एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

SHARE:

एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में बहुत गहरे गुँथे हुए शब्द है। व्रत का अर्थ होता है, संकल्प लेना अर्थ

एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

 
व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में बहुत गहरे गुँथे हुए शब्द है। व्रत का अर्थ होता है, संकल्प लेना अर्थात् अपने मन और शरीर की आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हुए स्वयं को संयमित करना। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति यह सोचे कि वह किसी विशेष दिन केवल फल ही ग्रहण करेगा अथवा वह परनिंदा नहीं करेगा तो यह व्रत कहलाता है। इस तरह कई प्रकार के व्रत हो सकते हैं। उपवास शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है, उप और वास। उप अर्थात् पास और वास अर्थात् रहना। उपवास का तात्पर्य है, ईश्वर के पास रहना। हमारी संस्कृति में व्रत और उपवास दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। 

शास्त्रों में कहा गया है कि अन्न से ही हमारे मन में संस्कारों की उत्पत्ति होती है, तभी तो ऋषि मुनिगण अन्न त्याग कर कंद-मूल, फल इत्यादि खाकर ही तपस्या में रत रहते थे। अन्न का त्याग करने से चित्त की शुद्धि होती है और इस तरह की गई उपासना हमें ईश्वर के समीप लाने में सक्षम होती है। तभी तो कहा जाता है कि व्रत के साथ की गई उपासना से मनोकामनाएँ पूर्ण होती है क्योंकि इस अवस्था में चित्त अधिक एकाग्रता से परम शक्ति से स्वयं का जुड़ाव महसूस करता है। अतः जब व्यक्ति अन्न-जल के त्याग करने का संकल्प लेकर, अपने चित्त के सभी विकारों को नियंत्रित रखते हुए एकाग्र होकर पवित्र भक्ति भावना के साथ ईश्वर के चरणों के आगे समर्पित होकर उपासना में लीन होता है तब वह सही अर्थों में व्रत और उपवास करता है। हमारे शरीर में कुल ग्यारह इंद्रियाँ है, जिनमें से पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच कर्मेंद्रियाँ और एक मन। इन सभी इंद्रियों को नियंत्रित करते हुए ईश्वर की उपासना करना ही व्रत और उपवास का प्रमुख लक्ष्य है।
                 
आयुर्वेद में भी व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, व्रत करने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है तथा शरीर की शुद्धि होती है। यह सत्य सर्वविदित है कि अलग-अलग तिथियाँ चंद्रमा की सूर्य से तुलनात्मक दूरी पर आधारित होती हैं। चंद्रमा हमारे मन का कारक है अतः अलग-अलग तिथियों पर हमारे मन की अवस्थाएँ भी अलग-अलग होती हैं, इसलिए हमारे ऋषियों ने अलग-अलग तिथियों पर किए गए व्रत का महत्व भी अलग-अलग बताया है। अन्न का पूर्णत: त्याग करके केवल फलों को ग्रहण करके या फलों का रस लेकर व्रत किया जा सकता है। इस तरह व्रत करने से ही शारीरिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। कई लोग व्रत में विभिन्न प्रकार के व्यंजन लेते रहते हैं जो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है, वास्तव में इससे किसी भी प्रकार का लाभ संभव नहीं। व्रत वही होता है जिसमें व्यक्ति बहुत कम सात्विक आहार ग्रहण करके अपना अधिक से अधिक समय ईश्वर भक्ति में समर्पित करता है।
                  
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
हमारी वैदिक सभ्यता और संस्कृति में एकादशी व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है। चंद्रमा एक राशि को सवा दो दिन में पार करता है तथा सूर्य एक राशि को पार करने में लगभग एक माह का समय लगाता है। अतः चंद्रमा अत्यधिक तेज गति से चलता है इस प्रकार जब चंद्रमा और सूर्य एक स्थिति में होते हैं तो अमावस्या होती है तथा जब चंद्रमा और सूर्य एक दूसरे से 180 डिग्री के अंतर पर होते हैं तो वह पूर्णिमा होती है। एक महीने में लगभग पंद्रह दिन ऐसे होते हैं जब चंद्रमा धीरे-धीरे सूर्य के निकट आता है, वह कृष्ण पक्ष कहलाता है तथा लगभग पंद्रह दिन ऐसे होते हैं जिनमें चंद्रमा सूर्य से दूर जाता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है। अतः अमावस्या की ओर अग्रसर चंद्रमा कृष्ण पक्ष का चंद्रमा होता है जिसमें उसकी कलाएँ शनैः शनैः घटती जाती है तथा पूर्णिमा की ओर अग्रसर चंद्रमा शुक्ल पक्ष का चंद्रमा कहलाता है जिसमें उसकी कलाएँ क्रमशः बढ़ती जाती है। अमावस्या से चार दिन पहले कृष्ण पक्ष की एकादशी तथा पूर्णिमा से चार दिन पहले शुक्ल पक्ष की एकादशी आती है।
                   
हमारे शरीर की भौतिक संरचना में डीएनए की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये डीएनए दो प्रकार के होते हैं एक कोडिंग डीएनए दूसरा नोन कोडिंग डीएनए। कोडिंग डीएनए में हमारी शारीरिक संरचना से संबंधित कई तरह की जानकारियाँ समाहित रहती है। कोडिंग डीएनए हमारे शरीर के सेल्स में प्रोटीन का निर्माण करने में सहायक होता है। लेकिन नोन कोडिंग डीएनए इस तरह की कोई भी जानकारी अपने अंदर नहीं रखता इसलिए इन्हें जंक डीएनए कहा जाता है। लेकिन जंक डीएनए भी शरीर में एक महत्वपूर्ण कार्य करता है, वह कोडिंग डीएनए के अंदर स्थापित जानकारियों की सुरक्षा करता है। कोडिंग डीएनए की सहायता से हमारे शरीर के सेल्स का विस्तार होता है। नई खोज के अनुसार जैसे ही हमारे शरीर के सेल्स द्विगुणित होते हैं, कोडिंग डीएनए भी दो गुना हो जाते हैं और इसी समय जंक डीएनए का एक हिस्सा टूटकर बिखर जाता है। लेकिन इस तरह जंक डीएनए का टूट कर बिखरना हमारी आयु को कम कर देता है। अर्थात् जितने बार हमारे सेल्स का दो गुणा विस्तार होगा उतनी ही बार जंक डीएनए का एक हिस्सा टूटकर बिखर जाएगा और हमारी आयु को कम कर देगा। अतः लंबी आयु प्राप्त करने के लिए तथा लंबे समय तक युवा रहने के लिए जंक डीएनए का कम से कम क्षरण होना आवश्यक है। यह भी पाया गया कि जो लोग तामसिक भोजन करते हैं तथा तामसिक जीवन शैली अपनाते हैं, उनके जंक डीएनए का ज्यादा हिस्सा टूट कर बिखरता हैं। इसके विपरीत सात्विक भोजन तथा सात्विक जीवन शैली अपनाने वाले व्यक्ति के जंक डीएनए का क्षरण कम होता है क्योंकि ऐसा भोजन करने से सेल्स की विस्तार गति धीमी हो जाती है। अतः हम जितनी ज्यादा कैलोरी लेते हैं, उतनी ही जल्दी हमारे सेल्स का विस्तार होता और उतना ही अधिक हमारा जंक डीएनए टूट कर बिखरता है। यह भी पाया गया कि यदि सात्विक जीवन शैली के साथ पंद्रह दिन के अंतराल में छत्तीस घंटे कम कैलोरी पर गुजारे जाएँ अर्थात् व्रत किया जाए तो जंक डीएनए के क्षरण को कम किया जा सकता है। हमारे विद्वान् ॠषि मुनि शायद इस बात को वर्षों पूर्व ही जान चुके थे, तभी तो वर्षों पूर्व लिखे गए हमारे शास्त्रों में सात्विक भोजन पर जोर दिया गया था। 

हमारे ज्ञानी शास्त्रज्ञों ने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी में व्रत करने की महत्ता समझाई थी। एकादशी व्रत पूरे छत्तीस घंटे का होता है, क्योंकि यह व्रत दशमी के सूर्यास्त से प्रारंभ होता है अर्थात् उस समय के बारह घंटे तथा एकादशी के चौबीस घंटे अतः कुल छत्तीस घंटे। हमारे शास्त्रों में एकादशी का दिन भी एक विशेष कारण से चुना गया है। कहा गया है, "यत् पिंडे तत् ब्रह्माण्डे", जो शरीर में है वही ब्रह्मांड में भी है। हमारी पृथ्वी में लगभग 70% हिस्सा पानी है इसी प्रकार हमारे शरीर का भी लगभग 70% हिस्सा पानी ही है। जिस प्रकार समुद्र में ज्वार तथा भाटा दोनों ही चंद्रमा से प्रभावित होते हैं, ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर का जलीय हिस्सा भी चंद्रमा से ही प्रभावित होता है। चंद्रमा मन का कारक है, अतः मन की भावनाएँ, इच्छाएँ, उद्वेग, अवसाद इत्यादि भी चंद्रमा से ही प्रभावित होते हैं। समुद्र में ज्वार तथा भाटा दोनों ही एकादशी तिथि से ही अधिक दृष्य होते हैं। एक शोध के अनुसार हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं उसके चौथे दिन हमारे दिमाग पर उसका असर पड़ता है। अतः एकादशी को लिए गए भोज्य पदार्थों का प्रभाव हमारे दिमाग पर तथा मन पर उसके चौथे दिन अर्थात् पूर्णिमा और अमावस्या को पड़ता है। इसलिए यदि हम एकादशी के दिन व्रत करें तथा केवल कम मात्रा में सात्विक भोजन ही फलाहार के रूप में ग्रहण करें तो उसका सात्विक प्रभाव पूर्णिमा व अमावस्या को पड़ेगा। जिससे हमारी मानसिक भावनाएँ नियंत्रित रहेंगी। इस प्रकार एकादशी का व्रत करने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। इन सब वैज्ञानिक तथ्यों को पूर्व से ही जानने के कारण हमारे पूर्वजों ने तथा ऋषि मुनियों ने एकादशी व्रत का इतना अधिक महत्व बताया है।
                   
एकादशी व्रत को लेकर बड़ी ही रोचक कथाएं कही जाती है। भगवान विष्णु की अनेक लीलाओं में से एक लीला के अनुसार एक बार भगवान विष्णु मूर नामक एक असुर से भयंकर युद्ध कर रहे थे। युद्ध के बीच भगवान जब कुछ देर सुस्ताने के लिए रुके, तभी उनके दिव्य शरीर में से एक दिव्य देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस असुर का क्षण भर में ही विनाश कर दिया। तब भगवान ने उनसे पूछा "कि हे देवी आप कौन हैं? तब उन्होंने कहा कि "भगवन्, मैं तो आपकी करुणा से उत्पन्न आपकी ही एक दासी हूँ, उनके ऐसा कहते ही भगवान विष्णु जी ने उन्हें एकादशी नाम से पुकारा तथा उन्हें वरदान दिया कि "जो भी व्यक्ति एकादशी के दिन तीर्थ यात्रा करेगा या सात्विक विचारों का पालन करते हुए ईश्वर उपासना में रत रहेगा उसे पर मेरी कृपा दृष्टि सदैव रहेगी।" चूँकि ईश्वर अपने भक्तों पर सदैव कृपा करते हैं, अतः अन्य शब्दों में इस दृष्टांत की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है कि ईश्वर ने जातकों पर अपनी करुणा दृष्टि रखते हुए एकादशी व्रत करने के लिए प्रेरित किया है।
                   
 एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु यमलोक के पास से गुजर रहे थे। यमलोक में पापपुरुष सभी पापियों को सजा दे रहा था और सारे पापी गण कष्ट से चिल्ला रहे थे यह सब देखकर भगवान श्री विष्णु का हृदय दया से भर गया और उनकी उस करुणा से ही एक देवी का प्रादुर्भाव हुआ जिसका नाम एकादशी (एकदासी) था। भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी एकादशी का दिन सात्विक रूप से रहकर ईश्वर के नाम का स्मरण करेगा उनके पापों का संहार होगा। तब पाप पुरुष ने कहा कि, "हे ईश्वर इस तरह तो सभी पापों का विनाश हो जाएगा, तब मेरा काम क्या बचेगा?" तब भगवान विष्णु ने कहा कि, "एकादशी के दिन तुम अन्न में वास करना, जो भी अन्न ग्रहण करेगा वह पापी बनेगा।"
                   
दरअसल हम जो भी अन्न ग्रहण करते हैं वे सभी हमारे शरीर में पानी को संग्रहित करने का कार्य करते हैं, जिसके कारण हमारे शरीर में से विषाक्त पदार्थ भी उस पानी के साथ ही संग्रहित हो जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते हैं। तभी तो व्रत में सर्वप्रथम अन्न का त्याग करके फल लेने के लिए कहा जाता है, क्योंकि इस विधि से शरीर के विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर आसानी से निकल पाते हैं। इसतरह शरीर की शुद्धता से मानसिक शुद्धता भी प्राप्त होती है और हमारे विचारों में सात्विकता आती है। इस स्थिति में की गई ईश्वर की उपासना हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है।
                  
इस प्रकार एकादशी व्रत हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हुए हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करने में सहायक है।


- डॉ. सुकृति घोष (Dr. Sukriti Ghosh)
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र, शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1438,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,27,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,33,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,26,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,38,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,192,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,134,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,139,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,7,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,12,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,122,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,54,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,30,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,242,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,76,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,403,हिंदी लेख,514,हिंदी व्यंग्य लेख,12,हिंदी समाचार,170,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,87,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,395,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,104,hindi stories,668,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,36,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,17,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,5,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,43,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में बहुत गहरे गुँथे हुए शब्द है। व्रत का अर्थ होता है, संकल्प लेना अर्थ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibmeGelHtQTy58AMD314tfaobalRSYGZETpOQqB_mHiZmcBAazghd_rftrj9Qi56G-ymRTMX4FgAhE47bNi9f_i565xyuFlbE5KpWwMtg0bPkkp2ZzvDsoMY8Oy6kO7iFpbA30cz8zY4Vm9_ULIY6-2luOa7R31gBhynUyaa8OQYYhfSTNh2cUJwcUYH5j/s16000/ekadashi-vrat.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEibmeGelHtQTy58AMD314tfaobalRSYGZETpOQqB_mHiZmcBAazghd_rftrj9Qi56G-ymRTMX4FgAhE47bNi9f_i565xyuFlbE5KpWwMtg0bPkkp2ZzvDsoMY8Oy6kO7iFpbA30cz8zY4Vm9_ULIY6-2luOa7R31gBhynUyaa8OQYYhfSTNh2cUJwcUYH5j/s72-c/ekadashi-vrat.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/05/ekadashi-vrat-ka-vaigyanik-drishtikon.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/05/ekadashi-vrat-ka-vaigyanik-drishtikon.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका