वेलेंटाइन डे को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाएँ

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वेलेंटाइन डे को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाएँप्रेम इजहार के लिए हम एक खास दिन चुने शादी के बाद इस दिवस की याद बस एक भूली बिसरी याद रह जाती है

प्रेम दिवस 


ज प्रेम दिवस यानि वेलेन्टाईन डे है। पश्चिम का यह पर्व हमारे देश मे जोरो शोरो से मनाया जाता है केवल युवावर्ग ही यह दिन याद रखता है इसे वे प्रेमी प्रेमीका का दिन  मानते है।

प्रश्न यह हे कि क्या प्रेम केवल प्रेमी या प्रेमिका से ही हो सकता है ? यह हमारी संस्कृति नही है न ही पश्चिम की है। यह पर्व संत वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। जिन्होने संसार को प्रेेम का संदेश दिया  और पूरी जिदगीं सबको इस राह में चलने के लिऐ प्रेरीत किया ।वे प्रेम का संदेश चहूॅं ओर फेैलाते और अमन शांति की संदंेश देते ।

एक मानव की सर्वोच्च भावना और मनुश्य होने का यही अर्थ है कि वे प्रेम से करे और प्रेम से रहे एवं अमन शांति को कायम रखने मे समर्पित रहे इस सर्वोच्च कोटि की भावना का विकृत रूप हमारे युवा वर्ग  ने अपना लिया है। वह इस पर्व की भावना का अर्थ ही नही समझ पाया है प्रेम करना अच्छा हे। पर आधुनिकता की दौड में एक या दो प्रतिशत ही तो सच्चा प्रेम कर रहे है वेलेनटाइ्रन डे पर प्रेम इजहार किया गया तो अगले साल इसी दिन वह साथ है या नही कहा नही जा सकता ऐसे मे यह प्र्रेम का इजहार नही दिखावा है। 

वेलेंटाइन डे को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाएँ
यह हमारी पंरपरा नही है कि प्रेम इजहार के लिए हम एक खास दिन चुने शादी के बाद इस दिवस की याद बस एक भूली बिसरी याद रह जाती है औसतन सत्तर साल का शादीशुदा जीवन प्रेम का ही  परिणाम तो है भले ही यह मजबूरी बन जाये पर है तो प्रेम ही । यहा एक और बात दिमाग आती है कि अगर किसी के पास प्रेम निवेदन के लिए कोई नही है तो वह बेचारा इस  खास दिन पर मायूस ही हो जाता है अगर यह दिन न आये और सब जब जिसको प्रेम निवेदन करना हो तो कर सकता है इसके लिऐ इंतजार की आवश्यकता ही नही हे । 

हमारी संस्कृति में माॅ बाप को ईश्वर कर दर्जा दिया गया हे तो क्या उनके प्रति हम कभी प्रेम का इजहार करते है ? नही न । इसे केवल प्रेम दिवस बना दिया गया हे और मजे की बात तो यह है कि सच्चा प्रेम तो गायब ही है फिर इस दिवस की क्या जरूरत है। प्रेम और स्नेह का प्रदर्शन माॅ बाप के प्रति भी करिये ।उनका सम्मान करिये उनके लिऐ उपहार ेिलजिए ।वे क्या चाहते है यह समझिए। आप उनकी बदौलत है वे आपके बदौलत नही भावना पर काम करिए ।

उन्होने हमे सब दिया हम क्या दे सकते है यह तर्क मत दिजिए । आप उन्हें सम्मान आदर प्रेम दे सकते है उन्हे बस यही चाहिए वृद्वावस्था में उन्हे बच्चो की जरूरत होती है यह आप समझिये उन्हे न समझाना पडे अपनंे परिवार व बच्चों में इतने व्यस्त न हो जाये कि आपके समय का उन्हे इंतजार करना पडे आप उनका आदर करेगें तो आपकी वृद्वावस्था में आपके बच्चे आपका आदर करेगें। इसलिए परिवार में इस भावना का संचार करिए अपने लिए ही सही मा बाप के प्रति प्रेम इजहार करिए केवल एक खास दिन नही हमेशा करिये । 

इस प्रेम दिवस से ही शुरूआत करिये। और इस दिवस की सार्थकता को समझिये।अब इस दिवस को मातृपितृ दिवस कहा  जाता है  इसे उल्लास के साथ मनाइये यह आपके परिवार में भी प्रेम का संचार करेगा वे भी आपके लिए यह दिवस मनायेगे कोशिश होना चाहिये कि यह एक दिवस पर ही न सिमट जाये खुशी से मनाये मातृपितृ दिवस अगर आप स्वयं अकेले है तो मायूस न हो स्वय्र के प्रति भी उदार बन जाये रोज नही कर सकते तो इस दिन ही स्वयं को प्रेम कर लीजिये।                                                                                                                                                                                                                                


- कल्पना मिश्रा 
छिंदवाडा                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           

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