खाल - रोअल्ड दहल

SHARE:

खाल रोअल्ड डाह्ल कुछ हफ़्तों के बाद सुतीने द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग ब्यूनोस एयरेस में बिक्री के लिए आई । उस पेंटिंग में एक युवती का सिर बना हुआ था

खाल - रोअल्ड दहल (अंग्रेजी कहानी का अनुवाद)


ठंड का वह मौसम लम्बा खिंच गया था । शहर की गलियों में बेहद ठंडी हवा चल रही थी और आसमान में बर्फ़बारी करने वाले बादल उमड़-घुमड़ रहे थे ।

द्रिओली नाम का वह बूढ़ा आदमी रुए दी रिवेली के पास दर्द से अपने पैर घसीटते हुए पटरी पर चला जा रहा था । वह ठंड से पीड़ित और दुखी था । शीशे वाली दुकानों में कई चीज़ें सजी हुई थीं — इत्र , रेशमी टाई , हीरे , मेज़-कुर्सियाँ , किताबें आदि । लेकिन वह इन चीज़ों को बिना किसी रुचि के देखते हुए आगे बढ़ रहा था । फिर उसके रास्ते में एक चित्र-दीर्घा आई । चित्र-दीर्घाएँ उसे हमेशा अच्छी लगती थीं । इस दीर्घा में शीशे के उस पार दर्शकों को दिखाने के लिए एक ही कैन्वस था । वह उसे देखने के लिए रुका । अचानक स्मृति ने जैसे उसके ज़हन पर दस्तक दी । पहले कहीं देखी किसी चीज़ की पुरानी याद उसके ज़हन में कौंधी । उसने उसे दोबारा देखा । वह एक प्राकृतिक दृश्य की पेंटिंग थी । जैसे तेज़ चलती हवा की वजह से वृक्षों का एक समूह एक ओर झुक गया हो । चौखटे के साथ एक फलक लगा था जिस पर चित्रकार का नाम अंकित था : चैम सुतीने ( 1894-1943 ) ।

द्रिओली उस पेंटिंग को घूरते हुए अनिश्चितता से यह सोचता रहा कि इस पेंटिंग में वह क्या चीज़ थी जो उसे जानी-पहचानी लग रही थी । कैसी अजीब-सी , सनक भरी पेंटिंग है — उसने सोचा । लेकिन मुझे यह अच्छी लग रही है । चैम सुतीने ...
सुतीने ... । “ हे भगवान् ! “ वह अचानक चिल्लाया ।
 “ यह तो मेरा पुराना छोटा मित्र 
है । पेरिस की सबसे शानदार दुकान में उसकी बनाई हुई पेंटिंग टँगी हुई है ! सोचिए ! “
बूढ़ा अपना चेहरा खिड़की के शीशे के क़रीब ले गया । वह उस लड़के का चेहरा याद कर सकता था । लेकिन कब की बात है यह ? बाक़ी चीज़ें उसे इतनी आसानी से याद नहीं आईं । यह बहुत साल पहले की बात थी । कितनी पुरानी बात ? बीस , शायद तीस साल पहले का वाक़या था यह , है न ? एक मिनट रुकिए । हाँ , यह युद्ध से एक साल पहले की बात थी । प्रथम विश्व युद्ध से पहले , 1913 की बात थी यह । हाँ , यही साल था । और इस सुतीने ... इस बदसूरत लड़के सुतीने को वह चाहता था — बल्कि उससे वह लगभग प्यार करता था । ऐसा अन्य किसी कारण से नहीं था बल्कि केवल इसलिए था क्योंकि वह पेंटिंग्स बनाता था ।
और , कितनी शानदार पेंटिंग्स बनाता था वह ! अब उसे सब कुछ ज़्यादा स्पष्ट रूप से याद आ रहा था । वह लड़का कहाँ रहता था ?
फ़ैल्गुएरे शहर में , हाँ वहीं । तब वहाँ एक स्टूडियो होता था , जहाँ केवल एक कुर्सी थी और एक गंदा सोफ़ा था जिस पर वह चित्रकार लड़का सोता था । वहाँ शराब में धुत्त लोगों की पार्टियाँ होती थीं , सस्ती सफ़ेद दारू मिलती थी , प्रचंड झगड़े होते थे , और हमेशा वहाँ उस लड़के का उदास चेहरा नज़र आता था जो अपने काम के बारे में सोचता रहता था । यह अजीब बात थी , द्रिओली ने सोचा , कि अब यह सब उसे बिल्कुल स्पष्ट याद आ रहा था । हर छोटे-से-छोटा तथ्य उसे उसी समय किसी और घटना की याद दिला रहा था ।
उदाहरण के लिए वहाँ गोदना गुदे होने की मूर्खता थी । यदि उसे वैसा समझा जाए तो वह पागलपन भरा कार्य था । वह कैसे शुरू हुआ था ? अरे हाँ — एक दिन वह अमीर बन गया था । हाँ , ठीक यही हुआ था । और उसने शराब की ढेर-सी बोतलें ख़रीद ली थीं । वह अब खुद को शराब की ढेर-सी बोतलें लिए स्टूडियो में दाख़िल होते हुए देख सकता था । लड़का तब चित्रफलक के सामने बैठा था । द्रिओली की पत्नी उस समय कमरे के बीचोबीच खड़ी होकर अपने चित्र के लिए एक ख़ास मुद्रा बना रही थी ।
“ आज रात हम सब उत्सव मनाएँगे , “ उसने कहा । “ केवल हम तीनों आज रात छोटा-सा उत्सव मनाएँगे । “
“ हम किस बात का उत्सव मनाएँगे ? “ बिना ऊपर देखे लड़के ने पूछा । “ क्या वजह यह है कि आप अपनी पत्नी को तलाक दे रहे हैं ताकि वह मुझसे ब्याह कर सके ? “
“ नहीं , “ द्रिओली बोला । “ हम उत्सव मना रहे हैं क्योंकि आज मुझे अपने काम के एवज़ में बहुत सारी धन-राशि मिली है । “
“ लेकिन मुझे आज कुछ भी नहीं मिला है । हम इस बात का भी उत्सव मना सकते हैं ।” युवती उस पेंटिंग को देखने के लिए चल कर उसके पास आ गई । द्रिओली भी वहीं आ गया । उसके एक हाथ में शराब की बोतल थी और दूसरे हाथ में गिलास
था ।
“ नहीं ! “ लड़का चिल्लाया । कृपा करो , नहीं । “ उसने झपट कर चित्रफलक से वह पेंटिंग उतार ली और दीवार के साथ लग कर खड़ा हो गया । लेकिन द्रिओली ने वह पेंटिंग देख ली थी ।
“ यह अद्भुत है । तुम्हारी बनाई सभी पेंटिंग्स मुझे पसंद हैं । यह पेंटिंग भी । समझे ? मुझे तुम्हारी बनाई हुई सभी पेंटिंग्स अच्छी लगती हैं । “
“ समस्या यह है कि मेरी पेंटिंग्स अपने-आप में पौष्टिक चीज़ नहीं हैं । मैं उन्हें खा कर अपना पेट नहीं भर सकता हूँ । “ लड़के ने उदास हो कर कहा ।
“ पर फिर भी वे पेंटिंग्स शानदार हैं , “ द्रिओली ने उसे शराब से भरा एक फीका पीला गिलास देते हुए कहा । “ इसे पियो , “ वह बोला । यह चीज़ तुम्हें प्रसन्नचित्त कर देगी । “ उसने आज तक इस लड़के से अधिक दुखी या उदास चेहरे वाला आदमी नहीं देखा था ।
“ मुझे थोड़ी और शराब दो , “ लड़के ने कहा । “ यदि हमें उत्सव ही मनाना है तो हमें उसे ढंग से मनाना चाहिए । “
सबसे क़रीब की दुकान से द्रिओली ने शराब की छह बोतलें ख़रीदीं , और वे उन बोतलों को स्टूडियो ले आए । फिर वे वहाँ बैठ गए और आराम से शराब पीते रहे ।
“ केवल बेहद अमीर लोग ही इस तरह से उत्सव मना सकते हैं । “
“ यह सही बात है । “ लड़के ने कहा ।
“ जोसी , क्या यह सही नहीं ? “
“ बिल्कुल सही है । “
“ यह बेहतरीन शराब है । इसे पीना हमारा सौभाग्य है । “
धीरे-धीरे और बेहद व्यवस्थित ढंग से उन्होंने इतनी शराब पी कि वे नशे में धुत्त हो जाएँ । यह पूरी प्रक्रिया यूँ तो एक लीक पर चलने वाली थी , किंतु इसमें भी पूरी औपचारिकता निभाई जा रही थी ।
“ सुनो , “ अंत में द्रिओली ने कहा , “ मेरे ज़हन में एक ज़बर्दस्त विचार आया है । मुझे एक पेंटिंग चाहिए , एक प्यारी-सी पेंटिंग ... । लेकिन मैं चाहता हूँ कि वह पेंटिंग तुम मेरी खाल पर बनाओ , मेरी पीठ पर । फिर मैं चाहता हूँ कि अपनी बनाई पेंटिंग पर तुम गोदना गोद दो ताकि वह हमेशा के लिए वहाँ मौजूद रहे । “
“ तुम्हारे दिमाग़ में बौराए हुए विचार आते हैं । “ लड़के ने कहा ।
“ गोदना कैसे गोदना है , यह मैं तुम्हें सिखा दूँगा । यह आसान होता है । एक बच्चा भी इसे कर सकता है । “
“ तुम पागल हो गए हो । आख़िर तुम चाहते क्या हो ? “
“ मैं तुम्हें दो मिनट में सब सिखा दूँगा । “
“ यह असम्भव है ! “
“ क्या तुम यह कहना चाह रहे हो कि मुझे नहीं पता , मैं क्या बात कर रहा
हूँ ? “
“ देखो , मैं केवल यह कह रहा हूँ कि तुम अभी नशे में धुत्त हो । तुम्हारा यह विचार शराब के नशे की उपज है । “ लड़के ने कहा ।
“ तुम मेरी पत्नी को इस पेंटिंग के लिए मॉडल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हो । मेरी पीठ पर जोसी का एक भव्य चित्र । “
“ यह कोई अच्छा विचार नहीं है , “ लड़के ने कहा । “ और सम्भवत: मैं सही ढंग से गोदना गोदने का काम नहीं कर पाऊँगा । “
“ यह आसान काम है । मैं तुम्हें दो मिनट में यह काम सिखा दूँगा । फिर तुम ख़ुद ही देखोगे । अब मैं जा कर सारे उपकरण ले आता हूँ । “
आधे घंटे बाद द्रिओली लौट आया । “ मैं सारा ज़रूरी सामान ले आया हूँ , “ वह चहक कर बोला । उसके हाथ में एक भूरा सूटकेस था । “ इस सूटकेस में गोदना गोदने के सारे ज़रूरी उपकरण मौजूद हैं । “
उसने सूटकेस उठा कर मेज़ पर रख दिया , उसे खोला और उसमें से बिजली से चलने वाली सुइयाँ तथा रंगीन स्याही की बोतलें निकाल कर बाहर रख दीं । उसने सुई की तार का प्लग बिजली के सॉकेट में लगाया । फिर उसने उस उपकरण को अपने हाथ में उठाया और उसके स्विच को दबाया । इसके बाद उसने अपना जैकेट उतार दिया और अपनी बाईं आस्तीन ऊपर मोड़ ली । “ अब देखो । मुझे ध्यान से देखो और मैं तुम्हें बताता हूँ कि यह कितना आसान है । मैं अपने हाथ पर यहाँ एक नमूना बना रहा हूँ ... देखा , यह कितना आसान है ... देखा , मैं अपनी बाँह पर कितनी आसानी से एक कुत्ते का नमूना बना रहा हूँ ... । “ लड़के में कुतूहल का भाव उत्पन्न हो गया ।
“ ठीक है , अब मैं तुम्हारी बाँह पर इसका अभ्यास करता हूँ । “ गूँजने वाली सुई की मदद से लड़का द्रिओली की बाँह पर नीले निशान बनाने लगा । “ देखा , यह कितना आसान है , “ द्रिओली बोला । “ यह कलम और स्याही से तस्वीर बनाने जैसा है । दोनों में केवल यही अंतर है कि गोदना गोदने का काम थोड़ा धीमा है । “
“ अरे , यह तो कोई बड़ी बात नहीं है । क्या तुम तैयार हो ? क्या हम शुरू करें ? “
“अरे , मॉडल कहाँ है ? “ द्रिओली ने कहा । “ जोसी , यहाँ आओ ! “ वह उत्साह के हलचल से भरा हुआ था और सब कुछ ऐसे व्यवस्थित ढंग से कर रहा था जैसे कोई बच्चा किसी खेल को खेलने से उत्साहित हो जाता है । “ आप उसे कहाँ चाहते हैं ? वह कहाँ खड़ी हो ? “
“ उसे वहाँ ‘ ड्रेसिंग टेबल ‘ के बग़ल में खड़ी होने दो । वह वहाँ ब्रश से अपने बाल सँवारेगी । मैं उस समय की उसकी पेंटिंग बनाऊँगा जब वह कंधे पर गिर आए अपने बालों को ब्रश से सँवार रही होगी । “
“ ज़बर्दस्त ! तुम प्रतिभाशाली हो । “
“ पहले मैं एक साधारण पेंटिंग बनाऊँगा । फिर यदि वह पेंटिंग मुझे अच्छी लगी तो मैं उस पर गोदना गोद दूँगा । “ लड़के ने कहा । एक चौड़े ब्रश की मदद से वह द्रिओली की पीठ की नंगी खाल पर पेंटिंग बनाने लगा ।
“ अब हिलो नहीं ! हिलो नहीं ! “ जैसे ही उसने पेंटिंग बनाना शुरू किया , उसकी एकाग्रता इतनी ज़्यादा हो गई कि उस एकाग्रता ने उसके शराब के नशे को निष्प्रभावी कर दिया ।
“ ठीक है । अब हो गया । “ अंत में उसने युवती से कहा ।
लड़का सुबह होने तक द्रिओली की पीठ की खाल पर काम करता रहा । द्रिओली को याद आया कि जब अंत में उस कलाकार ने पीछे हटकर कहा , “ लीजिए , आपकी पेंटिंग बन गई , “ तो उस समय बाहर दिन का प्रकाश फैला हुआ था और बाहर सड़क पर से लोगों के आने-जाने की आवाज़ें आ रही थीं ।
“ मैं यह पेंटिंग देखना चाहता हूँ , “ द्रिओली ने कहा । लड़के ने एक आईना उठा कर दिखाया और द्रिओली ने पेंटिंग को ठीक से देखने के लिए अपनी गर्दन
उठाई ।
“ हे ईश्वर , “ वह चिल्लाया । वह एक चौंका देने वाला दृश्य था । उसकी पूरी पीठ रंगों से प्रदीप्त थी । वहाँ हर तरह के रंग चमक रहे थे — सुनहरा , हरा , नीला , काला , लाल आदि । खाल पर गुदा हुआ गोदना बेहद गहरा था । वह पेंटिंग बेहद जीवंत लग रही थी । वह सुतीने की अन्य पेंटिंग्स की विशिष्टता लिए हुई थी । “ यह ज़बरदस्त है ! “
“ मुझे भी अपनी यह पेंटिंग अच्छी लग रही है , “ लड़के ने कहा । वह थोड़ा पीछे हटकर उस पेंटिंग को पारखी निगाहों से देख रहा था । “ जानते हो , यह एक बढ़िया पेंटिंग है और मैं इस पर अपने हस्ताक्षर कर सकता हूँ । “ और फिर मशीन हाथ में लेकर उसने लाल स्याही में पेंटिंग के दाईं ओर पीठ की खाल पर उस जगह अपना नाम गोद दिया जहाँ भीतर द्रिओली की किडनी मौजूद थी ।

**** **** **** **** **** **** ****

द्रिओली नाम का वह बूढ़ा चित्र-दीर्घा की खिड़की में से वहाँ लगी पेंटिंग को घूरते हुए लगभग स्तब्ध-सा खड़ा था । यह बहुत अरसा पहले की बात थी — लग रहा था जैसे यह किसी और ही जन्म की बात थी ।
और वह लड़का ? उसका क्या हुआ ? उसे याद आया कि प्रथम विश्व युद्ध से लौटने के बाद उसने लड़के की अनुपस्थिति को महसूस किया था और उसने जोसी से लड़के के बारे में पूछा था ।
“ मेरा वह छोटा पेंटर कहाँ है ? “
“ वह पता नहीं कहाँ चला गया । “ उसने जवाब दिया था ।
“ शायद वह वापस लौट आए । “
“शायद ऐसा ही हो । कौन जानता है ? “
वह अंतिम बार था जब उन्होंने उसका ज़िक्र किया था । इसके कुछ समय बाद वे ‘ ले हैब्रे ‘ चले गए थे जहाँ अधिक संख्या में नाविक थे और व्यापार करना बेहतर था । वे बेहद ख़ुशनुमा बरस थे — दो युद्धों के बीच का समय । गोदी के पास उसकी छोटी-सी दुकान थी । वहाँ आरामदायक कमरे थे और काम की कमी नहीं थी ।

फिर द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया था । जोसी मारी गई । जर्मन फ़ौज वहाँ पहुँच गई , और इसके साथ ही उसके व्यापार का अंत हो गया । उसके बाद किसी को भी अपनी बाँह पर कोई चित्र नहीं चाहिए था । । और तब तक वह कोई और काम सीखने के लिए बहुत बूढ़ा हो चुका था । निराश हो कर वह पेरिस पहुँचा था । उसे एक अनिश्चित उम्मीद थी कि शायद उस बड़े शहर में जीवन जीना आसान होगा । किंतु ऐसा नहीं हुआ ।

और अब युद्ध के ख़त्म हो जाने के बाद उसके पास न साधन बचे थे , न ऊर्जा कि वह अपना छोटा-सा पुराना व्यापार दोबारा शुरू कर पाता । एक बूढ़े के लिए यह जानना आसान नहीं था कि जीवनयापन के लिए क्या किया जाए , विशेष रूप से तब जब वह भीख माँगना नहीं चाहता था । लेकिन तब वह कैसे जीवित रह सकता था ?

उसने पेंटिंग को अब भी घूरते हुए सोचा — तो यह पेंटिंग मेरे पुराने मित्र की है ! वह अपना चेहरा खिड़की के शीशे के क़रीब ले गया और उसने भीतर दीर्घा में निगाह डाली । दीर्घा की दीवारों पर वह उसी चित्रकार की कई अन्य टँगी हुई पेंटिंग्स देख सकता था ।दीर्घा में बहुत-से लोग पेंटिंग्स देखते हुए टहल रहे थे । ज़ाहिर है , यह एक विशेष नुमाइश थी । अचानक जैसे आवेग में आ कर द्रिओली मुड़ा , उसने दीर्घा का दरवाज़ा खोला और भीतर चला गया । वह एक लम्बा कमरा था जहाँ फ़र्श पर शराब के रंग की क़ालीन पड़ी हुई थी । हे ईश्वर , यहाँ सब कुछ कितना सुंदर और गर्म था । वहाँ बहुत सारे कला-प्रेमी पेंटिंग्स को सराह रहे थे । वे साफ़-सुथरे , प्रतिष्ठित लोग थे और हर व्यक्ति ने अपने हाथ में सूची-पत्र पकड़ रखा था । उसे अपने बग़ल से आती उसे ही सम्बोधित एक आवाज़ सुनाई दी , “ तुम यहाँ क्या चाहते हो ? “ द्रिओली निश्चल खड़ा रहा ।
“ तुम कृपा करके मेरी दीर्घा से बाहर निकल जाओ , “ काला सूट पहना हुआ आदमी कह रहा था ।
“ क्या मुझे पेंटिंग्स देखने की इजाज़त नहीं है ? “
“ मैंने तुम्हें यहाँ से चले जाने के लिए कहा है । “ लेकिन द्रिओली अपनी जगह खड़ा रहा । उसने अचानक खुद को पराजित और अपमानित महसूस किया ।
“ यहाँ गड़बड़ी नहीं करो , “ वह आदमी कह रहा था । “ आओ , चलो । इस ओर आओ । “ उसने अपना मोटा , सफ़ेद हाथ द्रिओली की बाँह पर रखा और उसे दरवाज़े की ओर ज़ोर से धक्का देने लगा । बस , फिर क्या था !
“ अपना हाथ मेरी बाँह पर से हटाओ ! “ द्रिओली चिल्लाया । उसकी आवाज़ उस लम्बी दीर्घा में गूंज उठी और सभी लोगों के सिर आवाज़ की दिशा में मुड़ गए । सभी चौंके हुए चेहरे कमरे के दूसरे छोर से उसी व्यक्ति को घूर रहे थे जो चिल्लाया था । सब चुपचाप अपनी जगह खड़े थे और इस संघर्ष को देख रहे थे । उनके चेहरे पर केवल अपने हित का भाव मौजूद था जो यह कहता प्रतीत हो रहा था — सब ठीक है । हमें कोई ख़तरा नहीं । इस समस्या से निपटा जा रहा है ।
“ मेरे पास भी इस पेंटर की बनाई हुई एक पेंटिंग है , “ द्रिओली चिल्ला रहा था । वह मेरा मित्र था और मेरे पास उसके द्वारा दी गई एक पेंटिंग मौजूद है । “
“ यह कोई पागल आदमी है । “
“ अरे , कोई पुलिस को बुलाओ । “
अपनी देह को मोड़ कर द्रिओली अचानक उस आदमी की पकड़ से आज़ाद हो गया । इससे पहले कि कोई उसे रोक पाता , वह चिल्लाता हुआ दीर्घा के दूसरे छोर की ओर दौड़ा , “ मैं आप सब को दिखाता हूँ ! मैं आप सब को दिखाता हूँ ! “ उसने अपना ओवरकोट उतार कर फेंक दिया । फिर उसने अपनी जैकेट और क़मीज़ भी उतार फेंकी । वह मुड़ा जिससे उसकी नंगी पीठ अब लोगों की ओर थी ।
“ यहाँ देखिए ! “ तेज़ी से साँस लेते हुए वह चिल्लाया । “ देखा आपने ? यह पेंटिंग यहाँ है ! “
अचानक पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया । हर व्यक्ति जहाँ था , वहीं रुक
गया । सभी बिना हिले-डुले जैसे स्तब्ध रह गए । वे सब बेचैनी से उस गोदी गई पेंटिंग को घूर रहे थे । वह पेंटिंग अब भी द्रिओली की पीठ पर मौजूद थी — उसके रंग पहले जैसे चटख थे । वहाँ मौजूद लोग कहने लगे — “ हे भगवान् ! यह पेंटिंग यहाँ वाक़ई मौजूद है ! “ “ यह उसकी शुरुआती पेंटिंग्स जैसी है , हाँ ? “ “ यह विलक्षण है , विलक्षण है ! “ “ और देखो , चित्रकार ने यहाँ अपने हस्ताक्षर भी किए हैं ! “ “ यह उसकी पुरानी पेंटिंग है । यह उसने कब बनाई ? “
बिना मुड़े हुए द्रिओली बोला , “ यह पेंटिंग 1913 में बनाई गई थी । 1913 के पतझड़ के समय । सुतीने को गोदना गोदने का काम किसने सिखाया ? उसे यह काम मैंने सिखाया था । और इस चित्र में यह युवती कौन थी ? यह मेरी पत्नी थी । “
उस चित्र-दीर्घा का मालिक भीड़ को धक्के मारता हुआ द्रिओली की ओर बढ़ रहा था । अब वह शांत और बेहद गम्भीर था और उसके अधरों पर एक मुस्कान आ गई थी । “ मान्यवर , मैं इस पेंटिंग को ख़रीद लूँगा । मैंने कहा , मैं इस पेंटिंग को ख़रीद लूँगा , मान्यवर । “
“ आप इसे कैसे ख़रीद सकते हैं ? “ द्रिओली ने धीरे से पूछा ।
“ मैं इस पेंटिंग के लिए आपको दो लाख फ़्रैंक्स दूँगा । “
“ ऐसा मत करो ! “ भीड़ में से कोई फुसफुसाया । “ इसकी क़ीमत इससे बीस गुना ज़्यादा होती चाहिए । “
द्रिओली ने बोलने के लिए अपना मुँह खोला । लेकिन उसके मुँह से कोई शब्द बाहर नहीं आया । इसलिए उसने अपना मुँह बंद कर लिया । फिर उसने दोबारा अपना मुँह खोला और धीरे से बोला , “ लेकिन मैं इसे कैसे बेच सकता हूँ ? “ उसने अपने हाथ उठाए और फिर उन्हें असहाय-सा अपने बग़ल में गिर जाने दिया ।
“ श्रीमन् , मैं इसे कैसे बेच सकता हूँ ? “ उसकी आवाज़ में पूरी दुनिया की उदासी समाहित थी ।
“ हाँ ! “ भीड़ में वे सभी कह रहे थे । “ वह इसे कैसे बेच सकता है ? यह तो उसके शरीर का हिस्सा है । “
“ सुनिए , “ व्यापारी ने पास आते हुए कहा । “ मैं आपकी मदद करूँगा । मैं आपको अमीर बना दूँगा । हम मिल-जुल कर एक साथ इस पेंटिंग के बारे में किसी नतीजे पर पहुँच सकते हैं , हैं न ? “
द्रिओली ने उसे चिंता से भरकर देखा । “ श्रीमन् , आप इसे कैसे ख़रीद सकते हैं ? इसे ख़रीद लेने के बाद आप इसका क्या करेंगे ? आप इसे कहाँ रखेंगे ? आप आज रात इसे कहाँ रखेंगे ? और कल आप इसे कहाँ रखेंगे ? “
“ ओह , मैं इसे कहाँ रखूँगा ? हाँ , मैं इसे कहाँ रखूँगा ? चलिए , देखते हैं ...
ऐसा लगता है , “ उसने कहा , “ यदि मुझे यह पेंटिंग चाहिए तो मुझे आपको भी साथ रखना पड़ेगा । यह तो असुविधा है । इस पेंटिंग की तब तक कोई क़ीमत नहीं जब तक आपकी मृत्यु नहीं हो जाती । आप की उम्र कितनी है , मित्र ? “
“ इकसठ वर्ष । “
“ लेकिन सम्भवत: आप ज़्यादा स्वस्थ नहीं हैं , है न ? “ व्यापारी ने धीरे-धीरे द्रिओली को ऊपर से नीचे तक आँका जैसे कोई किसान किसी बूढ़े घोड़े को देखता है ।
“ मुझे यह पसंद नहीं , “ द्रिओली ने उससे दूर जाते हुए कहा ।” ईमानदारी से कहूँ श्रीमन् तो मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं । “ वह मुड़ा और चलता हुआ सीधे एक लम्बे आदमी की बाँहों में पहुँच गया जिसने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसे धीरे से कंधे से पकड़ लिया ।
“ सुनिए , मित्र , “ अजनबी ने मुस्कुराते हुए कहा, “ क्या आपको तैरने और धूप सेंकने में मज़ा आता है ? “
द्रिओली ने चौंक कर उसकी ओर देखा ।
“ क्या आपको बोर्देऊ के महान् महल से आया स्वादिष्ट भोजन् और लाल शराब पसंद है ? “ वह व्यक्ति अभी भी मुस्करा रहा था । उसके उजले , चमकते दाँतों के बीच से एक सुनहली कौंध आ रही थी । वह बेहद मृदु ढंग से बोल रहा था और उसका दस्ताने वाला हाथ अब भी द्रिओली के कंधे पर था । “ क्या आपको ऐसी चीज़ें पसंद हैं ? “
“ जी हाँ , “ द्रिओली ने उलझन से भरकर उत्तर दिया । “ बिल्कुल । “
“ क्या आपने कभी विशेष रूप से अपने पैर के लिए कोई जूता बनवाया है ? नहीं ? क्या आप ऐसा करना चाहेंगे ? “
“ देखिए ... “
“ और क्या आप एक नाई की सुविधा चाहेंगे जो हर सुबह आपकी दाढ़ी बनाए और आपके बालों को काट कर छोटा किया करे ? “ द्रिओली केवल खड़ा हो कर घूरता रहा । “ और क्या आप एक मोटी किंतु आकर्षक युवती की सेवा चाहेंगे जो आपकी उँगलियों के नाखूनों का प्रसाधन करे ? “ भीड़ में से कोई हँसा । “ और क्या आप अपने बिस्तर के बग़ल में एक घंटी चाहेंगे , जिसे सुनकर हर सुबह एक सेविका आपका नाश्ता ले आया करे ? क्या आपको ऐसी चीज़ें पसंद हैं , मित्र ? क्या आपको ऐसी चीज़ें अच्छी लगती हैं ? “ द्रिओली बिना हिले-डुले खड़ा रहा और उसे देखता
रहा ।
“ देखिए , मैं कैनेस में मौजूद होटल ब्रिस्टल का मालिक हूँ । मैं आप को आमंत्रित करता हूँ कि आप वहाँ आएँ और अपने जीवन का बाक़ी बचा समय मेरे अतिथि बन कर ऐशो-आराम से बिताएँ । “ वह आदमी रुका ताकि उसके श्रोताओं को इस ख़ुशगवार सम्भावना को समझने का मौक़ा मिले । “ आपकी एकमात्र ज़िम्मेदारी , मैं इसे आपकी सुख-सुविधा कहूँगा , यह होगी कि आप अपना समय समुद्र-तट के मेरे निजी इलाक़े में नहाने वाले वस्त्र पहन कर बिताएँगे । आप मेरे अतिथियों के बीच टहलेंगे , धूप-सेवन करेंगे , समुद्र में तैरेंगे और तट पर ही शराब पिएँगे । क्या आपको यह प्रस्ताव पसंद है ? “
“ आप समझ रहे हैं न , आपके ऐसा करने से मेरे होटल के सभी अतिथि श्री सुतीने द्वारा आपकी पीठ पर बनाई गई शानदार पेंटिंग को ठीक से देख सकेंगे । आप मशहूर हो जाएँगे और लोग कहेंगे , “ देखो , वहाँ वह शख़्स है जिसकी पीठ पर दस मिलियन फ़्रैंक की पेंटिंग बनी है । “ “ क्या आपको यह विचार पसंद है , श्रीमन् ? क्या आपको यह बात अच्छी लगी ? “
द्रिओली ने दस्ताने पहने उस लम्बे व्यक्ति को देखा । फिर उसने धीरे से कहा, “ क्या आप वाक़ई मुझे यह प्रस्ताव दे रहे हैं ? “
“ हाँ , मैं आपको यह प्रस्ताव दे रहा हूँ । “
“ रुकिए , “ व्यापारी ने हस्तक्षेप किया । “ बुज़ुर्गवार , देखिए । हमारी समस्या का समाधान यह है । मैं यह पेंटिंग ख़रीद लूँगा । फिर मैं एक शल्य-चिकित्सक की सेवा लूँगा जो आपकी पीठ से आपकी खाल उतार लेगा । तब आप आराम से जहाँ चाहें , वहाँ जा सकेंगे और आपको जो अपार धन-राशि मैं दूँगा , आप उसका उपयोग कर सकेंगे । “
“ तो क्या मेरी पीठ पर कोई खाल नहीं होगी ? “
“ नहीं , नहीं । कृपया मुझे ग़लत न समझें । यह शल्य-चिकित्सक आपके पीठ की पुरानी खाल हटा कर वहाँ नई खाल प्रत्यारोपित कर देगा । यह बेहद आसान है । “
“ क्या वह ऐसा कर सकता है ? “
“ यह कोई मुश्किल काम नहीं है ।”
“ असम्भव , “ दस्ताने पहने हुए आदमी ने कहा । “ त्वचा-प्रत्यारोपण के इतने बड़े प्रयोग के लिए ये बहुत बूढ़े हो चुके हैं । इससे इनकी मौत भी हो सकती है । मेरे मित्र , इस प्रयोग से आपकी मृत्यु हो जाएगी । “
“ क्या इससे मेरी मृत्यु हो जाएगी ? “
“ ज़ाहिर है । आप यह शल्य-चिकित्सा नहीं झेल पाएँगे । केवल पेंटिंग ही बच पाएगी । “
“ हे ईश्वर ! “ द्रिओली चिल्लाया ।
भयभीत हो कर उसने वहाँ मौजूद दर्शकों के चेहरे देखे । व्याप्त चुप्पी के बीच भीड़ में पीछे खड़े एक और व्यक्ति की आवाज़ सुनाई दी , “ यदि कोई इस बुज़ुर्ग को ढेर सारी रक़म दे तो कौन जाने , यह बूढ़ा यहीं आत्म-हत्या करने के लिए तैयार हो जाए ।“
कुछ लोग यह सुनकर हँसने लगे । व्यापारी बेचैनी से क़ालीन पर अपने पैर रगड़ने लगा।
“ आइए , “ लम्बा आदमी अपनी चौड़ी श्वेत मुस्कान बिखेरते हुए बोला , “ आप और मैं चल कर बढ़िया भोजन करते हैं । खाना खाते हुए हम इस विषय पर और
चर्चा करेंगे । कैसी रही ? आप को भूख लगी है न ? “
द्रिओली अप्रसन्नता से उसे देखता रहा। उसे उस व्यक्ति की लम्बी , लचीली गर्दन पसंद नहीं आई । वह जब बोलता था तो वह अपनी गर्दन किसी साँप की तरह आगे की तरफ़ उठा लेता था ।
“ भुनी हुई बत्तख़ और लाल शराब , “ वह आदमी कह रहा था । “ साथ ही कोई हल्की मिठाई । “ द्रिओली की निगाहें छत की ओर चली गईं और उसके मुँह में पानी आ गया ।
“ आप अपनी बत्तख़ को कैसे खाना पसंद करते हैं ? “ वह आदमी कहता रहा । “ क्या आप उसे बाहर से भूरी भुनी हुई और कुरकुरी पसंद करते हैं या वह ... “
“ मैं आप के साथ चल रहा हूँ , “ द्रिओली ने जल्दी से कहा । वह अपनी क़मीज़ पहले ही उठा चुका था और अब उसे पहन रहा था । “ रुकिए श्रीमन् , मैं आ रहा हूँ । “ और एक मिनट के भीतर वह अपने नए संरक्षक के साथ उस चित्र-दीर्घा से बाहर निकल कर ग़ायब हो गया ।

कुछ हफ़्तों के बाद सुतीने द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग ब्यूनोस एयरेस में बिक्री के लिए आई । उस पेंटिंग में एक युवती का सिर बना हुआ था और वह बड़ी असाधारण-सी पेंटिंग थी । उसका चौखटा बेहद सुंदर था और उस पर ढेर सारा रोगन किया गया था । इसी वजह से और इस वजह से भी कि कैनेस में ब्रिस्टल नाम का कोई होटल नहीं है , उस बूढ़े आदमी के स्वास्थ्य को लेकर आप चिंतित होते हैं और उसकी सलामती के लिए आप प्रार्थना करते हैं । साथ ही आप यह पुरज़ोर उम्मीद करते हैं कि वह बूढ़ा आदमी जहाँ कहीं भी होगा , एक मोटी किंतु आकर्षक युवती उसके नख-प्रसाधन के लिए मौजूद होगी और एक सेविका हर रोज़ सुबह के समय बिस्तर पर ही उसका नाश्ता लेकर आती होगी ।

———————— ०————————

—- मूल लेखक : रोअल्ड डाह्ल
—- अनुवाद : सुशांत सुप्रिय



सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम् ,
ग़ाज़ियाबाद-201014
( उ.प्र. )
मो : 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com

————————0————————

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1413,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,30,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,73,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,176,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,24,प्रेमचंद,40,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,19,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,11,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,12,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,118,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,53,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,222,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,70,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,356,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,4,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,86,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,348,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,102,hindi stories,656,hindi-gadya-sahitya,7,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,14,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,41,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: खाल - रोअल्ड दहल
खाल - रोअल्ड दहल
खाल रोअल्ड डाह्ल कुछ हफ़्तों के बाद सुतीने द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग ब्यूनोस एयरेस में बिक्री के लिए आई । उस पेंटिंग में एक युवती का सिर बना हुआ था
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhS5QqppiXgw4hB3BzrAI_S8G-e8uKpW5cIMyEcbs67uCheYIw9Ee4L5FsFm8W0Oi_CK9sfYA9Ko5dtXnNpAO6KGQv1S38flysZYXppHpOwGXXmHiy1U1NN9FEk2gDXYrReWFcS7EM5XSPH/s0/roald-dahl.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhS5QqppiXgw4hB3BzrAI_S8G-e8uKpW5cIMyEcbs67uCheYIw9Ee4L5FsFm8W0Oi_CK9sfYA9Ko5dtXnNpAO6KGQv1S38flysZYXppHpOwGXXmHiy1U1NN9FEk2gDXYrReWFcS7EM5XSPH/s72-c/roald-dahl.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/08/khal-roald-dahl.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/08/khal-roald-dahl.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका