लोकसभा चुनाव 1962

SHARE:

लोकसभा चुनाव 1962 कांग्रेस जीती लेकिन नेहरू के करिश्मे की चमक हुई फीकीभारत में 1962 के आते आते प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सफेद चादर थोड़ी-थोड़ी मै

लोकसभा चुनाव 1962 : कांग्रेस जीती लेकिन नेहरू के करिश्मे की चमक हुई फीकी


भारत में 1962 के आते आते प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सफेद चादर थोड़ी-थोड़ी मैली हो चुकी थी | उनके अपने ही दामाद सांसद फिरोज गांधी ने मूंदडा कांड का पर्दाफाश किया था | कांग्रेस में परिवारवाद की शुरुआत हो चुकी थी | मूंदड़ा कांड को फिरोज ने जिस शिद्दत से उठाया था, वह नेहरू को बेहद नागवार गुजरा | इसी वजह से दोनों के बीच दूरी बढ़ गई थी | यह बात दूसरे आम चुनाव के बाद 1957-58 की है | 1960 में दिल का दौरा पड़ने से फिरोज गांधी की मौत हो गई | इसी दौरान नेहरू पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लग चुका था, क्योंकि उन्होंने बेटी इंदिरा गांधी को 1959 मे कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाया था | इंदिरा गांधी के दबाव में ही पहली बार एक निर्वाचित राज्य सरकार की बर्खास्तगी हुई थी | केरल की ई.एम.एस. नम्बूदिरिपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को 1959 में केंद्र के इशारे पर बर्खास्त कर दिया गया था | इसी सबके बीच राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र पार्टी का गठन हो चुका था, जिसके मुख्य कर्ताधर्ता स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी और मीनू मसानी थे | मीनू मसानी को स्वतंत्र पार्टी का मुख्य सिद्धांतकार माना जाता था | इस पार्टी ने नेहरू के समाजवाद को सीधी चुनौती दी थी | दरअसल स्वतंत्र पार्टी जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के भी खिलाफ थी और कोटा परमिट राज के भी । तो इसी पूरी पृष्ठभूमि में हुआ था 1962 में लोकसभा का तीसरा आम चुनाव | 494 सीटों के लिए हुए इस चुनाव को बतौर मतदाता 21 करोड़ 64 लाख लोगों ने देखा | 11 करोड़ 99 लाख मतदाताओं यानी 55.42 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया | इस चुनाव पर सरकारी खजाने से कुल सात करोड़ 32 लाख रुपये खर्च हुए थे | कुल 1,985 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे जिनमें से 856 की जमानत जब्त हो गई | कुल 66 महिलाएं चुनाव लड़ी थीं, जिनमें से 31 जीती थीं और 19 को जमानत गंवानी पड़ी थी |

कांग्रेस ने 488 सीटों पर चुनाव लड़कर 361 पर जीत हासिल की | उसे 44.72 प्रतिशत वोट मिले थे | उसके तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी | दूसरे आम चुनाव की तरह इस बार भी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भा.क.पा) रही | उसने 137 सीटों पर चुनाव लड़कर 29 पर जीत दर्ज की | उसे 9.94 प्रतिशत वोट मिले जबकि उसके 26 प्रत्याशियों को अपनी जमानत गंवानी पड़ी | तीसरे नंबर पर स्वतंत्र पार्टी रही | 7.89 फीसदी वोटों के साथ उसे 18 सीटों पर जीत मिली | स्वतंत्र पार्टी ने कुल 173 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान मे उतारा था जिनमें 75 की जमानत जब्त हो गई थी | जनसंघ की सीटों में 1957 के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा का इजाफा हुआ | उसके 196 उम्मीदवारों में से 14 जीते पर 114 की जमानत भी जब्त हो गई | उसका वोट प्रतिशत तीन से बढ़कर 6.44 फीसदी हो गया | प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पी.एस.पी.) के खाते में 12 और सोशलिस्ट पार्टी के खाते में छह सीटें गई थीं | पी.एस.पी को 6.81 फीसदी और सोशलिस्ट पार्टी को 2.69 फीसदी वोट मिले थे | पी.एस.पी के 168 और सोशलिस्ट पार्टी के 107 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे | दोनों के जमानत गंवाने वाले प्रत्याशियों की संख्या क्रमशः 69 और 75 रही | क्षेत्रीय दलों ने 28 और अन्य पंजीकृत दलों ने छह सीटों पर जीत हासिल की | कुल 479 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे जिनमें से 20 जीते थे और 378 को अपनी जमानत गंवानी पड़ी थी |

अंग्रेजीदां वर्ग का दबदबा कम होने की शुरुआत 

इस चुनाव के पहले तक लोकसभा चुनावो में बतौर नेता अधिकांशतः अंग्रेजीदां उच्च मध्यवर्गीय तबके का कब्जा रहा | 1962 मे पहली बार यह कब्जा टूटना शुरू हुआ | संसद में किसान और ग्रामीण पृष्ठभूमि के प्रतिनिधियों के प्रवेश का रास्ता खुला | हालांकि इस चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में जरूर गए लेकिन इसी चुनाव में नेहरूवादी

लोकसभा चुनाव 1962
लोकसभा चुनाव 1962

समाजवाद से मोहभंग का सिलसिला भी शुरू हुआ | इस तीसरी लोकसभा का गठन जून में हुआ और तीन महीने बाद ही अक्टूबर 1962 मे भारत-चीन युद्ध हो गया | इस युद्ध से नेहरू को करारा झटका लगा और मृत्यु तक वे इस से उबर नहीं सके | कहा जाता है कि 1962 के चुनाव ने 1967 के आम चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी और फिर 1967 आते-आते भारतीय राजनीति में कांग्रेस के वर्चस्व के एक अध्याय की समाप्ति की कहानी लिख दी गई | लेकिन सब कुछ के बावजूद इस चुनाव ने कुछ चमत्कारिक फैसले भी दिए जिनसे सिक्के के दूसरे पहलू की जानकारी मिलती है |

मूंदड़ा कांड आजादी के बाद भ्रष्टाचार का पहला बड़ा मामला था | इसके लिए तत्कालीन वित्तमंत्री टी.टी. कृष्णामाचारी को जिम्मेदार माना गया | उन्होंने इस्तीफा भी दिया लेकिन 1962 का चुनाव भी लड़ा और निर्विरोध जीत कर लोकसभा मे पहुंच गए | सवाल है कि क्या आज की तरह उस वक्त का जनमानस भी भ्रष्टाचार को एक बड़ा मुद्‌दा मानने के लिए तैयार नहीं था ? दूसरी अहम बात यह थी कि नेहरू के खिलाफ समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया चुनाव लड़े | उनके द्वारा उठाए गए सारे मुद्दे धरे रह गए और नेहरू को उनसे ज्यादा वोट मिले | तीसरी महत्वपूर्ण बात यह रही कि आधुनिकता, लोकतंत्र और समाजवाद का राग अलापने वाले प्रधानमंत्री नेहरू ने अपने जीते जी बेटी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनवा दिया और लोकतंत्र में वंशवाद की शुरुआत कर दी और सारे कांग्रेसी दिग्गज खामोश रहे | नेहरू की लगाई गई वंशवाद की बेल आज भी न सिर्फ कांग्रेस में सर सब्ज है बल्कि दूसरे तमाम दलों में भी लहलहा रही है |

लोहिया, डांगे, कृपलानी और अटल बिहारी हारे

पिछले दो चुनावों की तरह 1962 के लोकसभा चुनाव में कई दिग्गज हार गये थे | डॉ. राममनोहर लोहिया, श्रीपाद अमृत डांगे, अटल बिहारी वाजपेयी, जे.बी. कृपलानी, जनसंघ के अध्यक्ष बलराज मधोक, कांग्रेस नेता ललित नारायण मिश्र, रामधन, बिहार के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल गफूर- ये सबके सब हार गए थे | मुंबई शहर (मध्य) सुप्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता डांगे को कांग्रेस के विपुल बालकृष्ण गांधी ने हराया | अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर और लखनऊ दो जगहों से चुनाव लड़े थे और दोनों ही जगहों से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा | बलरामपुर में उन्हें कांग्रेस की सुभद्रा जोशी ने और लखनऊ में कांग्रेस के ही बी.के. धवन ने हराया था | बंबई शहर (उत्तर) से जे.बी. कृपलानी की हार कांग्रेस के दिग्गज वी.के. कृष्णमेनन के हाथों हुई | बिहार की सहरसा सीट से सोशलिस्ट पार्टी के भूपेन्द्र नारायण मंडल ने ललित नारायण मिश्र को पराजित किया था | नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से खड़े बलराज मधोक को कांग्रेस के मेहरचंद खन्ना ने हराया | रामधन उत्तर प्रदेश की लालगंज सीट से हारे तो अब्दुल गफूर की हार बिहार की उस वक्त की जयनगर सीट से हुई थी | गफूर तब स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर लड़े थे | उनकी हार भी मात्र 66 वोटों से हुई थी |

सबसे रोचक मुकाबला जवाहरलाल नेहरू के लोकसभा क्षेत्र फूलपुर मे था जहां उनके विरुद्ध प्रख्यात समाजवादी

चुनाव परिणाम
डॉ. राममनोहर लोहिया चुनाव मैदान मे उतरे थे | लोहिया की करारी हार हुई थी | नेहरू को कुल एक लाख 18 हजार 931 वोट मिले जबकि डॉ. लोहिया को मात्र 54 हजार 360 वोट ही हासिल हुए थे | इस चुनाव से ठीक पहले लोहिया ने कहा था कि, “मैं मानता हूं कि दो बड़े नेताओं को एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, लेकिन मैं नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़ रहा हूं तो इसलिए क्योंकि उन्होंने जनता को 'गोवा विजय' की घूस दी है | यह राजनीतिक कदाचार है | अगर वे चाहते तो गोवा पहले ही आजाद हो गया होता |” लोहिया ने कहा, “दूसरी बात यह है कि नेहरू पर रोजाना 25 हजार रुपये खर्च होते हैं जबकि देश की तीन चौथाई आबादी को प्रतिदिन दो आने भी नहीं मिलते हैं | नेहरू की यह फिजूलखर्ची भी एक तरह का भ्रष्टाचार है | मैं जानता हूं कि इस चुनाव में नेहरूजी की जीत प्रायः निश्चित है | मैं इसे प्रायः अनिश्चित में बदलना चाहता हूं ताकि देश बचे और नेहरू को भी सुधरने का मौका मिले | लोहिया यह चुनाव हारने के एक साल बाद ही 1963 में उत्तर प्रदेश की फर्रुखाबाद सीट से उपचुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंच गए | लोकसभा में पहुंचते ही उन्होंने नेहरू की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया | प्रस्ताव पर बहस के दौरान उन्होंने जो भाषण दिया वह बेहद चर्चित रहा |

1962 का तीसरा आम चुनाव कई मामलों में पिछले दोनों आम चुनावों से अलग था । पहली बार हर संसदीय क्षेत्र से सिर्फ एक सांसद चुना गया और यह सिलसिला अब भी जारी है । इससे पहले के दोनों आम चुनावों में कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे थे, जहां से 2 प्रतिनिधि चुने जाते थे - एक सामान्य वर्ग से और एक एस.सी.-एस.टी. समुदाय से । तीसरा आम चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरू का आखिरी चुनाव भी था । इस चुनाव में सी. राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी ने भी छाप छोड़ी, जो देश की पहली मुक्त-बाजार समर्थक पार्टी थी । वहीं, दक्षिण में पहली बार डी.एम.के. की धमक दिखी । 1955 में कांग्रेस कार्यकारिणी में एंट्री के बाद तीसरे आम चुनाव तक इंदिरा गांधी राजनीति में स्थापित हो चुकी थीं और कांग्रेस में उनका प्रभाव बढ़ चुका था । इंदिरा को नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा था । पिछले दोनों आम चुनावों की तरह इस बार भी चुनाव प्रक्रिया लंबी रही । वोटिंग प्रक्रिया 19 फरवरी से 25 फरवरी तक चली । दो सदस्यीय संसदीय क्षेत्रों को 1961 में एक कानून बनाकर खत्म किया जा चुका था, लिहाजा 494 संसदीय सीटों से इतने ही प्रतिनिधि संसद के निम्न सदन के लिए चुने गए । कुल 21.6 करोड़ वोटरों में से 55.42 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया ।

दूसरे आम चुनाव तक लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए लेकिन तीसरे आम चुनाव में यह परंपरा टूट गई । केरल और ओडिशा विधानसभा के लिए क्रमशः 1960 और 1961 में मध्यावधि चुनाव हो चुके थे । तीसरे आम चुनाव के दौरान तत्कालीन मद्रास प्रांत (अब तमिलनाडु) में डी.एम.के. के रूप में एक नई ताकत का जन्म हुआ । पार्टी ने 7 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की । वहीं, विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 143 सीटों में से 50 सीटों पर जीत का परचम लहराया । डी.एम.के. का उदय इतनी तेजी से हुआ कि 1967 के अगले विधानसभा चुनाव में वह सूबे की सत्ता पर काबिज होने में भी कामयाब हो गई । 1962 का आम चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरू का आखिरी चुनाव था । इसमें उन्होंने यू.पी. की फूलपुर सीट से जीत की हैटट्रिक लगाई । नेहरू अपने निकटतम प्रतद्वंद्वी से 33 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर विजयी हुए । चुनाव बाद नेहरू एक बार फिर प्रधानमंत्री बने लेकिन बाद में उसी साल भारत-चीन युद्ध से उन्हें ऐसा सदमा लगा कि 2 साल बाद 27 मई 1964 में उनका देहांत हो गया । 1951 और 1957 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाली इंडियन नेशनल कांग्रेस के लिए 1962 का तीसरा लोकसभा चुनाव आसान नहीं था | 1957 का लोकसभा चुनाव जीतकर जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित केंद्र सरकार के समक्ष कई ऐसे मुद्दे आए, जिसने कांग्रेस की छवि को धूमिल करने का काम किया | इसी का असर था कि 1962 में हुए तीसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत न केवल 3.06 फीसदी घट गया, बल्कि उसकी संसदीय सीटें 371 से घटकर 361 रह गईं | बावजूद इसके जवाहर लाल नेहरू तीसरी बार जनता द्वारा निर्वाचित सरकार बनाने में कामयाब रहे | 

1957 से 1962 के बीच कांग्रेस की छवि को मूंदडा कांड ने सबसे अधिक धूमिल करने का काम किया | 1957-58 में हुए मूंदडा कांड के बाद नेहरू सरकार में वित्त मंत्री रहे टी.टी. कृष्णामाचारी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा | इस मामले में कांग्रेस को उस समय बड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जब टी.टी. कृष्णामाचारी को एक बार फिर बिना विभाग का मंत्री बना दिया गया | वहीं 1959 में दो ऐसे घटनाएं हुईं, जिसके चलते कांग्रेस और नेहरू को आचोलना झेलनी पड़ी | इसमें पहली घटना 1959 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाना और दूसरी घटना केरल की ई.एम.एस. नम्बूदिरिपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी सरकार को बर्खास्त करना शामिल था l 1957 से 1962 के बीच कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी मामलों से जूझ ही रही थी, तभी जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और कोटा परमिट राज के खिलाफ सी. राजगोपालाचारी ने मोर्चा खोल दिया | स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल रहे सी. राजगोपालाचारी ने मीनू मसानी के साथ मिलकर स्वतंत्र पार्टी का गठन किया और कांग्रेस की खिलाफत करते हुए चुनावी मैदान में कूद पड़े | 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र पार्टी ने कुल 173 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिसमें 18 उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब रहे | वहीं इस पार्टी के 75 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई |

लोकसभा चुनाव 1962 की मुख्य बातें 

*तीसरी लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था १९६२ का ।  ये चुनाव ०७ दिन तक अर्थात १९ फरवरी से २५ फरवरी तक चले ।  तीसरी लोकसभा के लिए उस समय १४ राज्यों और ०४ केंद्रशासित प्रदेशों में ४९४ सीटों के लिए चुनाव हुए ।

*देश की तीसरी लोकसभा ०२ एप्रिल १९६२ को अस्तित्व में आई ।

*तीसरी लोकसभा के चुनाव हेतु २,३८,०३१ चुनाव केंद्र स्थापित किए गए थे । 

*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या २१.६४ करोड़ थी । 

*उस समय केवल ५५.४२ % मतदान हुए थे । 

*तीसरी लोकसभा के लिए ४९४ सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल १९८५ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से ८५६ उम्मीदवारों की deposit राशि ज़ब्त हुई थी। 

*तीसरी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में ०५ उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीत कर लोकसभा में पहुँचने में सफल हुए थे । 

*इस चुनाव में कुल ६६ महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी जिन में से ३१ महिला उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुई । 

*४९४ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ७६ सीटे अनुसूचित जाती के लिए और ३१ सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी । 

*तीसरी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में २७ राजनीतिक दलों ने भाग लिया था जिन में से राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या ०६ और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की संख्या ११ थी जबकि १० पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दल भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे     । 

*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल १२६९  उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से ३६२ उम्मीदवारों की deposit राशि ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ४४० उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे । इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल वोटों में से ७८.५० % वोट मिले थे ।

*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल २१७ उम्मीदवार खड़े किए थे।  रिकॉर्ड के अनुसार इन २१७ प्रत्याशीयों में से १०८   प्रत्याशीयों की deposit  राशि ज़ब्त हुई थी और २८ प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे।  इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से ९.२८ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने २० उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन २० उम्मीदवारों में से ०८ उम्मीदवार अपनी जमा राशि बचाने में भी विफल रहे जबकि ०६ उम्मीदवार लोकसभा तक पहुँचने में सफल हुए। इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से १.१७ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में कुल ४७९ निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन ४७९ निर्दलीय उम्मीदवारों में से २० उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे।  कुल वोटो में से ११.०५ % वोट निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्राप्त किए थे जबकि ३७८ निर्दलीय उम्मीदवारों की जमा राशि ज़ब्त होने का रिकॉर्ड मौजूद है।

*इस चुनाव में कॉंग्रेस सब से बड़े दल के रूप में सामने आई।  ४९४ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कॉंग्रेस के ४८८ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन में से ३६१ उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही ०३ उम्मीदवारों की जमा राशि ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में कॉंग्रेस को कुल वोटो में से ४४.७२ % वोट मिले थे।

*कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) दूसरी सब से बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी।  कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) ने कुल १३७ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे।  इन १३७ उम्मीदवारों में से २६ उम्मीदवारों की जमा राशि जब्त हुई थी जबकि २९ उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे।  कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) को कुल वोटों में से ९.९४ % वोट मिले थे।  

*उस समय के और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस समय तीसरी लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के फूलपुर चुनाव क्षेत्र से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे थे।

*सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरी लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में ७,३२,००,००० (०७ करोड़ ३२ लाख) रुपये की राशि खर्च हुई थी।  

*उस समय श्री के. व्ही. के. सुंदरम भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, जिन्होंने ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  

*तीसरी लोकसभा ०३ मार्च १९६७ को विसर्जित की गई। 

*इस चुनाव के बाद तीसरी लोकसभा के लिए १६-१७ एप्रिल १९६२ को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था।  

*तीसरी लोकसभा के सभापती पद हेतु १७ एप्रिल १९६२ को चुनाव हुए और सरदार हुकुम सिंह को सभापती और एस. व्ही. कृष्णमूर्ती राव को उपसभापती के रूप में चुना गया।  

*तीसरी लोकसभा के कुल १६ अधिवेशन और ५७८ बैठके हुई।  इस लोकसभा में कुल २७२ बिल पास किए गए थे जिस का रिकॉर्ड मौजूद है। 

*तीसरी लोकसभा की पहली बैठक १६ एप्रिल १९६२ को हुई थी।

*तीसरी लोकसभा की ४९४ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ४४० सीटों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने, २८ सीटों पर राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों ने, ०६ सीटों पर पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने जबकि २० सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।




- प्रा. शेख मोईन शेख नईम 
डॉ. उल्हास पाटील लॉ कॉलेज, जलगाव 
7776878784

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1413,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,30,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,73,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,175,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,24,प्रेमचंद,40,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,19,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,11,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,12,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,118,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,53,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,222,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,70,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,356,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,4,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,86,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,348,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,102,hindi stories,656,hindi-gadya-sahitya,7,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,14,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,41,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: लोकसभा चुनाव 1962
लोकसभा चुनाव 1962
लोकसभा चुनाव 1962 कांग्रेस जीती लेकिन नेहरू के करिश्मे की चमक हुई फीकीभारत में 1962 के आते आते प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सफेद चादर थोड़ी-थोड़ी मै
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirLiVxlPIUEZsKjDVxxQ5He0PbRek59eoArpO0gvU3fCxHynsuJQINc3kQDllL8vxj74mKvPI3mpPbIZ69b1LDuMtKi_PtNgn_V1rrqjuxRbQ2T244RtY7wXxqODmcGxWVU0bXF1CoE_3k/s320/lok-sabha-election-1962.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirLiVxlPIUEZsKjDVxxQ5He0PbRek59eoArpO0gvU3fCxHynsuJQINc3kQDllL8vxj74mKvPI3mpPbIZ69b1LDuMtKi_PtNgn_V1rrqjuxRbQ2T244RtY7wXxqODmcGxWVU0bXF1CoE_3k/s72-c/lok-sabha-election-1962.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/06/lok-sabha-election-1962.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/06/lok-sabha-election-1962.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका