अकेली बाग में जाया न करो | एक भावनात्मक कहानी

SHARE:

अकेली बाग में जाया न करो एक भावात्मक कहानी सुबह होते ही लोगों की बाग मे भीड़ जमा होने लगी।लोगों ने देखा मन्नो तथा बिल्लू की लाश आम की डाली से लटक रही

अकेली बाग में जाया न करो


म के बाग में किसे कुछ समय बिताना अच्छा नही लगता है जहां बहती सुरीली हवा तन मन को रोमांचित कर देती है। आनन्द की ऐसी अनुभूति होती है जिसका वर्णन करना बहुत मुश्किल काम होता है। गांव का यह बाग अब भी जिन्दा है । कई बाग तो अब नहीं रहे, नहीं रहे वो पुराने आम के पेड़, जिस पर कोयल गीत गाती थी। तोतों का एक बडा़ झुंड आम के फलों को दिन भर चखते रहते हैं और बच्चों का झुंड गिरे आम को बीनते नजर आते हैं।
 
गांव का तालाब है। इस तालाब के चारो तरफ आम के पेड़ ही पेड़ हैं। कुछ झाड़ियां हैं। अभी यह बाग इसलिये जिन्दा है कि गांव वाले इस बाग को खत्म नहीं करना चाहते हैं। इस एरिया का सबसे बड़ा बाग है। सरकारी तालाब है। इस तालाब की खासियत यह है कि बारहमासा जल भरा रहता है। इस बाग में गांव के सारे बच्चेंं,लड़के,लड़कियां, बूढ़े, जवान सब आम बीनने चल देते हैं। अचार सबके घर बन जाता है क्योंकि आम इसी बाग से मिल जाते हैं।

भोर होते कोयलों की कूं-कूं की आवाज से सब उठ जाते और आम बीनने के लिये बागों की तरफ भागते। ढेर सारा आम बिन लाते थे। आम का पना घर-घर बनता था। खटाई भी बनती थी। कूं-कूं की आवाज मे तान मिलाते बच्चे खूब आनन्द लेते है। 

मन्नों गाव की ही सबसे खूबसूरत लड़की है। वह भी भोर में ही आम बीनने भागती है। मतवाली चाल है। अल्हड़ जवानी है। सरपट भागकर आम के बाग में सबसे पहले पहुंचती है। ढेर सारा आम मन्नों ही बीनती है। झपट-झपट कर आम को बीनती है। कई लड़के-लड़कियां उससे चिढ़ने लगे थे। एक झोला आम। बड़े -बड़े आम। कभी -कभी ईंट के टुकड़े फेंककर आम तोड़ लेती थी। इस तरह से मन्नो के पास ढेर सारा आम हो जाता था। 

ढेर सारा आम देखकर खूब खुश हो जाती है। कई बार खूब खिलखिलाकर हंसती है। ठहाका लगाती है। गोरी है। एकदम बिन्दास लड़की है। दुपट्टा तो रखती नहीं कि दुपट्टा संभालना पड़े इस प्रकार दौड़-दौड़कर आम बीनती है।

एक दिन भयंकर आंधी आयी थी। खूब आम झड़ गये थे। सबको पता है कि आम खूब गिरा है। आधी रात को ही बिना डर के मन्नो आम बीनने चल दी। आज कोई कोयल नहीं बोली। बिन कोयल की आवाज के ही पहुंच गई मन्नों। डर नहीं लग रहा था। ढेर सारा आम पाने की चाहत थी।
 
अचानक झाड़ियों से तेज खरखराहट की आवाज सुनाई दी। मन्नो कुछ डर गई। खड़ी होकर आवाज को परखने लगी। बड़ी तेजी से ऐसी आवाज आई जैसे दो शेर आपस में गुर्रा रहे थे। मन्नो को आज पहली बार इस बाग में डर लगा वैसे इतनी रात को और कई बार आई थी लेकिन डरी नहीं कभी लेकिन आज डर गई। कदम पीछे हटने लगा। बड़ी तेजी से गुर्राहट सुनकर वहां से भागी।

आम के चक्कर में आधी रात को बिल्लू भी बीनने आंख मीचते हुये बाग की तरफ तेजी से चला आ रहा है। जैसे ही बाग में पहुंचा वैसे बड़ी तेजी से भागती मन्नो आकर बिल्लू से लिपट गई। थर-थर कांप रही थी। बिल्लू ने अपने दोंनों हाथों से मन्नो के कंधे को पकड़ं कर झझकोरते हुये पूछा--

क्या हुआ..? डर क्यों रही हो..?

वह कुछ नहीं बोल पा रही है। मन्नों काफी तेजी से बिल्लू से चिपकती जा रही है। कुछ देर बाद उसकी कंपकंपी बंद हुई। गुर्राहट की आवाज भी बंद हो गई लेकिन बिल्लू को नहीं छोड़ रही थी। पहली बार वह एक लड़के से चिपकी थी। बिल्लू भी इस तरग से पहली बार एहसास प्रेम का जग रहा था कि कोई लड़की इतनी तीव्रता से कस कर पकड़ ली हो। दोनों के नसों में प्रेम की तरंग दौड़ रही थी। काफी देर तक इस दिव्य प्रेम से अपने को भिगो रहे थे।

डर का माहौल खत्म होते ही मन्नों ने बिल्लू को अपने से अलग करने का प्रयास किया लेकिन प्रेम का चुम्बकीय शक्ति अलग ऩहीं होने दे रही थी। दोनों ने आंखे बंद कर लिये थे। प्रेम के आलिंगन में डूब गये थे। कुछ बच्चों का झुंड आते उनका शोर सुनकर दोनों अलग हो गये।

अकेली बाग में जाया न करो
बच्चों के झुंड के साथ मन्नो तथा बिल्लू भी आम बीनने चल दिये। सारे बच्चे दौड़ दौड़कर बिन रहे थे लेकिन मन्नो की चाल आम बीनने में धीमी हो गई थी। वह सोंच रही थी कि बिल्लू क्या सोंच रहा होगा?....मैं तो डर गयी थी इसलिये उसको पकड़ ली थी..नहीं नहीं ...वह मुझे गलत नहीं सोंच रहा होगा..मैं भी तो ऐसी वैसी लड़की तो नहीं हूं..सीधी सादी..भोली भाली..कोई बात नहीं..मैं बिल्लू से माफी मांग लूंगी...आदि आदि वह आम बीनते हुये सोंच रही थी।

बिल्लू भी सोंच रहा है कि पहली बार कोई लड़की मुझसे इस तरह से चिपकी रही...कितना आनन्द आ रहा था। सुखद अनुभव हो रहा था। मन्नों सुंदर लड़की है..चंचलता से लबरेज है..कितनी भोली है बेचारी...इतना डर गयी थी कि मुझे छोड़ ही नहीं रही थी...बेचारी का कोई दोष नहीं था वह तो डर गयी थी...इसलिये मुझे पकड़ी थी...अब थोडी वह पकड़ेगी मुझे़...इस तरह से आम बीनते हुये बिल्लू ने सोंचा।

बिल्लू उसी गांव का है जिस गांव की मन्नो थी। दोनों के घर पास-पास ही हैं। एक ही घर का अंतर है। बिल्लू अपने छत से देख सकता है अगर मन्नो अपने छत पर खड़ी रहेगी। मन्नो तो जैसे बिल्लू के मन में समा सी गई हो। पहली बार लड़की के संपर्क का एहसास अन्त:मन को हिलाकर रख दिया था।

मन्नो बिल्लू को जानती है कि एक घर छोड़कर उसका घर है अक्सर वह छत पर आता है किताबें लेकर बैठा रहता है। 

अगले दिन आम बीनने के लिये मन्नो चली तो गयी लेकिन दिल दिमाग में बिल्लू ही छाया रहा। बिल्लू भी आम बीनने चल दिया। बिल्लू मन्नो को देखकर कुछ देर उसके पास रूक गया।

"आज तो नहीं डर रही हो।" --बिल्लू ने मुश्कराते हुये कहा।

"नहीं..आज नहीं डर लग रहा है..कल तो झाड़ियों से बहुत गुर्राहट की आवाज आ रही थी।" --मन्नों ने शर्माते हुये कहा।

दोनों आम बीनने लगे। दूर तक बाग में चले गये लेकिन दोनों एक दूसरे के बारे में सोंच रहे थे। 

सुबह का समय था। कोयल की आवाज आ रही थी। कुछ बच्चे कोयल की आवाज में बोल रहे थे। बीच-बीच में मोर की भी आवाज सुनाई दे रही थी। मंद-मंद गति से हवा चल रही थी। सब बच्चे आम बीन रहे थे।  

तभी मन्नो ने एक ईंट का टुकड़ा उठाकर आम तोड़ने के लिये तेजी से फेंका और वह ईंट का टुकड़ा बिल्लू को लग गया। बिल्लू को खून बहने लगा। मन्नों डर गयी कि बिल्लू मुझे मारेगा। वह वहां से भागकर घर चली गयी। बिल्लू की दवा पट्टी हुई। 

मन्नो जल्दी घर पहुंच गयी और और उसकी धड़कने बढ़ गयी उसका ह्रदय धक-धक कर रहा था। क्या सोंच रहा होगा कि मन्नो मुझे मारकार भाग गयी। वह शिकायत करेगा पापा मम्मी से... पापा मुझे मारेगें। हे भगवान  उसी को लगना था। कितना दर्द हो रहा होगा। खून भी बह रहा था।

अगले दिन आम बीनने नहीं गई। डर समाया था कि बिल्लू को मेरे वजह से चोट लग गई थी। मैं तो उसको चाहने लगी थी उस दिन तो डर के कारण उसको पकड़ ली थी। मदहोश कर देने वाला दृष्य मैं भूल नहीं सकती लेकिन मेरे वजह से उस बेचारे को चोट लग गई। अब मैं कैसे उसको मुंह दिखाऊंगी। मुझे तो बहुत दुख है। वह अब नफरत की आग में जल रहा होगा। अब वह मुझे देखना पसंद नही करेगा। मेरा पहले प्यार का एहसास अब नही मिल पायेगा। इस तरह से मन्नो प्रेम के इस डोर को टूटते देखकर बहुत निराश उदास है। वेदना की अग्नि में बेचारी जल रही है उसी दिन से खाना पीना में उसका मन नहीं लग रहा है जैसे मन टूट गया हो।

बिल्लू आम बिनने आया है लेकिन उसकी निगाहें बार-बार बाग में ढ़ूढ़ रही है मन्नों को..मन्नो तो रोज आती है ...आज नहीं आयी...वह लगता है डर गयी...उस दिन तो वह भाग गई थी ..उसकी कोई गलती नहीं थी...जानबूझकर थोड़ी मारा था...हमारी गलती थी उसके सामने मैं आ गया था...मन मे बड़ी बेचैनी है...जैसे अब लगता है कि उसको देखे बगैर जिन्दगी अधूरी है। वह अगर आम बीनने आयेगी तो मैं उसको कुछ नहीं कहूंगा। वह नहीं आयी। बिना आम बीने बिल्लू निराश मन से घर लौट आया

दोनों को एक दूसरे से मिलने की आग प्रबल है। प्रेम का प्रवाह तीव्रता का रूप धर लिया है। एक नई- नई प्रेम की चिंगारी निकली है जो अब अग्नि का रूप धारण करती जा रही है लेकिन दोनों के हालात एकदम बिगड़ते जा रहे हैं। 

बिल्लू उसको देखने के लिये छत पर चला आया कि छत से ही दिख जायेगी लेकिन काफी समय तक टहलता रहा लेकिन मन्नों नजर नही ंआयी। मन्नों का न दिखना काफी बेचैन कर रहा था बिल्लू को। बार - बार बिल्लू मन्नो की छत की तरफ निगाह गड़ाये था लेकिन मन्नो की झलक नहीं दिखी। निगाहें तलाशती रही मन्नों को।

मन्नो ने देख लिया कि बिल्लू मेरे छत की तरफ देख रहा था। लगता है बदला लेगा। मेरी कौन सी गलती थी। मुझे क्यों दंड देगा। बार -बार मन्नो छत की तरफ निहारती बिल्लू की। आंखे बिल्कुल भय से भर गई थी मन्नो को। मन्नो सोंच रही है कि मुझे उससे माफी मांग लेनी चाहिये मेरी वजह से उस बेचारे को चोट लग गई थी।

आज सुबह आम बीनने के उद्देश्य से वह नहीं गई थी। बिल्लू से माफी मांगने गयी थी। कह रही है.. अपनी ही गलती मान लेती हूं। इतने में बिल्लू आ गया। मन्नो सिर नीचे किये हुये थी।

"क्या हुआ मन्नो, आज आम नहीं बिन रही हो क्या ? कल तुम आई नहीं काफी देर तक मैं इंतजार करता रहा तुम्हे कल छत पर भी देख रहा था तुम दिखी नहीं।"  

"देखो, मेरे वजह से आपको चोट लग गई थी जिसके वजह से मैं बहुत डर रही थी। यह चोट पर लगाने वाली दवा है" ---लगाने वाली दवा देते हुये मन्नो ने कहा।

गलती मेरी थी, तुम्हारी नहीं मन्नो, अगर मैं वहां नहीं गया होता तो चोट मुझे नहीं लगती.. बिल्लू ने मन्नो का बचाव करते हुये कहा।

"उस रात तो मैं बहुत डर गयी थी। तुम नहीं आये होते तो शायद मेरी डर खत्म न होती" -- मन्नो ने कहा।

"आज आम नहीं बिन रही हो " --बिल्लू ने कहा।

आज आम नहीं बीनने आयी थी। आज तो तुमसे मिलने आयी थी। माफी मांगने आयी थी। मैने जो तुमको मारा था रात भर नींद नहीं आई थी। पूरी रात जागती रह गयी।

रात भर तो मैं भी जागता रह गया। उस दिन जो डर गयी थी
तुम..बहुत देर तक कांपती रह गयी थी। सच कहूं मुझे बहुत अच्छा लग रहा था तुम्हारा इस तरह से चिपकना...

"मुझे भी तो... " --मन्नों शरमा कर कहा।  

इतना कह कर मन्नो बहुत तेजी से घर की तरफ भागी। हल्की मुश्कान लिये थे। दौड़ने से उसके स्तन उपर नीचे हो रहे थे। उसको भी बीच- बीच में निहारते हुये घर पहुंच गयी। हांफ रही थी। जल्दी से तख्त पर लेट गयी।

मन ही मन सोंच रही है कि बिल्लू कह रहा था...तुम्हारा चिपकना अच्छा लग रहा था। मुझे क्या नहीं अच्छा लग रहा था।..मैं तो अब ऐसा लग रहा था कि बिल्लू के बगैर नहीं रह पाऊंगी। कितना भोला है बिल्लू। मुझे कुछ नहीं कह रहा है। मेरी गलती को अपनी गलती बता रहा है। बचाना चाह रहा है।

बिल्लू को भी बेचैनी हो गयी है कि मन्नो कितनी भोली है। इसकी मुश्कान तो बहुत ही मन मोहक है। निराला अंदाज है। इसके बालों का लहराना मुझे बहुत भाता है और जब दौड़ती है तो पूरी दुनियां को हिलाकर भागती है। मन्नों तुझे इसलिये कुछ नहीं कहा कि मैं तुमको चाहने लगा हूं। वैसे गलती तेरी ही थी। तुझे मैं नाराज नहीं होने देना चाह रहा हूं।

दोनों ने एक दूसरे को मन में बसा लिये हैं। एक दूसरे के सपने दिन रात बस एक ही ख्याल है दोनों को, कि मिले और प्रेम की दो बाते हो। अब दोनो न ठीक से खा पा रहे हैं न तो कायदे से नींद ले पा रहे हैं बस एक प्रेम के अंतरंग दुनिया में विचरण कर रहे हैं। कल्पनाओं का शहर बसा रहे हैं। एक नये आसमां में उड़ने की तीव्र इच्छा है।

प्रेम एक मधुर मिलन है जब प्रेम एक दूसरे से मिलता है तो एक सच्ची संवेदना तैरने लगती है। कोमल भावना के बादल उमड़ने- घुमड़ने लगते है और एक नये फूलों की दुनिया हो जाती है। नये गीत तराने गूंजने लगते हैं। एक ऐसा वहशीपन आ जाता है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है कि यह कितना गहरा है। इस तरह का अपरिपक्व प्रेम तीव्रता के आवेग में फलता फूलता है जो खतरनाक भी हो जाता है। युवा वर्ग को इस प्रकार के प्रेम से बचना चाहिये। इस तरह का प्रेम का ज्यादा दिन अस्तित्व नहीं है।

मन्नो अब बाग में आम बीनने नही ंजाती है। वह जाती है तो बिल्लू से मिलने के लिये क्योंकि अब वह बिल्लू को चाहने लगी है। बिल्लू ही उसका सबकुछ हो गया है। भोर में आम बीनने के लिये पहुंच गई। बिल्लू भी पहुंच गया। बिल्लू ने मन्नों का हाथ पकड़ कर कहता है। 

"हम दोनों का मिलना किसी को पता नहीं चलना चाहिये, नहीं तो बदनामी होगी" 

"हां बिल्लू, तुम सहीं कह रहे हो.. अगर गांववालों को पता चल जायेगा तो ठीक नहीं रहेगा। यहां के लोग बहुत कट्टर हैं"।"

"हां मन्नो.. हम दोनों अलग-अलग जाति के है...किसी तरह से छुप-छुप कर ही मिला जाये। यह बाग मिलने का सहीं जगह है। आम बीनना तो एक बहाना रहेगा। इन्हीं अमराइंयों में प्रेम परवान होगा हम दोनों का.." बिल्लू ने कहा। 

मन्नू और बिल्लू सत्रह अट्ठारह साल की उम्र एक कच्ची उम्र है लेकिन प्रेम एक ऐसा है, आग की ज्वाला से भी तीव्र। तीव्र प्रवाह है। यह एक प्रेम का आवेग है। एक ऐसा आवेग जो नये घराने को बसाने का एक स्वप्न की तरह है। इस कम उम्र में पनपता प्यार की उम्र बहुत कम होती है जो किसी भी खतरा को लेने को तैयार रहता है। इस तरह का प्यार किसी का नहीं सुनता है ऐसा तीव्र प्रवाह होता है कि इस प्रवाह को रोकना बहुत की कठिन है।

इस तरह से बिल्लू और मन्नो दोनों का मिलना रोज आम बीनने के बहाने शुरू हो गया। प्रेम कहानी का प्रवाह आगे की ओर बढ़ रहा है । इन दोंनों का मिलना रात में होता है। कुछ बच्चे ने इन दोनों को मिलते देख लिया था। 

अंधेरी रात में कभी ये दोनों एक दूसरे के बाहों मे रहते और कभी गहरी किस लेने में भीड़े रहते कभी बिल्लू मन्नों के बालों को सहलाते मिलता, कभी बिल्लू और मन्नो एक दूसरे के होंठों का रसपान करते नजर आते इस तरह से लोगों से निगाह से बचा कर अपने प्रेम को एक नया कीर्तिमान बनाने में लगे हैं।

इन दोनों का मिलना जुलना कई लोगों ने देख लिया था। इस तरह से मिलना ठीक विषय नहीं था। गांव में आग की तरह फैल गया कि बिल्लू और मन्नो मे प्रेम की कहानी भोर मे आम बीनने के बहाने बाग में शुरू होती है जब तक कोई नही रहता है जैसे ही किसी के आहट शुरू हो जाती। दोनों अलग हो जाते हैं । कई बार ये लोग पकड़े भी जा चुके थे। 

दोनों का प्रेम परवान हो गया। एक दिन ये दोनों घर छोड़कर कहीं दूर चले गये ताकि इनके प्यार में कोई बाधा न बने। समाज की नजरों से बचकर रहना चाहते थे। वे जानते थे। समाज हम दोनों के प्यार को कोई पसन्द नहीं करेगा। दोनों अलग -अलग जाति के थे। दोनों अगर गांव मे रहते हैं तो बहुत बड़ा बवाल के चान्स हैं।

इस तरह से घर से बिल्लू और मन्नो का चले जाना गांव में दहशत का माहौल है। लोगों ने अपने बच्चों को बाग में जाने से मनाकर दिया गया कि अकेले बाग नहीं जाना है। बाग में ही मन्नों तथा बिल्लू ने एक दूसरे से प्रेम करने लगे लेकिन हालात कुछ इस तरह बदल गये कि दोनों भाग गये। गांव के लोग अपनी बेइज्जती महसूस कर रहे हैं। अब उस बाग में कोई आम बीनने नहीं जा रहा है।

गांव के लोग अब बिल्लू और मन्नो को ढूंढ रहे हैं कि आखिर ये दोनों कहां गये। थाने मे एफआईआर भी परिजनों ने लिखा दिया और अखबार में भी यह खबर खूब चली कि मन्नो बिल्लू की प्रेम कहानी पूरे एरिया में हड़कम्प मचा दिया है। दोनों के उपर पुलिस ने इनाम भी घोषित कर दिया था जो दोनों की खबर बतायेगा उसको पुरस्कृत किया जायेगा।

अपरिपक्व प्रेम में स्वयं को खत्म करने की धारणा जन्म लेने लगी। दर-दर ठोकरे खा रहे हैं लेकिन कोई सहायता करने को तैयार नहीं है। न खाने की सुध न पीने की सुध केवल अस्तित्व बचाने के लिये दोनो मन्नो और बिल्लू भटक रहे हैं। इनका कहीं ठिकाना नहीं बन रहा है।

इस कम उम्र और गैरबिरादरी की लड़का लड़की में हो रहे समाज मान्यता नहीं देता है। इतना दबाव समाज का बनता है कि इस तरह के प्रेमी युगल की सोंचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। दोनो से अब ठोकरे सहने की शक्ति कम होती जा रही है। घर लौटना ही ठीक समझा। 

सुबह होते ही लोगों की बाग मे भीड़ जमा होने लगी।लोगों ने देखा मन्नो तथा बिल्लू की लाश आम की डाली से लटक रही है। दोनों ने समाज के सहयोग न पाने और उनके कड़े व्यवहार से दोनों अपने प्रेम का अंत कर दिया। इस घटना के बाद लोगों ने अपने लड़कियों को आम बीनने के लिये...अकेले बाग में जाया न करो.. इस तरह से कह कर रोक लगा दी।


- जयचन्द प्रजापति ’ज़य’ जैतापुर, 
हंडिया, प्रयागराज मो..7880438226

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1438,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,27,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,33,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,26,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,38,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,192,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,134,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,139,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,7,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,12,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,122,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,54,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,30,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,242,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,76,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,403,हिंदी लेख,514,हिंदी व्यंग्य लेख,12,हिंदी समाचार,170,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,87,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,395,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,104,hindi stories,668,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,36,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,17,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,5,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,43,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: अकेली बाग में जाया न करो | एक भावनात्मक कहानी
अकेली बाग में जाया न करो | एक भावनात्मक कहानी
अकेली बाग में जाया न करो एक भावात्मक कहानी सुबह होते ही लोगों की बाग मे भीड़ जमा होने लगी।लोगों ने देखा मन्नो तथा बिल्लू की लाश आम की डाली से लटक रही
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOS7ISJ3ncNBChb6mdDjPSEhjN2y41AnuMbAgQ_UdRVWj2_05QQs1y2Gy8VAmlk0Ec776dOdCc3JjR8fQhGHRfGVTN6cjLljdM8PewNhRQB7r0PCrmnn7fUwD945afjYOwHC4sg44V5aecK2Jqqj6DD-zSoSiCGrSy-ZdXltnv3NAR2H-PocNEjcQsr6SU/s320/akeli-baag.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOS7ISJ3ncNBChb6mdDjPSEhjN2y41AnuMbAgQ_UdRVWj2_05QQs1y2Gy8VAmlk0Ec776dOdCc3JjR8fQhGHRfGVTN6cjLljdM8PewNhRQB7r0PCrmnn7fUwD945afjYOwHC4sg44V5aecK2Jqqj6DD-zSoSiCGrSy-ZdXltnv3NAR2H-PocNEjcQsr6SU/s72-c/akeli-baag.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/05/akeli-baag-mein-jaya-na-karo-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/05/akeli-baag-mein-jaya-na-karo-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका