लाॅटरी पर हिंदी निबंध लाॅटरी वरदान या अभिशाप | Essay On Lottery In Hindi

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लाॅटरी पर हिंदी निबंध लाॅटरी वरदान या अभिशाप Essay On Lottery In Hindi लाॅटरी पर सरकार को रोक लगानी चाहिए लाॅटरी कुछ को लाभ देखकर सबको हानि पहुँचाती

लाॅटरी पर हिंदी निबंध


लाॅटरी पर हिंदी निबंध लाॅटरी वरदान या अभिशाप  Essay On Lottery In Hindi यह संसार गुणों और अवगुणों से भरा हुआ है। यहाँ की हर अच्छी वस्तु में बुराई और प्रत्येक बुरी वस्तु में कुछ न कुछ अच्छाई होती है । संसार में रुचियाँ भी भिन्न-भिन्न है। किसी को कोई वस्तु अच्छी लगती है तो किसी को कुछ दूसरे ही प्रकार की चीजों में गुण दिखाई पड़ता है। लाॅटरी  भी कुछ ऐसे ही वस्तु है। कुछ लोगों का यह विचार है कि यह एक प्रकार का जुआ है। इसलिए यह एक बुरी वस्तु है। इसे खेलना एक दुर्गुण है । लाॅटरी  को चाहने वाले इसके पक्ष में तर्क देते हैं और इसके फल की ओर आशा भरी दृष्टि से देखते हैं । इसके फल को अच्छा मानते हैं। 

लाॅटरी मनुष्य के लिए अभिशाप Lottery In Hindi

लाॅटरी  का टिकट खरीदना मानव की एक बुरी आदत है । इस बुरी आदत में पड़ कर कभी-कभी मानव बहुत बड़ी हानि कर बेठता है। इसके प्रेम में महीने भर की खून-पसीने की कमाई लाॅटरी  बेचने वालों के हाथ में दे आता है।
लाॅटरी पर हिंदी निबंध लाॅटरी वरदान या अभिशाप | Essay On Lottery In Hindi
लाॅटरी
महीने का खर्च चलाने के लिए उसके पास कुछ भी शेष नहीं रहता। जिस धन का प्रयोग उसे अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए करना चाहिये उसे सहज ही खोकर अपने जीवन को नरक बना लेता है। टिकट खरीदने के बाद वह 
मान सपने देखने लगता है। एक सुखद कल्पना में खो जाता है । लेकिन ऐसा सपना न लोगों का पूरा होता है। यह सुखद कल्पना कितने लोगों की साकार होती है। लोभ में पड़कर वहाँ मान-सम्मान से वंचित होता है, वहीं अपनी चल और अचल सम्पत्ति से भी हाथ धोकर गरीबी का जीवन व्यतीत करने लगता है। कुछ  रुपये के टिकट खरीदकर वह मकान, दूकान और कार खरीदने की उम्मीदें अपने में समाने लगता है। लम्बी रकम प्राप्त करने की दुविधा में वह अपनी संचित निधि भी खो देता है। न तो उसे लाॅटरी  का धन ही मिल पाता है और न तो वह अपना धन ही बचा पाता है। इस पद के शब्दों में कहे तो कह सकते है-- 


संसारी से प्रीतड़ी, सरै न एको काम | 
दुविधा में दोनों गये, माया मिली न राम ||

लोभ का फल ही ऐसा होता है - 

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न सारी पावे

अत: लाॅटरी  कुफल नहीं तो और क्या है ? यह जुआ की बहन है। जिसके भाई ने बड़े-बड़े राज घरानों को नष्ट कर दिया उसकी बहन भला किसी को आबाद कैसे कर सकती है। जुआ अब महाराज नल और महाराज धर्मराज का नहीं हुआ तो वह साधारण व्यक्ति की सहायता कब तक कर सकता है? इसी दुर्गुण में फसने के कारण लाखों लोग बरबाद हो चुके हैं। कितने ही लोगों के आबाद घर बरबाद हो चुके हैं। लाॅटरी  की यह छलना समाज के बाल, वृद्ध युवक, स्त्री, पुरुष सबको छलती जा रही है। इसके लोभ में पड़ कर कितने ही विशिष्ट अपनी तपस्या नष्ट कर चुके हैं । इसका आकर्षण ही ऐसा है जिसके सामने आदमी का धीरज नष्ट हो जाता है । वह सब कुछ खोकर बेघरबार हो जाता है। यह माया है। इस माया से दूर रहकर ही हम अपना कल्याण कर सकते है। अत: यह वह लता है जिसके कुफल से समाज त्रस्त है। 

लाॅटरी एक वरदान 

कुछ लोग लाॅटरी  को बरदान मानते हैं। उनके अनुसार यह ईश्वरीय देन है जिसका फल मनुष्य को अपने भाग्य के अनुसार मिलता है। भाग्य को आजमाने के लिए वे लाटरी के बड़े-बड़े टिकटों को खरीदते हैं और यह तर्क देते है. कि जिसका भाग्य खुलेगा वह पायेगा। उनका तर्क है कि जब लाॅटरी  को खेलने के लिए सरकार खुद ही प्रोत्साहन दे रही है तब वह बुरी कहाँ  है। लाॅटरी  के बल पर कभी-कभी आदमी का भाग्य बदल जाता है। फुटपाथ पर जीनेवाला व्यक्ति महल और कारखानों का मालिक हो जाता है। वह अपने भाग्य की सराहना करने लगता है। लाॅटरी  का बरदान पाकर रंक राजा हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों के भाग्य की सराहना सभी करने लगते हैं। लाटरी व्यवसाय से अनेक लाभ है। इससे सबसे बड़ा लाभ सरकार को प्राप्त होता है। इससे सरकार की आय बढ़ जाती है। इसके बाद सरकार को कमीशन के रूप में अच्छी रकम प्राप्त होती है। सरकार इस रकम का प्रयोग विकास के कार्यो में और अपनी प्रमुख योजनाओं की पूर्ति के लिए करती है। इस प्रकार लाॅटरी राष्ट्र विकास में सहायता करती है। लाॅटरी  के लिए समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में विज्ञापन पाते है। इसके कारण समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं की आय भी बढ़ती है। इस व्यवसाय में लाखों व्यकि लगे हुए है। लाॅटरी  के द्वारा उन लोगों को काम मिल जाता है .अतः  जिनको किसी प्रकार के व्यवसाय और कार्य के लिए कोई अवसर नहीं था। 

लाॅटरी पर सरकार को रोक लगानी चाहिए 

लाॅटरी  ने समाज की बेकारी को दूर करने की अच्छी भूमिका निभाई है। लाॅटरी  द्वारा समाज का चाहे जो भी लाभ होता हो लेकिन समाज के लिए यह व्यवसाय ठीक नहीं है .वही कार्य समाज में अच्छा माना जाता है जहाँ सबके लाभ के लिए कुछ की हानि होती हो, लेकिन लाॅटरी  कुछ को लाभ देखकर सबको हानि पहुँचाती है । अतः यह कुफल ही प्रदान करती है। सरकार और समाज को इस पर रोक लगाना चाहिये । यह हमारे नवयुवकों में कामचोरी और परिश्रमहीनता के भाव जगाकर उन्हें अकर्मण्य बना रही है। 


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