टूटा पहिया कविता की व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर

SHARE:

टूटा पहिया कविता की व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर toota pahiya hindi poem questions and answers Dharmvir Bharati टिप्पणी सार आशय समकालीन हिंदी काव्य

टूटा पहिया कविता - धर्मवीर भारती


टूटा पहिया कविता टूटा पहिया कविता का भावार्थ टूटा पहिया कविता का सारांश  टूटा पहिया कविता का टिप्पणी टूटा पहिया कविता का सार टूटा पहिया कविता का आशय धर्मवीर भारती समकालीन हिंदी काव्य, समकालीन हिंदी कविता toota pahiya hindi poem questions and answers Dharmvir Bharati


टूटा हुआ पहिया कविता की व्याख्या भावार्थ


मैं
रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ
लेकिन मुझे फेंको मत !
टूटा पहिया कविता की व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर
क्या जाने कब
इस दुरूह चक्रव्यूह में
अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता हुआ
कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर जाय !
अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी
बड़े-बड़े महारथी
अकेली निहत्थी आवाज़ को
अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें
तब मैं
रथ का टूटा हुआ पहिया
उसके हाथों में
ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ !

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने रथ के टूटे हुए पहिये की सार्थकता को प्रमाणित किया है। रथ का पहिया जब टूट जाता तो लोग उसकी उपयोगिता को व्यर्थ समझ कर उसे त्याग देते हैं। कवि के अनुसार उसे फेंकना नहीं चाहिए ,क्योंकि जीवन रूपी संग्राम में कभी न कभी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है। अपनी बात के समर्थन के लिए कवि ने महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु के चक्रव्यूह भेदन के समय जब सप्तमहारथियों ने उनके सारे शास्त्र काट दिए थे ,तो फिर भी उसने हार नहीं मानी। वह रथ के टूटे हुए पहिये को लेकर शत्रुओं से वीरता के साथ लड़ा और अंत में वीरगति को प्राप्त हुआ। ठीक वैसे ही आज प्रत्येक व्यक्ति अभिमन्यु हैं जो जीवन के द्वंदों एवं जटिलताओं के चक्रव्यूह में फँस गया है। आज इससे मुक्ति के लिए उसकी इच्छाशक्ति रूपी रथ के टूटे हुए पहिये की आवश्यकता पड़ सकती है जिसे उसे हमेशा संजोये हुए रखना चाहिए। जीवन रूपी संग्राम में कब कौरव रूपी सेना कामनाओं से लड़ने के लिए इस पहिये की आवश्यकता पड़ जाए ,कहा नहीं जा सकता है। आज के मानव रूपी अभिमन्यु को शोषणकर्ताओं के ब्रह्मास्त्र पराजित करने में लगे हुए हैं। उसके साथ में संघर्ष करने की संकल्पशक्ति रूपी पहिया है। इसी पहिये के माध्यम से वह अन्याय ,असत्य एवं शोषण का मुकाबला कर सकता है। 

मैं रथ का टूटा पहिया हूँ
लेकिन मुझे फेंको मत
इतिहासों की सामूहिक गति
सहसा झूठी पड़ जाने पर
क्या जाने
सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले !

व्याख्या - कवि का कहना है कि पहिया अपनी उपयोगिता के प्रसंग में कहता है कि इतिहास बोध व्यक्ति सापेक्ष है। सत्ताधारी इतिहास को अपने अनुसार प्रस्तुत करता है। लेकिन झूठ के रहस्य का पर्दाफाश होता ही है। इस रथ के टूटे पहिये से संघर्ष की शक्ति व्यक्ति को प्राप्त होगी और पुनः असत्य पर सत्य की विजय होगी। 


टूटा हुआ पहिया कविता के प्रश्न उत्तर


प्र. टूटा हुआ पहिया कविता की वर्तमान समय में क्या प्रासंगिकता है ?
उ. आज भी हमारे समाज में महाभारत के अभिमन्यु का प्रसंग सार्थक है। आज का मानव भी शोषण ,दमन ,असत्य झूठ और भ्रष्ट्राचार की दमन शक्तियों से घिरा हुआ है। 

प्र. इतिहास की सामूहिक गति कब झूठी पड़ जाती है ?
उ. सत्ताधारी इतिहास की वास्तविकता को दबाने का चाहे कितना भी प्रयत्न क्यों न करे उसकी वास्तविकता का रहस्योघाटन होता ही है। उस सत्य को उजागर करने वाला वह निहत्था व्यक्ति ही जिसका आश्रय है रथ का टूटा हुआ पहिया। 

प्र. कवि के अनुसार टूटे हुए पहिये की सार्थकता क्या है ?
उ. कवि के अनुसार कोई भी वस्तु व्यर्थ नहीं होती है। महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में घिर जाने के बाद अभिमन्यु ने रथ के टूटे पहिये से साथ महारथियों पर आक्रमण किया था। इसी कारण पहिये अपने को फेकें जाना का विरोध करता है। 

प्र. 'दुस्साहसी अभिमन्यु ' कथन द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ?
उ. कवि का कहना है कि जैसे महाभारत का अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदन का मर्म न जानते हुए भी उसमें प्रवेश करने का दुसाहस किया और पराजित हुआ। आज प्रत्येक मानव ही अभिमन्यु है जो जीवन की जटिलताओं के चक्रब्यूह में फँस गया है और उसने मुक्ति के लिए अपने आप को अक्षम पाता है। 


टूटा हुआ पहिया कविता का सारांश मूल भाव उद्देश्य 

टूटा हुआ पहिया एक मिथकीय परिवेश की पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई कविता है। यहाँ पर टूटा हुआ पहिया निष्ठायुक्त संघर्ष का प्रतिक है। जैसे सप्त महारथियों से घिर जाने के बाद अंत में अभिमन्यु अपने रक्षार्थ रथ के टूटे हुए पहिये का सहारा लिया था। ठीक उसी प्रकार हम जिसे व्यर्थ एवं त्यक्त समझते हैं वे भी शोषण के प्रतिरोध की क्षमता रखते हैं। आज का सत्ताधारी पक्ष इतिहास की सच्चाई का गला घोंट कर उसे दबाना चाहता है ,लेकिन अंत में उस सत्य का भंडाफोड़ होता ही है। उस सत्य को प्रकाशित करने वाला वह निहत्था व्यक्ति ही है जो कि रथ के टूटे हुए पहिये के समान है। 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका