अनहोनी | हिंदी कहानी

SHARE:

करूणा से भरे हुए अपने भावुक मन के साथ अनुपमा बहुत देर यूँ ही चुपचाप बैठी रही। आज उसने अपना खोया हुआ दोस्त पुनः पा लिया था।

अनहोनी


ये अनोखी कहानी है, अनुपमा और आलोक की। जिसकी शुरुआत होती है शिमला के एक नामी गिरामी कॉलेज से, जहाँ लगभग साथ-साथ ही दोनों की नियुक्ति हुई थी। "हैलो, मैं डॉ. आलोक गोविल, रसायन विज्ञान में ज्वाइन करने आया हूँ, आप डॉ. अनुपमा दत्ता हैं ना? मैंने आपका नाम लिस्ट में देखा था" "जी, मैं भौतिक शास्त्र में हूँ" आलोक की बात सुनकर अनुपमा ने तुरंत मुस्कराकर जवाब दिया।

ऑफिस में इस पहली मुलाकात बाद से ही दोनों अच्छे मित्र बन गए। कॉलेज की अच्छी बुरी सारी बातें एक दूसरे से साझा करना, छोटी बड़ी सभी बातों पर एक दूसरे की सलाह लेना, उनका रोज का काम हो गया था। नई नौकरी, नई जगह, नई उम्र, नया जोश और नए लोग, सामंजस्य बैठाने में दोनों व्यस्त हो चले थे।

अनुपमा छोटी छोटी बातों में आनंदित रहने वाली, खुशमिज़ाज और मिलनसार लड़की थी। अपने मधुर व्यवहार और अपनी प्रतिभा से बहुत कम समय में ही उसने छात्र छात्राओं और सहकर्मियों के बीच अपनी अच्छी जगह बना ली। उसे कॉलेज बहुत भाने लगा था। वहीं तीक्ष्ण बुद्धि, थोड़ा उग्र स्वभाव वाला और अत्यधिक महत्वाकांक्षी आलोक जीवन में बहुत कुछ कर गुजरना चाहता था।

"अनु, मुझे हर वक्त एक बेचैनी सी रहती है, मुझे अपने विषय को बहुत आगे लेकर जाना है, पूरी दुनिया में नाम कमाना है, मेरा एक एक पल कीमती है।" "भई मैं तो जैसी नौकरी चाहती थी, वो मुझे मिल चुकी है, अब मैं सुकून और आराम से भरी खुशगवार जिंदगी जीना चाहती हूँ।" आलोक की बड़ी बड़ी बातें सुनकर अनुपमा हँसकर कहती।

अनहोनी | हिंदी कहानी
एक तो शिमला का मनमोहक मौसम, दूजे आंतरिक संतुष्टि की आभा, खूबसूरत अनुपमा का सौंदर्य और निखर उठा था, जिसपर आलोक को छोड़कर सबकी नज़रें पड़ने लगी थी। आलोक अधिकतर समय कई-कई शोध पत्रों को पढ़ता हुआ, एक अजीब सी उधेड़-बुन में रहने लगा था। "अनु, देखो मेरे दो शोध पत्र प्रकाशित हो गए, वो भी इतने अच्छे इंटरनेशनल जर्नल में" आलोक के ऐसा कहते ही अनुपमा बेहद खुशी से शोधपत्रों को देखने लगी थी, "अरे ! तुमने इनमें मेरा भी नाम क्यों डाल दिया, आलोक? मैंने तो कोई मेहनत ही नहीं की है इनमें!" अत्यधिक आश्चर्य से अनुपमा ने कहा। "तो क्या हुआ, इसमें फिजिक्स के सिद्धांतों की भी सहायता ली गई है, और फिजिक्स केमेस्ट्री तो दोस्त होते हैं न! तुम्हें सी आर लिखने में काम आएँगे।" आलोक ने जवाब दिया।

इस बात से अनुपमा कई दिन उद्वेलित रही। "इतने महत्वाकांक्षी व्यक्ति ने इतनी मेहनत से शोधपत्र लिखे और उसमें अपने साथ मेरा भी नाम डाल दिया, जबकि मेरा रत्तीभर भी योगदान नहीं है। महज दोस्ती का ही तो रिश्ता है....फिर क्यों?" अनुपमा सोचती रहती।

"अनु, मैंने एक घर लिया है, आज लौटते समय मेरे साथ चलना, मेरा घर देखना।" एक दिन आलोक ने अनुरोध किया था। आलोक धनाढ्य परिवार से था, धन- सम्पत्ति की कोई कमी नहीं थी। तीन बेडरूम का आलोक का घर अनुपमा को काफी व्यवस्थित और सुंदर लगा। घूम घूमकर पूरा घर देखते देखते अनुपमा ठिठककर कह उठी, "अरे ! ये क्या ! एक बेडरूम को तुमने प्रयोगशाला में बदल दिया, आलोक!" "ये मेरी अपनी प्रयोगशाला है अनु, इसमें मैं एक दिन किसी नायाब चीज़ का आविष्कार करूँगा, दुनियाभर में मेरा नाम होगा, सब देखते रह जाएँगे।" आलोक के ऐसा कहते ही अनु ने चुटकी ली, "भई फिर हमारे महान साइंटिस्ट महोदय अपने पुराने दोस्तों को भूल तो नहीं जाएँगे?" लेकिन पता नहीं क्यों, आलोक की आँखों में जुनून देखकर अनुपमा किसी अनजाने डर से सिहर उठी थी।

अप्रैल-मई का समय था, कॉलेज में परीक्षाओं की व्यस्तताएँ थी। अनुपमा की आलोक से कई दिनों से बातचीत नहीं हो पाई थी। एक दिन अनुपमा ने सुना, आलोक पिछले दो दिन से बिना किसी सूचना के कॉलेज नहीं आया था। उसने तुरंत ही आलोक को फोन लगाया, लेकिन आलोक ने फोन नहीं उठाया। उसके बाद अनुपमा ने अगले तीन दिन तक, उसे जाने कितनी ही बार फोन किया, लेकिन आलोक ने एक बार भी फोन नहीं उठाया, घंटी बराबर बजती रही थी। बहुत चिंतित होकर अनुपमा ने आलोक के घर जाने का निश्चय किया। शाम को अपनी दोस्त रुचि के साथ आलोक के घर पहुँचकर डोरबेल बजाया, दरवाजे पर कोई नहीं आया, लेकिन दरवाजा हल्का खुला हुआ ही था। हिम्मत करके दोनों सखियाँ अंदर दाखिल हो गईं। पूरा घर छान मारा, कहीं कोई नहीं था। लेकिन पता नहीं क्यों दोनों ने ही ये महसूस किया मानो घर में कोई है। रसोईघर से भी ताजा बनी हुई कॉफी की खुशबू आ रही थी, घर ठीक- ठाक, व्यवस्थित सा ही था। लेकिन आलोक की प्रयोगशाला में सारा सामान बहुत बेतरतीब सा था, मानो किसी ने जल्दबाजी में सब कुछ फैला दिया हो। ढेर सारी परखनलियाँ, बहुत सारे बीकर और केमिकल्स बिखरे पड़े थे। अचानक अनुपमा को आलोक का धीमा सा कातर स्वर सुनाई दिया, "अनु..." जैसे आलोक ने बहुत पास आकर उसके कान मे उसका नाम पुकारा हो। चौंककर, बेचैनी से अनुपमा ने चारों तरफ देखा। किसी को भी न पाकर घबराहट में पसीने से तर, किसी तरह रुचि का हाथ थामकर, बदहवास सी आलोक के घर के बाहर आ गई थी। इस घटना के बाद अनुपमा कई कई रात नहीं सो पाई।

"मैंने जो भी महसूस किया वो सब क्या था" अनुपमा मन ही मन सोचती रहती, किसी से कुछ नहीं कहती। आलोक की कोई खबर नहीं मिल पाई। कुछ समय बाद आलोक के घर के भुतहा होने की अफवाहें भी सुनाई देने लगी थी। लोगों ने उसके घर के दरवाज़े को अपने आप खुलते बंद होते देखा था, घर की लाइट्स को जलते बुझते देखा था, अंदर किसी के चहलकदमी की आवाज़ भी सुनी थी। जितने मुँह उतनी बातें।

"आखिर कहाँ गायब हो गया, एक जीता जागता इंसान" अक्सर अनुपमा सोचती। उसके जीवन का एक हिस्सा ही जैसे खो गया था।

समय अपने नियत चाल से चलता रहा, साथ ही अपनी परिवर्तनशील प्रकृति के चलते, चुपके चुपके बिना बताए अनुपमा की व्यथा पर मरहम का फाहा भी रखता रहा। देखते ही देखते दो साल बीत गए। इस बीच अनुपमा का विवाह हो गया था। अपने व्यस्त जीवन के आवरण के कई पर्तों के अंदर अनुपमा ने आलोक की स्मृतियों को सहेजकर रख लिया था। एक दिन अनुपमा कॉलेज से घर लौटकर थोड़ा सुस्ता ही रही थी कि डोरबेल बज उठी। अलसाए कदमों से अनुपमा ने दरवाज़ा खोला, लेकिन बाहर किसी को न पाकर झुंझलाहट में सोचा,"जाने कौन बेवजह परेशान कर रहा है।" लौटकर पुनः कुर्सी पर पसर गई। 

लेकिन तभी आश्चर्य मिश्रित सिहरन से अनुपमा थरथरा उठी जब उसे सामने से एक आवाज़ सुनाई  दी, "अनु प्लीज़, मुझसे डरना मत, मैं भूत नहीं हूँ।" आलोक की धीर, गंभीर, सधी हुई आवाज़ को अनुपमा तुरंत ही पहचान गई थी। "लेकिन तुम हो कहाँ आलोक? मुझे तो तुम दिखाई ही नहीं दे रहे हो ।"

"मैं तुम्हारी सामने वाली कुर्सी पर बैठा हूँ, अनु, पर तुम मुझे नहीं देख पाओगी, मैं तुम्हें सारी बातें बताता हूँ।" आलोक की बात सुनकर अनुपमा का सारा शरीर ही मानो कर्णमय हो गया था, वह सब कुछ जल्दी से जान लेना चाहती थी।

डॉ. सुकृति घोष
"अनु, तुम तो जानती ही हो कि लगभग दो वर्ष पूर्व मैं पूरी तन्मयता से अपने निजी प्रयोगशाला में एक नायाब आविष्कार करने की कोशिश में था। दिन रात की मेहनत के बाद आखिरकार मैंने एक ऐसी दवा का निर्माण कर ही लिया जिसे पीते ही कोई भी व्यक्ति अदृश्य हो जाए। मैंने इस दवा का सफल परीक्षण चूहों और खरगोशों पर भी कर लिया था। इतना ही नहीं, मैंने साथ-साथ उस दवा की प्रतिकारी दवा भी बना ली जिसे पीते ही व्यक्ति पुनः अपने साकार स्वरूप में आ जाए। अर्थात मैंने दो दवाओं का आविष्कार किया, पहली वाली अदृश्य होने के लिए और दूसरी वाली पुनः दृश्य होने के लिए। लेकिन शर्त यह थी कि दूसरी दवा तभी काम करती थी जब वो पहली वाली दवा लेने के एक घंटे के अंदर ही ली जाए, अन्यथा की स्थिति में व्यक्ति के हमेशा के लिए अदृश्य हो जाने की आशंका थी। अनु, बस यहीं मुझसे चूक हो गई ।" धड़कते दिल से अनुपमा, आलोक की अविश्वसनीय बातों को बहुत ध्यान से सुन रही थी। आलोक ने आगे कहा," अनु, अपने शोध को कामयाब जानकर मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। आनंद और उत्साह के अतिरेक में मैंने स्वयं ही अदृश्य होने वाली पहली दवा को लेने का निश्चय किया था। दवा लेकर मैं घर से बाहर निकल पड़ा, बाज़ार और मॉल घूमता रहा, लोगों को मैं बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था, मेरी खुशी का ठिकाना न था, मैं जाने कितनी ही देर तक यूँ ही मजे लेता रहा। मैं भूल गया कि दूसरी दवा एक घंटे के अंदर ही लेना है। जब तक मुझे ये बात याद आई तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसके बाद मैंने कई बार दूसरी दवा ली लेकिन मेरे साथ अनहोनी हो चुकी थी। उस दिन जब तुम मुझे ढ़ूँढ़ते हुए मेरे घर आई थी, तभी मैं तुम्हें सब कुछ बता देता, लेकिन तुम्हें अत्यधिक डरा हुआ देखकर मेरी हिम्मत नहीं हुई। उसके बाद मैंने खुद को दृश्य रूप में लाने के लिए बहुत से शोध और बहुत प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो पाया। अब शायद मैं जीवन भर ऐसा ही रहूँगा।" कहते कहते आलोक की आवाज भर्रा उठी।

अनुपमा भी अपने आँसू नहीं रोक पाई। "अनु पूरी दुनिया मुझे भूत समझकर मुझसे डरती है, कोई बात नहीं। लेकिन तुम तो मेरी दोस्त बनी रहोगी ना? मुझसे डरना मत अनु, वर्ना मैं तो जीते जी मर जाऊँगा। अनु, तुम्हारे अलावा कोई भी मेरा अपना नहीं है।" आलोक फफक कर रो पड़ा। संवेदनशील अनुपमा कुछ भी कह सकने की स्थिति में नहीं थी, फिर भी रुँधे गले से कहा, "मैं तुम्हारे साथ हूँ आलोक, अपने दोस्त से भला कोई डरता है।" "अनु मैंने इन आविष्कारों पर दो शोधपत्र लिखे हैं। अब इस दुनिया के लिए मैं तो मर चुका हूँ, इसलिए अब ये तुम्हारे ही नाम से छपेंगे, इनमें फिजिक्स का उपयोग भी किया गया है, मैं तुम्हें नोट्स दे रहा हूँ, पढ़ लेना। विज्ञान की दुनिया में ये शोधपत्र तहलका मचा देंगे। मैं चाहता हूँ तुम्हारा खूब नाम हो। मैं तुमसे बात करने अक्सर आता रहूँगा।" कहकर आलोक चला गया था। करूणा से भरे हुए अपने भावुक मन के साथ अनुपमा बहुत देर यूँ ही चुपचाप बैठी रही। आज उसने अपना खोया हुआ दोस्त पुनः पा लिया था।



- डॉ. सुकृति घोष
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र
शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1477,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,49,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,433,हिंदी लेख,535,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,183,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,425,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,681,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,75,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,3,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: अनहोनी | हिंदी कहानी
अनहोनी | हिंदी कहानी
करूणा से भरे हुए अपने भावुक मन के साथ अनुपमा बहुत देर यूँ ही चुपचाप बैठी रही। आज उसने अपना खोया हुआ दोस्त पुनः पा लिया था।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzUZljgDmrecqOZmXOAEECzIuzzah7pKQl9uKnVYmjd7HASjMbS0J5zKKQJSdx5D0iImXkJoq7LoaJ8NdLi_3EF5no3bYCOT45HrvX1iElQU1Per5I6aECjZ0OpmxjLWI7lyyQiK9vNNCA3Va20NytgJ-WX7Es3jNqrvQV7fF6u-qK4CYOzf8RQG_5tQ/s320/anhoni-hindi-kahani.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzUZljgDmrecqOZmXOAEECzIuzzah7pKQl9uKnVYmjd7HASjMbS0J5zKKQJSdx5D0iImXkJoq7LoaJ8NdLi_3EF5no3bYCOT45HrvX1iElQU1Per5I6aECjZ0OpmxjLWI7lyyQiK9vNNCA3Va20NytgJ-WX7Es3jNqrvQV7fF6u-qK4CYOzf8RQG_5tQ/s72-c/anhoni-hindi-kahani.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2023/02/anhoni-hindi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2023/02/anhoni-hindi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका