मजदूरों के हालात में सुधार हो

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मजदूर दिवस मनाना आसान है लेकिन मजदूरों के हालात पर सुधार हो यह कार्य बहुत कठिन होता है।सरकार को मजदूरों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिये कुछ

मजदूरों का हाल जस का तस, कोई सुधार नहीं


ज मजदूर दिवस है। जिसे श्रमिक दिवस कहते हैं। असहायों का दिन जो बड़ी-बड़ी इमारतें दिखाई दे रही हैं, वे इन असहाय लोगों की मेहनत और पसीने से बनी हैं, ये लोग कड़ी मेहनत करके दुनिया को ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास करते हैं। ये निर्माण श्रमिक करते हैं। अपने निर्माण के बारे में तनिक भी नहीं सोचते हैं।
         
ऐसी फटी और लाचार जिंदगी जो फुटपाथों पर रात बिताते है, कई दिनों तक अच्छे कपड़े पहनने और ऐश करने का मौका नहीं मिलता। ये मजदूर मेहनतकश लोग हैं जो न दिन को दिन मानते हैं और न ही रात को रात। सतत विकास देश का करते रहते हैं।
        
वे कमजोर परिवारों से आते हैं, जिनके घर टूटे हुए हैं, कड़ी मेहनत के साथ, चिपके गाल के साथ, फटे पुराने कपड़ों में लिपटे हुए हैं। बिखर गई हैं जिंदगियां, टूटी झोपड़ियों में बेबसी का दूध पीते नजर आते हैं, जिनके बच्चे अपने घरों में पूरी तरह से असहाय हैं, वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं, जिनकी पत्नी कभी भी घर में रहकर परफेक्ट मेकअप नहीं कर पाती है। अच्छे पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध नहीं हैं। मजदूर सूखी रोटियां अचार ले जा रहे हैं।
      
मजदूरों का हाल जस का तस, कोई सुधार नहीं
मजदूर दिवस जब तक मजदूर रहेंगें मजदूर दिवस मनाया जाता रहेगा। कोई नहीं चाहता कि इस मजबूरी, मजदूरी की दलदल से निकल जाये। कोई सरकार की ऐसी स्कीम नहीं है कि इनकी मजदूरी को छुड़ा सके। गरीबी हटा सके लेकिन ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि देश के निर्माण कार्य बिना मजदूर के नहीं हो सकता है।
       
आज भी मजदूर वैसे है जैसे पहले रहता था भले मजदूरी बढ़ गयी है लेकिन हालात जस के तस हैं। उसी तरह से फटेहाल में। डेली मजदूरी मिलने के कारण शराब की लत। शराब, गांजा नशे की लत से वह कमजोर हो जाता है। पैसे के अभाव में ठीक से इलाज न होने कारण कम उम्र में ही मजदूरों की मौत हो जाती है। 
        
मजदूरी का काम औरते भी करती हैं जो असहाय हैं बेवा हैं जिनको कोई खिलाने पिलाने वाला नहीं है तो वह अपनाी आजीविका के लिये मजदूरी ही वह रास्ता बचता है जहां वह अपना जीविकोपार्जन कर लेती है लेकिन इनके स्वास्थ पर विशेष असर पड़ता है। मजदूर दिवस मनाना आसान है लेकिन मजदूरों के हालात पर सुधार हो यह कार्य बहुत कठिन होता है।
         
सरकार को मजदूरों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिये कुछ इस तरह से कारगर कदम उठाये ताकि इनके जीवन शैली में सुधार हो सके और इनके तरक्की के रास्ते खुल सके और समाज के मुख्य धारा से जुड़ सके और आत्म सम्मान की दो रोटी खा सके।



- जयचन्द प्रजापति 'जय', 
प्रयागराज

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