के पास भेज दिया। दोनों भाइयों के लिए यह खेल हो गया। शूर्पणखा उनके बीच भागती रही। क्रोध में आकर उसने सीता पर झपट्टा मारा। सोचा कि राम इसी के कारण विवाह नहीं कर रहे हैं। लक्ष्मण तत्काल उठ खड़े हुए। तलवार खींची और उसके नाक-कान काट लिए।
 
खून से लथपथ शूर्पणखा वहाँ से रोती-बिलखती भागी। अपने भाई खर और दूषण के पास। उन्होने राम पर आक्रमण कर दिया, परंतु अंततः राम के हाथों मारे गए। थोड़ी ही देर में शूर्पणखा लंका पहुँची विलाप करती हुई, चीखती-चिल्लाती। वह अपने भाई रावण से बोली, तेरे महाबली होने का क्या लाभ? तेरे रहते मेरी यह दुर्गति? तेरा बल किस दिन के लिए है? तू किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रह गया है। शूर्पणखा ने राम-लक्ष्मण के बल की प्रशंसा की। सीता को अतीव सुंदरी बताया। कहा कि उसे लंका के राजमहल में होना चाहिए। शूर्पणखा बोली, मैं सीता को तुम्हारे लिए लाना चाहती थी। मैंने उन्हें बताया कि मैं रावण की बहन हूँ। क्रोध में लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट दिए। अकंपन ने कहा, राम कुशल योद्धा हैं। उनके पास विलक्षण शक्तियाँ हैं। उन्हें कोई नहीं मार सकता। इसका एक ही उपाय है, सीता का अपहरण। इससे उनके प्राण स्वयं ही निकल जाएँगे। रावण सीता हरण के लिए तैयार हो गया।
 
रथ पर बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुँचे। कुटी के निकट आकर मायावी मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया। कुटी के आस-पास घूमने लगा। रावण एक पेड़ के पीछे छिपा था। उसने तपस्वी का वेश धारण कर लिया था। सीता उस हिरण पर मुग्ध हो गई। उन्होंने राम से उसे पकड़ने को कहा। राम को हिरण पर संदेह था। वन में सोने का हिरण। सीता की प्रसन्नता के लिए राम हिरण के पीछे चले गए। कुटी से निकलते समय राम ने लक्ष्मण को बुलाया, मेरे लौटने तक तुम उन्हें अकेला मत छोड़ना। लक्ष्मण धनुष लेकर बाहर खड़े हो गए।

दंडक वन में दस वर्ष प्रश्न उत्तर 

प्रश्न. जटायु ने राम-लक्ष्मण से क्या कहा?
 
उत्तर- जटायु ने राम-लक्ष्मण से कहा, "हे राजन! मुझसे डरो मत। मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी सहायता करूँगा। आप दोनों बाहर जाएँगे तो सीता की रक्षा करूँगा।"
 
प्रश्न. पंचवटी का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
 
उत्तर- पंचवटी में लक्ष्मण ने बहुत सुंदर कुटिया बनाई। मिट्टी की दीवारें खड़ी कीं। बांस के खंभे लगाए। कुश और पत्तों से छप्पर डाला। कुटिया ने पहले से ही मनोरम पंचवटी को और सुंदर बना दिया। कुटी के आस-पास पुष्पलताएँ थीं। हिरण घूमते थे। मोर नाचते थे।
 
प्रश्न. शूर्पणखा ने राम से क्या कहा?
 
उत्तर- शूर्पणखा ने राम से कहा, "हे रूपराज! मैं तुम्हें नहीं जानती। पर तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। तुम मेरी इच्छा पूरी करो। मुझे अपनी पत्नी स्वीकार करो।"

प्रश्न. अकंपन ने राम के बारे में रावण से क्या कहा?
 
उत्तर-अकंपन ने कहा, "राम कुशल योद्धा हैं। उनके पास विलक्षण शक्तियाँ हैं। उन्हें कोई नहीं मार सकता। इसका एक ही उपाय है, सीता का अपहरण । इससे उनके प्राण स्वयं ही निकल जाएँगे।"
 
प्रश्न. शूर्पणखा ने रावण से क्या कहा?
 
उत्तर- शूर्पणखा ने रावण से कहा, "तेरे महाबली होने का क्या लाभ? तेरे रहते मेरी यह दुर्गति? तेरा बल किस दिन के लिए है? तू किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रह गया है। " शूर्पणखा ने राम-लक्ष्मण के बल की प्रशंसा की। सीता को अतीव सुन्दरी बताया। कहा कि उसे लंका के राजमहल में होना चाहिए। शूर्पणखा बोली, “मैं सीता को तुम्हारे लिए लाना चाहती थी। मैंने उन्हें बताया कि मैं रावण की बहन हूँ। क्रोध में लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट लिए।"
 
प्रश्न. रावण ने मारीच को क्रोध में क्या कहा?
 
उत्तर- रावण ने मारीच को क्रोध में कहा, "वहाँ जाने पर हो सकता है राम तुम्हें मार दें। लेकिन न जाने पर मेरे हाथों तुम्हारी मृत्यु निश्चित है।"
 
प्रश्न. महलों में पले-बढ़े राम, लक्ष्मण और सीता पंचवटी में मिट्टी और छप्परवाली कुटी में पशु-पक्षियों, फूल-पौधों के बीच खुश थे। तुम्हें इस तरह रहने का मौका मिले तो तुम अपनी रोजमर्रा की जरूरत कैसे पूरी करोगे ? जरूरतों की एक सूची बनाओ और उन्हें पूरा करने के तरीके सुझाओ।
 
उत्तर- मनुष्य की सादा जीवन-यापन करने की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं- रोटी, कपड़ा और मकान। वनों में रहकर आदिवासियों की भांति ही जीवन-यापन हो सकता है।
 
1. मकान अर्थात् सिर ढकने हेतु छप्परवाली कुटी बनाई जा सकती है। 
2. कपड़ा बड़े-बड़े पत्तों से तन को ढकने का कार्य संभव हो सकता है। 
3. रोटी - पेट को भरने हेतु कन्दमूल-फल, जो भी जंगल में उपलब्ध होगा, उसी से गुजारा चलाया जा सकता है। 
4. अधिक ठण्ड लगने पर लकड़ियाँ बीनकर आग जलाकर स्वयं को गर्म किया जा सकता है।
 

दंडक वन में दस वर्ष के कठिन शब्दार्थ 

विचार = सोच में डूबे हुए। 
हस्तक्षेप = रुकावट। 
अहित =हानि। 
विशालकाय - बड़े शरीर वाला। 
निहारना = देखना। 
तत्काल धराशायी होना - हार जाना।

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