ईश्वर की रचना हिंदी कहानी ईश्वर बना रोबोट इस अचानक हुए प्रहार से स्तब्ध रह गया। वैज्ञानिकों ने देखा कि उनका बनाया *ईश्वर* अद्दश्य हो चुका था।
ईश्वर की रचना
रोबोटिस् पर खोज करते करते वैज्ञानिकों ने एक बहुत बड़ी प्रयोगशाला बना ली। इसमें पहले छोटे-मोटे काम करनेवाले रोबोट ही तैयार किये जाते थे जो भोजनालयों में टेबल साफ करने] खाना परोसने] पानी के गिलास भरकर देने जैसे काम बखूबी किया करते थे। अस्पतालों में नर्स का काम भी मुस्तैदी से करनेवाले रोबोट भी बनाये गये। देखते ही देखते वैज्ञानिकों ने बड़े बड़े कारखानों में मशीन पर काम करनेवाले कृत्रिम मानव की रचना कर डाली।
रोबोट की खोज पर पकड़ दिन-ब-दिन मजबूत होने लगी। कालान्तर ऐसे भी रोबोट बने जो गणित के कठिन प्रश्न चटपट हल कर सकते थे या फिर ऐसे रोबोट जो किसी भी विषय पर लेख या साहित्यिक रचना तक करने लगे। प्रयोगशाला एक तरह से रोबोटों की बस्ती बन गई। बस्ती याने ऐसी जगह जहाँ रोबोट अपनी मर्जी के मालिक बन उत्पात मचाने लगे।
वैज्ञानिक फिर भी हिम्मत बटोरकर प्रयोगशाला में लगातार खोज करते रहे। उन्हें तब ऐसे रोबोट की रचना करनी थी जो अस्त्र-शस्त्र का बखूबी इस्तेमाल करते हुए देश की सुरक्षा करने सरहदों पर तैनात किये जा सकें। वैज्ञानिकों के रात-दिन चलते प्रयास से सफलता मिल ही गई। अब, युद्ध के लिये ऐसी सेना बन गई जो दुश्मनों का डटकर मुकाबला करने में सक्षम थी। उन पर दुश्मन के कोई भी हथियार का असर नहीं होता था। वे ऐसे धातु के बने थे कि आकाश से बरसते आग के गोले भी उनका बाल-बाकाँ नहीं कर सकते थे और उन पर वैज्ञानिकों व देशवासियों को गर्व होने लगा था।
अब, वैज्ञानिकों को बस इसकी चिन्ता थी कि एक ऐसे रोबोट भी बनने लगें जो अच्छे-बुरे की पहचान करने लगें और सिर्फ उन्हीं आदेशों का पालन करें जो लोकहित में हों। साहित्यिक रचना करनेवाले रोबोटों को शिक्षित करने शास्त्रों में लिखे मंत्रों के रिकार्ड बनाकर प्रयोगशाला में शैक्षणिक कक्षाऐं खोली गईं। इस काम में सफलता की किरणों को देख, वैज्ञानिक एक रोबोट बनाने में जुट गये जो मात्र सत्कर्म ही कर सके। इस रोबोट को वो ‘ईश्वर’ नाम देना चाहते थे और जब इसकी रचना पूर्ण हो गई तो वैज्ञानिक उसे सुन्दर स्वरूप देने में जुट गये ताकि वह शास्त्रों में वर्णित ईश्वर-सा आकर्षक व सारगर्भित दिखने लगे। देखते ही देखते वह दिन आ गया कि वैज्ञानिक एक साथ चिल्ला पड़े *यूरेका*। उन्होंने सच में ईश्वर की रचना कर ली थी।
तभी प्रयोगशाला में रखी एक अलमारी का दरवाजा तोड़ता एक रोबोट सामने आ खड़ा हुआ। ईश्वर को सामने देख वह रोबोट खुद ब खुद आगे बढ़ा। उसने ईश्वर के पैर छुए और दूसरे ही क्षण रिवाल्वर ताने खड़ा हो गया। गोलियों की आवाज से प्रयोगशाला थर्रा उठी। ईश्वर बना रोबोट इस अचानक हुए प्रहार से स्तब्ध रह गया। वैज्ञानिकों ने देखा कि उनका बनाया *ईश्वर* अद्दश्य हो चुका था।
यह रचना भूपेंद्र कुमार दवे जी द्वारा लिखी गयी है। आप मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल से सम्बद्ध रहे हैं।आपकी कुछ कहानियाँ व कवितायें आकाशवाणी से भी प्रसारित हो चुकी है। 'बंद दरवाजे और अन्य कहानियाँ', 'बूंद- बूंद आँसू' आदि आपकी प्रकाशित कृतियाँ है।संपर्क सूत्र - भूपेन्द्र कुमार दवे, 43, सहकार नगर, रामपुर,जबलपुर, म.प्र। मोबाइल न. 09893060419.
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