छात्रों की अनुशासनहीनता की शिकायत करते हुए शिक्षा मंत्री को पत्र

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छात्रों की अनुशासनहीनता की शिकायत करते हुए शिक्षा मंत्री को पत्र शिक्षा संस्थानों में अनुशासनहीनता की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी और छात्रों को

छात्रों की अनुशासनहीनता की शिकायत करते हुए शिक्षा मंत्री को पत्र


सेवा में, 
श्रीमान शिक्षा मंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश  

महोदय ,
निवेदन पूर्वक सूचित करना है कि उत्तर प्रदेश जो शिक्षा के क्षेत्र में सिरमौर था, आज छात्रों में अनुशासनहीनता के कारण इतना पिछड़ गया है कि यह कहने में लज्जा आती है कि मैंने उत्तर प्रदेश में शिक्षा पायी है। छात्रों की इस अनुशासनहीनता के लिए छात्र तो निश्चित रूप से दोषी हैं, पर शिक्षा व्यवस्था के सम्बन्ध में सरकार की जो अनदेखी है वह कम दोषी नहीं है।
 
मैं अपनी छोटी समझ से शिक्षा व्यवस्था में जो कमी है उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूँ। आशा करता हूँ आप उन पर गम्भीरता से विचार करेंगे। समस्याएँ निम्नलिखित है - 
  1. जैसा कि आप जानते हैं कि परिवार हो या राष्ट्र हो या शिक्षा संस्थान हो उसमें एक प्रधान की आवश्यकता होती है और बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि अधिकतर विद्यालयों में आज स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं और स्थानापन्न प्रधानाध्यापक की बात कोई सुनता नहीं है। नियंत्रण के अभाव में यदि व्यवस्था ही अनुशासनहीन है तो वह छात्रों को अनुशासित कैसे करेगी। 
  2. दूसरी समस्या यह है कि अधिकतर विद्यालयों में आज स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं और स्थानापत्र प्रधानाध्यापक की बात कोई सुनता नहीं है। नियंत्रण के अभाव में यदि व्यवस्था ही अनुशासनहीन है तो वह छात्रों को अनुशासित कैसे करेगी। दूसरी समस्या यह है कि अधिकतर विद्यालयों में शिक्षकों का अभाव है। अतः कक्षाएँ समय पूर्व ही छोड़ दी जाती हैं या खाली रहती हैं। इससे छात्रों को स्वच्छन्द होने का सुनहला अवसर मिल जाता है। 
  3. तीसरी और महत्त्वपूर्ण समस्या पाठ्य पुस्तकों की है। जब से सरकार ने बिना मूल्य पुस्तकों का वितरण शुरू किया है, तब से छात्रों को पुस्तकें कब मिलेंगी, कोई ठीक नहीं। कभी-कभी तो पूरा सेशन बीत जाने तक पुस्तकें नहीं मिलती हैं। आप स्वयं सोचें इस स्थिति में छात्र क्या करें। 
  4. चौथी और अन्तिम बात कहने में संकोच नहीं हो रहा है कि शिक्षकों के जिम्मे पढ़ाई के अतिरिक्त इतने अधिक काम दे दिए जाते हैं कि वे उसी में व्यस्त रहते हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते। हैं खाना बनवाना, परोसना, चुनाव ड्यूटी करना, मतदाता पत्र तैयार करना आदि-आदि। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि शिक्षकों को पढ़ाना छोड़कर सभी कार्य करने हैं। परीक्षा में पास फेल की पद्धति को खत्म करना अनुशासनहीनता का ससे बड़ा कारण है। शिक्षक छात्रों को डांट भी नहीं सकते, अनुशासन कायम होगा तो कैसे ? 

मेरा मानना है कि उपरोक्त उपायों को लागू करने से शिक्षा संस्थानों में अनुशासनहीनता की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी और छात्रों को सीखने और विकास के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सकेगा।

मैं आपसे शीघ्र और सकारात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूँ।

सधन्यवाद,
भवदीय
पता - 125 , विकासनगर 
लखनऊ - 75 ,उत्तर प्रदेश 
दिनांक - 09/05/2024 


विडियो के रूप मे देखिये - 





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