टीचरों की अड्डे बाजी टीचरों की अड्डे बाजी या छोटी पार्टी विद्यार्थियों के घर भी कभी कभी पार्टी चलती और टीचर अनजाने में एक ऐसा ग्रुप तैयार कर लेते ह
टीचरों की अड्डे बाजी
आज का समय अत्यधिक संक्रमण काल है और यह वह समय है, जबकि नौनिहाल प्राथमिक कक्षाओं में भी नहीं जा रहे l ऑनलाइन कोई खास पढ़ाई नहीं हो रही ,और कई राज्यों में शिक्षा का स्तर ग्रुप बाजी के कारण इतना हीनता के स्तर पर आ चुका है, कि उसमें रिफॉर्म करने की संभावना भी अब नहीं दिखती, कारण कि जिन को हस्तक्षेप करना है ,वह चुप बैठ जाते हैं, मसलन राज्य l
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क्षेत्रपाल शर्मा |
शिक्षा एक मिशन के रूप में होनी चाहिए l अध्यापकों का दायित्व ही नहीं बल्कि उनका यह धर्म है कि नींव को सुदृढ़ करें परंतु मुझे कहते हुए बहुत अफसोस हो रहा है कि कुछ टीचर केवल पैसे कमाने के लिए, पाठ्यक्रम तक पूरा नहीं करते और अपने घर पर कोचिंग का बंदोबस्त कर लेते हैं मजबूरन विद्यार्थियों को उन के घर तक पहुंचना पड़ता है l
टीचरों की अड्डे बाजी या छोटी पार्टी विद्यार्थियों के घर भी कभी कभी पार्टी चलती और टीचर अनजाने में एक ऐसा ग्रुप तैयार कर लेते हैं कि वह पसंदीदा विद्यार्थियों का एक ग्रुप तैयार करते हैं उनसे जब तब खाते पीते रहते हैं। उनसे समय-समय पर गिफ्ट लेते रहते हैं और किसी भी कारण से यदि कोई विद्यार्थी उनमें से अलग कर दिया जाए ग्रुप में से, उसके फिर नंबर अच्छे नहीं आने वाले और वह उस ग्रुप से और उस टीचर से अलग थलग पड़ जाता है
निष्कर्ष है यह कहना है कि उस ग्रुप में शामिल कुछ विद्यार्थियों और उनके साथ हौब- नौब करने वाले टीचर के के बीच में कोई विभाजन रेखा नहीं बची रहती lइससे विद्यार्थी और अध्यापक के बीच में परस्पर आदर और विश्वास तो कम होता ही है ,शिक्षा का जो ह्रास होता है और राष्ट्रीय जो क्षति पहुंचती है, उसकी भरपाई कभी हो नहीं सकती l
अध्यापक के कर्तव्य और उत्तरदायित्व
- अध्यापक पूरी कक्षा को समान रूप से पूरे पाठ्यक्रम को समझाएं।
- किसी गिफ्ट अथवा विद्यार्थियों में इतना न घुले मिले कि कोई शक और सुबह पैदा करें।
- सदैव चरित्र शिक्षा नीति और के मामले में एबव द बोर्ड होना चाहिए।
- अध्यापक को समय पालन में स्वयं और विद्यार्थियों के लिए, अलग मानक नहीं रखने चाहिए।
- उनकी आवाज कक्षा के हर कोने तक स्पष्ट जानी चाहिए।
- अध्यापक को , छात्रों के रंग, भाषा, वेशभूषा व समुदाय के व्यक्तिगत जानकारी अथवा सूचनाओं पर कभी व्यक्तिगत अथवा निजी चर्चा या चर्चा का विषय नहीं बनाना चाहिए।
- उन्हें सदैव राष्ट्रीय व विश्व के महान नेताओं की बातें , उनके आदर्श , अनुभवों व स्पीच को छात्राओं के बीच याद दिलाना चाहिए।
ऑनलाइन और वर्चुअल कक्षाएं प्रारंभ हो चुकी है तो कक्षा की इस अवधि तक उन्हें निजी बातें और निजी अनुभव चाहे वह पारिवारिक सदस्य का हो, दूर रखने चाहिए और इस बीच अवधि तक सावधान की मुद्रा में अथवा बैठकर, फॉर्मल तरीके से ही कक्षा लेनी चाहिए l और ऐसा मानकर समाज में अध्यापक बर्ताव न करें जैसा ओलिवर गोल्डस्मिथ की एक कविता में है कि गाँव के स्कूल का अध्यापक यह समझता है या यह भूल करता है कि उस जैसा पढा लिखा पूरे गाँव भर में कोई नहीं है l
- क्षेत्रपाल शर्मा ,
शांतिपुरम अलीगढ़
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