आठ अभिमन्यु मेजर कृपाल वर्मा

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आठ अभिमन्यु मेजर कृपाल वर्मा 


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आठ अभिमन्यु पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ  आठ अभिमन्यु  लेखक  मेजर कृपाल वर्मा जी  द्वारा लिखित है। प्रस्तुत पाठ में सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की घटना का वर्णन है। जिसमें भारतीय वायु सैनिकों ने अपने जान की बाजी लगाकर अटक, पाकिस्तान के तेलशोधक कारखाने को तबाह कर दिया था। यह घटना है 3 दिसम्बर 1971 की वह ठिठुरती सुबह अचानक अगरबत्ती की तरह धुँआ-धुँआ हो गई थी। गिरजा घरों की घण्टियाँ पाकिस्तानी हमले से हुई तबाही और नरसंहार के कारण करुणा भरे गीत गा रही थी। अस्पतालों एवं शहरी बस्तियों और मस्जिदों को भी बर्बाद कर दिया था। इस नरसंहार का अर्थ कोई नहीं समझ पा रहे थे | 

भारतीय वायुसेना के कमांडरों की एक ही राय थी -- चोर को नहीं चोर की माँ को मारो, पेड़ की जड़ काट दो पत्ते तो अपने-आप ही सुख जाएंगे। सैनिकों का दिमाग 'अटक' में जाकर अटका था। अटक का तेलशोधक कारखाना सैनिकों के दिमाग खटक रहा था। लेकिन अटक पर हमला करके भारत वापस आना आसान काम नहीं था | यह एक चक्रव्यूह था, जिसमें से अभिमन्यु को लड़ाई करने के बाद वापस आना था। असंभव को सम्भव बनाना था। लेकिन ये सब कैसे करना यही राकेश और उसके सात साथी विचार कर रहे थे। राकेश अपने सातों साथियों के साथ मिशन 'मशाल' पर चर्चा करते हुए कह रहा था कि हमें आज रात ग्यारह बजे रवाना होना है। केनबरा बमवर्षकों पर नेपाम बम रॉकेट और हवा में मार करने वाले मिसाइल को लेकर चलना है। अटक के तेलशोधक कारखाने को चार बड़े टारगेटों में बाट दिया गया था। रिफाइनरी पर हमला, गोदाम तथा एडम-ब्लॉक पर हमला, एक के बाद एक को उड़ाएँगे ताकि हम एक दूसरे की सुरक्षा कर सकें। राकेश सारी बातें बोलकर चुप हो गया लेकिन उसकी आँखे अब भी बोल रही थी। क्योंकि आगे-पीछे सब सोचकर काम करना था। क्योंकि यह एक चक्रव्यूह है, एक हाथ में जीवन और दूसरे हाथ में मौत को साथ लेकर अंदर जाना होगा जहाँ से निकलना असंभव है। लेकिन घुसने के बाद अंतिम सांस और आस तक जूझना होगा | 

आठ अभिमन्यु मेजर कृपाल वर्मा
आठ अभिमन्यु
रात के ग्यारह बजने में पाँच मिनट बाकी थे,  आठो सैनिक हवाई पट्टी पर आ कर खड़े थे | अब तो बस उड़ान की देरी थी, आठों एक-एक के आठ विमानों में बैठ गए और राकेश के दिशा-निर्देश पर अपनी मंजिल की ओर उड़ान भरने को तैयार हो गए। विमान के शोर से सारा आसमान गुर्राने लगा,  उनकी सारी सोच विलीन हो गई। राकेश मिशन 'मशाल' का नेतृत्व कर रहा था। एक लंबी उड़ान के बाद आठों अभिमन्युओं ने पाकिस्तान की सीमा को लांघ कर आगे बढ़ा। आठों भारतीय वीर पाकिस्तान की सीमा में चुपचाप घुसे। उन्हें आसमान पर मूक बैठे सितारों ने देखा था | परंतु आसमान या हवा ने उन्हें टोका नहीं। आठों वीर अटक में फैले शोधक कारखाने को ऊँचाई से देख रहे थे। यह बिल्कुल चित्र की तरह स्प्ष्ट थे | 


लेकिन पश्चिम की पहाड़ियों के ढ़लान पर लगी विमान-भेदी तोपें सबसे बड़ी मुसीबत थी क्योंकि भारी बम-वर्षक कैनबरा विमान को निशाना बनाना इन तोपों के लिए बहुत आसान काम था। एक बार इन विमान भेदी तोपों के खुलने की देर थी कि सब करा-धरा धराशायी हो जाना था। इसलिए हमें सुरसा के मुँह की तरह खुली कहा गया है। अब राकेश ने सभी को निर्देश दिए और काम चालू कर दिया पहला हमला डिसूजा ने उसने विमानभेदी तोपों को नष्ट किया। दूसरा हमला धरम और धीरज ने तेलशोधक कारखाने पर किया। कारखाना धुँ-धुँ कर जल रहा था। उसके धुँए पूरे आसमान में फैल रहे थे। ग्रेवल और रमन ने तेल के कुएँ पर रॉकेट मारा। धामी और ढिगड़ा ने प्रशासन खण्ड को उड़ाया। राकेश हवा में अपने साथियों के कमाल को देख रहा था। सारा आसमा आग की लाल-लाल लपटों से भरा था। अब अटक शहर की भी नींद बर्बाद हो चुकी थी। लोग घरों से बाहर आकर यह भयंकर दृश्य देख रहे थे। अब आठों सैनिक एक मुठ्ठी में बंधे होकर भारत की तरफ चल पड़े थे। एक दूसरे का साथ देते हुए। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने हमला करना शुरू कर दिया सभी के विमान को चोट लगी थी लेकिन इन वीरों ने मुसीबतों का डटकर सामना किया जमकर युद्ध हुई। पाकिस्तानी सेबर पूरे आक्रोश के साथ इन पर बाज की तरह झपट पड़े थे। धींगड़ा द्वारा ग्रेवाल की ओर बढ़ते सेबरजेट विमान पर वार करने से वह खंड-खंड होकर जमीन पर आ गिरा था। इसके परिणामस्वरूप सेबर विमान अब एक सुरक्षित दूरी बनाते हुए लड़ रहे थे | 

देश की सीमा निकट ही थी | मौत के गलियारों से गुजर हर पल इन आठों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। लेकिन हजारों भारतीयों की दुआ और वक़्त ने इन्हें जिंदा बचाया था। देश की सीमा में घुसते ही उनका संकट हवा में घात लगाए बैठे लीडर अर्जुन ने अपने सर ले लिया। अब अर्जुन के आगोश में इन आठ अभिमन्युओं को अभयदान मिल गया था। आठों अभिमन्युओं ने चक्रव्यूह से निकल कर एक नया इतिहास रचा था जो आज भी इतिहास के पन्नों में मिलता है। जिस देश में ऐसे अभिमन्युओं की सेना हो वह देश कभी हार नहीं सकता इन वीरों ने अपने साहस और वीरता से देश में हुए अन्याय का बदला बहुत ही नायाब तरीके से लिया जो हमेशा अमर रहेगा...|| 

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आठ अभिमन्यु पाठ के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 3 दिसंबर 1971 को अचानक क्या घटना घटी ? 

उत्तर-
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेबरजेट विमानों ने भारत पर नेपाम बम गिराए थे | 

प्रश्न-2 राकेश के अनुसार मिशन 'मशाल' चक्रव्यूह में घूमने के बाद आठों अभिमन्युओं की क्या स्थिती होगी ? 

उत्तर-
राकेश के अनुसार मिशन 'मशाल' के अभिमन्यु चक्रव्यूह में बिल्कुल अकेले होंगे | उन्हें अंतिम सांस तक अपने ही दम पर मुकाबला करना होगा | 

प्रश्न-3 लेखक ने पाकिस्तान की सीमा में घुसते भारतीय वीरों का वर्णन किन शब्दों में किया है ? 

उत्तर-
लेखक ने कहा कि हमारे देश के आठों भारतीय वीर पाकिस्तान की सीमा में चुपचाप घुसे | उन्हें आसमान पर मूक बैठे सितारों ने देखा था परंतु आसमान या हवा ने उन्हें टोका नहीं | 

प्रश्न-4 ग्रेवाल और रमन के राकेटों के गिरते ही कैसा दृश्य उपस्थित हो गया ? 

उत्तर-
ग्रेवाल और रमन के राकेटों के गिरते ही तेल के कुएँ, आग की लंबी मीनारों की तरह हवा में तन गए थे | 

प्रश्न-5 गिरजा घरों की घण्टियाँ करूणा भरे गीत क्यों गा रही थी ? 

उत्तर - 
गिरजा घरों की घण्टियाँ पाकिस्तानी हमले से हुई तबाही और नरसंहार के कारण करुणा भरे गीत गा रही थी | 

प्रश्न-6 मिशन 'मशाल' क्या था ? 

उत्तर- मिशन 'मशाल' पाकिस्तान पर हमला कर अटक शहर के तेलशोधक कारखाने को नष्ट करने के लिए चलाया गया एक मिशन था | 

प्रश्न-7 कौन-सी मुसीबत सुरसा के मुँह की तरह खुली थी ? 

उत्तर- पश्चिम की पहाड़ियों के ढलान पर लगी विमान-भेदी तोपें सबसे बड़ी मुसीबत थी क्योंकि भारी बम- वर्षक कैनबरा विमान को निशाना बनाना इन तोपों के लिए बहुत आसान काम था। एक बार इन विमान भेदी तोपों के खुलने की देर थी कि सब करा-धरा धराशायी हो जाना था। इसलिए हमें सुरसा के मुँह की तरह खुली कहा गया है | 

प्रश्न-8 राकेश ने पूर्व योजना बदलकर अपने किस साथी को क्या कार्य सौंपा ? 

उत्तर-राकेश ने पूर्व योजना बदलकर धरम और धीरज को तेलशोधक कारखाने को नष्ट करने के लिए कहा और गैरी को तेल के कुओं को उड़ाने का कार्य सौंपा | 

प्रश्न-9 धींगड़ा द्वारा ग्रेवाल की ओर बढ़ते सेबरजेट विमान पर वार करने का क्या परिणाम हुआ ? 

उत्तर-धींगड़ा द्वारा ग्रेवाल की ओर बढ़ते सेबरजेट विमान पर वार करने से वह खंड-खंड होकर जमीन पर आ गिरा था। इसके परिणामस्वरूप सेबर विमान अब एक सुरक्षित दूरी बनाते हुए लड़ रहे थे | 

प्रश्न-10 आशय स्प्ष्ट कीजिए --- 

i.  सुबह अचानक अगरबत्ती-सी धुँधआ उठी | 

उत्तर-पाकिस्तानी सेबरजेट विमानों के नेपाम बम गिराने से चारों ओर धुँआ उठने लगा था | 

ii.  आसमान गुर्राने लगा था।

उत्तर- मिशन  'मशाल'  के आठों विमानों के इंजनो के शोर ने आसमान में हलचल-सी मचा दी थी। ऐसा लगता था, आक्रमण की घड़ी आ गई है | 

प्रश्न-11 सही उत्तर पर √ लगाइए --- 

(क)- हर सैनिक के दिमाग में क्या खटक गया था ? 

उत्तर- अटक का तेलशोधक कारखाना

(ख)- राकेश के चुप हो जाने पर उसकी आँखें क्या बोलती लग रही थी ?

उत्तर- आगा-पीछा स्वयं को ही देखना होगा | 

(ग)- आक्रमणकारी सेबर विमानों ने एक सुरक्षित दूरी क्यों बनाई हुई थी ? 

उत्तर- कैबनार पर लदे मिसाइलों का डर मौत के डर भी ज्यादा था | 

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भाषा से
प्रश्न-12 दिए गए शब्दों में पूर्ण अथवा कारी प्रत्यय लगाकर नया शब्द बनाइए --- 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 

• महत्व - महत्वपूर्ण
• अश्रु - अश्रुपूर्ण
• आक्रमण - आक्रमणकारी
• रस - रसपूर्ण
• हित - हितकारी
• आशा - आशापूर्ण
• भाव - भावपूर्ण
• विनाश - विनाशकारी

प्रश्न-13 शब्दों को शुद्ध करके लिखिए --- 

उत्तर- 
निम्नलिखित उत्तर है - 

• धुंधुवा - धुँधुवा
• चक्रब्यूह- चक्रव्यूह
• धराशाई - धराशायी
• विंहमन - विहंगम
• तेलसोधक - तेलशोधक  
• अटखेलियाँ - अठखेलियाँ

प्रश्न-14 वाक्यांशों को एक शब्द से मिलाइए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 
1. बमों की वर्षा करने वाला जहाज --- बमवर्षक जहाज
2. जिस कारखाने में तेल शुद्ध किया जाता है --- तेलशोधक कारखाना
3. बहुत-से लोगों की एक साथ हत्या --- नरसंहार
4. उड़ते हुए विमानों को नष्ट करने वाली तोप ---विमानभेदी तोप
5. नेता बनकर आगे होने का भाव ---  नेतृत्व


प्रश्न-15 निर्देश के अनुसार वाक्य बदलिए --- 

(1)- भारतीय नागरिक इस नरसंहार का अर्थ समझ पा रहे थे |  (निषेधार्थक वाक्य)

उत्तर- भारतीय नागरिक इस नरसंहार का अर्थ नहीं समझ पा रहे थे | 

(2)- तुम्हें आज ग्यारह बजे रवाना होना है | 
(आज्ञार्थक वाक्य)

उत्तर- तुम आज ग्यारह बजे रवाना हो जाओ | 

(3)- तुम विमानभेदी तोपों को नष्ट करो | 
(प्रश्नार्थक वाक्य)

उत्तर- क्या तुम विमानभेदी तोपों को नष्ट करोगे ? 

(4)- आठों अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़कर जीवित लौट आए |  (विस्मयार्थक वाक्य)

उत्तर-अच्छा ! आठों अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़कर जीवित लौट आए | 


प्रश्न-16 मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य बनाइए --- 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 

• रोंगटे खड़े हो जाना - (डर जाना) - सड़क दुर्घटना   देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए | 
• आग की तरह फैलना - (बहुत जल्दी चर्चा में आना) - आठ विमानों के एक साथ आने पर यह सूचना आग की तरह फैल गई | 
• आँख फाड़कर देखना - (आश्चर्य से देखना) - मेरी सफलता में दुश्मन आँख फाड़कर देखता रहा | 
• होश उड़ जाना - (घबरा जाना) - पुलिस के आने की खबर सुनते ही अपराधियों के होश उड़ गए | 
• चित कर देना - (विरोधी को हरा देना) - चुनाव में निर्दलीय पार्टी ने दूसरे पार्टी को चित कर दिया | 

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आठ अभिमन्यु पाठ के शब्दार्थ


• भ्रमित - भ्रम में पड़े हुये
• नरसंहार - बड़े स्तर पर लोगों की हत्या
• तेलशोधक - कच्चे तेल को साफ करने वाला
• चक्रव्यूह - चक्र के आकार में सेना की स्थापना
• धुआँधार - जोरदार
• आगा-पीछा - सब कुछ
• निपट अकेला - बिल्कुल अकेला
• स्रोत - जरिया
• अगुआ - आगे चलने वाला
• विहंगम - ऊँचाई से देखने लगा
• धराशायी - चौपाट
• चित कर दिया - हरा दिया
• अठखेलियाँ - करतब करना
• पलोटी - उलटकर, पलटकर
• मुहैया - उपलब्ध, प्राप्त
• आगोश - गिरफ्त, पकड़ में
• आँखे फाडे - आश्चर्य से देखना   | 



                                 
© मनव्वर अशरफ़ी 

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