ड्रेस कोड | हिंदी कहानी

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बबीता सुबह से कुछ परेशान सी है। अल्मारी में कुछ तलाश रही है। थोड़ी परेशान और दुखी है। बार-बार बक्से और अल्मारी खंगालते देख पति से रहा न गया और पूछ ही

ड्रेस कोड


बीता सुबह से कुछ परेशान सी है। अल्मारी में कुछ तलाश रही है। थोड़ी परेशान और दुखी है। बार-बार बक्से और अल्मारी खंगालते देख पति से रहा न गया और पूछ ही लिया.........क्या ....ढूंढ रही हो ? कुछ खो गया है क्या.......?

बबीता कुछ न बोली।

अरे बताओ तो सही। क्या पता मिल जाए। पति थोड़ा मजाकिया अदा के साथ बोला। बबीता का पहले से चढा हुआ पारा और अधिक चढ ़गया। और लगभग झल्लाते हुए बोली........।

कब से एक साड़ी लेने को कह रही थी.........ली तुमने????

पति के चेहरे की हंसी अचानक विस्मय में बदल गई! शासद ऐसे उत्तर की आशंका न थी। बिल्कुल भी न थी । ................?

वह फिर बोली ‘‘ आज हरी साड़ी पहननी है। और मेरे पास साड़ी छोड़ो हरा सूट भी नहीं है.........। तुम्हें कभी कोई मतलब हो तब ना.....................।

अरे तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैं तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं लेता ?? परसों ही शापिंग करके आई थी भूल गई क्या??????? ले आती हरी साड़ी.............।

ड्रेस कोड
बबीता के चेहरे के भाव परिवर्तित होने लगे अचानक गुस्सा शर्म में परिवर्तित होने लगा लेकिन फिर स्वयं को संयत करते हुए बोली.....।

‘‘परसों कौन सा परसों???? वह तो बच्चों के लिए लाई थी ..........। तुम तुम्हारा घर और बच्चों के बाद कुछ बचे तब न अपने बारे में सोचूं?????????

तुम्हें तो बस मेंरे हाथ में शापिंग बैग दिखाई देते हैं.........।

अरे....... बाबा! ओके माफ करो अब ले लेना.........। पति माहौल को शांत करने का प्रयास करने हुए बोला।

अब............। मन को मसोसते हुए बबीता बोली लेकिन आज क्या पहनूं?????

क्या पहनूं ????क्या मतलब इतने कपड़े तो हैं पति थोड़ा हैरान सा था।

अरे......वो नहीं। आज के फंशन का ड्रैस कोड़ हरा है। और मैं हरी साड़ी कहां से लाउं????? अभी बबीता के चेहरे से बड़े दुख और परेशानी के भाव झलक रहे थे।

तो...........मम्मी से मांग लो............शायद उनके पास हो???????

हां........ कितने पुराने फैशन की होगी ........??? और वैसे भी मुझे दस हिदायतें सुनने को मिलेगी । मुझे नहीं मांगना.......।

‘‘तुम लोंगों का भी कुछ समझ नहीें आता एक काम करो भाभी से मांग लो ..........।पति हर प्रकार से माहौल ठीक करने का प्रयास कर रहा था।

मांग तो लेकिन उन्होंने अभी कुछ ही दिनों पहले पहनी थी सबको पता चल जाएगा। और सब मेरी मजाक बनाएंगे। सब पहचान जाऐंगे। कहेंगे कि एक साड़ी भी नहीं है।

अरे.............! कोई नहीं पहचानता ..........अब तो पति भी परेशान होने लगा था। अच्छा जाओ नई ले लो फिर लगभग चहकते हुए ठीक है !............प......र........आज ही पहननी है बन भी तो नहीं पाएगी.............। धम्म से बिस्तर पर बैठ बई।

 पास बैठते हुए तो.........क्या करें...... बताओ??? अच्छा.....कुछ और पहन लो......वैसे भी ड्रेस से क्या फर्क पड़ता है.....तुम तो हमेशा सुन्दर लगती हो...... पति ने माहौल को हल्का करते कहा।

आपको कुछ भी नहीं पता ..........। बबीता की आवाज फिर थोड़ा तेज हो गई थी लेकिन इस बार नाराजगी नहीं थी। हम औरतों के गु्रप में आजकल र्को भी इवेंट होती है तो उसका ड्रेस कोड होता है । जैसा ड्रेस डिसाइड होता है वैसा ही पहनके जाना होता है। एक सांस में बबीता ने सारी कहानी बयां कर दी।

नहीं तो..................मंडली से निकाल दिया जाता है.........। पति थोड़ी मजाकिया अंदाज में बोला। और हंस पड़ा
बबीता का ठंडा पड़ा फिर तप उठा और बोली ........जब में तुम्हारे मामले में नहीं बोलती तो तुम्हें भी मेरे मामले में नहीं बोलना चाहिए । मैं तो नहीं पूछती कि तुम ऑफिस में पेंट- शर्ट क्यों पहन कर जाते हो?? नेकर में क्यों नहीं जाते?????

अरे.......। पति कुछ बोले उससे पहले ही बोल उठी।.......हम औरतें पूरा घर संहालती हैं तुम लोंगों की सारी जरूरतें पूरी करती हैं जो क्या हमें कुछ पल अपने तरह से जीने का अधिकार नहीं है।

कुछ.......पल????......या आ.........तुम्हें क्या नहीं मिलता?????कुछ बोलने से पहले ही बबीता ने चुप करा दिया।
ओके तुम जीती........पति समझ गया था कि जिस मंडली में वो जा रही है वो उसे उसी के घर से बाहर निकालने की ताकत रखती है। इसलिए चुप रहने में ही भलाई है।

आपसी बहस तो समाप्त हो गई पर बबीता का मन शांत न हुआ खुद में ही बड़बड़ाती हुई बोली ऐसा करती हूं कि जाती ही नहीं हूं । कुछ बहाना बना लुंगी। कम से कम मजाक तो नहीं बनेगा।.... आज की कीर्तन पार्टी किसी और दिन। अब मन मसोसकर वह घर में रह गई लगातार उसके मन में यही चिंता रही कि बांकी की औरतें कैसी लग रही होंगी?

आज उसने बच्चों से भी ठीक से बात नहीं की। वह पूरे समय थोड़ा उदास ही रही । बच्चे खुश थे कि आज मां घर पर है। लेकिन वह दुखी थी क्योकि वह आज घर पर है।

किसी तरह शाम तक का वक्त बीत गया। मन हल्का करने के लिए वह घर से बाहर निकली तभी पड़ोस की शोभा दिखाई द ीवह नज़र बखने की कोशिश करने लगी लेकिन वह पास ही आ गई।

बबीता.........बबीता.....रूको.....।
अरे शोभा......कैसी हो....?
कैसी हो छोड़ो.....। तुम आज आई क्यों नहीं???
कुछ नहीं दरसल मेैंने अपनी साड़ी ड्राई क्लीन के लिए दी थी लेकिन वां दुकान वाला आज ही दुकान बंद करके जाने कहां चला गया। .......एक...तो मैने एक कलर की एक ही साड़ी ले रखी है ....एक जैसी साड़ी अच्छी भी तो नहीं लगती। बबीता की आवाज थोड़ा लड़खड़ा रही थी।

ओहो.........! तो क्या हुआ कुछ और पहन के आ जाती साड़ी नहीं थी तो वो बबीता का झूठ पकड़ चुकी थी पर थोड़ी आत्मीयता से बोली।

ऐसा चल सकता है क्या???? बबीता ने आश्चर्य से पूछा।
हां.......अभी तुमने नया नया गु्रप जॉइन किया है ना तभी तुम्हें पता नहीं है। जब किसी के पास ड्रेस कोड के एकार्डिग ड्रेस न हो तो वो किसी और ड्रेस में आ जाते हैं।

तो उनसे कोई कुछ नहीे कहता????बबीता अब विस्मित थी।

नहीं क्यों कहेंगे.......कहेंगे भी पीठ पीछे ही तो कहेंगे.......। शोभा थोड़ा मुस्काईं।

इसीलिए......... अटेंड कर सकती थी बस जो गु्रप की फोटो स्टेटस में अपडेट करते हैं उसमें तुम्हें शामिल नहीं किया जाता। पर अपनी पर्सनल पिक तो तुम स्टेटस में लगा ही सकती थी न । चलो कोई नी गु्रप में फोटोज़ को लाइक जरूर करना। एफ बी पर भी और वट्सअप पे भी। हां। चलो मैं चलती हूं। सारी जानकारी देकर शोभा चली गईं।

अब बबीता के मन में अफसोस था कि अगर पहले पता होता तो वो भी इवेंट अटेंड कर पाती। स्टेटस लगा लेती गु्रप के स्टेटस के चक्क्र में कितनी मारामारी है।

ओफो.........। घर जाते जाते बबीता तय कर चुकी थी कि अब उसने हर रंग की साड़ी ले लेनी है ताकि उसे कोई इवेंट मिस ना करना पड़े।..............



- डॉ0 चंचल गोस्वामी 
पिथौरागढ़ उत्तराखंड

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