आखिर कब टूटेगा जाति बंधन

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आज सुयोग्य बाल बच्चों की स्वजाति में बन नहीं पाती सुयोग्य जोड़ियाँ? आखिर कब टूटेगा जाति बंधन और कब होगा समाज का अंतर्मन सुमन?अगर सार्वजनिक जीवन में आप

आसान है अमृत पीकर देव बन जाना मगर जहर पीना है महादेव बनने की योग्यता


दा से आसान है अमृत पीकर देव बन जाना 
अमृत पीने से वंचित होने पर दानव बनकर उत्पात मचाना
मगर सदा से बड़ा कठिन है जहर पीकर महादेव बनना 
या यूँ कहें अमृत पीकर हर कोई देव बन जाता 
मगर महादेव बनने के लिए जहर पीना है एकमात्र योग्यता! 
आसान है अमृत पीकर देव बन जाना मगर जहर पीना है महादेव बनने की योग्यता

ऐसा है अवसर नहीं मिले तो आसान है साधु बन जाना 
अवसर मिल जाए अगर रिश्वतखोरी चोरी और बेईमानी का 
तो बड़ा कठिन है किसी गृहस्थ का साधु संत महात्मा बनना 
कट्टर ईमानदार को कठिन है आखिर तक ईमान बचाए रखना
विषम परिस्थिति में सद् की साधना करनेवाला ही साधु होता 
हर स्थिति में सत का जो अंत होने से बचाए वही तो संत होता!

आज के दौर में बड़ा कठिन है ईमानदार होकर जीना
बड़ा कठिन है श्रम तप बल ईमान से सफलता हासिल करना 
अगर किसी ने मेहनत व लगन से अच्छी जीविका पा ली
ईमानदारी से नौकरी निभाई और ठीक से जीवन यापन किया
बेईमानी नहीं की,बच्चों को पढ़ा लिखाकर इंसान बना दिया 
तो सबसे अधिक नाराज होते उनके सगे संबंधी स्वजाति गोतिया!

आज के दौर में बड़ा कठिन है ईमानदार होकर जीना 
अगर काम के दबाव में कम होता गाँव घर आना जाना
तब आपके अपने नाते रिश्तेदार मारने लगते हैं ताना 
अगर आपके बच्चे औरों से कुछ अधिक काबिल हो गए 
फिर तो आम है अपनों का आपसे ईर्ष्या द्वेष पालना 
बड़ा कठिन है अपने जाति समाज में अच्छा बन पाना!

अगर सेवानिवृत्त होकर आप आ जाते हैं गाँव घर अपना 
तो निश्चित है भाई बंधुओं की आँखों में आपको खटकना 
अगर आपने किए नहीं भ्रष्टाचार लिए नहीं हैं रिश्वत 
अकूत अवैध संपदा के अभाव में हर अवसर पर आपने
अपने भाई बहनों की किए नहीं मनोवांछित आर्थिक मदद 
तो अपने आपसे मनमुटाव रखेंगे और अंततः करेंगे दुर्गत!

अगर सार्वजनिक जीवन में आपने भाई भतीजावाद से परहेज किया 
खुद नजराना नहीं लिया आदर्श विवाह किया बिना दान दहेज का 
फिर भी आपके बच्चों की शादी में उदासीन रहेंगे जाति बंधु गोतिया 
बड़े-बड़े काबिल व्यक्ति का दिल दुखाने में चूकते नहीं सगे संबंधी!

हिन्दुओं में बड़ी बुराई है कि अक्सर जाति के बाहर शादियाँ नहीं होती   
अगर किसी ने जातिवाद नहीं किया तो अंत में कसबल तोड़ देती जाति
आज सुयोग्य बाल बच्चों की स्वजाति में बन नहीं पाती सुयोग्य जोड़ियाँ?
आखिर कब टूटेगा जाति बंधन और कब होगा समाज का अंतर्मन सुमन?

---विनय कुमार विनायक 

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