सच्चा वीर कहानी

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सच्चा वीर कहानी

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सच्चा वीर कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ या कहानी सच्चा वीर, शिवाजी महाराज के जीवन-प्रसंग पर आधारित है। शिवाजी महाराज नारी सम्मान के पक्षधर थे। जब शिवाजी महाराज के सेनापति कल्याण प्रान्त के सूबेदार अहमद को हराकर ख़जाने के साथ-साथ उनकी पुत्रवधू को भी उठा लाए थे, तब उन्होंने सेनापति की ओर से क्षमा माँगी और आदरसहित उन्हें वापस भिजवाकर वीरोचित उदाहरण प्रस्तुत किया। 


कल्याण प्रान्त की सीमा पर लगे शिविर पर मुगलों और मराठों में भीषण युद्ध चल रहा था, जिसकी चिंता में वीर मराठा शिवाजी महाराज भी अपने राजगढ़ दुर्ग में चहलकदमी करते हुए डूबे थे। तभी अचानक महामंत्री मोरो पन्त ने शिवाजी महाराज के समक्ष आकर उन्हें एक शुभ समाचार सुनाते हुए कहा कि हमारी सेना ने शत्रु को पराजित कर दिया है। कल्याण प्रान्त में अब हमारी पताका लहरा रही है। सेनापति सोनदेव ने कल्याण के दुर्ग को जीत लिया है। इतने में शिवाजी महाराज जवाब में बोलते हैं – वाह ! यह तो प्रसन्नता की बात है। 


सच्चा वीर कहानी
देखते ही देखते किले के बाहर
श्रीमंत की जय, सेनापति सोनदेव की जय जैसे आवाजें गूँजने लगीं। कुछ क्षण बाद सेनापति सोनदेव ने उत्साहपूर्वक कक्ष में प्रवेश किया। शिवाजी महाराज ने उठकर हर्षपूर्वक सोनदेव को गले से लगाकर बोले – हमें अपने सेनापति की वीरता पर गर्व है। इसके बाद मोरो पंत ने सेनापति से अनुरोध करते हुए कहा कि आपने जो खज़ाना लाया है, उसे श्रीमंत (शिवाजी) की सेवा में प्रस्तुत कीजिए। सोनदेव ने उत्साहपूर्वक कहा – महाराज, हीरे-जवाहरात के साथ मैं एक अनुपम भेंट भी आपके लिए लाया हूँ। आप उसे देखेंगे तो अवश्य प्रसन्न हो जाएँगे। तभी सोनदेव के इशारे से चार कहार एक पालकी उठाकर अंदर आए। पालकी देखकर शिवाजी महाराज चौंक उठे और बोले कि अरे ! इस पालकी में क्या है सोनदेव ? जवाब में सोनदेव बोलता है – महाराज, पालकी में सूबेदार अहमद की पुत्रवधू है, जिसकी सुंदरता की चर्चा देशभर में है। मैं इसे ही श्रीमंत के लिए उपहारस्वरुप लाया हूँ। यह कहते हुए सोनदेव ने पालकी का पर्दा हटा दिया। 


सोनदेव की बात सुनते ही शिवाजी महाराज क्रोधित हो उठे। आसन से उठ खड़े हुए और आवेशपूर्वक बोले – सेनापति, यह कैसी विजय ! पराई स्त्री का अपमान कर तुमने अपनी विजय के गौरव को धुँधला कर दिया है। एक वीर को यह शोभा नहीं देता।  तभी शिवाजी महाराज के शब्द सुनकर पालकी के अंदर से अहमद की पुत्रवधू बाहर आ जाती है। शिवाजी महाराज ने नज़र झुकाकर उस स्त्री को संबोधित करते हुए बोला – क्षमा करें, मेरे सेनापति की मुर्खता से आपको आज यह अपमान सहना पड़ा। मैं आपकी सुंदरता की केवल पूजा ही कर सकता हूँ। परस्त्री मेरे लिए माँ के समान है। 


सेनापति सोनदेव को संबोधित करते हुए शिवाजी महाराज बोले – सोनदेव, तुमने इतना बड़ा अपराध किया है, जिसे मैं क्षमा नहीं कर सकता। आज तुमने मेरा सिर लज्जा से झुका दिया। सरदार अहमद की पुत्रवधू हमारी भी पुत्री ही हैं। इन्हें आदर सहित इनके घर पहुँचाने का प्रबंध करो। शिवाजी महाराज की सम्मान-भावना और उदारता देख अहमद की पुत्रवधू की आँखों में आँसू भर आए और उसका सिर श्रद्धा से झुक गया। शिवाजी महाराज को संबोधित करते हुए वह केवल इतना ही बोली कि आप सच्चे वीर हैं...।।                     





सच्चा वीर कहानी के प्रश्न उत्तर



प्रश्न-1- शिवाजी महाराज क्यों चिंतित थे ? 

उत्तर- कल्याण प्रान्त की सीमा पर मुगलों और मराठों के मध्य युद्ध चल रहा था, इसलिए शिवाजी महाराज चिंतित थे।   


प्रश्न-2- अहमद कौन था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, अहमद कल्याण का सूबेदार था।   


प्रश्न-3- सोनदेव क्या ‘अनुपम भेंट’ लाए थे ? वह अनुपम किस अर्थ में थी ? 

उत्तर- सोनदेव अनुपम भेंट के रूप में सूबेदार अहमद की पुत्रवधू को लाए थे। वह इस अर्थ में अनुपम थी कि वह बहुत सुंदर स्त्री थी, जिसकी सुंदरता की चर्चा देश भर में थी।    


प्रश्न-4- शिवाजी महाराज ने किसे गर्व की बात कहा और क्यों ? 

उत्तर- शिवाजी महाराज ने अपने सेनापति और सैनिकों की वीरता की ओर संकेत करते हुए कहा था कि यह हमारे लिए गर्व की बात है। क्योंकि मराठी सैनिकों ने युद्ध में कल्याण के सूबेदार अहमद को हरा दिया था।      


प्रश्न-5- ‘आप सच्चे वीर हैं’ – इस कथन से अहमद की पुत्रवधू का क्या अभिप्राय था ? 

उत्तर- ‘आप सच्चे वीर हैं’ – इस कथन से अहमद की पुत्रवधू का यह अभिप्राय था कि शिवाजी महाराज की उदारता और स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना बेहद श्रेष्ठ है और नारियों को सम्मान देने वाला पुरुष सदा श्रेष्ठ होता है।   

    


प्रश्न-6- इस कहानी के आधार पर शिवाजी महाराज के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।  

उत्तर- शिवाजी महाराज एक वीर और सच्चे पुरुष थे। उनके दिल में नारियों के प्रति सम्मान था। परस्त्री को वे अपनी माँ के समान मानते थे। वे एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। अपने सैनिकों की हमेशा चिंता किया करते थे।         


प्रश्न-7- सही उत्तर चुनकर लिखिए - 

उत्तर-  निम्नलिखित उत्तर है -

  • शिवाजी महाराज के महामंत्री ने क्या समाचार सुनाया ? 

(कल्याण प्रान्त पर विजय का)

  • अहमद की पुत्रवधू को लाने की बात सुनकर शिवाजी महाराज की क्या दशा हुई ? 

(वे क्रोधित हुए)

  • इस कहानी के सबसे सही शीर्षक को लिखिए – 

(नारी का सम्मान)




भाषा से... 


प्रश्न-9- नीचे लिखी भाववाचक संज्ञाओं से विशेषण बनाइए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • सुंदरता – सुंदर 

  • उदारता – उदार 

  • कुशलता – कुशल 

  • सफलता – सफल 

  • वीरता – वीर 

  • सुगमता – सुगम 


प्रश्न-10- नीचे लिखे शब्द स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • महाराज – पुल्लिंग 

  • पालकी – स्त्रीलिंग 

  • सेनापति – पुल्लिंग 

  • बधाई – स्त्रीलिंग 

  • ध्वजा – स्त्रीलिंग 

  • खज़ाना – पुल्लिंग 

  • उपहार – पुल्लिंग 

  • पुत्रवधू – स्त्रीलिंग 

 


प्रश्न-11- इन वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • जिसका बहुत मूल्य हो – बहुमूल्य 

  • जो सहन करने में समर्थ हो – सहनशील 

  • एक ही कक्षा में पढ़नेवाले – सहपाठी 

  • जो सत्य बोले – सत्यवादी 

  • जिसमें स्वार्थ-भावना न हो – निस्वार्थ 

  • किए गए उपकार को न माननेवाला – कृतज्ञ 

  • जो दूसरे की स्त्री हो – परस्त्री 

 


प्रश्न-12- उपयुक्त क्रियाविशेषण छाँटकर खाली स्थानों में भरिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • जितनी भूख हो ...उतना... ही खाओ। 

  • ...उधर... मत जाओ, वहाँ गड्ढा है। 

  • ...धीरे-धीरे... चलोगे तो समय पर नहीं पहुँच पाओगे। 

  • वह रोज़ ...देर से... विद्यालय आता है। 

  • उनकी बातें ...ध्यानपूर्वक... सुनो। 

  • ...ऊपर... जाओ और सूखे कपड़े ...नीचे... ले आओ।       




सच्चा वीर कहानी से संबंधित शब्दार्थ 


  • शिविर – पड़ाव, डेरा, खेमा 

  • दृश्य – नज़ारा 

  • भीषण – भयानक 

  • वीरगति को प्राप्त – युद्ध करते हुए मारे जाना 

  • श्रीमंत – श्रीमान 

  • प्रताप – तेज़, प्रभाव 

  • समर्थन – सहमति 

  • अनुपम – जिसकी उपमा न हो, अनोखा  

  • तमतमा – बहुत गुस्से में होना 

  • आवेशपूर्वक – गुस्से से 

  • धुँधला – हल्का या कम 

  • सकुचाती – शरमाती हुई 

  • लज्जा – शर्म 

  • प्रबंध – इंतज़ाम 

  • श्रद्धा – आदर।


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