Attaullah Khan Esakhelvi अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्ताँ

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Attaullah Khan Esakhelvi अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्ताँ अताउल्लाह के गाए गाने , ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ ‘दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाए

अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान : अताउल्लाह खान नियाज़ी 


Attaullah Khan Esakhelvi अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्ताँ  बात आज एक ऐसे सिंगर की जिसके गाने 90 के दशक में टूटे दिल वालों के लिए मरहम का काम किया करते थे l करीब 50 हज़ार गाने गाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले यह सिंगर हैं अताउल्लाह खान नियाज़ी, जिनका जन्म पाकिस्तान के ईसाखेल के एक गॉव मियांवली में हुआ था l मियांवली भारत-पाकिस्तान की पंजाब सीमा की आखरी पोस्ट हैं l अताउल्लाह के गाए गाने , ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ ‘दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाएं मेरी याद करोगी’ 'मुझ को दफना कर जब वो वापस जाएंगे, साथ रकीबों के वो जश्न मनाएंगे',‘इश्क में हम तुम्हें क्या बताएं किस तरह चोट खाए हुए हैं’ आज भी आशिकी में चोट खाए लोगों को तन्हाई में सुकून बख्शते हैं l

अताउल्लाह खान नियाज़ी ने गज़लों को जीया हैं l गज़लों में बयाँ दर्द उन की आँखों से झाँकता हैं l नियाज़ी साहब की गज़लों में चाहे कुछ कारण हो एक दुःख और दर्द का अहसास होता हैं l फिर चाहे वो गीत मज़े का हो, चाहे ख़ुशी का हो या फिर चाहे रंज का हो l बकौल नज़ीर - 

"यहीं हैं अज़्म के जी भर कर आज रो लीजिये 
कल ये दीदा-ए-पुर नम रहे रहे ना रहे"

अताउल्लाह खान नियाज़ी ने कई भाषाओं में गज़लें गाई हैं l इन भाषाओं में शामील हैं उर्दू, पंजाबी, सरायकी और हिंदी l पाकिस्तान में हुए पिछले आम चुनावों में नियाज़ी साहब ने इमरान खान का समर्थन किया और उन के चुनाव प्रचार के लिए एक गीत लिखा 'बनेगा नया पाकिस्तान' l इस गीत ने वहाँ के आम चुनाव प्रचार का रुख बदल दिया और आज नतीजा हमारे सामने हैं l 

एक अफवाह जिस ने नियाज़ी साहब को शोहरत दिलाई

90 के दशक की बात है l हिंदुस्तान के छोटे शहरों में एक कहानी बड़ी मशहूर हुई l  कहानी एक गायक को लेकर थी l जिनका नाम है अताउल्लाह खान नियाज़ी l जो कहानी मशहूर हुई वो अपने आप में पूरी की पूरी फिल्मी थी l ऐसी चर्चा हुई कि अताउल्लाह खान नियाज़ी किसी लड़की से प्यार करते थे, जिसने उन्हें धोखा दे दिया l 

प्रेमिका की बेवफाई से नाराज अताउल्लाह खान ने उसकी हत्या कर दी l वो पाकिस्तान की जेल में बंद हैं l वहीं से रिकॉर्डिंग होती है और उनके गाने लोगों तक पहुंचते हैं l  बाद में जब उस दौर में तमाम गायकों को शोहरत दिलाने वाली कंपनी टी-सीरीज से उनके कैसेट निकले तो कहानी का क्लाइमैक्स और मजेदार हो गया l लोग कहने लगे कि गुलशान कुमार ने पाकिस्तान जाकर उनकी कैसेट रिकॉर्ड की है l 

ये कहानी कैसे फैली, किसने फैलाई और इसका मकसद क्या था ये तो नहीं पता चला लेकिन बाद में पता चला कि कहानी थी पूरी फिल्मी l यानी ऐसी कहानी जिसमें कोई सच्चाई नहीं थी l सिवाय इस बात के कि अताउल्लाह खान पाकिस्तान के रहने वाले हैं और वाकई एक गायक हैं l 

अताउल्लाह खान नियाज़ी की दास्तान-ए-मोहब्बत

अताउल्लाह खान को ले कर मोहब्बत की कई दास्ताने बनी और इन दास्तानों को नमक मिर्च लगा कर पेश किया गया l जबकि हकीकत ये हैं कि, अताउल्लाह खान का जन्म एक ऐसे घर में हुआ जहा गाना बजाना बुरा समझा जाता था और आज भी बुरा ही समझा जाता हैं l अताउल्लाह खान नियाज़ी कबायली (tribal) पठान हैं l उन दिनों अताउल्लाह खान एक लड़की से मोहब्बत करते थे l उस लड़की का आप ने उस के माँ बाप से हाथ भी माँगा था मगर उस लड़की के माँ बाप रिश्ता सिर्फ इस वजह से ठुकरा दिया कि अताउल्लाह खान एक गायक हैं और उन दिनों उन इलाकों में गाने बजाने को बुरा तसव्वुर किया जाता था l यहीं वो दर्द था जो आज तक अताउल्लाह खान की गायकी में महसूस होता हैं l यहीं वो दर्द हैं जो नियाज़ी साहब की आँखों में झलकता हैं l 


बेवफाई की दास्तां सुनाते अताउल्लाह

90 का दशक यूं भी कुमार सानू, नदीम श्रवण और समीर का दशक था l एक से बढ़ कर एक रोमांटिक गाने इसी दौर में तैयार हुए l ऐसे दौर में बेवफाई की दास्तां कहते गाने ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ ‘दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाएं मेरी याद करोगी’ 'मुझ को दफना कर जब वो वापस जाएंगे, साथ रकीबों के वो जश्न मनाएंगे' या ‘इश्क में हम तुम्हें क्या बताएं किस तरह चोट खाए हुए हैं’ बाजार में आते ही हिट हो गए l 

गाने की शुरूआत में भर्राई आवाज में अताउल्लाह खान नियाज़ी का कहना कि -  

"देख ले आ के ज़रा चैन से सोने वाले 
कैसे रोते हैं तेरी याद में रोने वाले 
मेरी मैय्यत पर ना आया कोई भी अपना 
मेरे कातील हैं मेरी लाश पर रोने वाले"

ने इश्क में धोखा खाए लोगों को वाकई अताउल्लाह खान की फिल्मी कहानी पर भरोसा करने के लिए मजबूर कर दिया l ये सारे गाने 1992 में रिलीज एल्बम "बेदर्दी से प्यार" का हिस्सा थे, जो गुलशन कुमार ने प्रोड्यूस किया था l बाद में 1995 में गुलशन कुमार ने अपने भाई किशन कुमार को लेकर बेवफा सनम फिल्म बनाई, जिसमें ये सभी गाने भी शामिल किए गए l इस फिल्म में किशन कुमार के अलावा शिल्पा शिरोडकर, अरुणा इरानी और शक्ति कपूर जैसे अभिनेता थे l फिल्म के गानों को सोनू निगम, उदित नारायण, नितिन मुकेश और पूर्णिमा ने आवाज दी थी l संगीत निखिल विनय का था l  दिलचस्प बात ये है कि फिल्म में प्रेमी को प्रेमिका का खुलेआम कत्ल करते दिखाया भी गया l फर्क सिर्फ इतना था कि प्रेमी का गायकी से कोई नाता नहीं था l वरना अताउल्लाह खान की नकली कहानी को और दम मिला होता l 

अताउल्लाह खान की असली कहानी

Attaullah Khan Esakhelvi अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्ताँ
अताउल्लाह खान

खैर, अताउल्लाह खान की असल कहानी पर आते हैं l 19 अगस्त 1951 को पैदा हुए अताउल्लाह खान को बचपन से ही संगीत सीखने की तमन्ना थी l परेशानी ये थी कि उनकी गायकी उन के अब्बा को बिल्कुल भी नहीं सुहाती थी l बात यहां तक बिगड़ गई कि उन्हें घर से निकाल दिया गया l ऐसे में अताउल्लाह खान जब वापस घर लौटे तो उनके पास गायकी का इकलौता समय तब होता था जब उनके अब्बा घर पर ना हों l  कहते हैं कि अब्बा जब हज पर चले जाते थे तो अताउल्लाह खान गाते थे l या फिर वो गाँव के करीब के जंगलों में अपने दोस्तों के साथ चले जाते थे और वहाँ अपने दोस्तों के सामने गज़ले गाते थे l हां, उनके स्कूल में एक टीचर जरूर थे जिन्होंने अलाउल्लाह खान को मोहम्मद रफी और मुकेश के गाने सुनते रहने और गाते रहने की नसीहत दी थी l ये नसीहत काम आई l 

अताउल्लाह खान लाख बंदिशों के बाद भी अपनी गायकी को जारी रखने में कामयाब हुए l 18 साल की उम्र में जब उन्हें समझ आ गया कि अब्बा और बाकी घरवाले उनके इस शौक के रास्ते में हमेशा बंदिशें लगाएंगे तो उन्होंने घर ही छोड़ दिया l अगले 3 साल में वो उस रास्ते पर पहुंच गए जहां से उन्हें वो मुकाम हासिल हुआ जिसके वो हकदार थे l 1972 में उन्हें बहावलपुर के रेडियो पाकिस्तान में गायकी का न्यौता आया l अगले ही साल वो टीवी के एक लोकप्रिय कार्यक्रम में फीचर किए गए l 21-22 साल की उम्र में अताउल्लाह खान पाकिस्तान के एक जाने पहचाने चेहरे बन चुके थे l 

उनकी शोहरत और परवान चढ़ी, जब 1977 में फैसलाबाद की एक कंपनी ने उनका कैसेट रिलीज किया l देखते ही देखते वो कैसेट ‘बेस्टसेलर’ बन गया l जल्द ही पाकिस्तान के बाहर भी अताउल्लाह खान की बात होने लगी l उन्हें इंग्लैंड बुलाया गया l  वहां उन्होंने कार्यक्रम पेश किया l वो उनका पाकिस्तान के बाहर पहला कार्यक्रम था l धीरे धीरे उनकी लोकगायकी, बाबा बुल्ले शाह के कलाम और उनकी आवाज का दर्द लोगों को भा गया l अताउल्लाह खान महज 40 साल के थे जब उन्हें पाकिस्तान के एक बड़े सम्मान से नवाजा गया l 

इसी खिताब के अगले साल गुलशन कुमार ने उनका कैसेट रिकॉर्ड किया l अताउल्लाह खान की आ
वाज हिंदुस्तान पहुंची और उसी के साथ पहुंची वो कहानी जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था l खैर, 1994 में अताउल्लाह खान को ब्रिटेन की महारानी ने भी सम्मानित किया l इसी दौरान 7 भाषाओं में करीब 50,000 गाने रिकॉर्ड करने वाले अताउल्लाह खान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ l संगीत के शौकीन लोगों में जबरदस्त पॉपुलर कोक स्टूडियो की रिकॉर्डिंग में भी अताउल्लाह खान अपनी गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं l 

अताउल्लाह खान फिल्मों में भी काम कर चुके हैं मगर अदाकारी में उन का दिल नहीं लगा और वो गायकी के क्षेत्र में लौट आए l बाद में उन्होंने एक अभिनेत्री से शादी कर ली l उन का एक बेटा सनावल नियाज़ी भी एक अच्छा गायक हैं और बेटी लारैब हॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करती हैं l 

अताउल्लाह खान और भारत

दिलचस्प बात ये है कि अताउल्लाह खान की आवाज भले ही 90 के दशक में हिंदुस्तान पहुंच चुकी थी लेकिन वो खुद 2014 में पहली बार हिंदुस्तान आए l पुराना किला में उनका कार्यक्रम हुआ था l हिंदुस्तान से जाते-जाते उन्होंने दोनों मुल्कों के अवाम के बीच दूरियों को कम करने का संदेश दिया l अताउल्लाह खान की गायकी का एक पहलू सोनू निगम से भी जुड़ा है l मोहम्मद रफी के गाने गाकर अपनी ज़मीन तलाश रहे सोनू निगम के लिए 'बेवफा सनम' का गाना 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का' वरदान साबित हुआ था l अताउल्ला खान नियाज़ी के इस गाने की ‘पॉपुलैरिटी’ सोनू निगम के लिए बतौर प्लेबैक सिंगर टेक-ऑफ का ज़रिया बनी थी l 

अताउल्लाह खान नियाज़ी आज दुनिया के सब से बड़े गज़ल सिंगर हैं l उन का सफर शुरू हुआ था उस मुकाम से जहाँ उन्हें गाने तक की इजाज़त नहीं थी, उन के गानों का विरोध किया जाता था, उन की इसी गायकी के सबब उन की मोहब्बत अधूरी रही और आज वो उस मुकाम पर हैं जिस मुकाम पर पहुँचने का सपना हर गायक देखता हैं l वाकई नियाज़ी साहब की कहानी गायकों को अँधेरी राहों में चिराग का काम करती हैं l शायद इसीलिए किसी ने सच ही कहाँ हैं कि, "इंसान की अधूरी मोहब्बत उसे मुकम्मल कर देती हैं l"

"हज़ारों साल नरगीस अपनी बेनूरी पर रोती हैं 
बड़ी मुश्किल से होता हैं चमन में दीदावर पैदा"




- प्रा. शेख मोईन शेख नईम 
डॉ. उल्हास पाटील लॉ कॉलेज, जलगाव 
7776878784

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