खुले आकाश में कहानी Khule Aakash Mein Class 8 Hindi Gunjan

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खुले आकाश में - जसवंत सिंह विरदी


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खुले आकाश में कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ या कहानी  खुले आकाश में , मूल रूप से पंजाबी कहानी है, जिसके लेखक जसवंत सिंह विरदी जी हैं | इस कहानी का हिन्दी अनुवाद चंद्रप्रभा जी ने किया है | घोंसले से खुले आकाश में विचरने तक के संघर्ष की यह कहानी हमें सिखाती है कि धरती या समाज में वही अपना स्थान बना सकता है, जिसमें विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता हो | प्रत्येक जीव संघर्ष करके आगे बढ़ता है | विपरीत परिस्थितियों से जूझनेवाला जीव शक्तिशाली होता है | उसमें जिजीविषा और उत्साह का संचार होता है | मुसिबतों का सामना करके ही लक्ष्य रूपी खुला आकाश पाया जा सकता है | 

प्रस्तुत पाठ या कहानी के अनुसार, लेखक कहते हैं कि गर्मी के दिनों में मेरे घर के पीछे अकसर हलचल मची रहती है | मेरी पत्नी पक्षियों के लिए ढेर सारे दाने और रोटी के टुकड़े घर के पीछे फेंक देती है | पर वास्तव में, यह हलचल का कारण नहीं है | सच तो यह है कि जब मासूम चिड़ियाँ दीवार या स्नानघर के कोनों में अपने घोंसलें बना लेती हैं, तब शारकें तुरंत हाज़िर हो जाती हैं | चिड़ियाँ जो भी तिनका-तिनका इकट्ठा करती हैं, शारकें उनको एक-एक कर बिखेर देती हैं | पर चिड़ियाँ मोर्चे पर डटे रहती हैं | और ये सिलसिला लगभग हर वर्ष चलता रहता है | 
लेखक कहते हैं कि कुछ दिन पहले की बात है, दोपहर के बाद जब मेरी पत्नी घर के पीछे गई तो उसने देखा कि घोंसले के नीचे धरती पर एक अंडा टूटा पड़ा था | तभी उसने गुस्से से कहा --- यह जरूर शारकों की शरारत है | अब मैं शारकों को इस घर में नहीं आने दूँगी | 

कॉलेज में छुट्टियों के दौरान मैं सप्तसिंधु के लोगों के बारे में अपना शोधपत्र पूरा कर रहा था | उस शोध पत्र का सार था कि वैदिक काल के आर्य लोगों से लेकर आज तक सप्तसिंधु अथवा पंजाब के लोगों को विदेशी हमलावारों और प्रकृति की निर्दयी शक्तियों से युद्ध करना पड़ा है | तब जाकर वे अपने आपको इस धरती पर स्थापित कर सकें हैं | अब तो इस धरती पर वातावरण में ऐसे शौर्यपूर्ण भाव व्याप्त हैं, जो हर किसी को ज़ुल्म के विरुद्ध खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं | 

खुले आकाश में कहानी Khule Aakash Mein Class 8 Hindi Gunjan
खुले आकाश में कहानी

लेखक कहते हैं कि एक दिन दोपहर के वक़्त जब मैंने घर के पिछवाड़े में पक्षियों की चीख-पुकार सुना तो मैं तुरंत आश्चर्य में पड़ गया | मेरी पत्नी कह रही थी कि ये शारकें चिड़ियाँ के बच्चे को नहीं छोड़ेंगी | जब चीं-चीं की आवाज़ करते परेशान हाल चिड़ियों की मदद के लिए मेरी पत्नी आगे बढ़ी तो मैंने उसके बाजु पकड़कर रोक लिया और उससे कहा कि चिड़ियों को अपनी सहायता स्वयं करने दो | उसकी मदद करके उसे कमजोर मत बनाओ | तुम चिड़ियों को शारकों के विरुद्ध लड़ने दो | हम हर समय उनके साथ नहीं रह सकते | इतने में मेरी पत्नी ने धैर्यपूर्वक मुझसे कहा कि मैं देख तो लूँ वो कर क्या रहे हैं | मैंने जवाब में बोला कि पर उसकी लड़ाई में दखल मत देना | पत्नी ने पुनः प्रतिवाद किया कि इस तरह से बुराई को बढ़ावा मिलता है | तभी मैंने जवाब में बोला कि जिसके साथ बुरा होता है, वह भी तो बुराई के विरुद्ध डटे | तत्पश्चात् पत्नी मेरी बात से सहमत हो गई | 


पीछे जाकर मैंने देखा कि पाँच शारकों ने चिड़ियों के घोंसले को घेरा हुआ था | घोंसले के अंदर उनके बच्चे डरे हुए और चीं-चीं की आवाज़ कर रहे थे |चिड़िया और चिड़ा दोनों ही घोंसले के आगे बैठा शारकों का मुकाबला कर रहे थे | मानो उसने निश्चय कर लिया हो कि अगर आज वे अपने बच्चे को न बचा सके तो शरम से मर जाएंगे | बल्कि चिड़ियों ने चीं-चीं करके शारकों को ललकारना शुरू कर दी थी कि हिम्मत है तो करो मुकाबला | निःसंदेह, हमलावार में तभी तक ही हिम्मत होती है, जब तक कि कोई उसका मुकाबला नहीं करता, क्योंकि जुल्म करने वाले के पास प्राकृतिक शक्ति नहीं होती | 

चिड़ियाँ का बच्चा घोंसले से निकलकर आँगन में आ गया था और सारी चिड़ियाँ उसको अपने साथ उड़ना सिखा रही थीं | उसके पर उड़ने के लिए बिल्कुल तैयार थे | उसका शरीर भी ताक़तवर हो गया था | वह दृश्य देखकर मेरी पत्नी बहुत खुश थी | मैंने पत्नी से कहा - मुकाबला आदमी को शक्तिशाली बना देता है | अगले ही पल चीं-चीं की आवाज़ के साथ वह बच्चा खुले आकाश में उड़ने लगा...|| 



खुले आकाश में कहानी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 लेखक की पत्नी शारकों से क्यूँ नाराज़ थी ? 

उत्तर- 
शारकें चिड़ियों के अंडे को घोंसले से नीचे धरती पर गिरा देती थीं | लेखक की पत्नी के द्वारा डाले गए रोटी के टुकड़ों को चिड़ियों से छिनकर खा जाती थीं | इसलिए लेखक की पत्नी शारकों से नाराज़ थी | 

प्रश्न-2 लेखक ने पत्नी को बाजू पकड़कर क्यूँ रोका ? 

उत्तर- लेखक ने पत्नी को बाजू पकड़कर इसलिए रोका क्यूँकि वह चिड़ियों को शारकों से बचाने जा रही थी | जबकि लेखक चाहते थे कि चिड़िया अपनी लड़ाई स्वयं लड़ें और शारकों से मुकाबला करें | 

प्रश्न-3 चिड़ियों और शारकों के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं ? 

उत्तर- लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि विरोधी चाहे जितना भी ताकतवर क्यूँ न हो, उसमें तब तक ही हिम्मत होती है, जबतक सामने वाला मुकाबला नहीं करता | मुकाबला कमजोर आदमी को शक्तिशाली बना देता है | 

प्रश्न-4 लेखक का शोधपत्र किस बारे में था ? 

उत्तर- लेखक का शोधपत्र सप्तसिंधु के लोगों के बारे में था | उस शोध पत्र का सार था कि वैदिक काल के आर्य लोगों से लेकर आज तक सप्तसिंधु अथवा पंजाब के लोगों को विदेशी हमलावारों और प्रकृति की निर्दयी शक्तियों से युद्ध करना पड़ा है | तब जाकर वे अपने आपको इस धरती पर स्थापित कर सकें हैं | अब तो इस धरती पर वातावरण में ऐसे शौर्यपूर्ण भाव व्याप्त हैं, जो हर किसी को ज़ुल्म के विरुद्ध खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं | 

प्रश्न-5 पाठ के आधार पर लेखक और उनकी पत्नी के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए | 

उत्तर- पाठ के आधार पर लेखक एक व्यावहारिक व्यक्ति थे | वे जानते थे कि जब तक हम खुद प्रयास नहीं करेंगे, तब तक विजेता नहीं बन सकते | जबकि लेखक की पत्नी संवेदनशील थी और सदा दूसरों की सेवा के लिए तैयार रहती थी | 

प्रश्न-6 आशय स्पष्ट कीजिए ---

ज़ुल्म करने वालों के पास प्राकृतिक शक्ति नहीं होती | 

उत्तर- ज़ुल्म करने वालों के पास प्राकृतिक शक्ति नहीं होती -- इससे आशय है कि निर्दयी या अत्याचारी व्यक्ति के पास तभी तक हिम्मत होती है, जब तक सामने वाला व्यक्ति पलटकर उसका मुकाबला न करे | 

प्रश्न-7 मुकाबला आदमी को शक्तिशाली बना देता है | 

उत्तर- 
मुकाबला आदमी को शक्तिशाली बना देता है --- इससे आशय है कि जब कोई व्यक्ति अत्याचार का सामना करता है तो उसमें प्राकृतिक रूप से हिम्मत आ जाती है, जो उसे शक्तिशाली बना देती है | 

प्रश्न-8 हाँ / नहीं में उत्तर दीजिए --- 

• शारकों ने लेखक के घर में घोंसला बना लिया था | 

उत्तर- नहीं 

• घोंसले से अंडा गिर पड़ा था | 

उत्तर- हाँ 

• चिड़ा-चिड़िया शारकों से मुकाबला कर रहे थे | 

उत्तर- हाँ 

• बिल्ली चिड़िया के बच्चों को खा गई थी | 

उत्तर- नहीं 

• चिड़िया का बच्चा उड़ना सीख गया था | 

उत्तर- हाँ 

प्रश्न-9 निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए -

उ. उत्तर निम्नलिखित हैं - 

• निर्दयी - दयालु 
• युद्ध - शांति 
• वाद - प्रतिवाद 
• बुराई - भलाई 
• प्राकृतिक - अप्राकृतिक 
• विस्तृत - संकीर्ण 

प्रश्न-10 संतुष्ट और प्रतिवाद शब्दों में क्रमशः सम् और प्रति उपसर्ग हैं | इनसे पाँच-पाँच शब्द और लिखिए -

उ. उत्तर निम्नलिखित हैं - 
• सम् -- संवाद, संतुलन, संयोग, संदेश, संदिग्ध 
• प्रति -- प्रतिशत, प्रतिभा, प्रतिदिन, प्रतिबंध,प्रतियोगिता 

प्रश्न-11 दिए गए शब्द-युग्मों को उचित भेद के अंतर्गत चुनकर लिखिए --- 
बीमार-वीमार, एक-एक, उदय-अस्त, तिनका-तिनका, दौड़ते-भागते, घिसा-पिटा, चाय-वाय, इधर-उधर 

उ. उत्तर निम्नलिखित हैं - 
• पुनरुक्त शब्द-युग्म -- एक-एक, तिनका-तिनका 
• समानार्थक शब्द-युग्म -- दौड़ते-भागते, घिसा-पिटा
• विपरीतार्थक शब्द-युग्म -- उदय-अस्त, इधर-उधर 
• सार्थक-निर्रथक शब्द-युग्म -- बीमार-वीमार, चाय-वाय

खुले आकाश में कहानी के शब्दार्थ 


• पाबंदी - रोक-टोक 
• शौर्यपूर्ण - वीरता से भरे 
• व्याप्त - भरे हुए 
• ज़ुल्म - अत्याचार 
• पिछवाड़े - पीछे का भाग 
• प्रतिवाद - विरोध 
• विचरती - उड़ती 
• हमलावार - हमला करने वाला 
• विस्तृत - फैले हुए | 


© मनव्वर अशरफ़ी

COMMENTS

Leave a Reply: 3
  1. " खुले आकाश में " शारकें किसका प्रतिनिधित्व करते है?
    Plzzz give me the answer plzzzz

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामीमई 10, 2024 9:23 pm

    Dhanyabad, age aur v kuch extra question answers judenge to aur v accha hoga. pranam

    जवाब देंहटाएं
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