मेरी पहली हवाई यात्रा पर निबंध First time travel in flight Meri Pahli Hawai Yatra मेरी यादगार यात्रा पहली हवाई यात्रा कैसे करें Guide to First Time
मेरी पहली हवाई यात्रा पर निबंध Meri Pahli Hawai Yatra
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मेरे विद्यालय में गर्मियों की छुट्टियाँ प्रारम्भ हो गयी थी। वर्षभर कठिन परिश्रम करने के पश्चात मन कहीं दूर घूमने जाने के लिए उतावला हो रहा था। अचानक पिताजी ने कहा कि इस वर्ष हम भाई बहनों ने परिश्रमपूर्वक अध्ययन किया है और अच्छे अंकों में उत्तीर्ण हुए हैं ,अतः पुरस्कार के रूप में हवाई जहाज द्वारा लखनऊ भ्रमण हेतु चलते हैं। तभी मैं और मेरी दोनों बहनें प्रसन्नता से उछल पड़े। मेरे लिए हवाई यात्रा का यह प्रथम अवसर था।
हवाई यात्रा का बोर्डिंग पास
हमारी उड़ान का समय दोपहर के बारह बजे का था। हम लोग अपना सामान लेकर कार द्वारा करीब साढ़े दस बजे हवाई अड्डे पर पहुँच गए। वहां पर बहुत से लोग एकत्रित थे। कुछ अपने सम्बन्धियों को लेने और कुछ छोड़ने के लिए आये हुए थे। लोग ट्रोली द्वारा अपना सामान जहाज तक ले जा रहे थे। हमने भी अपना सामान ट्रोली में रखा और आगे बढे। हमारी टिकिट की काउंटर पर जांच की गयी और हमें बोर्डिंग पास दिए गए। तभी हमारी हवाई उड़ान की घोषणा हुई और हमारे समान की जांच की गयी। फिर हम बस द्वारा प्रतीक्षालय तक ले जाए गए। तत्पश्चात औपचारिक पत्र दिखाने के पश्चात हमें सीढियां चढ़ने की अनुमति प्राप्त हुई।
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मेरी पहली हवाई यात्रा |
हवाई जहाज में स्वागत
हवाई जहाज में प्रवेश करते समय वायु सेविकाओं द्वारा हमारा स्वागत किया गया और हमारा स्थान दिखाया गया। हमारा बैठने का स्थान खिड़की के पास था। हमने अपना सामान अपने उपर बने सामान रखने के स्थान पर रखा और अपने जगहों पर बैठ गए। जल्दी ही सभी स्थान भर गए। वायु सेविकाओं ने हमसे बैल्ट बाँधने की प्रार्थना की और किसी प्रकार का भी धूम्रपान न करने का आग्रह किया।
अब हवाई जहाज ने अपने हवाई पट्टी पर दौड़ना प्रारम्भ किया और जल्दी ही हम आकाश में उड़ने लगे। इस समय हमने अपनी बैल्ट खोल दी। जहाज बादलों से होकर उड़ रहा था। मैंने अपने शहर को और नदी व अन्य भवनों को देखा जो मुझे बड़े सूक्ष्म दृष्टिगोचर हो रहे थे। मैं बहुत प्रसन्न था।
विमान सेविकाओं ने यात्रिओं को नाश्ता देना प्रारंभ किया। उसने मुझे एक गिलास फलों का रस दिया। जब मैं रस पी ही रहा था ,वह दोपहर का खाना लेकर आई। उसने सीट के पास मेज़ पर खाने का पैकेट रखा। इसमें चावल ,सब्जी चपाती और ताज़ा सलाद था ,साथ ही एक मिठाई भी थी।
हवाई यात्रा का आनंद
हम सबने दोपहर का भोजन किया। उसके बाद इच्छानुसार चाय व कॉफ़ी ली और तुरंत ही बाहर बादलों के सौन्दर्य की छटा का आनंद लेने लगा। दूसरे यात्री समाचार पत्र व पत्रिकाओं का रस ले रहे थे। हवाई जहाज में प्राप्त सुविधाओं के कारण मुझे थोड़ी नींद आ गयी और जब मैं जागा तो मेरी माताजी कह रही थी कि अब हम लखनऊ पहुँचने वाले हैं। फिर से हमने अपनी पेटियां कस लीं। धीरे - धीरे जहाज अपनी ऊँचाई से नीचे आने लगा और हवाई पट्टी पर दौड़ने के पश्चात रुका और हम भी अपने गंतव्य पर पहुँच गए थे। मेरी यह हवाई यात्रा अति आनंदित एवं सुखद रही।
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