पूर्वाग्रह - हिंदी कहानी

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पूर्वाग्रह - हिंदी कहानी बड़ी भाभी बेहद बेबाक हैं और मेरे भैया उतने ही शर्मीले , शांत व गंभीर ।जब देखो किसी के सामने भी अपना ज्ञान बांटती रहती हैं चा

पूर्वाग्रह (पहले से ही निश्चित किया गया मत)


ड़ी भाभी बेहद बेबाक हैं और मेरे भैया उतने ही शर्मीले , शांत व गंभीर ।जब देखो किसी के सामने भी  अपना ज्ञान बांटती रहती हैं चाहे कामवाली हो , सब्जीवाला हो , पड़ोसी हों या  घर के सदस्य।  

हम सब बहुत परेशान रहते हैं उनकी बेबाकी से ! विशेष कर पापा चिढ़ते रहते हैं , उनके सामने भी जब तब शुरू हो जातीं हैं । समझती  ही नहीं कि यह  बेतुकी ऊलजलूल भरी बातें सबके पल्ले नहीं पड़ती? "अधजल गगरी छलकत जाय " ।

मां से आए दिन झड़प होती रहती है उनकी । छोटी भाभी को खूब नचातीं वो, खुद बैठी रहतीं  कोई काम नहीं ,मझे  बहुत गुस्सा आता , पर मां बोलती कि शादीशुदा बेटी मायके से  ससुराल जाए इज्जत के साथ भाभी से लड़कर नहीं। वैसे भी ज्यादातर घरों में छतीस का आंकड़ा रहता है  ननद भाभी के बीच ,  केवल छोटी भाभी   से इनका झगड़ा कभी नहीं हुआ , छोटी भाभी अध्यापिका हैं समय ही नहीं है ।

बाकी सबसे झड़प होता ही रहता  बड़ी भाभी का । मां से बिल्कुल नहीं पटता इनका और भैया को खराब न लगे , इसलिए ज्यादा कुछ बोल नहीं पाती है मां ।

पूर्वाग्रह
अचानक मां को वायरल फीवर हो गया है , बेहोश हो गई हैं, अफरातफरी में हास्पिटल ले जाया गया है , शुगर लेबल काफी बढ़ गया है ब्रेन हेमरेज होने के कारण मां हम सब को रोते  बिलखते छोड़कर चलीं गईं हैं हमेंशा के लिए।सबसे ज्यादा दुख हुआ है  पापा को मां के नहीं रहने के कारण । बिचारे क्या करते , जीना ही है ।

 बड़ी भाभी होशियार भी हैं, अपना काम निकाल लेने में तेज भी। शातिर भी।कामवाली विमला आई है  पापा को  चाय देने , देकर जा रही होती है , रूको विमला !

जी मालिक , ये जो साड़ी पहनी हो, यह तो तुम्हारी मालकिन की है न , तुमको कहां से मिला  है ?   अचानक से पूछने पर सकपका गई विमला।जी बड़की भौजी दी हैं ये साड़ी ।

मां की छोटी सी एक गोदरेज की अलमारी है जिसमें साड़ी और गहने  हैं जिसे पापा ने जतन से रखा है , कि बाद में  अनुकूल समय के आने पर फीमेल मेम्बर को बांट देंगे।  विमला का प्रत्युत्तर सुनकर अचरज से भर गए पापा।पापा ने मां की अलमारी को  खोला है  , उसमें मां  की साड़ी में से चार साड़ी नहीं हैं, सोने के दो चैन , कंगन , दो अंगूठी नहीं हैं  अलमीरा के लाॅकर में?

पापा ठगे से हतप्रभ रह गए हैं । किससे पूछे वो ,  अगर दोनों बहूओं से पूछते हैं तो वो दोनों को बुरा लगेगा  कि  पापा चोरी का इल्जाम लगा रहे हैं पर मां के अलमारी से कीमती गहने भी गायब  हैं ? क्या करें , घर में गहनों की चोरी हो गई है। मेरा स्थानीय ससुराल है, मां के काम क्रिया के बाद नहीं आ पाई  मायके मैं? पापा का फोन आने पर आना पड़ा है ।

कौन ले सकता है तेरी मां का सब गहना ? बिचारे पापा बेहद चिंतित और दुखी, पर मुझे जिस पर शक है उसका नाम नहीं बताऊंगी।दो चार दिन रूककर पता चल  ही गया  है । वैसे आप समझ ही गए होंगे।

उसी दिन दोपहर में धोबन आई  है  आयरन का कपड़ा देने , वो भी  मां की साड़ी  पहनी हुई है , अरे  ये तो मां की साड़ी है  तुमको  कौन दिया है ? लगता है  चोरी की हो क्या ,  नहीं नहीं दीदी ! बड़की भौजाई दी हैं । गुस्सा से उस  पर बम के  गोले बरसाने लगी मैं।

जोर शोर से चिल्लाने की आवाज से बड़ी भाभी,  छोटी भाभी , दोनों भाई और पापा आ गए हैं। क्या हुआ क्यों डांट रही हो इसे? देखिए न ये मां का साड़ी पहनी है,  मां के अलमारी  से चुराई है । मैंने कमान से तीर छोड़ा जो सीधे निशाने पर जाकर लगा 

नहीं मालिक हम चोर नहीं हैं ,  ऐसे नहीं मानेगी ये , अभी पुलिस को फोन करते हैं पापा ।

मां का गहना भी तो चोरी हो गया है , इसी का किया धरा है सब ।मोबाइल से  पुलिस को नंबर मिला ही रही हूं कि बड़ी भाभी ने मेरा मोबाइल  फोन  लपक  कर छीन लिया  ।  इसको साड़ी मैंने दिया है और कामवाली को भी । मां की साड़ी कौन पहनता  ? पुरानी  डिजाइन की साड़ी थी , इसलिए। 

और मां के गहने ? 

मेरे पास हैं, बोलकर बैठ गई है  धम्म से जमीन पर  बड़ी भाभी ।

भैया को काटों खून नहीं! 

मिल गए गहने मां के !

बाद में पता चला कि बड़ी भाभी किसी पूर्वाग्रह को मन पाले हुए थीं कि हम बड़ी बहू हैं , मेरा ज्यादा हक है सास  के  गहनों पर ! पापा के अनुपस्थिती में मां के अलमारी से चुरा ली हैं।

 कितना लज्जित हुए भैया बिचारे ! क्या गलती है उनकी , शादी तो पापा ही न किए हैं उनका ।

बड़ी भाभी को मां से खुन्नस भी रहता था , क्योंकि मां इनके रग रग से वाकिफ थीं। घर से पैसे भी चोरी होते , किसी के बैग से या जेब से? मां सब जानती थी , कई बार डांटी भी । 

पर  किसी का नेचर (स्वभाव)  और सिग्नेचर (हस्ताक्षर) कभी नहीं बदलता !

पूर्वाग्रह का अर्थ___ पूर्वाग्रह,  लैटिन संज्ञा प्रीजूडियम से लिया गया है । किसी के मन में अन्य के प्रति एक दृष्टिकोण बना लेना। कितना भी आप अपनी बात रखें मिथकीय है पूर्वाग्रह ।



- अंजू ओझा, पटना।

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