इलाहाबाद के मुक्तिबोध हैं कवि अजामिल

SHARE:

इलाहाबाद के मुक्तिबोध हैं कवि अजामिल साहित्य के क्षेत्र मे एक ऐसा नाम एक ऐसी पहचान जिसने साहित्य में नाम कमाया वो हैं अजामिल साहब महान रचनाकार

इलाहाबाद के मुक्तिबोध हैं कवि अजामिल


साहित्य के क्षेत्र मे एक ऐसा नाम एक ऐसी पहचान जिसने साहित्य में नाम कमाया वो हैं अजामिल साहब। इलाहाबाद की एक ऐसी शख्सियत के रूप में सबसे वरिष्ठ साहित्यकार अजामिल जी शुद्ध इलाहाबादी हैं। आजादी के एक दिन बाद स्व.बसंत नारायण व्यास के घर आर्यरत्न व्यास का जन्म हुआ आगे चलकर अजामिल के नाम से पूरे हिंदी साहित्य में विख्यात हो गए। मुक्तिबोध की रचनाओं से प्रभावित होकर एक से एक रचनाएं दी कवि अजामिल।

हिंदी के प्रति इनके ह्रदय में साहित्य का अंकुर बचपन से ही फूटने लगा। हिंदी में विशेष रूचि के कारण हिंदी से इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए.डिग्री हासिल की। इसके बाद चल पड़ी इनकी कलम। यह कलम रुकी नहीं अभी भी साहित्य के ये पारखी अजामिल अब भी साहित्य की अनवरत सेवा में संलिप्त हैं। इस अवस्था में भी इतनी सक्रियता है। उर्जा से लबरेज हैं। आजकल फेसबुक पर दिन प्रतिदिन के नाम से पोस्टर पर रचनाकारों की रचना उकेरते रहते हैं।

इनकी रचना आम लोगो से जुड़ी हुई होती हैं।आम लोगो की बातें होती हैं। कविताएं तथा कहानियां इनकी देश की समस्त प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में छपती रही। एक से एक श्रेष्ठ रचनाएं दी। लोग वाह वाह कर उठे। इनकी रचनाये गहराई तथा सादगी से भरी होती हैं। सादगी भरा जीवन भी जीते हैं। यही इनकी असल हकीकत है। कोई दिखावटीपन नहीं जो उनके साथ रहे हैं वे उनकी भावों को महसूस किए हैं। उनकी एक रचना - 

औरते जहां भी हैं


दरवाजे खोलो
और दूर तक देखो खुली हवा में

मर्दों की इस तानाशाह दुनिया में
औरतें जहाँ भी हैं - जैसी भी हैं
पूरी शिद्दत के साथ मौजूद हैं - वे हमारे बीच
अंधेरे में रोशनी की तरह

इलाहाबाद के मुक्तिबोध हैं कवि अजामिल
औरतं हँसती हैं - खिखिलाती हैं औरतें
खुशियाँ बरसती हैं सब तरफ
छोटे-छोटे उत्सव बन जाती हैं औरतें
औरतें रोती हैं - सिसक-सिसककर जब कभी
अज्ञात दारूण दुःख में भीग ताजी है यह धरती

औरतें हमारा सुख हैं
औरतें हमारा दुःख हैं
हमारे सुख-दुःख की गहरी अनुभूति हैं ये औरतें

जड़ से फल तक - डाल से छाल तक
वृक्षों-सी परमार्थ में लगी हैं - ये औरतें
युगों से कूटी-पीसी-छीली-सुखायी और सहेजी जा रही हैं औरतें
असाध्य रोगों की दवाओं की तरह

सौ-सौ खटरागों में खटती हुई
रसोईघरों की हदों में
औरतें गमगमाती हैं - मीट-मसालों की तरह
सिलबट्टों पर खुशी-खुशी पोदीना-प्याज की तरह
पिस जाती हैं औरतें

चूल्हे पर रोटी होती हैं औरतें
यह क्या कम बड़ी बात है
लाखों करोड़ों की भूख-प्यास हैं औरतें

पृथ्वी-सी बिछी हैं औरतें
आकाश-सी तनी हैं औरतें
जरूरी चिट्ठियों की तरह
रोज पढ़ी जाती हैं औरतें
तार में पिरो कर टांग दी जाती हैं औरतें
वक्त-जरूरत इस तरह
बहुत काम आती हैं औरतें

शोर होता है जब
औरतें चुपचाप सहती हैं ताप को
औरतें चिल्लाती हैं जब कभी
बहुत कुछ कहतीं हैं आपको

औरतों के समझने के लिए तानाशाहों
पहले दरवाजे खोलो
और दूर तक देखो खुली हवा में ।

प्रयाग टेलीविजन नेटवर्क तथा सिटी टेलीविजन के संपादक रहे तथा लगभग 10 वर्षो तक आस्था चैनल के लिए वृतचित्र बनाए।भोपाल गैस त्रासदी तथा फूलन देवी के समर्पण की कवरेज भी की। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से भी जुड़े रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, ईसीसी कालेज तथा मुक्त विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किए। एशिया की सबसे बड़ी पथरचट्टी रामलीला कमेटी के लिए 18 घंटे की रामलीला लिखने का सराहनीय कार्य किया। उसका निर्देशन तथा मंचन 6 वर्षो तक किए।

देश की चर्चित साहित्यिक पत्रिकाओं में इनकी कहानियां तथा कविता छपी। काफी पाठकों ने सराहना की। एक चर्चित साहित्यकार हो गए। 'औरतें जहां भी हैं' कविता संग्रह भी प्रकाशित हुई। बाल साहित्य तथा नाटक भी लिखे। कई विधाओं में रचनाएं दी। इस तरह से साहित्य को नई मुकाम दी। एक उपलब्धि दी। चित्रांकन तथा फोटोग्राफी में विशेष रुचि है। काव्यगोष्ठियों में नई ऊर्जा भरते रहते हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं।

एकदम खाटी इलाहाबादी रंग में रहते हैं। मैं भी इनकी रचनाएं पढ़ता रहता हूं और बहुत कुछ सीखता रहता हूं। इनके पास साहित्य का विपुल भंडार है। जिंदगी जीने का वो अनुभव है जिस इलाहाबादी रचनाकार ने नही लिया साहित्य का अनुभव उनसे। करोड़ों रुपए खर्च करके भी साहित्य का सहीं तजुर्बा नहीं प्राप्त कर सकता है। आपकी हमने बहुत सी कविताएं साहित्यिक पत्रिकाओं में पढ़ी है। बहुत कुछ हमने भी सीखा है। महान रचनाकार से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए।



- जयचन्द प्रजापति 'जय' 
प्रयागराज

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका