नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है

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नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है सारा आकाश उपन्यास में नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है समर की बहन

नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है


सारा आकाश उपन्यास में नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है । मुन्नी उपन्यास के नायक समर की बहन है। यह अपने पति द्वारा उपेक्षित नारी के रूप में चित्रित हुई है। नारी जीवन के अभिशाप से पूर्ण होकर वह जी रही है। जी क्या रही है बल्कि अपने निष्प्राण शरीर को लेकर चल रही है। उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। वह अपनी दूसरी पत्नी के साथ रंगरेलियाँ करता है और मुन्नी यातनाओं का शिकार होती रहती है। मुन्नी मेन विवेक और सहनशीलता की कमी नहीं है; फिर भी वह क्या इतनी उपेक्षित है यह बात मस्तिष्क को झकझोर देती है। मुन्नी की पीड़ा आज की हजारों ऐसी ललनाओं की पीड़ा है जिसे समाज का दानव कुचल रहा है, जो अपने जीवन में वसंत पाने की अभिलाषा से आगे बढ़ती हैं लेकिन सामाजिक व्यवस्था की लू से झूलस जाती हैं। फिर अपने नीरस जीवन को लेकर या तो आजीवन सिसकती रहती है या उस डाल पर मुरझा जाती है। बहु विवाह और दहेज समाज के दो ऐसे ही कठोर सत्य हैं। इनकी चक्की में पिसनेवाली ललनाओं का जीवन नारकीय हो उठता है। आज का मनचला और स्वयं बेकार रहनेवाला नवयुवक भी योग्य पत्नी पर छींटे कसता है । दहेज कम लाने के लिए उसे कोसता है। इतना ही नहीं उसे जान से मारकर आत्महत्या की या किसी बीमारी से मरने की घोषणा करा देते हैं । 

मुन्नी का नारकीय जीवन 

सारा आकाश उपन्यास में नारी उत्पीड़न का जीता जागता उदाहरण मुन्नी नामक पात्र है
मुन्नी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए हमें ऐसा ही प्रतीत होता है जैसे वह मरी नहीं, मारी गई है। उपन्यास के संकेतों को देखने से ऐसा लगता है कि मुन्नी को समाप्त करने में उसके पति की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है । समाज की अपेक्षा व्यक्ति की जिम्मेदारी कम नहीं है। अगर समाज में व्यक्ति अपने को सुधार ले तो सामाजिक बुराई अपने आप समाप्त हो सकती है । जहाँ व्यक्ति ही बुरा हो तो समाज अच्छा कैसे हो सकता है। यह माना जा सकता है कि मुन्नी का पति दहेज कम लाने के लिए उसे दुःख देता है। लेकिन सामाजिक बन्धन उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करता। उसका दूसरा विवाह करने और मुन्नी के सामने उसकी सौत को महत्वपूर्ण स्थान देने में क्या समाज का दोष है ? कदापि नहीं । मुन्नी की सारी दुर्गति का कारण उसका पति है। सामाजिक बन्धन उसे ऐसा करने के लिए बाध्य करते हों ऐसा संकेत कहीं नहीं मिलता है। मुन्नी को पुनः वापस लाने के लिए जब वह जाता है तब भी उसकी साजिश ही जान पड़ती है। सामाजिक दबाव उसे मुन्नी को बुलाने के लिए बाध्य कर रहे थे । इसलिए वह मुन्नी को वापस लाकर वह कार्य करना चाहता था जिसे पहलीबार नहीं कर पाया था। पहलीबार मुन्नी को केवल मार कर छोड़ दिया गया था। इसबार उसे वह जान से मार डालना चाहता था । उनकी यही योजना थी और सम्भवतः वह पूरी हुई। मुन्नी की माँ का कथन यह सिद्ध करता है कि मुन्नी की मृत्यु का कारण उसका पति हो सकता है। वह कहती है- "अब ऐसे आदमी का क्या ठीक है। कल किसी दूसरी के बहकावे में आ जायेगा । मैं तो अपनी लौड़िया को नहीं भेजती। पहले अधमरी कर दिया था अब की तो मार कर ही छोड़ेगा।" 

मुन्नी मरी नहीं ,मारी गयी है

पिता के पास धन का अभाव है, इसलिये वह अपनी बेटी का पालन करने में असमर्थ है। अगर वह उसे पढ़ा-लिखा सकता, गुणी बना सकता तो मुन्नी को वहाँ न भेजकर उसे मृत्यु से बचाया जा सकता था। लेकिन समर के पिता की बातों से यह साफ जाहिर होता है कि सामाजिक बन्धन नहीं; उसकी आर्थिक विषमता उसे मुन्नी को भेजने के लिए बाध्य करती है। अपने दामाद की चाल-चलन से परिचित होने पर भी वह झूठी दिलासा देता है। अगर वह मुन्नी को विदा नहीं करता तो समाज उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता था। “उसे यों ही जिन्दगी भर बिठाकर रखोगी। उसे पढ़ा-लिखा दें या कोई हुनर सिखा दें। इतना अपने पास है नहीं। लड़कों की ही देख-भाल नहीं होती ।" मुन्नी पति की यातनाओं की भुक्त- भोगी है। वह किसी प्रकार वहाँ जाने के लिए तैयार नहीं है। विदाई की बात सुनकर वह रोने लगती है । यह रोना अपने परिवार के वियोग में नहीं है बल्कि वह अपने पति के संयोग के भय से काँप जाती है। वह अपने पिता से कहती है, "बाबूजी, तुम मुझे अपने हाथ से जहर देकर मार डालो, मेरा गला घोंट दो, मुझे वहीँ मत भेजो। मैं वहाँ मर जाऊँगी। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ-पाँव पड़ती हूँ मुझे कहीं मत जाने दो।" मुन्नी के एक-एक शब्द से उसकी पीड़ा, हृदय की वेदना और पति द्वारा किये गये अपमान और तिरस्कार की बू आती है । वह अपने घर को घर नहीं कुँआ मानती है। वह कहती है "मुझे उस कुँए में मत धकेलो बाबूजी" मुन्नी का रोना कलपना सब बेकार हो जाता है। उसे मौत के कुए में जाना ही पड़ता है । मुन्नी के साथ पुनः क्या व्यवहार हुआ ? इसके उत्तर में उपन्यासकार मौन हो जाता है । मुन्नी की मृत्यु के तार द्वारा ही उसकी अंतिम गति की सूचना पाठकों को मिलती है । तार में लिखा था कि मुन्नी मर गई । समर का कथन ठीक प्रतीत होने लगता है कि वह मरी नहीं, मारी गई है ।
 

मुन्नी की मौत के लिए जिम्मेदार कौन ?

अतः हम देखते हैं कि मुन्नी की मृत्यु के लिए समाज से अधिक जिम्मेदार उसका पति है क्योंकि सामाजिक बन्धन चाहे जैसे भी रहे हों लेकिन मुन्नी पर अत्याचार करने के लिए बाध्य करते नहीं दिखाए गए हैं। 

COMMENTS

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