किसान नवप्रवर्तन के लिए उत्सुक

SHARE:

क्षेत्र के अन्य किसान अभी अपने खेतों में सिर्फ आलू की फसल ही बोते थे। जिसके तैयार होने में 6 माह का समय लगता था, इसके अलावा कोई और फसल वह पैदा नहीं कर

कोरोना काल में भी किसान नवप्रवर्तन के लिए उत्सुक


कोरोना महामारी के समय इंसानी मौत और त्रासदी की ख़बरों के बीच कुछ ऐसी सकारात्मक ख़बरें भी देखने को मिली हैं, जिसने लोगों को प्रेरणा दी है। विशेषकर खेती के क्षेत्र में ऐसी ख़बरें प्रगति का एहसास कराती हैं। इस दौर में जहां आम आदमी घर से निकलने में डर रहा था तथा सरकार भी घर पर रहने के बारे में बार-बार निर्देश जारी कर रही थी, वहीँ उत्सुक और प्रगतिशील किसान अपनी आय बढ़ाने की नई योजना बनाने के साथ तेज गर्मी के मौसम में भी लगातार मेहनत कर रहे थे। जिसका प्रभाव यह रहा कि खेती के क्षेत्र में भी नए नए प्रयोग के साथ कुछ नए परिणाम देखने को मिले हैं। ऐसा ही एक नवप्रवर्तन राजस्थान के धौलपुर जिला स्थित बसेड़ी तहसील के बनोरा गांव के रामेश्वर शर्मा ने किया है। जिन्होंने कोरोना और गर्मियों के कहर के बीच कृषि में आय के नए साधन तैयार किया है।

रामेश्वर शर्मा पूर्व में बनोरा ग्राम पंचायत, जिला धौलपुर के सरपंच रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह एवं क्षेत्र के अन्य किसान अभी अपने खेतों में सिर्फ आलू की फसल ही बोते थे। जिसके तैयार होने में 6 माह का समय लगता था, इसके अलावा कोई और फसल वह पैदा नहीं करते थे। ऐसे में बाकी के महीनों में उनके खेत खाली पड़े रहते थे। लेकिन पिछले वर्ष करौली धौलपुर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी, बसेड़ी (केडीआईडी) के कुछ उद्यमी उनके पास आए और उन्हें आलू के बाद खाली पड़े खेत में सब्जियों व फलों को उगाने के लिए प्रेरित किया। पहले उन्हें बहुत शंका थी कि गर्मियों में सब्जियां एवं फल कैसे पैदा होंगे? इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनानी होगी और उनका बाजार में विक्रय कैसे किया जाएगा? क्योंकि सब्जी कच्ची पैदावार होती है और उसे तोड़कर जल्द नहीं बेचा जाये तो कीमत कम हो जाती है और सब्जी व फल जल्दी खराब भी हो जाती है।

किसान नवप्रवर्तन के लिए उत्सुक
रामेश्वर शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व उन्होंने आलू के अतिरिक्त दूसरी सब्ज़ियों की फसल उत्पन्न करने व् उसकी बिक्री का कार्य नहीं किया था। लेकिन केडीआईडी के निदेशक प्रदीप बंसल ने उनसे मुलाकात कर उनकी सारी शंकाओं को दूर कर दिया। श्री बंसल ने जैविक सब्जी व फल उत्पादन के लिए उन्हें बीज व पौधों की उपलब्ध कराने, उसके बोने व उत्पादन के जैविक तरीके सिखाने तथा जरूरत पड़ने पर जैविक दवाइयां उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने न केवल उन्हें इस तरह की फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया बल्कि किसी भी प्रकार के घाटे में भी हिस्सेदारी लेने की बात कही। संस्थान व किसान के मध्य यह भी तय हुआ कि सारी लागत संस्थान की होगी जबकि मुनाफे की सूरत में दोनों का आधा-आधा हिस्सा होगा। रामेश्वर शर्मा ने इस बात को स्वीकार करते हुए अपने पांच बीघा जमीन में सब्जियां एवं फल उगाने का निश्चय किया।

उनकी यह पहल रंग लाई और न केवल खेतों में क्रांतिकारी बदलाव आया बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी लाभ हुआ। इस परिणाम से गांव के अन्य किसान भी प्रभावित हुए। इसे पूरे क्षेत्र में एक नई पहल के रूप मे देखकर गांव के 8-10 किसान भी आगे आये और खेती की इस नई पद्धति को अपनाने के लिए तैयार हो गए। उन सभी किसानों ने रामेश्वर की तरह ही अपने खेतों में फसल तैयार करने की शर्त के साथ काम शुरू कर दिया। रामेश्वर शर्मा ने बताया कि अभी उन्होंने अपने खेत में टमाटर, पपीता, मिर्ची, बैंगन, खीरा, कद्दू, लौकी की फसल बोई है। शुरू में फसल की रफ्तार कम बढ़ने से उन्हें लगा कि सब्जियों में कोई फायदा नहीं है बल्कि नुकसान है। 

लेकिन संस्थान के कार्मिक लगातार उनके खेत पर जाते रहे और उन्हें हिम्मत बंधाते रहे कि फसल का अच्छा उत्पादन होगा। 15 दिन बाद जब पपीता, टमाटर और अन्य पौधे बड़े होने लगे तो उन्हें विश्वास हुआ कि अब उनकी सब्जी की फसल आ जाएगी और उनके द्वारा अपना खेत के अंदर सब्जी की फसल उगाने का फैसला सही साबित होगा। इस नई पद्धति के माध्यम से आर्थिक लाभ कमाने के बाद भविष्य की योजना साझा करते हुए रामेश्वर शर्मा ने कहा कि अब वह रुकेंगे नहीं, बल्कि उनकी तरह अन्य किसान भी सब्जियां पैदा करेंगे। अभी तो यह सोच रहे हैं कि उनकी आलू की फसल जो वह पैदा करते हैं उसकी बुवाई करने से पहले सब्जियां आ जाये ताकि वह आलू की फसल की भी बुवाई कर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकें।

कोरोना काल में जबकि हर तरफ लॉकडाउन होने के कारण लोगों को आर्थिक रूप से घाटा हो रहा था, ऐसे समय में यह नई तरह कास्टार्टअप किसानों के लिए उम्मीद के नए रास्ते लेकर आया। अब रामेश्वर और उनके साथी किसानों की देखा देखी गांव के अन्य किसान भी संस्थान के कर्मियों से सब्जियों व फलों के पौधे लेने की बात करते हैं। हालांकि संस्थान ने अभी उन नए किसानों से प्रतीक्षा करने के लिए कहा है ताकि वह पहले इन किसानों के फसल का उत्पादन देखें और फिर अगले सीजन में सब्जी व फलों के पौधे प्राप्त करने के लिए उनसे जुड़ें। इस संबंध में संस्थान के निदेशक प्रदीप बंसल ने बताया कि उनका संस्थान सभी किसानों की मार्केटिंग में मदद करेगा और उनकी उपज आने के बाद वह स्वयं बाजार भाव से इनकी फसल खरीद लेंगे ताकि किसान को यह विश्वास हो जाए कि उन्होंने जो फसल उगाई गई है वह बिक जाएगी। इसी प्रकार संस्थान इन किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग की ओर भी ले जाने की योजना बना रहा है ताकि उपभोक्ताओं को उच्च क्वालिटी का उत्पाद मिल सके।

वहीं किसान रामेश्वर शर्मा अब इस उम्मीद में है कि कितनी जल्दी फसल आए और वह यह देख सकें कि उन्हें कितना मुनाफा मिलता है। उनका मानना है कि सब्जी व फल की अच्छी उत्पादन होने से यह प्रक्रिया सही रहती है और उन्हें लाभदायक लगती है, तो वह आगे सोलरपंप लगाने और खेत के सुरक्षा के लिए तार दीवार लगा कर सुरक्षा करने की भी योजना बना रहे हैं। संस्थान ने उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने व उसकी प्रक्रिया में सहयोग करने का न केवल आश्वासन दिया है बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ भी रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि रामेश्वर शर्मा पूर्व में 15-20 साल पहले इस क्षेत्र में आलू बोने वाले पहले किसान थे और अभी क्षेत्र और जिले के हजारों किसान भारी मात्रा में आलू की फसल उगाते हैं और उसे बेच कर आर्थिक रूप से मज़बूत होते रहे हैं। अभी धौलपुर जिले में आलू के उत्पादन शुरू होने के बाद उनके स्टोरेज के लिए कई नए कोल्ड स्टोरेज तैयार हो गए हैं जहां पर आलू को रख कर अच्छा मूल्य आने पर बेचा जाता है और पूरे देश में भेजा जाता है।

लेकिन अब नए प्रकार के फसल से जुड़ कर किसान न केवल स्वयं आर्थिक रूप से और भी सशक्त हो रहे हैं बल्कि इस प्रक्रिया से पूरे क्षेत्र में सब्ज़ी और फलों की कमियां भी दूर होने लगेंगी। यानि रेगिस्तान के किसान नवप्रवर्तन से क्षेत्र की दशा और दिशा दोनों को बदलने में सक्षम हो रहे हैं और खेती में आमदनी के नए साधन के साथ नया इतिहास लिख रहे हैं। (चरखा फीचर)


- अरुण जिंदल ,
जयपुर, राजस्थान

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका