बुलंद हौसले के सामने शारीरिक अक्षमता ने घुटने टेके

SHARE:

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात से सिल पर परत निशान, कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो

इनके बुलंद हौसले के सामने शारीरिक अक्षमता ने घुटने टेके


दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे ग्रसित होता है, तो समाज और लोगों की मानसिकता उन्हें लेकर बिल्कुल अलग हो जाती है. वे उन्हें बोझ या दया की नजर से देखते हैं जबकि वे भी एक सामान्य परिवार में जन्म लेते हैं. लेकिन उनकी दिव्यांगता उन्हें आम लोगों की कैटेगरी से निकाल कर हैंडीकैप की श्रेणी में डाल देती है. इसके बावजूद कई ऐसे दिव्यांग पुरुष और महिलाएं हैं, जिन्होंने ना सिर्फ खुद के लिए एक मुकाम हासिल किया बल्कि समाज के लिए एक संदेश दिया. देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी ऐसी ढ़ेरों मिसालें मौजूद हैं.

मधुबनी के रहने वाले पैरा स्वीमर मो शम्स आलम ने अब तक कई सारे रिकॉर्ड स्थापित किए हैं. इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक मिल चुका है. आठ दिसंबर को बिहार स्विमिंग एसोसिएशन की ओर से आयोजित मिश्रीलाल मेमोरियल विंटर स्विमिंग कंपटीशन 2019 में फास्टेस्ट पैराप्लेजिक स्वीमर का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने गंगा नदी में सबसे तेज दो किलोमीटर की तैराकी 12:23:04 मिनट में पूरा कर लिया था, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इसी रिकॉर्ड के लिए उनका नाम इंडिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया जा चुका है. शम्स बताते हैं कि वे बिल्कुल आम लोगों की तरह थे लेकिन साल 2010 में उन्हें स्पाइनल ट्यूमर हो गया था. उस समय ऑपरेशन सक्सेसफुल नहीं हो पाने के कारण उनके सीने के नीचे का हिस्सा पैरालाइज हो गया. अचानक आए इस बदलाव के लिए वे बिल्कुल तैयार नहीं थे.

बुलंद हौसले के सामने शारीरिक अक्षमता ने घुटने टेके
साल 2011 में वह मुंबई स्थित पैराप्लेजिक फाउंडेशन रिहैबिलिटेशन सेंटर गए. वहां उनकी मुलाकात दिव्यांग राजाराम घाग से हुई जिन्होंने 1988 में इंग्लिश चैनल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था. उनके मोटिवेट करने पर उन्होंने स्विमिंग की ओर अपना कदम बढ़ाया. वह दिन और आज का दिन है. शम्स अपनी शारीरिक कमियों को दरकिनार कर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और मेहनत के साथ विभिन्न कंपटीशन में भाग ले रहे हैं. हाल ही में 24-27 मार्च तक उदयपुर में आयोजित 21वां नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप 2021-22 में उन्हें 2 गोल्ड और 1 सिल्वर पदक मिला है. वह आगे बताते हैं कि इससे पहले उनका नाम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में आ चुका है. साल 2014 में उन्होंने एक घंटा 40 मिनट में 6 किलोमीटर की स्विमिंग मुंबई में आयोजित कंपटीशन में किया था जबकि साल 2017 में उन्होंने गोवा में आयोजित स्विमिंग कंपटीशन में आठ किलोमीटर की तैराकी की थी. इन दोनों जगह में इनके द्वारा बनाए गए पैराप्लेजिक स्वीमर रिकॉर्ड अब तक किसी ने नहीं बनाया है. साल 2019 में उन्हें बिहार खेल रत्न सम्मान और बिहार सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय खेल सम्मान से नवाजा जा चुका है. शम्स इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया के ऑफिशियल आइकोन भी रह चुके हैं.

पटना की रहने वाली विकलांग अधिकार मंच बिहार की अध्यक्ष कुमारी वैष्णवी के पिता फौजी थे. पांचवीं कक्षा तक सब कुछ ठीक था लेकिन साल 1996 में 11 साल की उम्र में वैष्णवी को फीवर आया और पैर कड़ा हो गया. शुरुआत में दानापुर स्थित आर्मी हॉस्पिटल में इलाज हुआ लेकिन कोई असर नहीं हुआ तो पीएमसीएच भेजा गया. यहां उनका ऑपरेशन हुआ जिसमें ट्यूमर निकाला गया लेकिन पैर की सूजन बढ़ने लगी. इससे एक दूसरा ट्यूमर बन गया, जिसके लिए पहले आइजीआइएमएस और फिर दिल्ली भेजा गया. यहीं पर साल 1998-1999 में उन्हें पता चला कि ट्यूमर का चौथा स्टेज है जो नस से जकड़ कर पेट पर आ गया था. मुंबई पीएमएस में डेढ़ साल तक रिसर्च और इलाज किया गया लेकिन बाद में उन्होंने भी जवाब दे दिया. साल 2007 में पिता ने उन्हें बैसाखी लाकर दी.

वैष्णवी कहती हैं कि उसी वक्त मैंने तय किया कि मुझे अपनी एक अलग पहचान बनानी है. इसके बाद उन्होंने पटना के अनीसाबाद स्थित वीआरसी सेंटर में एक साल की ट्रेनिंग भी ली. उस वक्त उन्होंने हैंड स्टिचिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और जिला स्तर पर ब्रॉन्ज जीता. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और नेशनल लेवल पर साल 2010 में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता, फिर वह राष्ट्रीय विकलांग मंच से जुड़ गईं. उन्होंने एक्शन एंड एसोसिएशन के सहयोग से विकलांग अधिकार मंच की स्थापना की, जिसका मकसद दिव्यांग महिलाओं को सशक्त करने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं और स्कीम संबंधित जानकारियां देना है. इसके इतर अनोखा विवाह के तहत वह अब तक 33 दिव्यांग जोड़ों की शादी करवा चुकी हैं.

भागलपुर स्थित रंगरा गांव की रहने वाली ममता भारती ने मिथिला पेंटिंग के जरिये अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वह चार साल की उम्र तक आम बच्चों की तरह ही थी. साल 1982 के समय पोलियो की बीमारी हर जगह फैली हुई थी, जिससे वह भी ग्रसित हो गई और उनके शरीर को लकवा मार गया. कई जगहों पर इलाज करवाया गया लेकिन कहीं कुछ फायदा नहीं हुआ. फिर उनके पिता उन्हें पटना में लेकर आए जहां उनका इलाज मुखोपाध्याय डॉक्टर ने किया. इलाज के बाद कमर के ऊपर का हिस्सा तो काम करने लगा लेकिन इसके नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया. उन्होंने परिवार के सहयोग पर घर से ही मैट्रिक और इंटर किया. आर्ट के प्रति लगाव होने की वजह से साल 2007 में उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान से मिथिला पेंटिंग सीखा. वहां 6 महीने सीखने के बाद उन्हें आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज के बारे में पता चला और वहां के प्रोफेसर की मदद से पढ़ाई पूरी की. कॉलेज के दौरान ही उन्हें काम करने का भी ऑफर मिलने लगा.

ममता बताती हैं कि लोग कहते थे "हैंडीकैप है, क्या ही कर पाएगी"? लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद उन्होंने अपने पेंटिंग के पैशन को प्रोफेशन में तब्दील कर दिया. साल 2014 में उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया. वह बताती हैं कि साल 2017 में बिहार स्टार्टअप योजना के तहत उनका चयन किया गया था, जिसका नाम हस्त संस्कृति प्राइवेट लिमिटेड है. इसका मकसद महिलाओं खासकर दिव्यांग महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर रोजगार से जोड़ना है. अभी उससे 15-20 लोग जुड़कर रोजगार कमा रहे हैं और अब तक हजार से ज्यादा लोग ट्रेनिंग ले चुके हैं.

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात से सिल पर परत निशान, कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो जैसे कई अनगिनत कहावतें हैं, लेकिन अगर शारीरिक रूप से अक्षम कोई इंसान इन कहावतों को अपनी मेहनत से सच बना दे तो आश्चर्य होना लाज़मी है. शम्स, कुमारी वैष्णवी और ममता भारती जैसे लोग हमारे समाज के लिए एक मिसाल हैं. यह उनके लिए भी मिसाल हैं जो शारीरिक रूप से सक्षम होने के बावजूद हार मान कर बैठ जाते हैं. जिन्हें यह लगता है कि "हमसे यह नहीं हो पायेगा" उन्हें एक बार इनकी तरफ मुड़कर देख लेना चाहिए. (चरखा फीचर)




- जूही स्मिता ,
पटना, बिहार

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका