मुक्ति मार्ग कहानी प्रेमचंद समीक्षा सारांश प्रश्न उत्तर Mukti Marg Premchand ki Kahani मुक्ति मार्ग कहानी का उद्देश्य कहानी की मूल संवेदना हिन्दी
मुक्ति मार्ग कहानी प्रेमचंद
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मुक्ति मार्ग कहानी प्रेमचंद का सारांश
मुक्तिमार्ग कहानी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी है। प्रस्तुत कहानी में आपने बताया है कि आपस का बैर व्यक्ति का विनाश कर देते हैं। परस्पर मेल से ही मनुष्य को इससे छुटकारा मिलता है। मुक्तिमार्ग कहानी में झींगुर एक किसान था। इस साल उसने तीन बीघे ऊख की खेती की थी। ऊख की फसल देखकर वह नशे में चूर हो जाता था। वह दिन रात घमंड में रहता था। गाँव के बनिए उसकी खुशामद करने लगे थे। अच्छी खेती देखकर वह मन ही मन तमाम मंसूबे बाँध रहा था। एक दिन झींगुर अपने बेटे को गोद में लिए मटर की फलियाँ तोड़ रहा था कि उधर से बुद्धू गड़ेरिया अपनी भेड़ों के झुण्ड के साथ आता हुआ दिखाई पड़ा। झींगुर ने उससे भेड़ों को दूसरे रास्ते ले जाने के लिया कहा तो वह नहीं माना। इतने में सारे भेड़ झींगुर के मटर के खेत में टूट पड़ी और मटर को चरने लगी। झींगुर न आव देखा न ताव लड़के को गोद से उतार कर एक डंडा लिया और भेड़ों को पीटने लगा। बुद्धू चुपचाप सब कुछ देख रहा था। वह अपनी घायल भेड़ों को लेकर वापस घर चला आया परन्तु जाते जाते झींगुर से कह दिया कि उसे इसके लिए पछताना पड़ेगा।
गाँव वालों को जब इस घटना का समाचार मिला तो लोगों ने कहा कि अब अनर्थ हो जाएगा। अतः झींगुर को चाहिए कि वह जाकर बुद्धू को मनाये। झींगुर बुद्धू के घर मजबूर होकर उसे मनाने के लिए चला। किन्तु तब तक देर हो चुकी थी। बाहर जाते ही उसने देखा कि उसके ऊख के खेत में आग लगी हुई है। उसकी चित्कार सुनकर गाँव के लोग आग बुझाने के लिए दौड़े ,तब तक सब कुछ स्वाहा हो चुका था। पूस का महिना आया। ऊख के जल जाने से न तो कोल्हू चले न रस पकाकर गुड़ बनाया गया। गाँव की दशा शोचनीय हो गयी। पशुओं को चारे का कष्ट होने लगा। गाँव के कुत्ते शीत से मरने लगे। सारा गाँव सर्दी बुखार से ग्रस्त हो गया। इन सबकी बर्बादी का कलंक झींगुर के मत्थे पर मढ़ा गया।
ऊख जल जाने के बाद झींगुर बुद्धू से बदला चुकाने की युक्ति सोचने लगा। उसने बुद्धू से मेल - मिलाप बढ़ाना शुरू किया। इधर बुद्धू के पौ - बारह थे। उसकी आमदनी दिनों - दिन बढ़ रही थी। उसने छह कमरों का नया मकान और बरामदा बनवाया। झींगुर ने हरिहर चमार को मिलाकर एक षडयंत्र रचा। उसने अपनी बछिया को बुद्धू की भेड़ों के साथ चराने के लिए उसके घर पहुंचा दिया। इसी बीच हरिहर ने बछिया को जहर दे दिया। बछिया मर गयी और बुद्धू पर गोहत्या का कलंक लगा। पंडितजी बुलाये गए और बुद्धू को प्रायश्चित के लिए तीन महीने का भिक्षा दंड ,५०० ब्राह्मणों का भोजन और ५ गौ का दान देने के लिए कहा गया। बुद्धू घर की जिम्मेदारी अपने छोटे बच्चों पर छोड़कर भिक्षा दंड के प्रायश्चित के लिए घर छोड़कर बाहर निकला और जब वापस आया तो सारी गृहस्थी चौपट हो गयी थी। अंत में उसने ५०० रूपये में सारी भेड़ें बुचड के हाथ बेंच दिए और मजदूरी करके जीवकोपार्जन करने के लिए मजबूर हो गया।
झींगुर के बैल मर चुके थे। वह अपने खेत को बटाई पर देकर शहर में मजदूरी का काम करता था। बुद्धू भी वहीँ पर गया और उसे गारा देने का काम मिल गया। दिन भर काम करने के बाद दोनों शाम को मिले ,रोटियां पकाई और खा कर चट्टान पर लेटे - लेटे चिलम पीने लगे। बुद्धू ने स्वीकार किया कि झींगुर के ऊख के खेत में आग उसने ही लगायी थी। थोड़ी देर बाद झींगुर ने भी स्वीकार किया कि बछिया की पगहिया उसी ने बाँधी थी। इस प्रकार दोनों के मन की द्वेष भावना समाप्त हो गयी और उन्हें मुक्ति का मार्ग मिल गया।
मुक्ति मार्ग कहानी प्रेमचंद के प्रश्न उत्तर
प्र. ऊख के खेतों को देखकर झींगुर क्या कल्पना करता था ?
उ. झींगुर कल्पना करता था कि ऊख बेचने से छह सौ रुपये तो मिल ही जायेंगे। उन रुपयों से वह बैलों की एक नयी जोड़ी खरीदेगा। कहीं दो बीघे खेत और मिल जाएगा तो लिखा लेगा।
प्र. झींगुर और बुद्धू में क्यों अनबन हुई ?
उ. एक दिन झींगुर अपने बेटे को गोद में लेकर मटर की फलियाँ तोड़ रहा था तो उसे भेड़ों का झुण्ड अपनी तरफ आता दिखाई दिया। वे भेड़ें बुद्धू गड़ेरिया की थी। झींगुर के लाख मना करने पर भी वह उसके खेत के डांड से हांकने लगा। भेड़ें झींगुर के मटर के खेत में टूट पड़ी। झींगुर ने तुरंत एक डंडा लिया और भेड़ों को पीटने लगा। बुद्धू चुपचाप अपनी भेड़ों को पिटता हुआ देखता रहा और जाते समय झींगुर से कहा कि 'तुमने यह अच्छा काम नहीं किया। "
प्र. ऊख की फसल जल जाने का क्या परिणाम हुआ ?
उ. ऊख की फसल जल जाने से गाँव में कुहराम मच गया। कुत्तों को गर्म राख न मिलने से वे ठण्ड से मर गए। शीत बढ़ने के साथ ही ग्रामवासी खाँसी ,बुखार से ग्रस्त हो गए।
प्र. झींगुर ने बुद्धू से बदला लेने के लिए क्या षड्यन्त्र किया है ?
उ. बुद्धू से बदला लेने के लिए झींगुर ने कूटनीति का सहारा लिया। उसने बुद्धू से मेल - जोल बढ़ाना शुरू कर दिया। उसने अपनी बछिया को बुद्धू के भेड़ों के साथ चराने के लिए उसे सुपुर्द कर दिया और हरिहर से मिलकर उसे जहर खिलवा दिया।
प्र. दंड पाने के बाद बुद्धू की क्या दशा हुई ?
उ. दंड पाने के बाद बुद्धू दो महीने के लिए गाँव छोड़कर बाहर चला गया। वहां से लौटने पर उसने पाया कि उसकी माली हालत ख़राब हो गयी। उसने ५०० रुपये में सारी भेड़ें एक बुचड को बेच दिया। ३०० रुपये विप्रभोज आदि के लिए रखकर २०० रुपये लेकर तीर्थयात्रा को चल पड़ा। इस प्रकार बुद्धू एक महाजन किसान से मजदूर बन गया।
प्र. बुद्धू और झींगुर को अपने अपने अपराधों से मुक्ति कैसे मिली ?
उ. मजदूरी करते समय शाम को दोनों ने खाना खाया और नमक मिर्च से रोटियाँ खा कर चिलम पिया और चट्टान पर सो गए। वहीँ दोनों ने एक दूसरे के सामने अपने अपराध स्वीकार कर लिए और उन्हें अपराध से मुक्ति मिली।
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