तत्त्वदर्शी निशंक लोकार्पित

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तत्त्वदर्शी निशंक" दक्षिण भारत के हिंदी विद्वानों की ओर से हिमालय-पुत्र निशंक का भावपूर्ण अभिनंदन है, जिसमें उनके जीवन संघर्ष और साहित्य सृजन से लेकर

तत्त्वदर्शी निशंक लोकार्पित


र्धा, 12 अगस्त, 2021 (मीडिया विज्ञप्ति)।'आज़ादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के तहत महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित लोकार्पण समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल ने पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' पर एकाग्र समीक्षा ग्रंथ "तत्त्वदर्शी निशंक" सहित चार पुस्तकों का विमोचन किया। अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर शुक्ल ने कहा कि निशंक राष्ट्रीय और सांस्कृतिक धारा के अग्रगण्य समकालीन साहित्यकार हैं तथा उन्हें समर्पित ग्रंथ के लोकार्पण से बिश्वविद्यालय गौरवान्वित हुआ है। 

तत्त्वदर्शी निशंक लोकार्पित
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाकवि प्रोफेसर योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण' ने कहा कि "तत्त्वदर्शी निशंक" दक्षिण भारत के हिंदी विद्वानों की ओर से हिमालय-पुत्र निशंक का भावपूर्ण अभिनंदन है, जिसमें उनके जीवन संघर्ष और साहित्य सृजन से लेकर उनकी विश्वदृष्टि तक का  पहली बार इतना विशद मूल्यांकन किया गया है। 

कोरोना के कारण लंबे समय तक चिकित्साधीन और एकांतवास में रहने के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने पहली बार इस कार्यक्रम में आभासी माध्यम से जुड़कर अपनी उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने कहा कि यदि कभी उन्हें राजनीति और साहित्य में से किसी एक को चुनना पड़े तो वे निश्चित रूप से साहित्य को चुनेंगे। डॉ. निशंक ने अपने समीक्षकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की और ज़ोर देकर कहा कि हिंदी विश्व की एक सर्वसमर्थ भाषा है तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषाओं पर बल देने के मूल में भारतीयता का संस्कार निहित है। 

लोकार्पित ग्रंथ के प्रधान संपादक प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने ऑनलाइन उपस्थित होकर पुस्तक का परिचय देते हुए कहा कि प्रो. गोपाल शर्मा, प्रो. निर्मला मौर्य, प्रवीण प्रणव, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा और डॉ. बी. बालाजी सहित इस ग्रंथ में 19 लेखकों के 21 शोधपत्र शामिल हैं तथा शीला बालाजी इसकी सह-संपादक हैं। उन्होंने कहा कि इसमें डॉ. निशंक के काव्य और कथा साहित्य के अलावा पहली बार उनके काल्पनिक गद्य का भी विस्तृत विवेचन किया गया है। 

समारोह में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति-द्वय प्रोफेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल, प्रोफेसर चंद्रकांत तथा प्रोफेसर कृपा शंकर चौबे सहित विविध संकायों के अध्यक्ष, आचार्यगण, शोधार्थी तथा छात्र उपस्थित थे। प्रोफेसर रमा पांडेय और डॉ. बेचैन कंडियाल ने भी ऑनलाइन सहभागिता निभाई। समारोह के दूसरे सत्र में प्रोफेसर योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण' के सम्मान में काव्य संध्या संपन्न हुई। 000





- डॉ गुर्रमकोंडा नीरजा
सह संपादक 'स्रवंति'
सहायक आचार्य,उच्च शिक्षा और शोध संस्थान
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा
खैरताबाद,हैदराबाद - 500004

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